financially independent

श्रीमती मधुलिका रामटेके

(प्रोसेसिंग)

एक सामाजिक कार्यकर्ता से उद्यमी बनी एक महिला जिन्होंने बाकि महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने के लिए प्रेरित किया।

ऐसा माना जाता है कि केवल पुरुष ही आर्थिक रूप से घर का नेतृत्व कर सकते हैं लेकिन कुछ महिलाएं रूढ़िवादी विचारधारा को तोड़ती हैं और खुद को साबित करती हैं कि वे किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं बल्कि समान रूप से सक्षम हैं। यह कहानी छत्तीसगढ़ के राजनांद गांव की एक ऐसी ही सामाजिक कार्यकर्ता की है।

श्रीमती मधुलिका रामटेके एक ऐसे समुदाय से आती हैं, जहाँ जातिगत भेदभाव अभी भी गहराई से निहित है। उन्हें इस जातिगत भेदभाव का एहसास छोटी उम्र में ही हो गया था जब उन्हें बाकि बच्चों के साथ खेलने की अनुमति नहीं मिलती थी। तब उनके पिता ने उन्हें डॉ. बी.आर. अंबेडकर जी का उदाहरण दिया कि कैसे उन्होंने शिक्षा के माध्यम से अपना जीवन बदल दिया और वह सम्मान अर्जित किया जिसके वे हकदार थे। मधुलिका ने तब उनके कदमों और उनकी शिक्षाओं का पालन किया। वह अपनी स्कूली शिक्षा के दौरान एक उज्ज्वल छात्रा रही और अन्य माता-पिता को अपनी बेटियों को स्कूल भेजने के लिए प्रोत्साहित भी करती थी। उन्होंने पहले अपने माता-पिता को पढ़ना-लिखना सिखाया और फिर अपने घर के आस-पास की अन्य अनपढ़ लड़कियों की मदद की।

श्रीमती मधुलिका जी ने फिर एक और कदम उठाया जहाँ उन्होंने अपने गाँव की अन्य महिलाओं के साथ एक सेल्फ हेल्प समूह बनाया और गाँव की सेवा करना शुरू कर दिया, जिसका गाँव में रहने वाले पुरुषों ने बहुत विरोध किया, लेकिन बाद में उन्हें एहसास हुआ कि महिलाएँ गाँव की भलाई के लिए काम कर रही हैं। उन्होंने शिक्षा, पुरुष नसबंदी, स्वच्छता, नशीली दवाओं के उपयोग, जल संरक्षण आदि जैसे गंभीर मुद्दों पर कई शिविरों का आयोजन भी किया।

2001 में, उन्होंने और उनकी महिला साथियों ने एक बैंक शुरू किया जिसमें उन्होंने सारी बचत जमा की और इसका नाम ‘माँ बम्लेश्वरी बैंक’ रखा। यह बैंक पूरी तरह से महिलाओं द्वारा चलाया जाता है। इस बैंक ने महिलाओं को सशक्त महसूस करवाया और जब भी महिलाओं को किसी कार्य के लिए पैसों की जरूरत पड़ती थी तो वह बैंक में जमा राशि में से कुछ राशि का प्रयोग कर सकती है। इस बैंक में आज कुल राशि ₹40 करोड़ है।

एकता बहुत शक्तिशाली है, अकेले रहना मुश्किल है लेकिन समूह में शक्ति है। मैं आज जो कुछ भी हूँ अपने ग्रुप की वजह से हूँ – मधुलिका

वर्ष 2016 में मधुलिका जी और उनके सेल्फ-हेल्प समूह ने 3 सोसाइटीयों का निर्माण किया। पहली सोसाइटी के अंतर्गत दूध उत्पादन का काम  शुरू किया और उसमें 1000 लीटर दूध का उत्पादन हुआ।  उन्होंने इस दूध को स्थानीय स्तर पर और होटल, रेस्टोरेंट्स में बेचना शुरू किया। दूसरी सोसाइटी के अंतर्गत उन्होंने हरा-बहेड़ा की खेती जो एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है उसका उत्पादन शुरू किया। यह जड़ी-बूटी  खांसी, सर्दी को ठीक करने में मदद करती है और शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाती है। इसके साथ ही उन्होंने चावल की खेती भी की लेकिन कम मात्रा में। तीसरी सोसाइटी के अंतर्गत  उन्होंने सीताफल की खेती की शुरुआत की और आइस क्रीम की प्रोसेसिंग करनी भी शुरू की। इन सबके पीछे उनका मुख्य उद्देश्य अन्य महिलाओं को स्वतंत्र बनाना और उनके जीवन स्तर को ऊँचा उठाना था। उन्होंने हमेशा न केवल खुद को बल्कि अपने आसपास की महिलाओं को भी सशक्त बनाने के बारे में सोचा।
नाबार्ड की आजीविका और उद्यम विकास कार्यक्रम (एल.ई.डी.पी) की योजना के तहत, मधुलिका सहित 10 महिलाओं ने 10,000 ₹ प्रत्येक के योगदान के साथ एक कंपनी की स्थापना की और इसका नाम बमलेश्वरी महिला निर्माता कंपनी लिमिटेड रखा। कंपनी के पास अब ₹100-₹10,000 की शेयर रेंज है। यह कंपनी वर्मीकम्पोस्ट और वर्मीवाश बनाती है, ये दोनों जैविक खाद हैं जो मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को बढ़ा कर फसल की उपज बढ़ाते हैं और पर्यावरण पर कोई दुष्प्रभाव नहीं डालते हैं। मधुलिका ने एक बार 2 खेतों में एक प्रयोग किया था, जिसमें उन्होंने एक खेत में रासायनिक उर्वरक और दूसरे में वर्मीकम्पोस्ट डाला और उन्होंने देखा कि उत्पाद की गुणवत्ता और स्वाद उस क्षेत्र में बेहतर था जिसमें वर्मीकम्पोस्ट डाला गया था। इसके इलावा इस कंपनी में अन्य उत्पाद भी बनाये जाते हैं पर कम मात्रा में उनमें से कुछ प्रोडक्ट्स है जैसे अगरबत्ती, पलाश के फूलों से बना हर्बल गुलाल। यह सारे प्रोडक्ट 100% हर्बल है।
हम अपने लिए कमा रहे हैं लेकिन रासायनिक छिड़काव वाला भोजन खाने से सभी पोषक तत्व समाप्त हो जाते हैं और हमारी मेहनत की कमाई उन दवाओं पर बर्बाद हो जाती है जो उर्वरकों के अति प्रयोग से होती हैं“-मधुलिका रामटेके
                                                      उपलब्धियां:
  • नारी शक्ति पुरस्कार, 2021 भारत के राष्ट्रपति, श्री रामनाथ कोविंद द्वारा प्रदान किया गया
  • अखिल भारतीय महिला क्रांति परिषद- 2017
  • राज्य महिला सम्मान – 2014
                                                    भविष्य की योजनाएं:
वह ‘गाँववाली’ नाम से एक नया ब्रांड खोलना चाहती हैं जिसमें वह खुद और सेल्फ हेल्प समूह पहले हल्दी, मिर्ची, धनिया का निर्माण करेंगे और फिर बड़े पैमाने पर अन्य मसालों का निर्माण करेंगे।
                                               किसानों के लिए संदेश:
आज की कृषि पद्धतियों को देखते हुए जिसमें कुछ भी शामिल नहीं है, रसायनों के उपयोग से बचना चाहिए, बल्कि अन्य किसानों को जैविक खादों का उपयोग करना चाहिए। वह बच्चों को अपने बूढ़े माता-पिता को वृद्धाश्रम में डालने की बात को भी गलत बताती है। ये वही माता-पिता हैं जिन्होंने बचपन में हमारा पालन-पोषण किया था और अब जब उन्हें बुढ़ापे में मदद की ज़रूरत है, तो उन्हें अकेला नहीं छोड़ा जाना चाहिए, बल्कि उसी तरह दुलारना चाहिए जैसे हम उनके साथ थे।