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बैजुलाल कुमार

(मशरूम उत्पादन)

एक ऐसे नौजवान किसान की कहानी, जिसने अपने गांव के बाकी किसानों से किया कुछ अलग और कर दिया सभी को हैरान

पुराने समय में ज्यादातर किसानों की सोच यही थी कि सिर्फ वही खेती करनी चाहिए जो हमारे बुज़ुर्ग करते थे। पर आज—कल की नौजवान पीढ़ी खेती में भी कुछ नया करने की इच्छा रखती है, क्योंकि यदि एक नौजवान किसान अपनी सोच बदलेगा तो ही अन्य किसान कुछ नया करने के बारे में सोचेंगे।

यह कहानी भी एक ऐसे किसान की है जो अपने पिता के साथ रवायती खेती करने के अलावा कुछ अलग कर रहा है। बिहार के युवा किसान बैजुलाल कुमार जिनके पिता अपने 3—4 एकड़ ज़मीन पर गेहूं, धान आदि की खेती करते थे और डेयरी उद्देश्य के लिए उन्होंने 2 गायें और एक भैंस रखी हुई थी।

B.Sc. Physics की पढ़ाई के बाद बैजुलाल ने घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए अपने पिता के साथ खेती के काम में हाथ बंटाना शुरू कर दिया। पर बैजुलाल के मन में हमेशा कुछ अलग करने की इच्छा थी। इसलिए वे अपने खाली समय में यू—ट्यूब पर खेती से संबंधित वीडियो देखते रहते थे। एक दिन उन्होंने मशरूम फार्मिंग की वीडियो देखी और इसमें उनकी दिलचस्पी पैदा हुई।

मशरूम की खेती के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए उन्होंने इंटरनेट के ज़रिए मशरूम उत्पादकों से संपर्क किया, जिससे उन्हें मशरूम की खेती करने के लिए उत्साह मिला। पर इस काम के लिए कोई भी उनसे सहमत नहीं था, क्योंकि गांव में किसी ने भी मशरूम की खेती नहीं की थी। पर बेजूलाल ने अपने मन में दृढ़ निश्चय कर लिया था कि सभी को ज़रूर कुछ अलग करके दिखाएंगे।

मेरे मशरूम की खेती शुरू करने के फैसले को किसी ने भी स्वीकार नहीं किया। वे सब मुझे कह रहे थे कि जिस काम के बारे में समझ ना हो, वह काम नहीं करना चाहिए। — बैजुलाल कुमार

मशरूम की खेती शुरू करने के लिए वे PUSA यूनिवर्सिटी से 5 किलो स्पॉन लेकर आए। इसके लिए उन्होंने पराली को उबालना शुरू कर दिया। बैजुलाल को इस तरह करते देख गांव वालों ने उनका मज़ाक उड़ाना शुरू कर दिया। पर उन्होंने किसी की परवाह नहीं की और काम को और मेहनत एवं लग्न से करना शुरू कर दिया।

मेरे इस काम को देखकर सभी गांव वाले मुझे पागल बुलाने लग गए और इस काम को छोड़ने के लिए कहने लगे पर मैं गांव वालों से कुछ अलग करने के अपने फैसले पर अटल था। — बैजुलाल कुमार

मशरूम उगाने के लिए जो भी जानकारी उन्हें चाहिए होती थी वह या तो इंटरनेट पर देखते या फिर माहिरों की सलाह लेते। समय बीतने पर मशरूम तैयार हो गए और उनके रिश्तेदारों को इनका स्वाद बहुत अच्छा लगा। उन्होंने बैजुलाल को उसकी इस कामयाबी के लिए शाबाशी भी दी एवं और ज्यादा मेहनत करने के लिए कहा।

फिर बैजुलाल तैयार की मशरूम अपनी लोकल मार्केट में बेचने के लिए गए, जहां ग्राहकों को भी मशरूम बहुत पसंद आई तथा वे और मशरूम की मांग करने लगे। इससे उत्साहित होकर बैजुलाल ने बड़े स्तर पर मशरूम की खेती करनी शुरू कर दी। अब वे मिल्की और बटन मशरूम उगाते हैं और इससे अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।

सफल होने के लिए संघर्ष करना पड़ता है और संघर्ष का परिणाम ही सफलता है। इसी तरह, बैजुलाल जी ने संघर्ष के बाद मिली सफलता के कारण, उन्होंने “चंपारण द मशरूम एक्सपर्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी” शुरू की।

अब बैजुलाल इस काम में निपुण हो चुके हैं और वे अन्य किसान भाइयों और महिलाओं को मशरुम उत्पादन के साथ-साथ मशरुम की मार्केटिंग की ट्रेनिंग भी देते हैं। उनसे ट्रेनिंग लेने वाले किसानों को मशरूम की खेती शुरू करने के लिए 2 किलो स्पान, PPC बैग, फोर्मालिन, बेवास्टिन तथा स्प्रे मशीन भी देते है।

इसके इलावा मशरूम उत्पादकों के जो फ्रेश मशरूम नहीं बच जाते है, बैजुलाल उनको खरीदकर, उन्हें ड्राई कर के उनके उत्पाद तैयार करते है, जैसे कि सूप पाउडर, मशरूम आचार, मशरूम बिस्कुट, मशरूम पेड़ा इत्यादि।

जो गांव वाले मुझे पागल कहते थे, अब वे मेरे इस काम को देखकर मुझे शाबाशी देते हैं एवं और बढ़िया काम करने के लिए उत्साहित करते हैं। — बैजुलाल कुमार
भविष्य की योजना

बैजुलाल भविष्य में अपने एक किसान ग्रुप के द्वारा मशरूम से उत्पाद बनाकर, उन्हें बड़े स्तर पर बेचना चाहते हैं।

संदेश
“पराली को खेतों में जलाने से अच्छा है कि किसान पराली का इस्तेमाल मशरूम उत्पादन या फिर पशुओं के चारे के रूप में करें। इसके अलावा रवायती खेती के साथ साथ यदि कोई सहायक व्यवसाय शुरू किया जाए तो किसान इससे भी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।”