महक सिंह
खेतीबाड़ी के प्रेम के लिए कैसे यह व्यक्ति किसानों को आधुनिक खेती तकनीकों से अपडेट करके उनकी मदद कर रहा है।
आजकल बहुत कम लोग होते हैं जो जन हितैशी के वास्तविक अर्थ को साबित कर पाते हैं उनमें से एक हैं- महक सिंह
महक सिंह मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) के एक सामान्य खेतीबाड़ी के माहिर हैं। अपनी रिटायरमैंट को दूसरों के लिए एक सकारात्मक अनुभव बनाने के लिए इस व्यक्ति ने खेती के अच्छे ढंगों से अपडेट कर किसानों की मदद करने का चयन किया।
शुरूआत में महक सिंह खेतीबाड़ी करने में रूचि रखते थे क्योंकि वे खेतीबाड़ी की पारिवारिक पृष्ठभूमि से थे। वे हमेशा खुद को भूमि की तरफ खींचा हुआ महसूस करते थे, उस भूमि के प्रति जिसने उन्हें सब कुछ दिया और इसी वजह से खेतीबाड़ी अभी भी उनकी ज़िंदगी में मौजूद है और एक महत्तवपूर्ण भूमिका निभा रही है।
खैर, कई किसानों के परिवारों में अपने बच्चों को उच्च शिक्षा देने की प्रवृत्ति है। ताकि उन्हें खेतीबाड़ी के व्यवसाय पर निर्भर ना होना पड़े और अपने कैरियर के रूप में वे किसी अन्य जॉब प्रोफाइल को चुन सकें। लेकिन महक सिंह के परिवार में, स्थिति बिल्कुल विपरीत थी। उनके माता पिता ने उन्हें हमेशा कृषि की तरफ प्रेरित किया और इसीलिए उन्होंने अपने कॉलेज के समय के दौरान बी एस सी एग्रीकल्चर को चुना। कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के लिए उन्हें मुज्जफरनगर के क्षेत्र कृषि विभाग में विषय वस्तु विशेषज्ञ (Subject Matter Expert) के रूप में एक सरकारी नौकरी मिली।
“बी एस सी एग्रीकल्चर को चुनने का एक और कारण था कि मैं दलित किसानों की मदद करना चाहता था जो खेती की बेहतर तकनीकों और ढंगों से अवगत नहीं थे और कृषि विशेषज्ञ के रूप में जॉब मिलने के बाद मुझे उनकी मदद करने का मौका मिला।”
एक किसान का पुत्र होने के नाते वे हमेशा किसानों की आम समस्याओं को समझते थे। कृषि विभाग में काम करने के दौरान उनकी पोस्टिंग हमेशा उत्तर प्रदेश के पिछड़े क्षेत्रों जैसे सोनभादरा, लखमीरपुर, मिर्ज़ापुर और फैज़ाबाद में होती थी। उस समय के दौरान वे गरीब किसानों के लिए काम करते थे और उन्होने उनके गांव के नज़दीक एक क्वार्टर भी किराये पर लिया था ताकि वे उन्हें बहुत नज़दीक से देख सकें। और उनकी खेती में मदद कर सकें। उन्होंने अपने पेशे को 40 वर्ष दिए और जुलाई 2016 में रिटायर हो गये।
खेती के प्रति उनका जुनून इतना था कि रिटायरमेंट के बाद भी उन्होंने कृषि के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित करने का फैसला किया। आज भी अगर किसी किसान को किसी भी समय मदद की जरूरत पड़ती हैं तो वे हमेशा मदद के लिए तैयार रहते हैं।
“मैं अपने जीवन का बहुत बड़ा धन्यवादी हूं कि मुझे किसानों की मदद करने का अवसर मिला।”
किसानों की मदद करने के लिए उन्होंने विशेष तौर पर व्हॉट्स एप पर “हेलो किसान” के नाम से एक ग्रुप बनाया है और किसानों तक पहुंचने के लिए वे माध्यम के रूप में फेसबुक का उपयोग कर रहे हैं और किसानों की मदद कर रहे हैं। राज्य सेवा (state service) की सेवा और इस तरह के बड़े स्तर पर किसानों की मदद करने के बाद उन्होनें कभी किसी प्रकार के पुरस्कारों में किसी भी प्रकार की रूचि नहीं दिखाई।
भविष्य में वे अपने काम को जारी रखना चाहते हैं और किसानों की मदद करना चाहते हैं।
“प्रत्येक किसान को माहिरों से अपनी भूमि की जांच करवानी चाहिए कि उसमें कौन से खनिज किस मात्रा में मौजूद हैं। ताकि वे उसी अनुसार फसलों को उगा सकें और आवश्यकतानुसार जैविक खादों का प्रयोग कर सकें।”