ढाडा बकरी फार्म

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जानिये कैसे चार भविष्यवादी पुरूषों की मंडली, पंजाब में बकरी पालन को बेहतर बना रही है

ढाडा बकरी फार्म – चार भविष्यवादी पुरूषों (बीरबल राम शर्मा, जुगराज सिंह, अमरजीत सिंह और मनजीत कुमार) द्वारा संचालित फार्म, जिन्होंने सही समय पर पंजाब में बकरी के मीट और दूध के भविष्य के बाजार को देखते हुए एक बकरी फार्महाउस स्थापित की जहां से आप न केवल दूध और मीट खरीद सकते हैं बल्कि आप बकरी पालन के लिए बकरी की विभिन्न नस्लों को भी खरीद सकते हैं।

शुरू में, बकरी फार्म की स्थापना का विचार बीरबल और उनके चाचा मनजीत कुमार का था। इससे पहले कॉलेज सुपरवाइज़र के तौर पर काम करके बीरबल ऊब गए थे और वे अपना खुद का व्यवसाय स्थापित करना चाहते थे। लेकिन कुछ भी निवेश करने से पहले बीरबल एक संपूर्ण मार्किट रिसर्च करना चाहते थे। उन्होंने पंजाब में कई फार्म का दौरा किया और मार्किट का विशलेषण करने और कुछ मार्किट ज्ञान हासिल करने के लिए वे दिल्ली भी गए।

विशलेषण के बाद, बीरबल ने पाया कि पंजाब में बहुत कम बकरी फार्म है और बकरी के मीट और दूध की मांग अधिक है। बीरबल के चाचा, मनजीत कुमार शुरू से ही व्यवसाय के भागीदार थे और इस तरह ढाडा बकरी फार्म का विचार वास्तविकता में आया। अन्य दो मुख्य साझेदार इस उद्यम में शामिल हुए, जब बीरबल एक खाली भूमि की तलाश में थे, जहां पर वे बकरी फार्म स्थापित कर सकते और फिर वे सूबेदार जुगराज सिंह और अमरजीत सिंह से मिले। वे दोनों ही मिल्ट्री से रिटायर्ड व्यक्ति थे। बकरी फार्म के विचार के बारे में जानकर जुगराज सिंह और अमरजीत सिंह ने इस उद्यम में दिलचस्पी दिखाई। जुगराज सिंह ने बीरबल को 10 वर्ष के लिए 4 एकड़ भूमि ठेके पर दी। अंत में, जुलाई 2015 में 23 लाख के निवेश के साथ ढाडा बकरी फार्म की स्थापना हुई।

फार्म 70 पशुओं (40 मादा बकरी, 5 नर बकरी और 25 मेमनों) से शुरू हुआ, बाद में उनहोंने 60 पशु और खरीदे। अपने उद्यम को अच्छा प्रबंधन और संरक्षण देने के लिए, चारों सदस्यों ने GADVASU से 5 दिन की बकरी फार्म की ट्रेनिंग ली।

खैर, ढाडा बकरी फार्म चलाना इतना आसान नहीं था, उन्हें कई समस्याओं का भी सामना करना पड़ा। थोक में बकरियों को खरीदने के दौरान उन्होंने स्थानीय बकरी किसानों से बिना किसी उचित टीकाकरण के कुछ बकरियां खरीदीं। जिससे बकरियों को PPR रोग हुआ और परिणामस्वरूप बकरियों की मौत हो गई। इस घटना से, उन्होंने अपनी गल्तियों से सीखा और फिर पशु चिकित्सक सरबजीत से अपने खेत की बकरियों का उचित टीकाकरण शुरू करवाया।

डॉ. सरबजीत ने उन्हें एक बीमारी मुक्त स्वस्थ बकरी फार्म की स्थापना करने में बहुत मदद की, वे हर हफ्ते ढाडा बकरी फार्म जाते थे और उनका मार्गदर्शन करते। वर्तमान में, बकरियों की गिनती 400 से अधिक हो गई है। बीटल, सिरोही, बारबरी, तोतापरी और जखराना बकरी की नस्लें हैं जो ढाडा बकरी फार्म में मौजूद हैं। वे बाजार में बकरी का दूध, बकरी के गोबर से तैयार खाद बेचते हैं। अच्छा लाभ कमाने के लिए बकरीद के दौरान, वे नर बकरियों को भी बेचते हैं।

फीड सबसे महत्तवपूर्ण चीज़ है जिसका वे खास ध्यान रखते हैं। गर्मियों में वे बकरियों को हरी घास और पत्तियां, हरे चनों और हरी मूंग के पौधों का मिश्रण और सर्दियों में बरसीम, सरसों, गुआर और मूंगफली की घास देते हैं। फार्म में दो स्थायी श्रमिक हैं जो बकरी फार्म का प्रबंधन करने में मदद करते हैं। बेहतर फीड तैयार करने के लिए चारा घर में उगाया जाता है। बकरी की जरूरतों का उचित ध्यान रखने के लिए उन्होंने बकरियों के स्वतंत्र रूप से घूमने के लिए 4 कनाल क्षेत्र भी रखा है। डीवॉर्मिंग गन, चारा पीसने के लिए मशीन, चिकित्सक किट और दवाइयां कुछ आवश्यक चीज़ें हैं जिनका उपयोग बीरबल और अन्य सदस्य बकरी पालन की प्रक्रिया को आसान और सरल बनाने के लिए करते हैं।

बकरी फार्म से लगभग 750000 का औसतन लाभ वार्षिक कमाया जाता है जो ढाडा बकरी फार्म के सभी चार सदस्यों में विभाजित होता है। इस तरह बकरी फार्म उद्यम अच्छे से चलाने के बाद भी, ढाडा बकरी फार्म का कोई भी सदस्य अपनी सफलता के लिए शेखी नहीं मारता और जब भी कोई किसान मदद के लिए या मार्गदर्शन के लिए उनके फार्म का दौरा करता है तो वे पूरे दिल से उनकी मदद करते हैं।

पुरस्कार और उपलब्धियां:

बकरी पालन में सफलता के लिए, श्री जुगराज सिंह को ढाडा बकरी के लिए 23 मार्च 2018 को मुख्यमंत्री पुरस्कार भी मिला।

भविष्य की योजना:

भविष्य में, ढाडा बकरी फार्म के भविष्यवादी पुरूष अपनी बकरियों की गिनती को 1000 तक पहुंचाने की योजना बना रहे हैं।

संदेश

“बकरी पालन एक सहायक गतिविधि है जो कोई भी किसान फसलों की खेती के साथ अपना सकता है और इससे अच्छा लाभ कमा सकता है। किसानों को इस व्यवसाय की प्रमुख सीमाओं और इसके लाभ के बारे में पता होना चाहिए।”

 

आज के समय में कृषि समाज को यह समझना होगा कि उनका मिलकर रहने में ही फायदा है। इन चार व्यक्तियों ने इस बात को अच्छे से समझा जिसने उनकी एक सफल उद्यम चलाने में मदद की। बकरी पालन से संबंधित यदि आपका कोई सवाल है तो आप ढाडा बकरी फार्म से संपर्क कर सकते हैं और उनसे मार्गदर्शन ले सकते हैं। अन्य दिलचस्प कहानियां पढ़ने के लिए गूगल प्ले स्टोर पर जाकर अपनी खेती एप डाउनलोड करें।

अमरजीत सिंह

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किसान जंकश्न- एक व्यक्ति जिसने अपनी जॉब को छोड़ दिया और खेती विभिन्नता के माध्यम से खेतीप्रेन्योर बन गए

आज कल हर किसी का एक सम्माननीय नौकरी के द्वारा अच्छे पेशे का सपना है और हो भी क्यों ना। हमें हमेशा यह बताया गया है कि सेवा क्षेत्र में एक अच्छी नौकरी करके ही जीवन में खुशी और संतुष्टि प्राप्त की जाती है। बहुत कम लोग हैं जो खुद को मिट्टी में रखना चाहते हैं और इससे आजीविका कमाना चाहते हैं। ऐसे एक इंसान हैं जिन्होंने अपनी नौकरी को छोड़कर मिट्टी को चुना और सफलतापूर्वक कुदरती खेती कर रहे हैं।

श्री अमरजीत सिंह एक खेतीप्रेन्योर हैं, जो सक्रिय रूप से जैविक खेती और डेयरी फार्मिंग के काम में शामिल हैं और एक रेस्टोरेंट भी चला रहे हैं। जिसका नाम किसान जंकश्न है, जो घड़ुंआ में स्थित है। उन्होंने 2007 में खेती करनी शुरू की। उस समय उनके दिमाग में कोई ठोस योजना नहीं थी, बस उनके पास अपने जीवन में कुछ करने का विश्वास था।

खेती करने से पहले अमरजीत सिंह ट्रेनिंग के लिए पी.ए.यू. गए और विभिन्न राज्यों का भी दौरा किया जहां पर उन्होंने किसानों को बिना रासायनों का प्रयोग किए खेती करते देखा। वे हल्दी की खेती और प्रोसैसिंग की ट्रेनिंग के लिए कालीकट और केरला भी गए।

अपने राज्य के दौरे और प्रशिक्षण से उन्हें पता चला कि खाद्य पदार्थों में बहुत मिलावट होती है जो कि हम रोज़ उपभोग करते हैं और इसके बाद उन्होंने कुदरती तरीके से खेती करने का निर्णय लिया ताकि वह बिना किसी रसायनों के खाद्य पदार्थों का उत्पादन कर सकें। पिछले दो वर्षों से वे अपने खेत में खाद और कीटनाशी का प्रयोग किए बिना जैविक खाद का प्रयोग करके कुदरती खेती कर रहे हैं। खेती के प्रति उनका इतना जुनून है कि उनके पास केवल 1.5 एकड़ ज़मीन हैं और उसी में ही वेगन्ना, गेहूं, धान, हल्दी, आम, तरबूज, मसाले, हर्बल पौधे और अन्य मौसमी सब्जियां उगा रहे हैं।

पी.ए.यू. में डॉ. रमनदीप सिंह का एक खास व्यक्तित्व है जिनसे अमरजीत सिंह प्रेरित हुए और अपने जीवन को एक नया मोड़ देने का फैसला किया। डॉ. रमनदीप सिंह ने उन्हें ऑन फार्म मार्किट का विचार दिया जो कि किसान जंकश्न पर आधारित था। आज अमरजीत सिंह किसान जंकश्न चला रहे हैं जो कि उनके फार्म के साथ चंडीगढ़-लुधियाना राजमार्ग पर स्थित है। किसान जंकश्न का मुख्य मकसद किसानों को उनके प्रोसेस किए गए उत्पादों को उसके माध्यम से बाज़ार तक पहुंचाने में मदद करना है। उन्होंने 2007 में इसे शुरू किया और खुद के ऑन फार्म मार्किट की स्थापना के लिए उन्हें 9 वर्ष लग गए। पिछले साल ही उन्होंने उसी जगह पर किसान जंकश्न फार्म से फॉर्क तक नाम का रेस्टोरेंट खोला है।

अमरजीत सिंह सिर्फ 10वीं पास है और आज 45 वर्ष की उम्र में आकर उन्हें पता चला है कि उन्हें क्या करना है। इसलिए उनके जैसे अन्य किसानों के मार्गदर्शन के लिए उन्होंने घड़ुआं में श्री धन्ना भगत किसान क्लब नामक ग्रुप बनाया है। वे इस ग्रुप के अध्यक्ष भी हैं और खेती के अलावा वे ग्रुप मीटिंग के लिए हमेशा समय निकालते हैं। उनके ग्रुप में कुल 18 सदस्य हैं और उनके ग्रुप का मुख्य कार्य बीजों के बारे में चर्चा करना है कि किस्म का बीज खरीदना चाहिए और प्रयोग करना चाहिए, आधुनिक तरीके से खेती को कैसे करें आदि। उन्होंने ग्रुप के नाम पर गेहूं की बिजाई, कटाई के लिए और अन्य प्रकार की मशीनें खरीदी हैं। इनका प्रयोग सभी ग्रुप के मैंबर कर सकते हैं और अपने गांव के अन्य किसानों को कम और उचित कीमतों पर उधार भी दे सकते हैं।

अमरजीत सिंह का दूसरा सबसे महत्तवपूर्ण पेशा डेयरी फार्मिंग का है उनके पास कुल 8 भैंसे हैं और जो उनसे दूध प्राप्त होता है वे उनसे दूध, पनीर, खोया, मक्खन, लस्सी आदि बनाते हैं। वे सभी डेयरी उत्पादों को अपने ऑन फॉर्म मार्किट किसान जंकश्न में बेचते हैं। उनमें से एक प्रसिद्ध व्यंजन है जो उनमें रेस्टोरेंट में बिकती है वह है खोया-बर्फी जो कि खोया और गुड़ का प्रयोग करके बनाई होती है।

उनके रेस्टोरेंट में ताजा और पौष्टिक भोजन, खुला हवादार, उचित कूलिंग सिस्टम और ऑन रोड फार्म मार्किट है जो ग्राहकों को आकर्षित करती हैं। उन्होंने ग्रीन नेट और ईंटों का प्रयोग करके रेस्टोरेंट की दीवारें बनाई हैं जो रेस्टोरेंट के अंदर हवा का उचित वेंटिलेशन सुनिश्चित करते हैं।

वर्तमान प्रवृत्ति और कृषि प्रथाओं पर चर्चा करने के बाद उन्होंने हमें अपने विचारों के बारे में बताया-

लोगों की बहुत गलत मानसिकता है, उन्हें लगता है कि खेती में कोई लाभ नहीं है और उन्हें अपनी आजीविका के लिए खेती नहीं करनी चाहिए। पर यह सच नहीं है। बच्चों के मन में खेती के प्रति गलत सोच और गलत विचारों को भरा जाता है कि केवल अशिक्षित और अनपढ़ लोग ही खेती करते हैं और इस वजह से युवा पीढ़ी, खेती को एक जर्जर और अपमानपूर्ण पेशे के रूप में देखती है।आज कल बच्चे 10000 रूपये की नौकरी के पीछे दौड़ते हैं और यह चीज़ उन्हें उनकी ज़िंदगी में निराश कर देती है। अपने बच्चों के दिमाग में खेती के प्रति गलत विचार भरने से अच्छा है कि उन्हें खेती के उपयोग और खेती करने से होने वाले लाभों के बारे में बताया जाये। खेतीबाड़ी एक विभिन्नतापूर्ण क्षेत्र है और यदि एक बच्चा खेतीबाड़ी को चुनता है तो वह अपने भविष्य में चमत्कार कर सकता है।”

अमरजीत सिंह जी ने अपने नौकरी छोड़ने और खेती शुरू करने का जोखिम उठाया और खेतीबाड़ी में अपनी कड़ी मेहनत और जुनून की कारण उन्होंने इस जोखिम का अच्छे से भुगतान किया है। किसान जंकश्न हब के पीछे अमरजीत सिंह के मुख्य उद्देश्य हैं।

• किसानों को अपनी दुकान के माध्यम से अपने उत्पाद बेचने में मदद करना।

• ताजा और रसायन मुक्त सब्जियां और फल उगाना।

• ग्राहकों को ताजा, वास्तविक और कुदरती खाद्य उत्पाद उपलब्ध करवाना।

• रेस्टोरेंट में ताजा उपज का उपयोग करना और ग्राहकों को स्वस्थ और ताजा भोजन प्रदान करना।

• किसानों को प्रोसैस, ब्रांडिंग और स्वंय उत्पादन करने के लिए गाइड करना।

खैर, यह अंत नहीं है, वे आई ए एस की परीक्षा के लिए संस्थागत ट्रेनिंग भी देते हैं और निर्देशक भी उनके फार्म का दौरा करते हैं। अपने ऑन रोड फार्म मार्किट व्यापार को बढ़ाना और अन्य किसानों को खेतीबाड़ी के बारे में बताना कि कैसे वे खेती से लाभ और मुनाफा कमा सकते हैं, उनके भविष्य की योजनाएं हैं। खेतीबाड़ी के क्षेत्र में सहायता के लिए आने वाले हर किसान का वे हमेशा स्वागत करते हैं।

अमरजीत सिंह द्वारा संदेश
कृषि क्षेत्र प्रमुख कठिनाइयों से गुजर रहा है और किसान हमेशा अपने अधिकारों के बारे में बात करते हैं ना कि अपनी जिम्मेदारियों के बारे में। सरकार हर बार किसानों की मदद के लिए आगे नहीं आयेगी। किसान को आगे आना चाहिए और अपनी मदद स्वंय करनी चाहिए। पी ए यू में 6 महीने की ट्रेनिंग दी जाती है जिसमें खेत की तैयारी से लेकर बिजाई और उत्पाद की मार्किटिंग के बारे में बताया जाता है। इसलिए किसान यदि खेतीबाड़ी से अच्छी आजीविका प्राप्त करना चाहते हैं तो उन्हें अपने कंधों पर जिम्मेदारी लेनी होगी।