ਬਾਜਰਾ ਉਤਪਾਦਨ

ਆਮ ਜਾਣਕਾਰੀ

बाजरा विश्व में व्यापक तौर पर उगाई जाती है। यह सूखे को सहन कर सकती है इसलिए इसे कम वर्षा वाले क्षेत्रों में ज्यादा अपनाया जाता है। भारत बाजरे का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। मानव उपभोग के साथ इसे पशुओं के चारे के लिए भी प्रयोग किया जाता है। इसका डंठल पशुओं को खिलाने के लिए प्रयोग किया जाता है। भारत में राजस्थान, महांराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तामिलनाडू मुख्य बाजरा उत्पादक राज्य हैं।
 
उत्तर प्रदेश बाजरे का लगभग 9 लाख टन उत्पादन करता है। यू पी के मथुरा, कानपुर, आगरा, अलाहबाद, फारूखबाद, अलीगढ़, मोरादाबाद, ईटाह, बदुआं, बुलंदशहर, शाहजहांपुर, गाज़ीपुर, मैनपुरी, प्रतापगढ़ क्षेत्र बाजरा उगाने वाले मुख्य क्षेत्र हैं। पहले बाजरा की खेती का क्षेत्र कम हो रहा थालेकिन इसके पोषक तत्वों को देखते हुए आज के किसान बाजरा की खेती को पहल देते हैं।
 

ਮਿੱਟੀ

बाजरा को मिट्टी की कई किस्मों में उगाया जा सकता है। यह जल जमाव और तेजाबी मिट्टी में खड़ी नहीं रह सकती। अच्छे निकास वाली काली कपास मिट्टी और रेतली देामट मिट्टी में उगान पर अच्छे परिणाम देती है।

ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਕਿਸਮਾਂ ਅਤੇ ਝਾੜ

KBH 108 (MH 1737): यह किस्म 80-86 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
 
MPMH 17: यह किस्म 79 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। यह बारानी हालातों के लिए उपयुक्त किस्म है।
 
MH 1747: यह किस्म 84 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। यह किस्म खरीफ के मौसम में बिजाई के लिए उपयुक्त है।
 
Avika Bajra chari: यह दोहरे मंतव की किस्म है। इसे हरे चारे के साथ साथ दाने लेने के उद्देश्य से उपयोग किया जाता है। इसकी हरे चारे की औसतन उपज 15 टन और दानों की उपज 4 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
 
86M86: यह हाइब्रिड किस्म पिछेती बिजाई के लिए उपयुक्त है और 80-85 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
 
86M66: यह हाइब्रिड किस्म पिछेती बिजाई के लिए उपयुक्त है और 90 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
 
Kaveri Super: यह हाइब्रिड किस्म पिछेती बिजाई के लिए उपयुक्त है और 80-85 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
 
RHB 177: यह सूखे को सहने योग्य किस्म है। इसकी औसतन पैदावार 8-10 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
 
Raj 171: यह हाइब्रिड किस्म 85 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। यह किस्म सामान्य वर्षा वाले हालातों में बिजाई के लिए उपयुक्त है। इसकी औसतन पैदावार 8-10 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
 
Hybrid: KBH 108, GHB 905, 86M89, MPMH 17, Kaveri Super Boss, Bio 448, MP 7872, MP 7792, 86M86, 86M66, RHB-173
 
Variety: JBV 3, PC 383, ICMV 221.
 
दूसरे राज्यों की किस्में
 
HHB 60: यह किस्म 70-75 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसतन पैदावार 8 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
 
ICMH 356: यह किस्म 70-75 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। यह किस्म सूखे को सहने योग्य है और पत्तों के धब्बा रोग की प्रतिरोधक किस्म है।
 
Pusa 605: यह हाइब्रिड किस्म 70-80 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसतन पैदावार 3.6-4 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
 
GHB 538: यह किस्म 75-80 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसके दानों की औसतन उपज 7 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
 
MP 7792 and MP 7872: यह किस्म पिछेती बिजाई के लिए उपयुक्त है और 75-85 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
 
RHB 121 (MH 892): यह हाइब्रिड किस्म 75-78 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसतन पैदावार 8.8-10 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
 
HHB 67 (Unnat): यह किस्म कम और ज्यादा वर्षा वाले क्षेत्रों में उगाने के लिए उपयुक्त है। यह किस्म 65-70 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसतन पैदावार 6-8 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
 

ਖੇਤ ਦੀ ਤਿਆਰੀ

मिट्टी के भुरभुरा होने तक खेत की जोताई करें। भारी और नदीनों से ग्रसित मिट्टी की दो बार जोताई करें। आखिरी जोताई के समय 6 टन गाय का गला हुआ गोबर मिट्टी में मिलायें।

ਬਿਜਾਈ

बिजाई का समय
बाजरे की बिजाई के लिए जुलाई के पहले पखवाड़े का समय अनुकूल होता है।
 
फासला
कतार से कतार में 40-45 सैं.मी. और पौधे से पौधे में 10-15 सैं.मी. फासले का प्रयोग करें।
 
बीज की गहराई
बीजों को 2.5-3 सैं.मी. गहराई में बोयें।
 
बिजाई का ढंग
बिजाई के लिए गड्डा खोदकर या बीज ड्रिल विधि का प्रयोग किया जाता है।
 

ਬੀਜ

बीज की मात्रा
बिजाई की विधि के अनुसार 1.5-2 किलो बीज प्रति एकड़ में प्रयोग करें।
 
बीज का उपचार
बीजों को गूंदिया रोग से बचाने के लिए 20 प्रतिशत नमक के घोल में पांच मिनट के लिए डुबोकर रखें। जो बीज पानी के ऊपर तैरने लग जायें उन्हें पानी में से निकालकर नष्ट कर दें और बाकी के बीजों को साफ पानी से धोयें। इसके बाद बीजों को थीरम 3 ग्राम या क्लोरपाइरीफॉस 20 ई सी 4 मि.ली. से प्रति किलो बीज का उपचार करें।
 

ਖਾਦਾਂ

खादें (किलोग्राम प्रति एकड़)

UREA SSP
MOP
75-87 50-75 -

 

तत्व (किलोग्राम प्रति एकड़)

NITROGEN PHOSPHORUS POTASH
35-40 8-12 -

 

बाजरे की पूरी फसल को नाइट्रोजन 35-40 किलो (यूरिया 75-87 किलो), फासफोरस 8-12 किलो (एस एस पी 50-75 किलो) प्रति एकड़ में जरूरत होती है।
नाइट्रोजन की आधी मात्रा और फासफोरस की पूरी मात्रा बाजरे की बिजाई से पहले डालें। बाकी बची नाइट्रोजन की मात्रा बिजाई के 30-35 दिनों के बाद डालें।
 

ਨਦੀਨਾਂ ਦੀ ਰੋਕਥਾਮ

खेत को साफ और नदीन रहित रखें। बाजरे की बिजाई के बाद एट्राज़िन 300 ग्राम को 150 लीटर पानी में मिलाकर डालें। बिजाई के 15-17 दिनों के बाद छंटाई की क्रिया करें और सिर्फ सेहतमंद फसल ही रखें।

ਸਿੰਚਾਈ

यह बारानी क्षेत्र की फसल है इसलिए इसे कम सिंचाई की आवश्यकता होती है। बारिश की तीव्रता और नियमितता के अनुसार सिंचाई दें। जोताई के समय, फूल निकलने और दाने भरने की अवस्था में पानी की कमी ना होने दें। इन अवस्थाओं में पानी की कमी होना पैदावार में गंभीर नुकसान करता है।

ਪੌਦੇ ਦੀ ਦੇਖਭਾਲ

ਜੜ੍ਹ ਦੀ ਸਿਉਂਕ
  • हानिकारक कीट और रोकथाम
जड़ का कीट/दीमक : यदि इस कीट का हमला दिखे तो मिथाइल पैराथियोन 2 प्रतिशत 10 किलो का बुरकाव प्रति एकड़ में करें।
ਨੀਲੀ ਭੂੱੰਢੀ
नीली भुंडी : नीली भुंडी की रोकथाम के लिए 1.5 प्रतिशत क्विनलफॉस 250 मि.ली. की  प्रति एकड़ में स्प्रे करें।
 
ਪੱਤਿਆਂ ਦੇ ਹੇਠਲੇ ਪਾਸੇ ਧੱਬੇ
  • बीमारियां और रोकथाम
पत्तों के निचले धब्बे : इसके हमले में पत्तों के दोनों भागों ऊपर और नीचे सफेद रंग के धब्बे पड़ जाते हैं। बलियां पत्तों के ढांचे में बदल जाती हैं। यह बीमारी बादलवाई के मौसम में ज्यादा फैलती है।
 
यदि इसका हमला दिखे तो मैटालैक्सिल MZ 30 ग्राम को 15 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। यदि जरूरत पड़े तो 15 दिनों के अंतराल पर दोबारा स्प्रे करें।
ਗੂੰਦੀਆ ਰੋਗ
गूंदिया रोग : इस बीमारी में बालियों के ऊपर शहद की बूंदों जैसा पदार्थ पाया जाता है। 10-15 दिनों के बाद ये बूंदें सूख जाती हैं और गहरे भूरे से काले रंग में बदल जाती हैं। बीज काले रंग की फंगस में बदल जाते हैं जिसे सैकलेरोटिया कहते हैं।
 
गूंदिया रोग से बचाव के लिए बीजों को 20 प्रतिशत नमक के घोल में पांच मिनट के लिए डुबोकर रखें। जो बीज पानी के ऊपर तैरने लग जायें उन्हें पानी में से निकालकर नष्ट कर दें और बाकी के बीजों को साफ पानी से धोयें। इस रोग की रोकथाम के लिए जिनेब या मैनकोजेब 2 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। 3 दिनों के अंतराल पर दो से तीन स्प्रे करें।
ਝੁਲਸ ਰੋਗ

कांगियारी : इसकी रोकथाम के लिए कांगियारी की प्रतिरोधक किस्मों का प्रयोग करें। यदि इसका हमला पाया जाये तो प्रभावित पौधों को निकालकर खेत से बाहर ले जाकर नष्ट कर दें और मैनकोजेब 2 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।

ਕੁੰਗੀ
कुंगी : हरे पत्तों पर लाल भूरे से लाल संतरी रंग के धब्बे विकसित हो जाते हैं।
 
यदि इसका हमला दिखे तो मैनकोजेब 75 डब्लयु पी 2 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। यदि जरूरत पड़े तो 8 दिनों के अंतराल पर दोबारा स्प्रे करें।

ਫਸਲ ਦੀ ਕਟਾਈ

जब दाने सख्त और इनमें आवश्यक नमी हो तो फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है। दरांती की सहायता से खड़ी फसल में से बालियों को निकाल लें। कुछ किसान दरांती से पूरे पौधे को ही काट लेते हैं। कटाई के बाद इन्हें इकट्ठा करें और तना फसल को खुली जगह में रखें और चार-पांच दिनों के लिए सुखाएं।

ਕਟਾਈ ਤੋਂ ਬਾਅਦ

अच्छी तरह से सूखाने के बाद गहाई करें और बालियों में से दानों को अलग कर लें। उसके बाद बीजों को साफ करें। साफ किये बीजों को धूप में सुखाएं और 12-14 प्रतिशत नमी का स्तर रखें। दानों को बोरियों में भरें और सूखे स्थान पर भंडारण करके रखें।