कौशल सिंह
जानें कैसे इस युवा छात्र ने खेती के क्षेत्र में अन्य नौजवानों के लिए लक्ष्य स्थापित किए
गुरदासपुर का यह युवा छात्र दूसरे छात्रों से विपरीत नहीं है वह अकेला नहीं है जिसने खेती का चयन किया क्योंकि उसके पिता खेती करते थे और उसके पास कोई अन्य विकल्प नहीं था। लेकिन कौशल ने खेतीबाड़ी को चुना, क्योंकि वह अपनी पढ़ाई के साथ खेतीबाड़ी में कुछ नया सीखना चाहता था।
मिलिए कौशल सिंह – एक आकांक्षी छात्र से, जिसने 22 वर्ष की उज्जवल युवा उम्र में अपना एग्री बिज़नेस स्थापित किया। जी, सिर्फ 22 की उम्र में। इस विकसित होने वाली उम्र में जहां ज्यादातर युवा अपने करियर विकल्प को लेकर दुविधा में रहते हैं, वहीं कौशल सिंह ने अपने उत्पादों को ब्रांड नाम बनाया और बाज़ार में उत्पादों की मार्किटिंग भी शुरू की।
कौशल ज़मीदारों के परिवार से हैं और वे अन्य किसानों को अपनी ज़मीन किराये पर देते हैं। इससे पहले इन पर उनके पूर्वज खेती करते थे। लेकिन वर्तमान पीढ़ी खेती से दूर जाना पसंद करती है पर कौन जानता था कि परिवार की सबसे छोटी पीढ़ी अपनी यात्रा खेती के साथ शुरू करेगी।
“CANE FARMS” तक कौशल सिंह की यात्रा स्पष्ट और आसान नहीं थी। पंजाब के अन्य युवाओं की तरह कौशल सिंह अपनी 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने बड़े भाई के पास विदेश जाने की योजना बना रहे थे। यहां तक कि उनका ऑस्ट्रेलिया का वीज़ा भी तैयार था। लेकिन अंत में उनके पूरे परिवार को एक बहुत ही दुखी खबर से धक्का लगा। कौशल सिंह की मां को कैंसर था जिसके कारण कौशल सिंह ने अपने विदेश जाने की योजना रद्द कर दी थी।
यद्पि कौशल की मां कैंसर का मुकाबला नहीं कर सकीं। लेकिन फिर कौशल ने भारत में रहकर अपने गांव में ही कुछ नया करने का फैसला किया। सभी मुश्किल समय में कौशल ने अपनी उम्मीद नहीं खोयी और पढ़ाई से जुड़े रहे। उन्होंने B.Sc. एग्रीकल्चर में दाखिला लिया और सोचा –
“मैंने सोचा कि हमारे पास पर्याप्त पैसा है और यहां पंजाब में 12 एकड़ ज़मीन है तो क्यों ना इसका उचित प्रयोग किया जाये।”
इसलिए उन्होनें किरायेदारों से अपनी ज़मीन वापिस ली और जैविक तरीके से गन्ने की खेती शुरू की। 2015 में उन्होंने गन्ने से गुड़ और शक्कर का उत्पादन किया। हालांकि शुरू में उन्हें मार्किटिंग का कोई ज्ञान नहीं था इसलिए उन्होंने बिना पैकिंग और ब्रांडिंग के इसे खुला ही बेचना शुरू किया लेकिन कौशल को उनके उद्यम में बहुत बड़ा नुकसान हुआ।
लेकिन कहते हैं ना कि उड़ने वाले को कोई नहीं रोक सकता। इसलिए कौशल ने अपने दोस्त हरिंदर सिंह से पार्टनरशिप करने का फैसला किया। उसके साथ कौशल ने अपने 10 एकड़ की भूमि और हरिंदर की 20 एकड़ की भूमि पर गन्ने की खेती की। इस बार कौशल बहुत सतर्क था और उसने डॉ रमनदीप सिंह- पंजाब एग्रीकल्चर युनिवर्सिटी में माहिर, से सलाह ली।
डॉ रमनदीप सिंह ने कौशल को प्रेरित किया और कौशल से कहा कि वह अपने उत्पादों को मार्किट में बेचने से पहले उनकी पैकिंग करें और उन्हें ब्रांड नाम दे। कौशल ने ऐसा ही किया। उसने अपने उत्पादों को गांव के नज़दीक की मार्किट में बेचना शुरू किया। उसने सफलता और असफलता दोनों का सामना किया । कुछ दुकानदार बहुत प्रसन्नता से उसके उत्पादों को स्वीकार कर लेते थे लेकिन कुछ नहीं। लेकिन धीरे धीरे कौशल ने अपने पांव मार्किट में जमा लिए और उसने अच्छे परिणाम पाने शुरू किए। कौशल ने पंजीकृत करने से पहले SWEET GOLD ब्रांड नाम दिया लेकिन बाद में उसने इसे बदलकर CANE FARMS कर दिया क्योंकि इस नाम की उपलब्धता नहीं थी।
आज कौशल और उसके दोस्त ने फार्मिंग से लेकर मार्किटिंग तक का सब काम स्वंय संभाला हुआ है और वे पूरे पंजाब में अपने उत्पादों को बेच रहे हैं। उन्होंने अपने ब्रांड का लोगो (logo) भी डिज़ाइन किया है। पहले वे मार्किट से बक्से और स्टिकर खरीदते थे लेकिन अब कौशल ने अपने स्तर पर सब चीज़ें करनी शुरू की हैं।
भविष्य की योजना
भविष्य में हम उत्पाद बेचने के लिए अपने उद्यम में हर जैविक किसान को जोड़ने की योजना बना रहे हैं। ताकि अन्य किसान जो हमारे ब्रांड के बारे में अनजान हैं वे आधुनिक एग्रीबिज़नेस के रूझान के बारे में जानें और इससे लाभ ले सकें।
कौशल के लिए यह सिर्फ शुरूआत है और भविष्य में वह एग्रीकल्चर से अधिक लाभ लेने के लिए और उज्जवल विचारों के साथ आएंगे।