नवरूप सिंह गिल

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एक इंजीनियर की जीवन यात्रा जो किसान बन गया और कुदरत के तालमेल से मारूस्थल से भोजन प्राप्त कर रहा है

“खेती के गलत ढंगों से हम उपजाऊ भूमि को रेगिस्तान में बदल देते हैं। जब तक जैविक खेती की तरफ वापिस नहीं जाते और मिट्टी नहीं बचाते, तब तक तो हमारा कोई भविष्य नहीं” जग्गी वासुदेव

मिट्टी जीवों के लिए किसी जायदाद से कम नहीं है और सभी जीवों में से सिर्फ मनुष्य ही कुदरत की सबसे कीमती संपत्ति को प्रभावित करने या परिवर्तन करने में सक्षम है।

जग्गी वासुदेव के द्वारा बहुत सही कहा गया है कि हम खेती की गलत विधि का प्रयोग करके अपनी उपजाऊ ज़मीन को मारूस्थल में बदल रहे हैं। पर यहां हम एक व्यक्ति की कहानी को शेयर करने जा रहे हैं – नवरूप सिंह गिल, जो मिट्टी को अधिक उपजाऊ और कुदरती स्त्रोतों को कम जहरीला बनाकर मारूस्थल में से कुदरती तरीके से भोजन प्राप्त कर रहे हैं।

खेतीबाड़ी एक आशीर्वाद की तरह मनुष्य को प्राप्त हुई है, और इसे कुदरत के तालमेल से प्रयोग करके लोगों के कल्याण का खजाना हासिल किया जा सकता है। नवरूप सिंह गिल ने इस बात को बहुत अच्छी तरह समझा, बहुत समय पहले उन्होंने लोगों की तरक्की और कुदरत को बचाने के लिए कुदरती खेती की तरफ मुड़ने का फैसला किया।

नवरूप सिंह गिल विदेश में भी बहुत बढ़िया काम कर रहे थे, पर एक दिन उन्होंने भारत आकर अपने बड़े भाई के साथ खेतीबाड़ी में मदद करने का फैसला किया। जैसे ही उन्होंने जल्दी अपने आप को जीवन की समस्याओं के साथ जोड़ना शुरू किया। द्ढ़ता और आध्यात्मिक ज्ञान की लहर ने उन्हें एक नए रूप में बदल दिया।

“मेरा परिवार शुरू से ही खेतीबाड़ी के क्षेत्र में नहीं था। मेरे पिता जी कमलजीत सिंह गिल, एक बिज़नेसमैन थे और उन्होंने 1998 तक कपास की चिनाई और बुनाई की मिल चलायी। पर कुछ आर्थिक नुकसान और हालातों के कारण मिल बंद करनी पड़ी। उस समय हमने सोचा नहीं था कि यह बुरा अंत हमें एक अच्छी शुरूआत की तरफ ले जायेगा… उसके बाद मेरे पिता जी ने खेतीबाड़ी शुरू की और बड़े भाई की पढ़ाई पूरी होने के बाद, वह भी इस में शामिल हो गया। 2010 में मैं भी इस व्यवसाय में शामिल हो गया।”

पहले, नवदीप सिंह गिल कुदरती खेती करते थे, पर बड़े पैमाने पर नहीं। नवदीप ने छोटे भाई (नवरूप सिंह) की सहायता से धीरे-धीरे इसे बढ़ाना शुरू किया। एक-एक बचाया पैसा कुदरती खेती को बढ़ाने की तरफ कदम था।

एक और क्षेत्र, जिसमें नवरूप सिंह गिल जी का रूझान बना, वह था डेयरी फार्मिंग। यह उनका गायों के प्रति प्यार था। जिस कारण उन्होंने पशु पालन शुरू किया। उन्होंने शुरूआत में कुछ गायों से डेयरी फार्मिंग शुरू की और धीरे-धीरे फार्म में पशुओं की संख्या बढ़ायी।

2013 में “थार नैचुरल्ज़” का विचार दोनों भाइयों के मन में आया और फिर उन्होंने ज़मीन की तैयारी से कटाई करने तक के सभी व्यवसाय कुदरती तौर पर करने का फैसला किया। परिणामस्वरूप खेतों में रसायन और कीटनाशकों का प्रयोग करने वाले किसानों के मुकाबले उनकी फसल की पैदावार अधिक हुई। धीरे-धीरे “थार नैचुरल्ज़” प्रसिद्ध ब्रांड बन गया और गिल भाइयों ने अपने उत्पादों की सूची में और फसलें भी शामिल की।

यह नवरूप सिंह के सकारात्मक विचार और पारिवारिक सहयोग ही था, जिसने गिल परिवार को एक बार फिर शुरूआत करने में मदद की।

नवरूप सिंह और उनके परिवार के प्रयत्नों ने ही उनके कुदरती खेती के उद्यम को पहचान दिलाई और 2015 में कृषक सम्मान पुरस्कार मिला।

गिल परिवार को 2016 में भी कृषक सम्मान पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया।

2016 में कमलजीत सिंह गिल के तीसरे और सबसे छोटे पुत्र (रमनदीप सिंह गिल) ने विदेश से वापिस आने का फैसला किया और अपने भाई के कारोबार में हाथ बंटाने का फैसला किया और इस तरह तिकड़ी पूरी हो गई।

नवरूप सिंह गिल – “गिल परिवार के लिए थार नैचुरल्ज़, कुदरती खेती को बड़े स्तर पर उत्साहित करने और राजस्थान के साथ-साथ अन्य राज्यों के किसानों को इससे जान पहचान करवाने का तरीका है कि कुदरती खेती के द्वारा उच्च पैदावार और अच्छी गुणवत्ता आसानी से प्राप्त की जा सकती है और थार नैचुरल्ज़ पूरे परिवार के प्रयत्नों के बिना संभव नहीं था।”

आज थार नैचुरल्ज़ में अनाज, दालें, बाजरा, फल और सब्जियों की अलग-अलग किस्में तैयार की जाती हैं। इसे चार श्रेणियों में बांटा जा सकता है खेतीबाड़ी, खाद, डेयरी और बागबानी। वे हरी मूंग, काले चने, मेथी के बीज, सफेद चने, एलोवेरा, सनई के बीज और कनौला तेल आदि का भी उत्पादन करते हैं। कुछ विशेष उत्पाद, जो कुदरती खेती को उत्साहित करने के लिए वे अपने खेतों में प्रयोग करते हैं जीव अमृत, जियान, वर्मीकंपोस्ट। वे डेयरी उत्पाद भी बेचते हैं जैसे कि साहिवाल गाय का दूध और देसी घी।

इस समय नवरूप सिंह गिल अपने परिवार के साथ राजस्थान के जिला श्री गंगानगर की तहसील राये सिंह में स्थित गांव 58 आर.बी. में रहते हैं। श्री मती संदीप कौर गिल (सुपत्नी नवदीप सिंह), श्री मती गुरप्रीत कौर गिल (सुपत्नी नवरूप सिंह) और श्री मती रमनदीप कौर गिल (सुपत्नी रमनदीप सिंह) थार नैचुरल के गुप्त सहायक मैंबर हैं और घर के मुख्य अधिकारी की भूमिका निभाते हैं।

फार्म के आंकड़े

खेती तकनीक – पानी के प्रबंधन के लिए मलचिंग
उपकरण – ट्रैक्टर, ट्रॉली, हैरो और डिस्क आदि जैसी सभी ज़रूरी मशीनरी उपलब्ध है।
फसलें – ग्वार, बाजरा, मूंगी काले चने , सफेद चने, मेथी, सनई।
बागबानी फसलें – किन्नू, मौसमी सब्जियां, कनौला

डेयरी फार्मिंग – गिल परिवार के पास डेयरी फार्म में 100 से अधिक साहिवाल नसल की गायें हैं। नवरूप सिंह जी कुछ श्रमिकों की मदद से स्वंय ही डेयरी फार्म की देख-रेख करते हैं।

संदेश

“कुदरती खेती किसानों के लिए लंबे समय तक सफलता हासिल करने का एकमात्र रास्ता है।”

नवरूप सिंह गिल उन किसानों के लिए एक प्रमुख उदाहरण हैं, जो भविष्य में स्वंय को खेतीबाड़ी के क्षेत्र में सफल बनाना चाहते हैं। थार नैचुरल्ज़ एक मिसाल है कि किस तरह रसायनों और उपचारित किए बीजों वाली खेती के मुकाबले कुदरती खेती से भी समान मुनाफा लिया जा सकता है।

गुरप्रीत शेरगिल

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जानिये कैसे ये किसान पंजाब में फूलों की खेती में क्रांति ला रहे हैं

हाल के वर्षों में, भारत में उभरते कृषि व्यवसाय के रूप में फूलों की खेती उभर कर आई है और निर्यात में 20 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि फूलों के उद्योग में देखी गई है। यह भारत में कृषि क्षेत्र के विकास का प्रतिनिधित्व करने वाला एक अच्छा संकेत है जो कुछ महान प्रगतिशील किसानों के योगदान के कारण ही संभव हुआ है।

1996 वह वर्ष था जब पंजाब में फूलों की खेती में क्रांति लाने वाले किसान गुरप्रीत सिंह शेरगिल ने फूलों की खेती की तरफ अपना पहला कदम रखा और आज वे कई प्रतिष्ठित निकायों से जुड़ें फूलों की पहचान करने वाले प्रसिद्ध व्यक्ति हैं।

गुरप्रीत सिंह शेरगिल – “1993 में मकैनीकल इंजीनियरिंग में अपनी डिग्री पूरी करने के बाद, मैं अपने पेशे के चयन को लेकर उलझन में था। मैं हमेशा से ऐसा काम करता चाहता था जो मुझे खुशी दे ना कि वह काम जो मुझे सांसारिक सुख दे।”

गुरप्रीत सिंह शेरगिल ने कृषि के क्षेत्र का चयन किया और साथ ही उन्होंने डेयरी फार्मिंग अपने पूर्ण कालिक पेशे के रूप में शुरू किया। वे कभी भी अपने काम से संतुष्टि नहीं महसूस करते थे जिसने उन्हें अधिक मेहनती और गहराई से सोचने वाला बनाया। यह तब हुआ जब उन्हें एहसास हुआ कि वे गेहूं — धान के चक्र में फंसने के लिए यहां नहीं है और इसे समझने में उन्हें 3 वर्ष लग गए। फूलों ने हमेशा ही उन्हें मोहित किया इसलिए अपने पिता बलदेव सिंह शेरगिल की विशेषज्ञ सलाह और भाई किरनजीत सिंह शेरगिल के समर्थन से उन्होंने फूलों की खेती करने का फैसला किया। गेंदे के फूलों की उपज उनकी पहली सफल उपज थी जो उन्होंने उस सीज़न में प्राप्त की थी।

उसके बाद कोई भी उन्हें वह प्राप्त करने से रोक नहीं पाया जो वे चाहते थे… एक मुख्य व्यक्ति जिसे गुरप्रीत सिंह पिता और भाई के अलावा मुख्य श्रेय देते हैं वे हैं उनकी पत्नी। वे उनके खेती उद्यम में उनकी मुख्य स्तंभ है।

गेंदे के उत्पादन के बाद उन्होंने ग्लैडियोलस, गुलज़ाफरी, गुलाब, स्टेटाइस और जिप्सोफिला फूलों का उत्पादन किया। इस तरह वे आम किसान से प्रगतिशील किसान बन गए।

उनके विदेशी यात्राओं के कुछ आंकड़े

2002 में, जानकारी के लिए उनके सवाल उन्हें हॉलैंड ले गए, जहां पर उन्होंने फ्लोरीएड (हर 10 वर्षों के बाद आयोजित अंतर्राष्ट्रीय फूल प्रदर्शनी) में भाग लिया।

उन्होंने आलसमीर, हॉलैंड में ताजा फूलों के लिए दुनिया की सबसे बड़ी नीलामी केंद्र का भी दौरा किया।

2003 में ग्लासगो, यू.के. में विश्व गुलाब सम्मेलन में भी भाग लिया।

कैसे उन्होंने अपनी खेती की गतिविधियों को विभिन्नता दी

अपने बढ़ते फूलों की खेती के कार्य के साथ, उन्होंने वर्मीकंपोस्ट प्लांट की स्थापना की और अपनी खेती गतिविधियों में मछली पालन को शामिल किया।

वर्मीकंपोस्ट प्लांट उन्हें दो तरह से समर्थन दे रहा है— वे अपने खेतों में खाद का प्रयोग करने के साथ साथ इसे बाजार में भी बेच रहे हैं।

उन्होंने अपने उत्पादों की श्रृंख्ला बनाई है जिसमें गुलाब जल, गुलाब शर्बत, एलोवेरा और आंवला रस शामिल हैं। कंपोस्ट और रोज़वॉटर ब्रांड नाम “बाल्सन” और रोज़ शर्बत, एलोवेरा और आंवला रस “शेरगिल फार्म फ्रेश” ब्रांड नाम के तहत बेचे जाते हैं।

अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ उन्होंने कृषि के लिए अपने जुनून को एक सफल व्यवसाय में बदल दिया।

कृषि से संबंधित सरकारी निकायों ने जल्दी ही उनके प्रयत्नों को पहचाना और उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जिनमें से कुछ प्रमुख पुरस्कार हैं:

• 2011 में पी.ए.यू लुधियाना द्वारा पंजाब मुख्य मंत्री पुरस्कार

• 2012 में आई.सी.ए.आर, नई दिल्ली द्वारा जगजीवन राम अभिनव किसान पुरस्कार

• 2014 में आई.सी.ए.आर, नई दिल्ली द्वारा एन जी रंगा किसान पुरस्कार

• 2015 में आई.ए.आर.आई, नई दिल्ली द्वारा अभिनव किसान पुरस्कार

• 2016 में आई.ए.आर.आई, नई दिल्ली द्वारा किसान के प्रोग्राम के लिए राष्ट्रीय सलाहकार पैनल के सदस्य के लिए नामांकित हुए।

यहां तक कि, बहुत कुछ हासिल करने के बाद, गुरप्रीत सिंह शेरगिल अपनी उपलब्धियों को लेकर कभी शेखी नहीं मारते। वे एक बहुत ही स्पष्ट व्यक्ति हैं जो हमेशा ज्ञान प्राप्त करने के लिए विभिन्न सूचना स्त्रोतों की तलाश करते हैं और इसे अपनी कृषि तकनीकों में जोड़ते हैं। इस समय, वे आधुनिक खेती,फ्लोरीक्लचर टूडे, खेती दुनिया आदि जैसी कृषि पत्रिकाओं को पढ़ना पसंद करते हैं। वे कृषि मेलों और समारोह में भी सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। वे ज्ञान को सांझा करने में विश्वास रखते हैं और जो किसान उनके पास मदद के लिए आता है उसे कभी भी निराश नहीं करते। किसान समुदाय की मदद के लिए वे अपने ज्ञान का योगदान करके अपनी खेती विशेषज्ञ के रूप में एक प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।

गुरप्रीत शेरगिल ने यह करके दिखाया है कि यदि कोई व्यक्ति काम के प्रति समर्पित और मेहनती है तो वह कोई भी सफलता प्राप्त कर सकता है और आज के समय में जब किसान घाटों और कर्ज़ों की वजह से आत्महत्या कर रहे हैं तो वे पूरे कृषि समाज के लिए एक मिसाल के रूप में खड़े हैं, यह दर्शाकर कि विविधीकरण समय की जरूरत है और साथ ही साथ कृषि समाज के लिए बेहतर भविष्य का मार्ग भी है।

उनके विविध कृषि व्यवसाय के बारे में और जानने के लिए उनकी वैबसाइट पर जायें।