कृषि
मिट्टी
बाजरा को मिट्टी की कई किस्मों में उगाया जा सकता है। यह जल जमाव और तेजाबी मिट्टी में खड़ी नहीं रह सकती। अच्छे निकास वाली काली कपास मिट्टी और रेतली देामट मिट्टी में उगान पर अच्छे परिणाम देती है।
प्रसिद्ध किस्में और पैदावार
ज़मीन की तैयारी
मिट्टी के भुरभुरा होने तक खेत की जोताई करें। भारी और नदीनों से ग्रसित मिट्टी की दो बार जोताई करें। आखिरी जोताई के समय 6 टन गाय का गला हुआ गोबर मिट्टी में मिलायें।
बिजाई
बीज
खाद
खादें (किलोग्राम प्रति एकड़)
UREA | SSP |
MOP |
75-87 | 50-75 | - |
तत्व (किलोग्राम प्रति एकड़)
NITROGEN | PHOSPHORUS | POTASH |
35-40 | 8-12 | - |
खरपतवार नियंत्रण
खेत को साफ और नदीन रहित रखें। बाजरे की बिजाई के बाद एट्राज़िन 300 ग्राम को 150 लीटर पानी में मिलाकर डालें। बिजाई के 15-17 दिनों के बाद छंटाई की क्रिया करें और सिर्फ सेहतमंद फसल ही रखें।
सिंचाई
यह बारानी क्षेत्र की फसल है इसलिए इसे कम सिंचाई की आवश्यकता होती है। बारिश की तीव्रता और नियमितता के अनुसार सिंचाई दें। जोताई के समय, फूल निकलने और दाने भरने की अवस्था में पानी की कमी ना होने दें। इन अवस्थाओं में पानी की कमी होना पैदावार में गंभीर नुकसान करता है।
पौधे की देखभाल
- हानिकारक कीट और रोकथाम
- बीमारियां और रोकथाम
कांगियारी : इसकी रोकथाम के लिए कांगियारी की प्रतिरोधक किस्मों का प्रयोग करें। यदि इसका हमला पाया जाये तो प्रभावित पौधों को निकालकर खेत से बाहर ले जाकर नष्ट कर दें और मैनकोजेब 2 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
फसल की कटाई
जब दाने सख्त और इनमें आवश्यक नमी हो तो फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है। दरांती की सहायता से खड़ी फसल में से बालियों को निकाल लें। कुछ किसान दरांती से पूरे पौधे को ही काट लेते हैं। कटाई के बाद इन्हें इकट्ठा करें और तना फसल को खुली जगह में रखें और चार-पांच दिनों के लिए सुखाएं।
कटाई के बाद
अच्छी तरह से सूखाने के बाद गहाई करें और बालियों में से दानों को अलग कर लें। उसके बाद बीजों को साफ करें। साफ किये बीजों को धूप में सुखाएं और 12-14 प्रतिशत नमी का स्तर रखें। दानों को बोरियों में भरें और सूखे स्थान पर भंडारण करके रखें।