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रमन सलारिया

(ड्रैगन फ्रूट)

एक ऐसा किसान जो सफल इंजीनियर के साथ-साथ सफल किसान बना

खेती का क्षेत्र बहुत ही विशाल है, हजारों तरह की फसलें उगाई जा सकती है, पर जरुरत होती है सही तरीके की और दृढ़ निश्चय की, क्योंकि सफल हुए किसानों का मानना है कि सफलता भी उनको ही मिलती है जिनके इरादे मजबूत होते हैं।

ये कहानी एक ऐसे किसान की है जिसकी पहचान और शान ऐसे ही फल के कारण बनी। जिस फल के बारे में उन्होंने कभी भी नहीं सुना था। इस किसान का नाम है “रमन सलारिया” जो कि जिला पठानकोट के गांव जंगल का निवासी है। रमन सलारिया पिछले 15 सालों से दिल्ली मेट्रो स्टेशन में सिविल इंजीनयर के तौर 10 लाख रुपए सलाना आमदन देने वाली आराम से बैठकर खाने वाली नौकरी कर रहे थे। लेकिन उनकी जिंदगी में ऐसा बदलाव आया कि आज वह नौकरी छोड़ कर खेती कर रहे हैं। खेती भी उस फसल की कर रहे हैं जो केवल उन्होंने मार्किट और पार्टियों में देखा था।

वह फल मेरी आँखों के आगे आता रहा और यहां तक कि मुझे फल का नाम भी पता नहीं था- रमन सलारिया

एक दिन जब वे घर वापिस आए तो उस फल ने उन्हें इतना प्रभावित किया और दिमाग में आया कि इस फल के बारे में पता लगाना ही है। फिर यहां वहां से पता किया तो पता चला कि इस फल को “ड्रैगन फ्रूट” कहते हैं और अमरीका में इस फल की काश्त की जाती है और हमारे देश में बाहर देशों से इसके पौधे आते हैं।

फिर भी उनका मन शांत न हुआ और उन्होंने ओर जानकारी के लिए रिसर्च करनी शुरू कर दी। फिर भी कुछ खास जानकारी प्राप्त न हुई कि पौधे बाहर देशों से कहाँ आते हैं, कहाँ तैयार किये जाते हैं और एक पौधा कितने रुपए का है।

एक दिन वे अपने दोस्त के साथ बात कर रहे थे और बातें करते-करते वे अपने मित्र को ड्रैगन फ्रूट के बारे में बताने लगे, एक ड्रैगन फ्रूट नाम का फल है, जिस के बारे में कुछ पता नहीं चल रहा,तो उनके दोस्त ने बोला अपने सही समय पर बात की है, जो पहले से ही इस फल की जानकारी लेने के लिए रिसर्च कर रहे थे।

उनके मित्र विजय शर्मा जो पूसा में विज्ञानी है और बागवानी के ऊपर रिसर्च करते हैं। फिर उन्होंने मिलकर रिसर्च करनी शुरू कर दी। रिसर्च करने के दौरान दोनों को पता चला कि इसकी खेती गुजरात के ब्रोच शहर में होती है और वहां फार्म भी बने हुए हैं।

हम दोनों गुजरात चले गए और कई फार्म पर जाकर देखा और समझा- रमन सलारिया

सब कुछ देखने और समझने के बाद रमन सलारिया ने 1000 पौधे मंगवा लिए। जब कि उनके पूर्वज शुरू से ही परंपरागत खेती ही कर रहे हैं पर रमन जी ने कुछ अलग करने के बारे में सोचा। पौधे मंगवाने के बाद उन्होंने अपने गांव जंगल में 4 कनाल जगह पर ड्रैगन फ्रूट के पौधे लगा दिए और नौकरी छोड़ दी और खेती में उन्होंने हमेशा जैविक खेती को ही महत्त्व दिया।

सबसे मुश्किल समय तब था जब गांव वालों के लिए मैं एक मज़ाक बन गया था- रमन सलारिया

2019 में वे स्थायी रूप से ड्रैगन फ्रूट की खेती करने लगे। जब उन्होंने पौधे लगाए तो गांव वालों ने उनका बहुत मजाक बनाया था कि नौकरी छोड़ कर किस काम को अपनाने लगा और जो कभी मिट्टी के नजदीक भी नहीं गया वे आज मिट्टी में मिट्टी हो रहा है, पर रमन सलारिया ने लोगों की परवाह किए बिना खेती करते रहें।

ड्रैगन फ्रूट का समय फरवरी से मार्च के बीच होता है और पूरे एक साल बाद फल लगने शुरू हो जाते हैं। आजकल भारत में इसकी मांग इतनी बढ़ चुकी है कि हर कोई इसे अपने क्षेत्र की पहचान बनाना चाहता है।

जब फल पक कर तैयार हुआ, जिनके लिए मजाक बना था आज वे तारीफ़ करते नहीं थकते- रमन सलारिया

फल पकने के बाद फल की मांग इतनी बढ़ गई कि फल बाजार में जाने के लिए बचा ही नहीं। उन्होंने इस फल के बारे में सिर्फ अपने मित्रों और रिश्तेदारों को बताया था, पर फल की मांग को देखते हुए उनकी मेहनत का मूल्य पड़ गया।

मैं बहुत खुश हुआ, मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था क्योंकि बिना बाजार गए फल का मूल्य पड़ गया- रमन सलारिया

उस समय उनका फल 200 से 500 तक बिक रहा था हालांकि ड्रैगन फ्रूट की फसल पूरी तरह तैयार होने को 3 साल का समय लग जाता है। वह इसके साथ हल्दी की खेती भी कर रहें और पपीते के पौधे भी लगाए हैं।

आज वह ड्रैगन फ्रूट की खेती कर बहुत मुनाफा कमा रहे हैं और कामयाब भी हो रहे हैं। खास बात यह है कि उनके गांव जंगल को जहां पहले शहीद कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया जी के नाम से जाना जाता था, जिन्होंने देश के लिए 1961 की जंग में शहीदी प्राप्त की थी और धर्मवीर चक्क्र से उन्हें सन्मानित किया गया था। वहां अब रमन सलारिया जी के कारण गांव को जाना जाता है जिन्होंने ड्रैगन फ्रूट की खेती कर गांव का नाम रोशन किया।

यदि इंसान को अपने आप पर भरोसा है तो वह जिंदगी में कुछ भी हासिल कर सकता है

भविष्य की योजना

वह ड्रैगन फ्रूट की खेती और मार्केटिंग बड़े स्तर पर करना चाहते हैं। वह साथ साथ हल्दी की खेती की तरफ भी ध्यान दे रहे हैं ताकि हल्दी की प्रोसेसिंग भी की जाए। इसके साथ ही वह अपने ब्रांड का नाम रजिस्टर करवाना चाहते हैं, जिससे मार्केटिंग में ओर बड़े स्तर पर पहचान बन सके। बाकि बात यह है कि खेती लाभदायक ही होती है यदि सही तरीके से की जाए।

संदेश

यदि कोई ड्रैगन फ्रूट की खेती करना चाहता है तो सबसे पहले उसे अच्छी तरह से रिसर्च करनी चाहिए और अपनी इलाके और मार्केटिंग के बारे में पूरी जानकारी लेने के बाद ही शुरू करनी चाहिए, क्योंकि अधूरी जानकारी लेकर शुरू कर तो लिया जाता जाता है पर वे सफल न होने पर दुःख भी होता, क्योंकि शुरुआत में सफलता न मिले तो आगे काम करनी की इच्छा नहीं रहती।