मलविंदर सिंह

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खेती के तरीकों को बदलकर क्रांति लेकर आने वाला यह प्रगतिशील युवा किसान

ज्यादातर इस दुनिया में कोई भी किसी का कहना नहीं मानता बेशक वह बात हमारी भलाई के लिए ही क्यों ना की जाए पर उसका अहसास बहुत समय बाद जाकर होता है, पर किसी द्वारा एक छोटी सी हंसी में ही बोली गई बात पर अमल करके अपने खेती के तरीके को बदल लेना, किसी ने सोचा नहीं था और क्या पता था कि एक दिन वह उसकी कामयाबी का ताज बनकर सिर पर सज जाएगा।

इस स्टोरी के द्वारा जिनकी बात करने जा रहे हैं उन्होंने आर्गेनिक तरीके को अपनाकर और फूड प्रोसेसिंग करके मंडीकरण में ऐसी क्रांति लेकर आए कि ग्राहकों द्वारा हमेशा ही उनके उत्पादों की प्रशंसा की गई, जो कि तब मलविंदर सिंह जो पटियाला जिले के रहने वाले हैं, उनकी तरफ से एक छोटे स्तर पर शुरू किया कारोबार था जो आज पूरे पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा और दिल्ली में बड़े स्तर पर फैल गया है।

आज कल की इस भागदौड़ की दुनिया में बीमार होना एक आम बात हो गई है इसी दौरान ही मलविंदर जी जब छोटे होते बीमार हुए जिसका कारण एलर्जी था तो उनके पिता दवाई लेने के लिए डॉक्टर के पास गए तो डॉक्टर ने दवाई देकर आगे से कहा कि भाई, कीटनाशक स्प्रे के उपयोग को घटाएं, यदि बीमारियों से छुटकारा पाना चाहते है। यह बात सुनकर मलविंदर के पिता जी के मन में बात इस तरह बैठ गई कि उन्होंने स्प्रेओं का उपयोग करना ही बंद कर दिया।

उसके बाद वे बिना स्प्रे से खेती करने लगे जिसमें गेहूं, बासमती, सरसों और दालें जो कि एक एकड़ में करते थे, जो 2014 में पूरी तरह जैविक हो गई और इस तरह खेती करते-करते बहुत समय हो गया था और वर्ष 2014 में ही मलविंदर के पिता जी स्वर्ग सिधार गए जिसका मलविंदर और उनके परिवार को बहुत ही ज्यादा दुख हुआ क्योंकि हर समय परछाई बनकर साथ रहने वाला हाथ सिर से सदा के लिए उठ गया था और घर की ज़िम्मेवारी संभालने वाले उनके पिता जी थे, उस समय मलविंदर अपने पढ़ाई कर रहे थे।

जब यह घटना घटी तो मलविंदर जी को कोई ख्याल नहीं था कि घर की पूरी ज़िम्मेवारी उन्हें ही संभालनी पड़नी है, जब थोड़े समय बाद घर में माहौल सही हुआ तो मलविंदर ने महसूस किया और पढ़ाई के साथ-साथ खेती में आ गए और कम समय में ही खेती को अच्छी तरह जानकर काम करने लगे जो कि बहुत हिम्मत वाली बात है, इस दौरान वे खेती संबंधी रिसर्च करते रहते थे क्योंकि एक पढ़ा लिखा नौजवान जब खेती में आता है तो वह कुछ ना कुछ परिवर्तन लेकर ही आएगा। मलविंदर ने वैसे तो पढ़ाई में बी ए, एम ए, एम फिल की हुई है।

मलविंदर जी जब रिसर्च कर रहे थे उस दौरान उन्हें फूड प्रोसेसिंग और मार्केटिंग करने का ख्याल आया, पर उसे वास्तविक रूप में लेकर नहीं आ रहे थे। उनके पास कुल 30 एकड़ ज़मीन हैऔर वे 2 भाई हैं, उस समय जब उन्होंने खेती को संभाला था तब वे एक एकड़ में ही स्प्रे रहित खेती करते थे जिसमें वे सिर्फ अपने घर के लिए ही उगा रहे थे पर कभी भी मार्केटिंग करने के बारे में सोचा नहीं था।

इस तरह खेती करते उन्हें 5 साल हो गए थे और उसके बाद सोचा कि अब की हुई रिसर्च को वास्तविक रूप में लेकर आने का समय आ गया है क्योंकि 2014 में वे पूरी तरह आर्गेनिक खेती करने लग गए थे, बेशक वे पहले भी स्प्रे रहित खेती करते थे पर अब पूरी तरह आर्गेनिक तरीकों से ही खेती कर रहे थे। मलविंदर ने सोचा कि यदि आर्गेनिक दालें, हल्दी, गेहूं और बासमती की प्रोसेसिंग करके बेचा जाए तो इस संबंधित देरी ना करते हुए सभी उत्पाद तैयार कर लिए क्योंकि आज कल बीमारियों ने घर-घर में राज़ कर लिया है जिस कारण हर कोई साफ, शुद्ध और देसी खाना चाहता है ताकि बीमारियों से बचा जा सके। यह ही मलविंदर की सबसे महत्तवपूर्ण धारणा थी पर इसलिए उस तरह के इंसान भी जरूरी थे जिन्हें इन सब उत्पादों की अहमियत के बारे में पता हो।

फिर मलविंदर ने अपने उत्पादों की मार्केटिंग करने के लिए एक ऐसा ही रास्ता सोचा कि जिससे उसके बारे में सभी को पता चल सके जो सोशल मीडिया थी वहां उन्होंने नीलोवालिया नैचुरल फार्म नाम से पेज बनाया और उत्पाद की फोटो खींच कर डालने लग गए और बहुत लोग उनसे जुड़ने लग गए पर किसी ने भी पहल नहीं की। इस संबंधी उन्होंने अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से बात की जो शहर में रहते थे उनके साथ और भी बहुत लोग जुड़े हुए थे जो कि हमेशा अच्छे उत्पादों की मांग करते थे जो कि मलविंदर के लिए बहुत बड़ी सफलता थी। इसमें सभी जान पहचान वालों ने पूरा साथ दिया जिस तरह धीरे-धीरे करके उनके एक-एक उत्पाद की मार्केटिंग होने लग गई, जिससे बेशक उनके मार्केटिंग का काम चल पड़ा था और इस दौरान वे पढ़ाई भी साथ-साथ कर रहे थे और जब कॉलेज जाते थे वहां हमेशा ही उनके प्रोफेसर मलविंदर से बातचीत करते और फिर वे अपने आर्गेनिक उत्पादों के बारे में उन्हें बताने लग जाते जिससे उनके उत्पाद प्रोफेसर भी लेने लगे और मार्केटिंग में प्रसार होने लग गया।

इससे मलविंदर ने सोचा कि क्यों ना शहर के लोगों के साथ मीटिंग करके अपने उत्पादों के बारे में अवगत करवाया जाए जिसमें उनके प्रोफेसर, रिश्तेदारों और दोस्तों के द्वारा जो अच्छे तरीके से उन्हें जानते थे मीटिंग बुला ली। जब उन्होंने अपने उत्पादों के बारे में लोगों को अवगत करवाया तो एक-एक उत्पाद करके लेकर जाना शुरू कर दिया।

इस तरह करते हुए साल 2016 के अंत तक मलविंदर ने अपने साथ पक्के ग्राहक जोड़ लिए जो कि तकरीबन 80 के करीब हैं और हमेशा ही उनसे सामान लेते हैं और साथ ही उन्होंने अपने खेती में भी वृद्धि कर दी एक एकड़ से शुरू की खेती को 3 एकड़ में करना शुरू कर दिया जिससे उनका मार्केटिंग में इतनी जल्दी प्रसार हुआ कि जहां वे एक उत्पाद खरीदते थे वहीं उनके और उत्पाद की भी बिक्री होने लग गई।

2016 में मलविंदर जी कामयाब हुए और उस समय उन्होंने 2018 में सब्जियों की काश्त करनी भी शुरू कर दी, जिसकी बहुत ज्यादा मांग है साल 2021 तक आते आते उन्होंने 3 एकड़ की खेती को 8 एकड़ में फैला दिया जिसमें घर में हर एक उपयोग में आने वाली वस्तुएं उगाने लगे और उनकी प्रोसेसिंग करते हैं। इस दौरान एक ट्रॉली भी तैयार की हुई है जो कि पूरी तरह पोस्टर लगाकर सजाई हुई है और इसके साथ एक किसान हट भी खोली हुई है जहां सारा शुद्ध, साफ और आर्गेनिक सामान रखा हुआ है, उन्होंने प्रोसेसिंग करने के लिए मशीनें रखी हुई हैं और उत्पाद की बढ़िया तरीके से पैकिंग करके नीलोवालिया नैचुरल फार्म नाम से बेच रहे हैं।

जिससे जो काम उन्होंने पहले छोटे स्तर पर शुरू किया था उसके चर्चे अब पूरे पंजाब में है और पढ़े लिखे इस नौजवान ने साबित किया कि खेती केवल खेतों में मिट्टी से मिट्टी होना ही नहीं, बल्कि मिट्टी में से निकलकर लोगों के सामने निखर कर सामने लेकर आना और उसे रोजगार बनाना ही खेती है।

भविष्य की योजना

वे खेती में हर एक चीज़ का तज़ुर्बा करना चाहते हैं और मार्केटिंग चैनल बनाना चाहते हैं जिससे वे अपने और साथ के किसानों की सारी उपज स्वयं मंडीकरण करके बेच सकें और किसानों को अपनी मेहनत का मुल्य मिल सके।

संदेश

खेती बेशक करो पर वह करो जिससे किसी की सेहत के साथ खिलवाड़ ना हो और यदि हो सके तो ओरगैनिक खेती को ही पहल दें यदि खुशहाल इस दुनिया को देखना चाहते हैं और कोशिश करते रहें कि अपनी फसल स्वंय मंडीकरण करके बेच सकें।

रिषभ सिंगला

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हरियाणा का 23 साल का नौजवान बन रहा है दूसरे नौजवानों के लिए मिसाल

बेरोज़गारी के इस दौर में एक तरफ जहाँ हमारी युवा पीढ़ी नशों की तरफ जा रही है या विदेशों में रहने के बारे में सोच रही है, वहां ही दूसरी तरफ हरियाणा का 23 साल का नौजवान कुछ अनोखा करके बाकि लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बन रहे है। जी हां हरियाणा के रिषभ सिंगला, जो कि अपनी BBA पढ़ाई पूरी कर चुके हैं, अपनी ज़िन्दगी में कुछ अलग करने की इच्छा रखते थे। आज-कल बच्चे से लेकर बुज़ुर्ग सभी ही चॉकलेट के शौक़ीन हैं। इसलिए रिशभ चॉकलेट बनाने के बारे में सोचने लगे। रिशभ को पढ़ाई करते हुए ही पता चला कि कोको प्लांट्स की आर्गेनिक खेती कर्नाटक में होती है, पर उन्हें इसके बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं थी, क्योंकि रिशभ के पिता धूप-अगरबत्ती की ट्रेडिंग का व्यापार करते हैं। इसके लिए कोको प्लांट्स के बारे में अधिक जानकारी हासिल करने के लिए COORG (कर्नाटक) गए। उन्होंने जानकारी हासिल करने के बाद चॉकलेट तैयार करने का इरादा बनाया।

फरवरी 2018 में पहली बार कर्नाटक के किसानों से आर्गेनिक कोको बीन्स लेकर रिशभ ने घर पर ही मिक्सर ग्राइंडर के साथ कोको बीन्स पीसकर चॉकलेट तैयार की। हालाँकि पहले उनको इस काम में कठिनाई आई पर उन्होंने हार नहीं मानी। रिशभ ने अन्य कई किस्मों की चॉकलेट तैयार की और उनको इस काम में सफलता भी मिली। इस तरह उनके द्वारा घर में चॉकलेट तैयार करने का सिलसिला शुरू हो गया। पहले उनके परिवार के सदस्य ही इस काम में उनकी मदद करते थे, पर काम ज़्यादा होने के कारण उन्होंने 8 घरेलू महिलाओं को अपने काम में शामिल कर लिया और उनको रोज़गार उपलब्ध करवाया।

“मेरे अनुसार, भले ही इस व्यवसाय में मुनाफा कम हो लेकिन चॉकलेट की गुणवत्ता अच्छी होनी चाहिए, क्योंकि आज कल के दौर में मिलावटी चीजें बहुत बेची जाती हैं, जो लोगों के स्वस्थ के लिए हानिकारक होती हैं।” – रिशभ सिंगला

अपनी सोच के अनुसार ही रिशभ केवल आर्गेनिक तौर पर कोको बीन्स ही खरीदते हैं और इनसे ही चॉकलेट तैयार करते हैं। अब रिशभ बंगाल में तैयार किये आर्गेनिक कोको बीन्स ही चॉकलेट तैयार करने के लिए खरीदते हैं।

कोको बीन्स के बारे में पूरी जानकारी हासिल करने और उनसे चॉकलेट तैयार करने के बाद रिशभ अब चॉकलेट की पैकिंग भी स्वयं करते हैं। रिशभ चॉकलेट की पैकिंग इतने आकर्षक तरीके से करते हैं कि चॉकलेट की पैकिंग देखकर ही उसकी गुणवत्ता का अंदाज़ा लग जाता है। वह चॉकलेट की पैकिंग इस तरीके से करते हैं कि जो भी उसे देखता है चॉकलेट खाने के बिना नहीं रह सकता।

नौजवान होने के कारण रिशभ सब की ज़िंदगी में सोशल मीडिया के महत्व को अच्छी तरह से समझते हैं। उन्होंने सोशल मीडिया को सार्थक रूप में उपयोग करते हुए अपने ब्रांड “शियाम जी चॉकलेट” की मार्केटिंग ऑनलाइन करनी शुरू की। इससे उनके व्यवसाय को एक नई दिशा मिली।

“जो काम हाथों से अच्छी तरह और सफाई से हो सकता है, वह काम मशीनों से नहीं किया जा सकता। पर मशीनें काम को बहुत आसान बना देती हैं।” –  रिशभ सिंगला

शियाम जी चॉकलेट द्वारा तैयार किये गए उत्पाद:-

  • 85% आर्गेनिक डार्क चॉकलेट बार
  • 75% आर्गेनिक डार्क चॉकलेट बार
  • 55% आर्गेनिक डार्क चॉकलेट बार
  • 19% आर्गेनिक डार्क चॉकलेट बार इन डिफरेंट फ्लेवर्स
  • सी साल्ट आर्गेनिक चॉकलेट बार

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फेस्टिवल आइटम

  • फेस्टिव सेलिब्रेशन एसोरटिड असॉर्टेड 15 पीस चॉकलेट बॉक्स

भविष्य की योजना:

रिशभ अब भी घर में ही चॉकलेट तैयार करते हैं, पर वह भविष्य में अपनी चॉकलेट की फैक्टरी लगाना चाहते हैं, जिसमें वह प्रोसेसिंग के लिए नई मशीनें और तकनीक इस्तेमाल करेंगे।

भले ही रिशभ को इस काम को शुरू किये हुए अभी एक साल का समय हुआ है, पर वह आगे भी इस क्षेत्र में अपना ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं और चॉकलेट की गुणवत्ता को बढ़ाना चाहते हैं।

संदेश
“रिशभ सिंगला आर्गेनिक उत्पाद तैयार करते हैं और वह दूसरे नौजवानों को भी यह संदेश देना चाहते हैं कि वह आर्गेनिक तौर पर तैयार किये गए उत्पादों का प्रयोग करें और बिमारियों से दूर रहें, क्योकि स्वास्थ्य सबसे ज़रूरी है।”