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बलजिंदर सिंह

(मक्खी पालन)

एक मधुमक्खी पालक की कहानी जो अपने शौक के जरिए सलफता हासिल कर चुका है

दिशा कहीं से भी मिल जाए, चाहे समय कोई भी हो, चाहे दिन हो या रात, वह समय सुनहरा होता है।

यह बात हर क्षेत्र में लागू है, क्योंकि आज के समय में यदि किसी ने कोई मुकाम हासिल करना हो, तो ज्ञान और मार्गदर्शन की जरुरत होती है। आज एक ऐसे ही किसान के बारे में बात करेंगे जिन्होंने इस बात को सच साबित किया है।

कहा जाता है कि इंसान और पानी का चलते रहना बहुत जरुरी होता है, क्योंकि इनके एक जगह खड़े रहने से इनकी महत्ता कम हो जाती है। इसी सोच के साथ श्री कतसर साहिब जिला के रहने वाले बलजिंदर सिंह जी को कुछ नया करने की इच्छा रहती थी। इस बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने अलग अलग मेले और प्रदर्शनियों में जाना शुरू किया। इन प्रदर्शनियों में उनकी मुलाकात श्रीमती गुरदेव कौर देयोल जी के साथ हुई जिनकी सफलता ने बलजिंदर सिंह जी को बहुत प्रभावित किया।

श्रीमती गुरदेव कौर देयोल जी जोकि खुद एक प्रगतिशील किसान है, उन्हें देखकर विचार आया, यदि एक महिला होकर इतना कुछ कर सकते हैं तो मैं क्यों नहीं- बलजिंदर सिंह

श्रीमती गुरदेव कौर देयोल जी एक प्रगतिशील किसान है, जिन्होंने अपने बनाए सेल्फ हेल्प ग्रुप के साथ अपनी अलग पहचान बना रखी है, जिससे वह अपने उत्पाद जैसे कि चटनी, अचार आदि का मंडीकरण भी करते हैं। उन्हें बहुत से पुरस्कार भी मिल चुके हैं, जोकि ओर महिलाओं के लिए एक उदाहरण है।

बलजिंदर सिंह जी श्रीमती गुरदेव कौर देयोल जी के काम से उत्साहित हो कर मधु मक्खी पालन का व्यवसाय अपनाने का मन बनाया। उनके साथ मिलकर मधु मक्खी पालन की प्राथमिक ट्रेनिंग ली।

मैं और श्रीमती गुरदेव कौर देयोल ही मिलकर KVK बठिंडा में समय समय पर ट्रेनिंग प्राप्त करवाते रहते हैं और सरदारनी गुरदेव कौर देयोल के साथ अलग अलग फार्म पर जाते रहे- बलजिंदर सिंह

बलजिंदर जी ने एक से डेढ़ साल तक ट्रेनिंग करने के बाद गुरदेव कौर देयोल जी के पास से 15 बक्से खरीद कर साल 2000 में मधु मक्खी पालन का व्यवसाय शुरू किया। मधु मक्खियों की नस्ल से उन्होंने इटालियन नस्ल की मक्खियों के साथ शुरू किया, जोकि PAU की तरफ से सिफारिश की गई थी। इन बक्सों को उन्होंने गंगानगर के इलाके में रखा। बिना किसी सरकारी और गैर सरकारी सहायता से उन्होंने 15 बक्से से अपना काम शुरू किया।

मुझे इस व्यवसाय में कोई अधिक समस्या नहीं आई, पर दुःख इस बात का होता है कि कंपनियां शहद में मिलावट करके बेचती है और अपने मुनाफे के लिए लोगों की सेहत के साथ खेल रही है- बलजिंदर सिंह।

उनका काम बड़े स्तर पर फैल चुका है, कि वह अपना शहद सिर्फ भारत में नहीं बल्कि बाहरी देश जैसे अमेरिका, कनाडा, आदि में भी बेच रहे हैं। उन्होंने कंपनियों के साथ लिंक बनाए हुए हैं और शहद सीधा कंपनी को बेचते हैं।

वर्तमान में उनके पास 2500 के आस पास बक्से हैं। वह अपने बक्से केवल पंजाब में ही नहीं बल्कि पंजाब के बाहर जैसे महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, श्रीनगर आदि शहरों में लगाते हैं। इस काम में उनके साथ 20 ओर मजदूर जुड़े हैं और उनके साथ उनके सहयोगी कुलविंदर सिंह गांव बुर्ज कलां से हैं, जोकि हर समय उनका साथ देते हैं।

बलजिंदर सिंह जी ने अपना शहद ग्राहक की जरुरत अनुसार जैसे 100 ग्राम, 250 ग्राम, 500 ग्राम, और 1 किलो की पैकिंग को घर-घर में पहुंचाना शुरू किया। उन्हें मधु मक्खी पालन के व्यवसाय में बहुत से पुरस्कार भी मिल चुके हैं।

बलजिंदर सिंह जी की तरफ से अलग अलग तरह का शहद तैयार किया जाता है-

  • सरसों का शहद
  • नीम का शहद
  • टाहली का शहद
  • सफेदे का शहद
  • बेरी का शहद
  • कीकर का शहद आदि।

भविष्य की योजना

वह मधु मक्खी पालन के व्यवसाय को बड़े स्तर पर लेकर जाना चाहते हैं, जिसमें 5000 तक बक्से लगाना चाहते हैं।

संदेश

जो नए किसान मधु मक्खी पालन में आना चाहते हैं, सबसे पहले उन्हें अच्छी तरह से ट्रेनिंग प्राप्त करनी चाहिए। उसके बाद मेहनत करें ये न हो कि उत्साहित होकर पैसे लगा लें पर ज्ञान की कमी होने के कारण बाद में नुक्सान सहना पड़े। सबसे पहले अच्छी तरह से ट्रेनिंग लेने के बाद ही किसी व्यवसाय को करें। क्योंकि इस तरह का व्यवसाय अपनी देखरेख में ही किया जा सकता है।