मुकेश मंजू
(जैविक खेती)
ऐसा प्रगतिशील किसान, जिसने बदली लोगों की मानसिकता
हमारा देश कृषि को एक ऐसे पेशे के रूप में देखता है जो अच्छी आमदन पैदा नहीं कर सकती। जब हम किसानों की बात करते हैं तो बंजर भूमि के पास बैठे एक बूढ़े आदमी की छवि हमारे दिमाग में आती है, एक किसान को हमेशा एक असहाय प्राणी के रूप में देखा जाता है। आज की कहानी में आप एक ऐसे प्रगतिशील किसान के बारे में जानेंगे जो समाज की इस मानसिकता को बदलना चाहता था।
राजस्थान के पिलानी के रहने वाले मुकेश मंजू दिल्ली एयरपोर्ट पर राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रमुख के रूप में काम करते थे लेकिन 2018 में उनके पिता को कैंसर हो गया और उन्हें वी.आर.एस (वलंटरी रिटायरमेंट स्कीम) के अधीन अचानक रिटायरमेंट लेनी पड़ी। बचपन में जब उन्होंने अपने दादा और पिता को खेती करते देखा तो उनकी भी खेती में रुचि पैदा हो गई।
उनके पास खेती के तहत 20 एकड़ जमीन है और उन्होंने 2014 में खेती शुरू की जब उन्होंने अपने खेत में 4 हेक्टेयर में किन्नू और मौसमी फसलें लगाईं और अपने जैविक फार्म का नाम ‘द मंजू फार्म’ रखा। फिर 2016 में, उन्होंने 4 एकड़ जमीन पर जैतून की खेती शुरू की, उसके बाद 2016 में खजूर, 2019 में थाई सेब बेर और 2020 में सांगरी की खेती शुरू की। 2022 में फिल्म ‘पुष्पा’ देखने के बाद उन्होंने अपनी जमीन में चंदन लगाया।
वे इंटरक्रॉपिंग का अभ्यास भी करते हैं और आयुर्वेदिक औषधीय पौधे अश्वगंधा जैसी फसलों की खेती के इलावा तरबूज जैसी नकदी फसलों की बिजाई भी करते हैं। उनकी खेती की मुख्य विशेषता प्रामाणिक पारंपरिक खेती है जिसका वे अभ्यास करते हैं, वे अपनी भूमि में गोबर और गोमूत्र, लस्सी आदि से बनी खाद का उपयोग करते हैं। वे दो मुख्य कारणों से अपने खेत में भारी कृषि मशीनरी का उपयोग नहीं करते हैं:
1) वे मजदूरों को रोजगार प्रदान करके जरूरतमंदों के लिए रोजगार पैदा करना चाहते हैं।
2) उनका मानना है कि मशीनरी मिट्टी की भीतरी परत को संकुचित कर देती है, जिससे मिट्टी की जल धारण क्षमता कम हो जाती है और मिट्टी का स्वास्थ्य खराब हो जाता है।
प्रकृति में असंतुलन पैदा किये बिना वातावरण और प्राकृतिक स्रोत का प्रयोग करना चाहिए- मुकेश मंजू
वे एक एकीकृत कृषि प्रणाली का पालन करते हैं, फसल उत्पादन के इलावा, वे मछली पालन, pao(कड़कनाथ नस्ल), मधुमक्खी पालन (50 बक्से) और दूध से संबद्ध उत्पादों के लिए साहीवाल नस्ल की गायों जैसे कई घरेलू पशुओं के मालिक। वे खेती के लिए ऊँट और अपने बच्चों को घोड़सवारी सिखाने के लिए दो घोड़े भी रखें हैं।
राजस्थान के अधिकांश हिस्से सूखे हैं और हमेशा पानी की कमी बनी रहती है। मुकेश जल संरक्षण में विश्वास रखते हैं और उन्होंने अपने खेत में रेन वाटर हार्वेस्टिंग फैसिलिटी बनाई है। वे पानी की बर्बादी को कम करने के लिए विभिन्न सिंचाई अभ्यास का भी उपयोग करते हैं, उदाहरण के लिए, ड्रिप सिंचाई, स्प्रिंकलर सिंचाई और बारिश के पाइप का उपयोग करना जो कि केवल 15 मिनट में खेत की सिंचाई करते हैं और इन तकनीकों से वे पानी बचाते हैं। करने में सफल होते हैं।
उनके भाई प्रमोद मंजू, जिन्होंने 2018 तक हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एच.ए.एल.) में सतर्कता अधिकारी के रूप में काम किया है, उनके खेत में उनकी मदद करते हैं और हमेशा पूरा समर्थन दिखाते हैं। शुरू में उन्हें ऐसे ग्राहकों को खोजने में मुश्किल हुई जो स्वास्थ्य को महत्व देते थे और जैविक भोजन के लाभों से अवगत थे। उनके लिए ऐसे ग्राहक ढूंढना मुश्किल था। हालाँकि, अपने दोस्तों और कड़ी मेहनत की बदौलत सफलता ने उनके पैर चूमे और आज वह कृषि से अच्छा लाभ कमा रहे हैं। उनका मुख्य ध्यान विभिन्न फसलों की खेती पर था, जिससे वे पूरे वर्ष आय अर्जित कर सके, इसलिए उन्होंने मौसमी फसलों के साथ-साथ फलों की भी खेती की, जिनकी पूरे वर्ष मांग रहती है।
जब भी मेहमान मेरे घर आते हैं, तो मैं उन्हें कभी चाय, कॉफी या जूस नहीं देता, लेकिन मैं अपने खेतों के ताजे जैविक उत्पादों जैसे तरबूज, किन्नू और खजूर से उनका स्वागत करता हूं- मुकेश मंजू
मुकेश बाजार में कोई फसल नहीं बेचते हैं। उनके अनुसार बड़े पैमाने पर किसान बनने के लिए सही मंडी की स्थापना की जानी चाहिए और सही दिशा में रणनीतिक रूप से कड़ी मेहनत करनी चाहिए। वे ग्राहकों की जरूरतों के अनुसार सभी उत्पादों को विकसित करते हैं और उनके ग्राहक पिलानी, राजस्थान से लेकर दिल्ली और गुड़गांव जैसे महानगरों तक फैले हुए हैं। इसी तरह जैतून का फल 250 रुपये प्रति किलो और जैतून का तेल 1,000 रुपये प्रति लीटर पर बेचते हैं। उनका जैतून का फल और जैतून का तेल दिल्ली के ताज होटल में जाता है। उनकी सफलता काफी हद तक वर्ड-ऑफ-माउथ मार्केटिंग तकनीकों के कारण है। एक बार जब कोई ग्राहक जैविक रूप से उगाए गए फल का स्वाद चख लेता है, तो वह एक स्थायी ग्राहक बन जाता है। उनके जैविक उत्पादों की गुणवत्ता और उनके काम में विश्वास ने उन्हें एक प्रगतिशील किसान बना दिया है।
उपलब्धियां
- 2021 में राजस्थान के मुख्यमंत्री द्वारा राज्य स्तर पर सम्मानित किया गया
- 2020 में कृषि मंत्री, राजस्थान द्वारा सम्मानित किया गया
- आत्मा योजना के तहत 2019 में जिला स्तर पर सम्मानित किया गया
- गायों की देसी नस्लों को बढ़ावा देने के लिए 2018 में सम्मानित किया गया
भविष्य की योजनाएं
वह अपने फार्म पर झोपड़ियां बनाकर कृषि पर्यटन (एग्रो टूरिज़म) शुरू करने की योजना बना रहे हैं ताकि लोग एक बार फिर प्रकृति की गोद में रहने का अनुभव ले सकें।
किसानों के लिए संदेश
वे चाहते हैं कि अन्य सभी किसान भी अपने काम पर उतना ही गौरव महसूस करें जितना कि दफ्तरों में काम करने वाले किसी अन्य व्यक्ति को होता है। पिछले कुछ वर्षों में भारत में कृषि में बहुत बदलाव आया है और आने वाले वर्षों में यह नई ऊंचाइयों को छुएगी।