अमनदीप कौर

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एक ऐसी लड़की की कहानी, जो उभरते हुए कौशल के साथ अपने पैरों पर खड़ा होने और रसोई कला से समाज में अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रही है

यह कहा जाता है कि जो लोग अपने जीवन में कुछ हासिल करना चाहते हैं, उनके लिए केवल एक छोटी सी प्रेरणा ही पर्याप्त होती है। भगवान ने हर किसी को उपहार के साथ भेजा है, उनमें से कुछ ही उस अपनी प्रतिभा को पहचान पाते हैं और अधिकांश लोग विश्वास की कमी के कारण ऐसा करने की हिम्मत नहीं करते। लेकिन मोगा की एक लड़की ने अपनी प्रतिभा को पहचाना और आत्मनिर्भर होने के लिए अपने पैरों पर खड़े होने की हिम्मत की।

अमनदीप कौर (25 वर्षीय) एक उभरती उद्यमी है जो समाज में अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रही है जैसे कि हम सब जानते हैं कि हर नेता के पीछे एक संघर्ष का अनुभव होता है जो उसे उस स्थान तक पहुंचाने के लिए उत्साहित करता है, उसी तरह अमनदीप के साथ भी है। वह अन्य लड़कियों के समान एक युवा और उत्साही लड़की है लेकिन उसका दृढ़ संकल्प है, जो उसे दूसरों से अलग करता है। वर्तमान में वह अपने भाई और मां के साथ रह रही है, उसके पिता का बहुत समय पहले निधन हो गया था और आर्थिक तंगी के कारण उसने 10 वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी, लेकिन जैसा कि हम सबने सुना है कि, जो लोग कुछ बड़ा करना चाहते हैं और भीड़ से बाहर खड़े होते हैं, उन्हें किसी प्रकार की कठिनाइयों से रोका नहीं जा सकता।

आज अमनदीप 7 लड़कियों के (स्वाति महिला सहकारी संस्था) ग्रुप का नेतृत्व कर रही है और इस ब्रांड नाम के तहत वह सफलता के कुछ कदम उठा रही है। इस समूह गठन के पीछे महिला लोक हितैषी श्री मती सुंदरा का हाथ है। श्रीमती सुंदरा ने एक छोटी सी प्रेरणा अमनदीप को दी जो उसके लिए लड़कियों को इक्ट्ठा करने और अपने घर से तैयार चटनी और आचार का व्यवसाय शुरू करने के लिए काफी थी।

अमनदीप कौर ने बताया कि श्री मती सुंदरा ने 2003 में उनके गांव का दौरा किया, उन्हें इक्ट्ठा कर जागरूक किया कि उनके पास क्या क्षमताएं है और वे बेकार रहने की बजाय अपने कौशल को कैसे उपयोगी बना सकते हैं। वह अमनदीप और अन्य लड़कियों को आचार, चटनी और कई अन्य खाद्य उत्पादों, जैसे घर के उत्पादों को बनाने की ट्रेनिंग में दाखिला लेने में भी मदद करती है और उन्हें आगे अध्ययन करने के लिए प्रेरित करती हैं।

अमनदीप ना केवल कमाने और अपने परिवार को समर्थन देने के लिए काम कर रही है बल्कि समाज में अपनी पहचान बनाने के लिए भी काम कर रही है। वह अपने काम के प्रति काफी भावुक है और उसने घर से बने उत्पादों में शिक्षा लेने की योजना बनाई है ताकि वह विभिन्न खाद्य उत्पादों को बाज़ार में बिक्री के लिए ला सके। अन्य लड़कियों के नाम परमिंदर, बलजीत, रणजीत, गुरप्रीत, चन्नी, मंजीत, पवनदीप। ये लड़कियां शुरूआती 20 वें वर्ष या उससे कम उम्र की हैं लेकिन कुछ परिस्थितयों के कारण उन्हें अपनी शिक्षा बीच में ही छोड़नी पड़ी। उनके अध्ययन को जारी रखने, नई चीज़ों का पता लगाने, अपनी आजीविका अर्जित करने और आत्मनिर्भर होने के लिए उनमें उत्साह अभी भी है। सभी लड़कियां अपने काम के प्रति बहुत उत्साहित हैं और वे व्यवसाय के साथ अपने अध्ययन को जारी रखने में रूचि रखती हैं।

अमनदीप और उसके ग्रुप के बाकी सदस्य काफी मेहनती हैं और जानते हैं कि अपने काम का कुशलता से कैसे प्रबंध करना है। वे आचार, चटनी और इत्र बनाने के लिए स्वंय बाज़ार (सब्जी मंडी) से कच्चा माल खरीदते हैं। वे 10 प्रकार के आचार, 2 प्रकार की चटनी, और 3 प्रकार का इत्र और कैंडिज़ भी बनाते हैं। सब कुछ उनके द्वारा हाथों से बनाया गया है और बिना किसी रसायन के शुद्ध रूप से प्राकृतिक हैं। उनके द्वारा बनाए गए उत्पादों में आचार, चटनी और कैंडिज़ बहुत स्वादिष्ट होते हैं और वास्तविक स्वाद वाले हैं और आपको अपनी दादी के हाथ का स्वाद याद दिलायेंगे।

आम की चटनी, लच्छा निंबू का आचार, अदरक का आचार और लहसुन का आचार सबसे अधिक बिकने वाले उत्पाद हैं। वे कई प्रदर्शनियों और इवेंट्स में जाते हैं ताकि वे अपने हाथों से बने प्राकृतिक उत्पादों को बेच सकें और इसके अलावा वे अपने उत्पाद को बेचने के लिए व्यक्तिगत रूप से विभिन्न समाजों और विभिन्न जिलों के समितियों का दौरा करते हैं। अब तक वे फतेहगढ़, फिरोज़पुर, लुधियाना और मोगा में गए हैं और आने वाले समय में अधिक से अधिक शहरों में जायेंगे। आमतौर पर वे एक दिन में लगभग 100 डिब्बे बनाते हैं।

वर्तमान में इस ग्रुप की कुल आय केवल 20000 रूपये प्रति महीना है और उनके लिए इस तरह की कम आमदन में प्रबंधन करना बहुत मुश्किल है। इसका कारण यह है कि उनके उत्पाद को बेचने के लिए उनके पास उचित प्लेटफॉर्म नहीं है और बहुत कम लोग स्वाति महिला सहकारी समिति के बारे में जानते हैं। उनके अनुसार यह सिर्फ शुरूआत है और इस प्रकार की कठिनाइयां कभी भी उन्हें निराश नहीं कर सकती और जो काम वे कर रही हैं वो करने से उन्हें नहीं रोक सकती।


अमनदीप कौर द्वारा संदेश
हर लड़की को अपना कौशल पहचानना चाहिए और उन्हें अपने दम पर आत्मनिर्भर होने के लिए बुद्धिमानी से इसका उपयोग करना चाहिए। आज, महिलाओं को दूसरों पर निर्भर नहीं होना चाहिए। उन्हें आत्म निर्धारित और स्व- नियंत्रण होना चाहिए क्योंकि यह अच्छा लगता है जब आप में अपनी इच्छाओं को पूरा करने की शक्ति होती है। रास्ता दिखाने में शिक्षा बहुत आवश्यक है। काम और आत्मनिर्भरता आपको महसूस करवाते हैं कि आप क्या हैं। इसलिए हर लड़की को अपनी शिक्षा पूरी करनी चाहिए और रूचि के अनुसार उन्हें अपना रास्ता चुनना चाहिए जो उन्हें अच्छा जीवन जीने में मदद करता है।

परमजीत कौर

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कैसे एक उद्यमी सिख महिला ने अपनी हठ के एक सफल उद्योगपति बनने के लिए मील पत्थर रखा – माई भागो सैल्फ हैल्प ग्रुप

पुराने समय से ही समाज में पुरूषों के साथ-साथ महिलाओं ने अपना बहुत योगदान दिया है, पर अक्सर ही महिलाओं के योगदान को अन- देखा कर दिया जाता है। भारत में ऐसी बहुत महिलाएं हैं, जिन्होंने पुराने समय में अपने देश, समाज और लोगों पर राज किया, उन्हें सिखाया और उनकी सेवा की। उन्होंने संस्थाओं का प्रबंधन किया, समाज का नेतृत्व किया और शत्रुओं के विरूद्ध विद्रोह किया। यह सभी उपलब्धियां प्रशंसायोग हैं। ये सभी शूरवीर महिलाएं पुराने और आज के समय में भी उन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं। एक ऐसी महिला परमजीत कौर, जो महान सिख शूरवीर महिला माई भागो से प्रेरित हैं और एक उभरती हुई उद्यमकर्त्ता हैं।

परमजीत कौर जी ताकत और विश्वास वाली महिला हैं जिन्होंने अपने गांव लोहारा (लुधियाना) में माई भागो ग्रुप स्थापित करने के लिए पहला कदम उठाया। उन्होंने यह ग्रुप 2008 में शुरू किया था और आज भी वे अपना सबसे अधिक समय इस कारोबार को बढ़ाने और उत्पादों को सुधारने में लगाती हैं। खैर, इसमें कोई शक नहीं कि एक महिला होते हुए इस पुरूष जगत में अपना कारोबार स्थापित करना आसान नहीं होता है।

यह परमजीत कौर जी की इच्छा शक्ति और पारिवारिक सहयोग ही था जिस कारण उन्हें यह ग्रुप बनाने में बहुत सहायता मिली। जैसे कि हर काम की शुरूआत के लिए एक अच्छे मार्गदर्शक की जरूरत होती है, इसी तरह स्वंय ग्रुप तैयार करने के लिए परमजीत कौर जी के उत्साह के पीछे समाज सेविका सुमन बंसल जी का बहुत बड़ा योगदान है, जिन्होंने परमजीत कौर जी की पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी, लुधियाना में घरेलू भोजन उत्पाद की एक महीने की मुफ्त ट्रेनिंग में बहुत मदद की। उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। आज उनके ग्रुप में 16 मैंबर हैं और वे प्रत्येक व्यक्ति को निजी तौर पर समझाती हैं।

माई भागो ग्रुप द्वारा सात तरह के स्कवैश (शरबत), इत्र, जल जीरा, फिनाइल, बॉडी मॉइश्चराइज़िंग बाम, सब्जी तड़का, शहद, हर्बल शैंपू और आम की चटनी आदि। परमजीत कौर जी स्वंय बाज़ार से जाकर सभी उत्पादों का कच्चा माल खरीद कर लाती हैं। माई भागो ग्रुप द्वारा बनाये गये सभी उत्पाद हाथों से तैयार किए जाते हैं और फलों का जूस निकालने, पैकिंग और सील लगाने के लिए मशीनों का प्रयोग किया जाता है।

• सभी स्कवैश (शरबत) फलों से कुदरती ढंग द्वारा तैयार किए जाते हैं और इनका स्वाद वास्तविक फलों के जैसा ही होता है।

• इत्र विभिन्न विभिन्न तरह के गुलाबों से तैयार किए जाते हैं, जिनमें गुलाबों की कुदरती खुशबू महसूस की जा सकती है।

• जल जीरा पाउडर ताजगी का स्वाद देता है।

• शुद्ध शहद कुदरती प्रक्रिया से निकाला जाता है।

• हर्बल शैंपू में किसी भी तरह के रसायनों का प्रयोग नहीं किया जाता।

• इनके कुछ ही उत्पाद ऊपर बताए गए हैं, पर भविष्य में ये अन्य भी बहुत सारे कुदरती और हर्बल उत्पाद लेकर आ रहे हैं।

परमजीत कौर जी केवल 10 वीं पास हैं, पर उनकी प्राप्तियां और कुछ हासिल करने के पक्के इरादों से ही कॉपरेटिव सोसाइटी की 55वीं समारोह पर उन्होंने कैप्टन कंवलजीत सिंह से पुरस्कार और 50000 की नकद राशि हासिल की। पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी, लुधियाना से प्रशंसायोग काम के लिए पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके इलावा वे समारोह, प्रदर्शनियों और किसानों, सैल्फ हैल्प ग्रुप और उद्यमकर्त्ता की वैल्फेयर कमेटियों में हिस्सा लेते हैं। वे और उनके पति कॉपरेटिव सोसाइटी के सैक्टरी हैं और वे जरूरतमंद लोगों की सहायता के लिए फैसले भी लेते हैं। वे किसान क्लब के भी मैंबर हैं और वे महीनेवार मीटिंगों और किसान मेलों में भी नियमित तौर पर पहुंचते हैं, ताकि खेतीबाड़ी के क्षेत्र से संबंधित नई चीज़ें और तकनीकों की जानकारी हासिल कर सकें।

इतने काम और अपने कारोबार में व्यस्त होने के बावजूद भी परमजीत कौर जी अपने बच्चों और पारिवारिक जिम्मेवारियों के प्रति लापरवाही नहीं दिखाते। वे अपने बच्चों की पढ़ाई के प्रति पूरा ध्यान देते हैं और उनकी उच्च शिक्षा के लिए कॉलेज भेजना चाहते हैं, ताकि वे अपनी आने वाली ज़िंदगी को ओर अच्छा बना सकें। इस समय उनका बेटा इलैक्ट्रीकल में डिप्लोमा कर रहा है और उनकी बेटी बी ए कर चुकी है और अब एम ए कर रही है। उनके बच्चे भविष्य में उनके कारोबार में योगदान देने के लिए दिलचस्पी रखते हैं और उन्हें जब भी अपनी पढ़ाई और कॉलेज से समय मिलता है, तो वे उनकी मदद के लिए समारोह और प्रदर्शनियों में भी जाते हैं।

इस व्यस्त दुनिया के इलावा, उनके कुछ शौंक हैं, जिनके लिए वे बहुत उत्सुक रहते हैं। उनका शौंक घरेलू बगीची तैयार करना और बच्चों को धार्मिक संगीत सिखाना है। चाहे वे जितने मर्ज़ी काम में व्यस्त हों, पर वे अपने व्यस्त कारोबार में अपने शौंक के लिए समय निकाल ही लेते हैं। उन्हें घरेलू बगीची का बहुत शौंक है और उनके घर छोटी सी घरेलू बगीची भी है, जहां उन्होंने मौसमी सब्जियां (भिंडी, सफेद बैंगन, करेले, मिर्च) आदि और हर्बल पौधे (घीकवार, तुलसी, सेज, अजवायन, पुदीना आदि) उगाये हैं। उनमें बच्चों को धार्मिक संगीत, संगीतक साज़ और गुरू ग्रंथ साहिब पढ़ने के तरीके सिखाने का बहुत जुनून है। शाम के समय नज़दीक के इलाकों से बच्चे बड़े जोश से हारमोनियम, सितार और तबला बजाना सीखने के लिए उनके पास आते हैं। वे बच्चों को ये सब कुछ मुफ्त में सिखाते हैं।

परमजीत कौर जी अपने गांव की महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। वे हमेशा स्वंय से कुछ करने की कोशिश करते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि स्वंय कुछ करने से महिलाओं में विश्वास आता है और वे आत्म निर्भर बनती हैं। यहां तक कि उन्होंने अपनी बेटी को भी कुछ करने से नहीं रोका, ताकि वह भविष्य में आत्म निर्भर बन सके। आज कल वे अपने ग्रुप की प्रमोशन अलग अलग तरह के प्लेटफॉर्म पर कर रहे हैं और इसे ओर बड़े स्तर पर ले जाने की योजना बना रहे हैं।


परमजीत कौर की तरफ से सन्देश

“परमजीत कौर जी अपने गांव की महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। वे हमेशा स्वंय से कुछ करने की कोशिश करते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि स्वंय कुछ करने से महिलाओं में विश्वास आता है और वे आत्म निर्भर बनती हैं। यहां तक कि उन्होंने अपनी बेटी को भी कुछ करने से नहीं रोका, ताकि वह भविष्य में आत्म निर्भर बन सके। आज कल वे अपने ग्रुप की प्रमोशन अलग अलग तरह के प्लेटफॉर्म पर कर रहे हैं और इसे ओर बड़े स्तर पर ले जाने की योजना बना रहे हैं।”