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प्रभजोत, शमिंदर और सौरभ

(प्रोसेसिंग)

तीन सूक्ष्म जीव वैज्ञानिकों की कहानी, जो समाज को उत्तम भोजन उपलब्ध करवाने के लिए अंतर-प्रेन्योर के ग्रुप के रूप में उभर रहे हैं

हम सब जानते हैं कि हर सफल कारोबार, संघर्ष से शुरू होकर ही शिखर तक पहुंचता है और कुछ भी आसानी से प्राप्त नहीं होता। हर एक व्यापार की शुरूआत के पीछे उज्जवल ख्याल, देर रात की चर्चा, नज़दीक के लोगों के साथ बहस, विचारों का आदान प्रदान और भी बहुत कुछ होता है। यदि हम ये कह सकते हैं कि वह बुद्धिमान है या वह आर्थिक रूप से अच्छा है। इसलिए एक अच्छा कारोबार शुरू करने में सक्षम है तो यह सच नहीं है। हम सभी के पास समान मौके होते हैं और हम सब बड़े व्यवसायिक विचारों से घिरे हैं हमें सिर्फ खुद को खोलना है और संभावनाओं को अपने नज़दीक आने देना है। आज हम उन तीन युवा पुरूषों के बारे में बात करने जा रहे हैं जिन्होंने अपने आस-पास के अवसरों की खोज की और उभरते उद्यमियों के ग्रुप के तौर पर आये।

ये तीन नौजवान पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी हैं -प्रभजोत सिंह खन्ना, शमिंदर सिंह बराड़, और सौरव सिंगला, जो व्यापारिक तौर पर नहीं, बल्कि सूक्ष्म जीव विज्ञानी के तौर पर इस विश्वास से आगे आये कि वे लोगों को सबसे उत्तम भोजन उपलब्ध करवायेंगे और अपने विचार को पहचान और दिशा देने के लिए 2015 में उन्होंने माइक्रो फूडज़ के नाम से लुधियाना (पंजाब) में अपनी कंपनी स्थापित की।

यह सच है कि यह, इन तीनों का मिलकर किया प्रयत्न था, पर उनकी शुरूआत के पीछे मुख्य प्रेरणा उनके प्रोफेसरों की थी, जो हैं – डॉ. संजीव कपूर और डॉ. रमनदीप सिंह। अपनी पढ़ाई और विनेगर के क्षेत्र में रिसर्च पूरी करने के बाद, तीनों नौजवानों (प्रभजोत, शमिंदरजीत और सौरव) ने आखिर यह उद्यम शुरू किया। उन तीनों ने खुद ही कंपनी का नाम सोचा और लोगो भी तैयार किया।

अपने शोध कार्य के दौरान वे पहले से ही काम का अनुभव और कई प्रमुख किण्वन (खमीर) और सिरका उदयोगों का ज्ञान रखते थे। इसलिए उन्होंने प्राकृतिक फलों से प्राकृतिक किण्वन तकनीकों का उपयोग करके कार्बनिक सिरका बनाने की प्रक्रिया शुरू की, वह भी बनावटी एसिड या बनावटी सामग्री का उपयोग किए बिना। प्रभजोत के घर में उन्होंने 500 गज के क्षेत्र में अपना कारोबार, उत्पादन यूनिट स्थापित किया । वे इस यूनिट में सफाई और कीटाणुओं से बचाव आदि का विशेष ध्यान रखते हैं।

उन्होंने FRUIGAR ब्रांड नाम के तहत सेब, जामुन, गन्ना और सफेद अंगूर से 4 किस्मों के सिरके का उत्पादन शुरू किया। FRUIGAR नाम चुनने के पीछे यह विचार था कि FRUIT से FRUI शब्द और विनेगर से गर शब्द लिया गया। उन्होंने दक्षिण भारत से कच्च माल मंगवाया। इस फलों को चुनने का कारण यह था कि इन सभी के मुख्य स्वास्थ्य लाभ हैं और बाजार में इनकी बहुत अधिक मांग है। इसके अलावा ये जैविक है और मानव शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाते।

उत्पाद बनाने के बाद उन्होंने मार्किटिंग योजना बनाई। उन्होंने उत्पाद को उन डेटा के आधार पर मार्किटिंग करना शुरू किया जिसका उपयोग उन्होंने अपने शोध में किया था। उन्होंने अपना उत्पाद सभी डॉक्टर तक भी पहुंचाने की कोशिश की और उन्हें अपने जैविक विनेगर के शारीरिक फायदों की भी जानकारी दी। फलों का सिरका बनाने के पीछे उनका मुख्य उद्देश्य किसी भी बनावटी सामग्री के बिना समाज को स्वस्थ उत्पाद प्रदान करना था।

ये उद्यमी यहां ही नहीं रूके। वे दो अन्य नए उत्पादों के साथ आए जिन्हें आजकल डायबिटिक रोगी के लिए आटा और ग्लूटेन रहित आटा के नाम से जाना जाता है। जिसकी आजकल बहुत मांग है। खेती की पृष्ठभूमि से आने के बाद शमिंदरजीत सिंह ने गेहूं और धान का उत्पादन किया है और अपने नए उत्पाद के लिए कच्चा माल भी प्रदान करते हैं।

वे अपना काम पिछले 2 वर्षों से कर रहे हैं और धीरे धीरे अपने उत्पाद को बाज़ार में स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। वर्तमान में उन्हें कोई लाभ नहीं हो रहा लेकिन साथ ही कोई हानि भी नहीं हो रही। लेकिन थोड़े से समय में ही उन्होंने वफादार ग्राहकों की अच्छी संख्या बना ली है जो कि उनके उत्पादों के स्वास्थ्य उपयोगों के प्रति अवगत हैं और उनके उत्पादों में निवेश करना चाहते हैं।

उनके लिए यह सिर्फ शुरूआत है। वे समाज में और स्वास्थ्यवर्धक और जैविक उत्पादों के साथ आना चाहते हैं। भविष्य में वे मार्किट और बड़ी संख्या में फैक्टरियों को कवर करना चाहते हैं। अभी तक वे आंशिक रूप से पैकेजिंग, प्रोसैसिंग और मार्किटिंग के लिए दूसरों पर निर्भर हैं। लेकिन 2017 के बाद वे खुद से उत्पादों के प्रोसैस, पैक और मार्किट करने की योजना बना रहे हैं और वे अपने उत्पादों को बेचने के लिए MARKFED के साथ जुड़ने की सोच रहे हैं।

प्रभजोत, शमिंदरजीत और सौरभ द्वारा संदेश
आज के युवा जो कि माइक्रोबायोलोजी के क्षेत्र से हैं, उन्हें अपनी शिक्षा को समाज के लिए वरदान बनाने की दिशा में सोचना चाहिए। माइक्रोबायोलॉजी में कई अलग अलग क्षेत्र हैं जिसमें छात्र कुछ अलग कर सकते हैं और शुरू करने से पहले उन्हें लोगों के साथ चर्चा करनी चाहिए। पेशेवरों और अपने प्रोफेसरों से जितना हो सके सीखना चाहिए।