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अमरीक सिंह ढिल्लो

(नई आविष्कार)

जानें कैसे इस जुगाड़ी किसान के जुगाड़ खेती में लाभदायक सिद्ध हुए

कहा जाता है कि अक्सर ज़रूरतें और मजबूरियों ही इनसान को नए आविष्कार करने की तरफ ले जाती हैं और इसी तरह ही नई खोजें संभव होती हैं।

ऐसे ही एक व्यक्ति की बात करने जा रहे हैं, जिन्होंने अपनी मजबूरियों और जरूरतों को मुख्य रखते हुए नए-नए जुगाड़ लगाकर आविष्कार किए और उनका नाम है- अमरीक सिंह ढिल्लो।

अमरीक सिंह ढिल्लो जी गांव गियाना, तहसील तलवंडी (बठिंडा) के रहने वाले हैं। उनके पिता जी (सरदार मोलन सिंह) को खेतीबाड़ी का व्यवसाय विरासत में मिला और उन्हें देखते हुए अमरीक सिंह जी भी खेतीबाड़ी में रूचि दिखाने लगे। उनके पास कुल 14 एकड ज़मीन है, जिस पर वे पारंपरिक खेती करते हैं।

जैसे कि बचपन से ही उनकी रूचि खेती में ज्यादा थी, इसलिए सन 2000 में उन्होंने दसवीं पास की और पढ़ाई छोड़ दी और खेती में अपने पिता का साथ देने का फैसला किया। साथ की साथ वे अपने खाली समय का उचित तरीके से लाभ उठाने के लिए अपने दोस्त की मोबाइल रिपेयर वाली दुकान पर काम करने लगे। पर कुछ समय बाद उन्हें एहसास हुआ कि बारहवीं तक की पढ़ाई जरूरी है, क्योंकि यह एक प्राथमिक शिक्षा है, जो सभी को अपनी ज़िंदगी में हासिल करनी चाहिए और यह इंसान का आत्म विश्वास भी बढ़ाती है। इसलिए उन्होंने प्राइवेट बारहवीं पास की।

वे बचपन से ही हर काम को करने के लिए अलग, आसान और कुशल तरीका ढूंढ लेते थे, जिस कारण उन्हें गांव में जुगाड़ी कह कर बुलाया जाता था। इसी कला को उन्होंने बड़े होकर भी प्रयोग किया और अपने दोस्त के साथ मिल कर किसानों के लिए बहुत सारे लाभदायक उपकरण बनाये।

यह उपकरण बनाने का सिलसिला उस समय शुरू हुआ, जब एक दिन वे अपने दोस्त के साथ मोबाइल रिपेयर वाली दुकान पर बैठे थे और उनके दिमाग में मोटरसाइकल चोरी होने से बचाने के लिए कोई उपकरण बनाने का विचार आया। कुछ ही दिनों में उन्होंने जुगाड़ लगा कर एक उपकरण तैयार किया जो नकली चाबी या ताला तोड़ कर मोटरसाइकल चलाने पर मोटरसाइकल को चलने नहीं देता और साथ की साथ फोन पर कॉल भी करता है। इस उपकरण में सफल होने के कारण उनकी हिम्मत और भी बढ़ गई।

इसी सिलसिले को उन्होंने आगे भी जारी रखा। उन्हें आस पास से ट्रांसफार्म चोरी होने की खबरें सुनने को मिली, तो अचानक उनके दिमाग में ख्याल आया कि क्यों ना मोटरसाइकिल की तरह ट्रांसफार्म को भी चोरी होने से बचाने के लिए कोई उपकरण बनाया जाये आखिर इस उपकरण के जुगाड़ में भी वे सफल हुए, जिससे किसानों को बड़ी राहत मिली।

उनके इलाके में खेतों के लिए मोटरों की बिजली बहुत कम आती है और कई बार तो बिजली के आने का पता भी नहीं लगता। इस समस्या को समझते हुए उन्होंने फिर से अपने जुगाड़ी दिमाग का प्रयोग किया और एक उपकरण तैयार किया, जो बिजली आने पर फोन पर कॉल करता है।

उनके द्वारा तैयार किए उपकरणों को किसान बहुत पसंद कर रहे हैं और इन उपकरणों का मुल्य आम लोगों की पहुंच में होने के कारण बहुत सारे लोग इसे खरीद कर प्रयोग कर रहे हैं।

उनका कहना है कि वे कोई उपकरण बनाने से पहले कोई योजना नहीं बनाते, बल्कि आवश्यकतानुसार उपकरण की जरूरत होती है, उस पर वे काम करते हैं और भविष्य में भी वे लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए ऐसे उपकरण बनाते रहेंगे।