गुरदेव कौर देओल
एक महिला की कहानी जो उद्यमशीलता के द्वारा महिला समाज में एक बड़ा बदलाव लेकर आई
वर्षों से महिलाओं ने बहुत से क्षेत्रों में एक महत्तवपूर्ण प्रभाव डाला और सफलता हासिल की है, लेकिन फिर भी ऐसी कई महिलाएं है जो पीछे रहती हैं और सिर्फ घरेलू कामकाज तक ही सीमित हैं। आज, हमें महिलाओं को कार्यबल का एक बड़ा हिस्सा बनाने और उनके कौशल विकसित करने के लिए बढ़ावा देने की आवश्यकता है क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था के विकास में तेजी लाने की शक्ति महिलाओं में है और महिलाओं को सशक्त बनाने का सबसे अच्छा तरीका उद्यमशीलता है ना कि दान द्वारा। महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए कई लोग स्वेच्छा से काम कर रहे है, लेकिन सबसे अच्छा व्यक्ति जो एक महिला को सशक्त कर सकता है वह स्वंय महिला है। ऐसी एक महिला जो महिलाओं के हित में काम कर रही हैं और उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं वे हैं श्री मती गुरदेव कौर देओल।
गुरदेव कौर एक प्रगतिशील किसान हैं और ग्लोबल सैल्फ हैल्प ग्रुप की अध्यक्ष हैं। पंजाब की धरती में पैदा हुई, पली बढ़ी गुरदेव कौर देओल, शुरुआत से ही एक मजबूत इच्छुक लड़की थीं। वे बहुत सक्रिय और उत्साही थी और हमेशा अपने साथ की महिलाओं को मदद करने और उन्हें सशक्त बनाने में पहल करना चाहती थी।
अन्य महिलाओं की तरह ही पढ़ाई (खालसा कॉलेज, गुरूसर सदर, लुधियाणा से एम ए- बी एड की) पूरी होने के बाद उनकी शादी हुई। लेकिन शादी के बाद उन्होंने महसूस किया कि यह वह सब नहीं है जो वह चाहती थी। 1995 में उन्होंने 5 बक्सों के साथ मक्खी पालन का काम शुरू किया और साथ ही खुद के द्वारा बनाये गये उत्पाद जैसे आचार, चटनी आदि का मंडीकरण भी शुरू किया।
2004 में वे पी ए यू के साथ जुड़ी और फिर उन्होंने समझा कि अब तक उन्हें केवल सैद्धांतिक ज्ञान ही था इसलिए उन्होंने पी ए यू से प्रैक्टिकल ज्ञान लेना शुरू किया। वे पी ए यू के मक्खी पालन एसोसिएशन की मैंबर भी बनीं। अपने आप पर बहुत कुछ करने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि उन्हें अपने समाज की अन्य महिलाओं को भी अपनी क्षमताओं के बारे में पता होनी चाहिए। इसलिए 2008 में उन्होंने अपने गांव की 15 महिलाओं को इकट्ठा करके एक सहकारी ग्रुप बनाया जिसका नाम ग्लोबल सैल्फ हैल्प ग्रुप रखा। उन्होंने अपने ग्रुप की सभी महिलाओं को पी ए यू के ट्रेनिंग प्रोग्राम में नामांकित करने में मदद की ताकि वे उचित कौशल सीख सकें।
शुरू में उनके ग्रुप ने आचार, चटनी, जैम, हनी, सोसेज़, स्क्वैश जूस और मुरब्बा आदि बनाने का काम शुरू किया। जल्दी ही उनके ग्रुप ने अच्छा लाभ कमाया और 6 महीने के बाद बैंक ने उन्हें उनके काम के लिए लोन प्रदान किया। उन्होंने अपने काम को थोड़ा थोड़ा बढ़ाना शुरू किया और जैविक खेती भी शुरू कर दी और अपने ग्रुप में और अधिक उत्पादों को जोड़ा।
2012 में उन्होंने NABARD के साथ भागीदारी की और अपने ग्रुप को उनके साथ रजिस्टर कर लिया और इसे एक एन जी ओ में बदल दिया और उसके बाद उनके ग्रुप के सदस्यों ने काम करना शुरू कर दिया। NABARD के साथ पंजीकरण करने के बाद महिलाओं को अपने कौशल विकसित करने और आत्म निर्भर होने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए 100 सैल्फ हैल्प ग्रुप्स बनाने का लक्ष्य रखा गया। अब तक उन्होंने 25 ग्रुप बनाये हैं और पी ए यू भी अधिक ग्रुप बनाने में उनकी मदद कर रहा है। 2015 में उन्होंने Farmer Producer Organization के साथ ग्लोबल सैल्फ हैल्प ग्रुप को पंजीकृत किया । अब तक वे 400 से अधिक महिलाओं और पुरुषों से जुड़ चुकी हैं और उनमें से अलग अलग ग्रुप्स बनाये हैं।
NABARD भी उन्हें फंड मुहैया कराने में सहायता कर रहा है, ताकि वे जरूरतमंद महिलाओं को प्रैक्टिकल ट्रेनिंग दे सकें और अपने ग्रुप बना सकें। वे हमेशा महिलाओं से कहती हैं कि वे अपने परिवार, बच्चों और रिश्तेदारों के लिए व्यंजन बनाने शुरू करे। उनका मानना है कि यदि एक गृहिणी अपने घर की जरूरतों को पूरा नहीं कर सकती, तो वे एक ही चीज़ बाहर कैसे करेंगी।
वर्तमान में, श्री मती गुरदेव कौर देओल अपने पति श्री गुरदेव सिंह देओल के साथ गांव दशमेश नगर, लुधियाणा में रह रही हैं और सफलतापूर्वक अपना ग्रुप चला रही हैं और अन्य महिलाओं और किसानों की बेहतरी के लिए उनका मार्गदर्शन कर रही हैं। अब तक उनके कुल 32 उत्पादों में कार्बनिक दालें, मसूर, स्क्वैश और मसाले शामिल हैं। मधुमक्खी पालन उनका पसंदीदा शौंक है और अब उनके ग्रुप में मधुमक्खी के 450 बक्से हैं। वे डेयरी फार्मिंग का काम भी करती हैं और बेचने के लिए दूध से तैयार उत्पाद बनाती हैं। वे किसानों से जैविक दालें खरीदती हैं, उन्हें पैक करती हैं और बेचती भी हैं। वे ग्लोबल एग्रो फूड प्रोडक्ट्स के नाम पर अपने ग्रुप द्वारा बनाये गये सभी उत्पादों को बेचती हैं। वे ग्लोबल सैल्फ हैल्प ग्रुप से काफी अच्छा लाभ कमा रही हैं।
भविष्य में वे, अपने ग्रुप के नाम पर एक दुकान खोलने की योजना बना रही हैं, ताकि अपने उत्पादों को बेचने के लिए उचित मंच स्थापित कर सकें और वे हिमाचल प्रदेश के किसानों से जैविक दालें, सब्जियों और मक्का आदि के व्यापार के लिए जुड़ना चाहती हैं।
अभी तक उन्होंने अपने काम के लिए काफी पुरस्कार और प्राप्तियां हासिल की हैं। उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
- 2009 में सरदारनी जगबीर कौर अवार्ड
- 2010 में एग्रीकल्चर डिपार्टमैंट अंडर स्कीम से राज्य पुरस्कार
- 2011 में डेयरी फार्मिंग के लिए नेशनल अवार्ड
- 2012 में NABARD से ग्लोबल सैल्फ हैल्प ग्रुप के लिए राज्य पुरस्कार
गुरदेव कौर देओल द्वारा दिया गया संदेश
“गुरदेव कौर का उन किसानों का विशेष संदेश है जिनके पास कम भूमि है। यदि एक किसान के पास 3-4 एकड़ भूमि है तो उन्हें गेहूं और धान की बजाय सब्जियों और दालों को जैविक तरीके से उगाना चाहिए क्योंकि जैविक खेती एक संरक्षित तरीके से अच्छा लाभ कमाने में मदद करती है और प्रत्येक औरत को अपने कौशल का उपयोग करना शुरू करना चाहिए और उत्पादक होना चाहिए।”