नवरीत कौर
खाना बनाने के शौक को व्यवसाय में बदलने वाली एक सफल महिला किसान
जिन्होंने मंजिल तक पहुंचना होता है वह मुश्किलों की परवाह नहीं करते, क्योंकि मंजिल भी उन्हीं तक पहुंचती है जिन्होंने मेहनत की होती है। सभी को अपनी काबिलियत पहचानने की जरुरत होती है. जिसने अपनी काबिलियत और खुद पर भरोसा कर लिया, मंजिल खुद ही उनकी तरफ आ जाती है।
इस स्टोरी में हम बात करेंगे एक महिला के बारे में जो अपने आप में गर्व वाली बात है, क्योंकि आजकल ऐसा समय है जहाँ औरत आदमी के साथ मिलकर काम करती है। पहले से ही औरत पढ़ाई, डॉक्टर, विज्ञान आदि के क्षेत्र में काम करती है लेकिन आज के समय में कृषि के क्षेत्र में भी अपना नाम बना रही है।
एक ऐसी महिला किसान “नवरीत कौर” जो जिला संगरूर के “मिमसा” गांव के रहने वाले हैं। जिन्होंने MA, M.ED की पढ़ाई की है। जो कॉलेज में पढ़ाते थे, पर कहते हैं कि परमात्मा ने इंसान को धरती पर जिस काम के लिए भेजा होता है, वह उसके हाथों से ही होना होता है।
यह बात नवरीत कौर जी पर लागू होती है, जिनके मन में कृषि के क्षेत्र में कुछ अलग करने का इरादा था और इस इरादे को दृढ़ निश्चय बनाने वाले उनके पति परगट सिंह रंधावा जी ने उनका बहुत साथ था। उनके पति ने M.Tech की हुई हैं, जोकि हिन्दुस्तान यूनीलिवर लिमिटेड, नाभा में सीनियर मैनेजर हैं और PAU किसान क्लब के सदस्य भी हैं। उनके पति नौकरी के साथ साथ कृषि नहीं कर सकते हैं थे इसलिए उन्होंने खुद खेती करनी शुरू की जिसमें उनके पति ने उनका साथ दिया।
खेती करना मुख्य व्यवसाय तो था पर मैं सोचती थी कि परंपरागत खेती को छोड़ कर कुछ नया किया जाए- नवरीत कौर
उन्होंने 2007 में निश्चित रूप से जैविक खेती करना शुरू कर दिया और 4 एकड़ में दालें और देसी फसल के साथ शुरुआत की। कुछ समय बाद ही यह समस्या आई कि इतनी फसल की खेती कर तो ली है लेकिन इसका मंडीकरण कैसे किया जाए। उनके पति के इलावा इस काम में उनके साथ में कोई नहीं था, क्योंकि परिवार का मुख्य व्यवसाय परंपरागत खेती ही था, पर परंपरागत खेती से अलग कुछ ऐसा करना जिसका कोई अनुभव नहीं था। यदि परंपरागत खेती कामयाब नहीं हुई तो परिवार वाले क्या बोलेंगे।
मुझे जब भी कहीं खेती में मुश्किलें आईं वे हर समय मेरे साथ होते थे- नवरीत कौर
उन्होंने सबसे पहले घर में खाने वाली दालों से शुरुआत की, जो आसान था। इसके इलावा तेल बीज वाली फसलें और इसके साथ मंडीकरण की तरफ भी ध्यान देना शुरू किया।
मुझे खाना बनाने का शोक था, फिर मैंने सोचा क्यों न देसी गेहूं, चावल, तेल बीज, गन्ने की प्रोसेसिंग और मंडीकरण किया जाए- नवरीत कौर
जब उन्होंने ने अच्छे से खेती करना सीख लिया तो उनका अगला काम प्रोसेसिंग करना था, प्रोसेसिंग करने से पहले उन्होंने दिल्ली IARI, पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी लुधियाना, सोलन के साथ साथ ओर बहुत सी जगह से ट्रेनिंग ली है। ट्रेनिंग करने से प्रोसेसिंग करना शुरू कर दिया। अब वह शोक और उत्साह से प्रोसेसिंग कर रहे हैं।
2015 में उन्होंने बहुत से उत्पाद बनाने शुरू कर दिए। इस समय वह घर की रसोई में ही उत्पाद तैयार करते हैं। इसके साथ गांव की महिलाओं को रोजगार भी मिल गया और प्रोसेसिंग की तरह भी ध्यान देने लगी।
उनकी तरफ से 15 तरह के उत्पादों को तैयार किया जाता है, वह सीधे तरह से बनाये गए उत्पाद को बेच रहे हैं जो इस तरह हैं:
- देसी गेहूं की सेवइयां
- गेहूं का दलिया
- बिस्कुट
- गाजर का केक
- चावल के कुरकुरे
- चावल के लड्डू की बड़ियां
- मांह की बड़ियां
- स्ट्रॉबेरी जैम
- नींबू का अचार
- आंवले का अचार
- आम की चटनी
- आम का अचार
- मिर्च का आचार
- च्यवनप्राश आदि।
पहले वह मंडीकरण अपने गांव और शहर में ही करते थे पर अब उनके उत्पाद कई जगह पर पहुँच गए हैं। जिसमें वह मुख्य तौर पर अपने द्वारा बनाये गए उत्पादों का मंडीकरण चंडीगढ़ आर्गेनिक मंडी में करते हैं। वह धीरे धीरे अपने उत्पादों को ऑनलइन बेचने के बारे में सोच रहे हैं।
मैं आज खुश हूं कि जिस काम को करने के बारे में सोचा था आज उसमे सफल हो गई हूं- नवरीत कौर
नवरीत कौर जी खाद भी खुद तैयार करते हैं जिसमें वर्मीकम्पोस्ट तैयार करके किसानों को दे भी रहे हैं क्योंकि उनका मानना है कि यदि इससे किसी का भला होता है तो बहुत बढ़िया होगा। इसके इलावा उन्हें हाथ से बनाई गई वस्तुओं के लिए MSME यूनिट्स की तरफ से इनाम भी प्राप्त है।
भविष्य की योजना
वह एक स्टोर बनाना चाहते हैं जहां पर वह अपने द्वारा तैयार किए गए उत्पाद का मंडीकरण खुद ही कर सकें। जिसमें किसी तीसरे की जरुरत न हो। किसान से उपभोक्ता तक का मंडीकरण सीधा हो। वह अपना फार्म बनाना चाहते हैं जहां पर वह प्रोसेसिंग के साथ साथ उसकी पैकिंग भी कर सकें।
संदेश
खेती कभी करते हैं, पर एक ही तरह की खेती नहीं करनी चाहिए। उसे बड़े स्तर पर ले जाने के बारे में सोचना चाहिए। जो भी फसल उगाई जाती है उसके बारे में सोच कर फिर आगे बढ़ना चाहिए, क्योंकि कृषि एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें लाभ ही लाभ है। यदि हो सके तो खुद ही प्रोसेसिंग कर खुद ही उत्पादों को बेचना चाहिए।