राजेश कुमार
हरियाणा से खरगोश पालक-राजेश कुमार, खरगोश पालन के ज्ञान से 700 से अधिक किसानों को सशक्त बनाकर वास्तविक जादूगर की भूमिका निभा रहे हैं।
हरियाणा से राजेश कुमार असल जीवन के वैसे ही जादूगर हैं जो टोपी में से खरगोश निकालते हैं। हैरान मत होइये! हम यहां खरगोश पालन के बारे में बात कर रहे हैं।
खरगोश पालन एक ऐसा व्यवसाय है जिसके बारे में ज्यादातर किसान अनजान और अरोचक हैं लेकिन वर्तमान समय में खरगोश पालन आय का एक लाभदायक स्त्रोत बन चुका है और भविष्य में भी इससे अच्छी आमदन प्राप्त की जा सकती है।
वर्ष 1977 में, केंद्र सरकार द्वारा खरगोश पालन के लिए एक पहल की गई थी। भारत में खरगोश पालन का समर्थन करने के लिए सरकार द्वारा एक परियोजना शुरू की गई जिसमें वे किसानों को फंड देते थे। ताकि वे खरगोश पालन 10 यूनिट (1 युनिट में 70 मादा और 30 नर) के साथ शुरू कर सकें। लेकिन यह प्रोजेक्ट सफल नहीं हो सका और जल्दी ही इसे बंद कर दिया गया। लेकिन यह खरगोश पालन का अंत नहीं था। 2007 में कई प्राइवेट खरगोश पालन फर्म कुछ समय बाद खोली गई जो सरकार द्वारा पहले शुरू की गई परियोजना के दिशानिर्देशों के बाद शुरू हुई थी और राजेश कुमार द्वारा खोला गया ‘पैराडाइज़ रैबिट फार्म’ (Paradise Rabbit Farm) उनमें से एक था।
2007 में, राजेश कुमार ने अविकानगर, टोंक (राजस्थान) में सेंट्रल शीप एंड वूल रिसर्च इंस्टीट्यूट (CSWRI – Central Sheep and Wool Research Institute) का दौरा किया जहां उन्हें पहली बार खरगोश पालन के बारे में पता चला। वे खरगोश पालन की तरफ काफी आकर्षित हुए और उन्होंने इस उद्यम में निवेश करने का फैसला किया। अब 11 साल से वे सफलतापूर्वक खरगोश पालन कर रहे हैं।
और बस इतना ही नहीं!
राजेश कुमार ने पूरे भारत में (लगभग सभी राज्यों में) अपने खरगोश पालन के कॉन्ट्रैक्ट
व्यापार को फैला दिया है। उनके कॉन्ट्रैक्ट बिज़नेस के तहत वे किसानों को खरगोशों की 10 यूनिट प्रदान करते हैं और खरगोशों की देखभाल के लिए पूरी ट्रेनिंग भी देते हैं। वे खरगोश पालक के फार्म से खरगोशों की डिलीवरी और संग्रह की प्रक्रिया के लिए परिवहन भी प्रदान करते हैं।
राजेश – “खरगोश पालन का व्यापार अधिकतर छोटे किसानों द्वारा अपनाया जाता है। इसलिए मूल रूप से खरगोश पालन वहीं किया जाता है जहां पर छोटे किसान होते हैं। वर्तमान में मैं पूरे भारत में स्थित 700 से ज्यादा फार्म के साथ कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग कर रहा हूं।”
राजेश कुमार ने कैसे अन्य खरगोश पालकों के लिए मार्किटिंग को आसान बनाया…
राजेश कुमार ने उन किसानों के लिए एक और लाभकारी काम किया जिन्होंने उनके माध्यम से खरगोश पालन शुरू किया और वह है मार्किटिंग। शुरू में ही किसानों से खरगोशों के खरीद मुल्य वापिस लेने का निर्णय लिया गया था और प्रत्येक वर्ष बाद खरगोश की कीमत में 10 प्रतिशत की वृद्धि होती है। इसके अलावा, उन्होंने किसानों के लिए मार्किटिंग को आसान बना दिया क्योंकि जब खरगोश बेचने के लिए तैयार हो जाते हैं तब राजेश कुमार उनके फार्म पर खरगोशों को इकट्ठा करने के लिए अपना वाहन भेजते हैं। सिर्फ इस शर्त पर कि हर किसान को मुफ्त परिवहन प्राप्त करने के लिए शुरूआत में खरगोशों की 10 या अधिक युनिट में निवेश करना होगा। किसान जो कम खरगोशों में निवेश करते हैं उन्हें खरगोश के वितरण के लिए अपने परिवहन का उपयोग करना पड़ता है।
खरगोश पालन के बारे में कुल मूल तथ्य जो श्री कुमार शेयर करते हैं…
• मादा खरगोश एक वर्ष में अधिक से अधिक 6 से 7 बार गाभिन होती है।
• एक ब्यांत में एक गाभिन खरगोश कम से कम 1 बच्चे को और अधिक से अधिक 14 बच्चों को जन्म दे सकती है।
• मादा खरगोश का गाभिन काल 30 दिन का होता है।
• यदि ब्यांत का समय बढ़ जाये तो कमज़ोर बच्चों के होने की संभावना होती है इसलिए हम कह सकते हैं कि औसतन 5 बच्चे प्रति मादा देती है।
• यदि मादा 5 बच्चों से अधिक बच्चे देती है तो किसान को बच्चों को पूरा पोषण प्रदान करने के लिए कुछ बच्चों को दूसरी मादा को स्थानांतरित करना होता है।
• यदि शिशु खरगोश को उचित फीड दी जाये, तो वह 3 महीने में विक्री के लिए तैयार हो जाता है।
• नए जन्में शिशु अपनी आंखे 12-14 दिनों में खोलते हैं।
• फीड के आधार पर खरगोश का भार 1.45 kg से 2 kg के बीच होता है।
• खरगोशों को मीट के लिए और सुअरों में स्वाइन बुखार से बचाव का टीका तैयार करने के लिए उपयोग किया जाता है।
राजेश कहते हैं कि- “किसान को अच्छा लाभ प्राप्त करने के लिए कोशिश करनी चाहिए कि उनकी मादा खरगोश एक साल में 8 बार गाभिन हो।”
राजेश कुमार खरगोशों के लिए फीड कैसे तैयार करते हैं…
भारत में खरगोशों के लिए कोई खास फीड कंपनी नहीं है क्योंकि खरगोश फीड की कम मात्रा खाते हैं। इसलिए राजेश कुमार खरगोशों की फीड घर पर तैयार करते हैं।
सूखी फीड की सामग्री – मक्की, गेहूं, सोयाबीन के छोटे दाने, चोकर, फैट के लिए धान का चोकर, नमक, खनिज मिश्रण
यह फीड क्षेत्र के अनुसार बदलती है।
जून, जुलाई और अगस्त महीने के दौरान वातावरण में नमी की मात्रा बहुत अधिक होती है इसलिए किसान को खरगोश की 10 यूनिट के अनुसार केवल 100 kg फीड बनानी चाहिए। क्योंकि खरगोश घटिया फीड खाकर बीमार हो जाते हैं। खरगोश मनुष्यों की तरह ही होते हैं और उनकी देख रेख पूरे ध्यानपूर्वक करनी चाहिए। हालांकि खरगोशों के लिए कोई विशिष्ट टीकाकरण नहीं है, लेकिन यदि खरगोश बीमार हो जाये तो राजेश कुमार अपनी दवाओं के साथ किसानों की मदद करते हैं।
वर्तमान में, राजेश कुमारअपनी माता, पिता, पत्नी, दो बहनों , दो भाइयों और बेटे के साथ अपने गांव धत्रथ जिला जींद (हरियाणा) में रह रहे हैं। उनके भाई परवीन कुमार ने खरगोश पालन के उद्यम में उनकी सहायता करते हैं। खरगोश पालन से उनकी महीने की आय 30 से 40000 रूपये है।
पुरस्कार और उपलब्धियां
• पंत नगर में सर्वश्रेष्ठ खरगोश प्रतियोगिता में तीसरा पुरस्कार
• हरियाणा सरकार द्वारा प्रमाणित
• 2016 में CPCSEA (Committee for the Purpose of Control and Supervision of Experiments on Animals) के साथ पंजीकृत
भविष्य की योजनाएं
वे भारत में अधिक किसानों में खरगोश पालन के कॉन्ट्रेक्ट बिज़नेस को विस्तारित करना चाहते हैं।
संदेश
“खरगोश पालन एक लाभदायक उद्यम है क्योंकि इसमें कम निवेश की जरूरत होती है और अधिक लाभ होता है। छोटे स्तर के किसान जिनके पास कम भूमि है वे इस उद्यम में निवेश कर सकते हैं और इससे अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।”
राजेश कुमार द्वारा प्रदान की जाने वाली कॉन्ट्रेक्ट खरगोश पालन का विवरण:
राजेश कुमार समूह में खरगोश पालन की 2 दिन की पूरी ट्रेनिंग प्रदान करते हैं। ट्रेनिंग में टीकाकरण, दवा, गर्भधारण की जांच, देखभाल करनी शामिल है। यदि कोई किसान खरगोश पालन में दिलचस्पी रखते हैं तो उन्हें खरगोश की 10 यूनिट में निवेश के लिए न्यूनतम 3 लाख रूपये की आवश्यकता पड़ती है, और 1 लाख रूपया शैड के लिए । भारत में सबसे ज्यादा खरगोश की नस्लें अंगोरा (ठंडे क्षेत्र), चिनचिला, ग्रे जाइंट, न्यूज़ीलैंड वाईट और डच हाफ ब्लैक-हाफ वाईट पायी जाती हैं।
राजेश कुमार का कुरूक्षेत्र में भी एक कार्यालय है जहां से वे अपने खेत के सभी आधिकारिक कामों का प्रबंधन करते हैं।
राजेश कुमार ने मल्टीमीडिया में B.Sc.ग्रेजुएट की है और साबित किया है कि खरगोश पालन ऐसा उद्यम है जिसे कोई भी व्यक्ति थोड़े से मार्गदर्शन और ट्रेनिंग से सफलतापूर्वक अपना सकता है और जारी रख सकता है। यद्यपि वे मल्टीमीडिया एनीमेशन के क्षेत्र का चयन कर सकते थे लेकिन उन्होंने भविष्य में आगे बढ़ने के लिए अपनी वास्तविक दिलचस्पी को चुना।