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इंदर सिंह

(आलू और पुदीने की खेती)

जानिये कैसे आलू और पुदीने की खेती से इस किसान को कृषि के क्षेत्र में सफलता के साथ आगे बढ़ने में मदद मिल रही है

पंजाब के जालंधर शहर के 67 वर्षीय इंदर सिंह एक ऐसे किसान है जिन्होंने आलू और पुदीने की खेती को अपनाकर अपना कृषि व्यवसाय शुरू किया।

19 वर्ष की कम उम्र में, इंदर सिंह ने खेती में अपना कदम रखा और तब से वे खेती कर रहे हैं। 8वीं के बाद अपनी पढ़ाई छोड़ने के बाद, उन्होंने आलू, गेहूं और धान उगाने का फैसला किया। लेकिन गेहूं और धान की खेती वर्षों से करने के बाद भी लाभ ज्यादा नहीं मिला।

इसलिए समय के साथ लाभ में वृद्धि के लिए वे रवायती फसलों से जुड़े रहने की बजाय लाभपूर्ण फसलों की खेती करने लगे। एक अमेरिकी कंपनी—इंडोमिट की सिफारिश पर, उन्होंने आलू की खेती करने के साथ तेल निष्कर्षण के लिए पुदीना उगाना शुरू कर दिया।

“1980 में, इंडोमिट कंपनी (अमेरिकी) के कुछ श्रमिकों ने हमारे गांव का दौरा किया और मुझे तेल निकालने के लिए पुदीना उगाने की सलाह दी।”

1986 में, जब इंडोमिट कंपनी के प्रमुख ने भारत का दौरा किया, वे इंदर सिंह द्वारा पुदीने का उत्पादन देखकर बहुत खुश हुए। इंदर सिंह ने एक एकड़ की फसल से लगभग 71 लाख टन पुदीने का तेल निकालने में दूसरा स्थान हासिल किया और वे प्रमाणपत्र और नकद पुरस्कार से सम्मानित हुए। इससे श्री इंदर सिंह के प्रयासों को बढ़ावा मिला और उन्होंने 13 एकड़ में पुदीने की खेती का विस्तार किया।

पुदीने के साथ, वे अभी भी आलू की खेती करते हैं। दो बुद्धिमान व्यक्तियों डॉ. परमजीत सिंह और डॉ. मिन्हस की सिफारिश पर उन्होंने विभिन्न तरीकों से आलू के बीज तैयार करना शुरू कर दिया है। उनके द्वारा तैयार किए गए बीज, गुणवत्ता में इतने अच्छे थे कि ये गुजरात, बंगाल, इंदौर और भारत के कई अन्य शहरों में बेचे जाते हैं।

“डॉ. परमजीत ने मुझे आलू के बीज तैयार करने का सुझाव दिया जब वे पूरी तरह से पक जाये और इस तकनीक से मुझे बहुत मदद मिली।”

2016 में इंदर सिंह को आलू के बीज की तैयारी के लिए पंजाब सरकार से लाइसेंस प्राप्त हुआ।

वर्तमान में इंदर सिंह पुदीना (पिपरमिंट और कोसी किस्म), आलू (सरकारी किस्में: ज्योती, पुखराज, प्राइवेट किस्म:1533 ), मक्की, तरबूज और धान की खेती करते हैं। अपने लगातार वर्षों से कमाये पैसों को उन्होंने मशीनरी और सर्वोत्तम कृषि तकनीकों में निवेश किया। आज, इंदर सिंह के पास उनकी फार्म पर सभी आधुनिक कृषि उपकरण हैं और इसके लिए वे सारा श्रेय पुदीने और आलू की खेती को अपनाने को देते हैं।

इंदर सिंह को अपने सभी उत्पादों के लिए अच्छी कीमत मिल रही है क्योंकि मंडीकरण में कोई समस्या नहीं है क्योंकि तरबूज फार्म पर बेचा जाता है और पुदीने को तेल निकालने के लिए प्रयोग किया जाता है जो उन्हें 500 प्रति लीटर औसतन रिटर्न देता है। उनके तैयार किए आलू के बीज भारत के विभिन्न शहरों में बेचे जाते हैं।

कृषि के क्षेत्र में उनके जबरदस्त प्रयासों के लिए, उन्हें 1 फरवरी 2018 को पंजाब कृषि विश्वद्यिालय द्वारा सम्मानित किया गया है।

भविष्य की योजना
भविष्य में इंदर सिंह आलू के चिप्स का अपना प्रोसेसिंग प्लांट खोलने की योजना बना रहे हैं।

संदेश
“खादों, कीटनाशकों और अन्य कृषि इनपुट के बढ़ते रेट की वजह से कृषि दिन प्रतिदिन महंगी हो रही है इसलिए किसान को सर्वोत्तम उपज लेने के लिए स्थायी कृषि तकनीकों और तरीकों पर ध्यान देना चाहिए।”