करमजीत सिंह

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बब्बनपुर में गुड़ उत्पादन को पुनर्जीवित करके किसानों के लिए बना एक मिसाल: करमजीत सिंह

करमजीत सिंह उत्तर भारत के मध्य में स्थित गांव बब्बनपुर के निवासी हैं जो अपने समर्पण, नवीनता (इनोवेशन) और गुणवत्ता के माध्यम से गुड़ उत्पादन और बिक्री में क्रांति लेकर आए। गन्ने की खेती के पारिवारिक विरासत को करमजीत जी एक नई ऊंचाइयों तक ले गए और उन्होंने गुड़ के नए-नए उत्पाद तैयार किये और जिसके बाद सीमाओं के पार भी अपने उत्पाद पहुंचाए। आज करमजीत न केवल निर्यात में उत्तम होने की इच्छा रखते हैं, बल्कि पंजाबी व्यंजनों को बढ़ावा देने का भी सपना देखते हैं। उनकी सफलता की कहानी साथी किसानों के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शक का काम करती है।

करमजीत सिंह का गुड़ उत्पादन एक लाभदायक व्यवसाय साबित हुआ है क्योंकि मंडियों में पारंपरिक फसल की बिक्री के मुकाबले उनके द्वारा तैयार किये गए उत्पाद में अधिक मुनाफा प्राप्त हुआ। एक स्टैंडर्ड सेट-अप स्थापित करने के लिए लगभग 18 लाख रुपये की आवश्यकता होती है। करमजीत ने दृढ़ संकल्प और सावधानीपूर्वक योजना के तहत 25 से 30 एकड़ में गन्ने की खेती करनी शुरू की और अपनी पूरी फसल को गुड़ उत्पादन करने में समर्पित किया। फसल को मिल में भेजने के बजाय, वह सभी कच्चे माल को अपने प्रोसेसिंग यूनिट में भेजते हैं, जिससे उत्पादों और गुणवत्ता पर पूर्ण नियंत्रण होता है।

करमजीत सिंह ने पारंपरिक फसल की बिक्री की तुलना में गुड़ उत्पादन से अधिक मुनाफा प्राप्त किया। उनके गुड़ और उससे बने उत्पादों की मांग की वृद्धि ने उनकी कुल कमाई में 40% का इज़ाफ़ा किया। इस उघमी बदलाव ने न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को ऊपर उठाया है बल्कि क्षेत्र के अन्य किसानों के लिए भी एक उदाहरण स्थापित की। कृषि के क्षेत्र में करमजीत जी की सफलता की कहानी विविधता और मूल्यवर्धन की क्षमता को दर्शाती है।

करमजीत जी के द्वारा गुड़ उत्पादन को प्राथमिकता देने और आवश्यक बुनियादी चीज़ों में निवेश करने का निर्णय उनके लिए फलदायी साबित हुआ। मंडियों में कच्चा गन्ना बेचने से मिलने वाले अनिश्चित आमदन पर भरोसा करने की बजाए, उन्होंने लाभदायक गुड़ उत्पादन और उसके विभिन्न स्वादों के लिए लाभदायक बाजार में कदम रखा । उनके इस कदम ने न केवल बेहतर वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित की, बल्कि करमजीत को उद्योग में अपनी पहचान स्थापित करने में भी सक्षम बनाया।

गुड़ उत्पादन के कार्य में करमजीत जी का सफर उनके दादा के साथ शुरू हुआ, जिन्होंने गन्ने की खेती शुरू की और पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी, लुधियाना से कई प्रशंसाएं हासिल कीं। दादा जी की उपलब्धियों से प्रेरित होकर, करमजीत के पिता जी ने 11 साल पहले गन्ने के लिए प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना की, जिसने करमजीत के भविष्य में करने वाले उद्यम की नींव रखी गई।

करमजीत जी ने अपने ज्ञान और कौशल को बढ़ाने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र से ट्रेनिंग ली और पी.ए.यू. से मार्गदर्शन प्राप्त किया। अपनी नई विशेषज्ञता का उपयोग करते हुए, उन्होंने अपने गुड़ उत्पादन में पंद्रह तरह के फ्लेवर पेश किए। शुरुआत में, करमजीत जी को अपने गांव के लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा, लेकिन अपनी लगन और उत्पादों की उच्च गुणवत्ता, अपग्रेड मशीनरी के साथ करमजीत जी ने धीरे-धीरे गाँव वालों का दिल जीत लिया। आज गांव के लोग न केवल उनके उत्पादों की सराहना करते हैं बल्कि उनकी उपलब्धियों पर भी गर्व करते हैं।

मार्केटिंग पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ करमजीत ने सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को अपनाया और किसान मेलों में हिस्सा लिया, जो व्यवसाय में उनका नाम स्थापित करने में सहायक साबित हुआ। इन इवेंट के माध्यम से उन्होंने अपने द्वारा पेश किए गए विभिन्न प्रकार के फ्लेवर को प्रदर्शित किया, जिससे दूर-दूर से आये ग्राहक आकर्षित हुए। उनके गुड़ उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय मार्किट में भी जगह मिली, जो उनकी उद्यमशीलता यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ।

करमजीत सिंह ने गुड़ उत्पादन में बेमिसाल सफलताएं हासिल की। खेतबाड़ी के क्षेत्र में अपने ज्ञान और समर्पण की वजह से अनेकों पुरस्कार प्राप्त किए, जिससे उन्हें पंजाब डेयरी फार्मर्स एसोसिएशन (पीडीएफए) में शामिल होने का अवसर मिला। 2019 में, करमजीत जी के शानदार प्रयासों से उन्हें पंजाब खेतीबाड़ी यूनीवर्सिटी से पहला पुरस्कार प्राप्त हुआ। इसके अलावा, खेती के तरीकों में उनके अनुभवों ने उन्हें मुख्यमंत्री द्वारा सम्मानित शीर्ष पांच किसानों में शामिल किया। उनकी प्रतिभा को नैशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनडीआरआई) करनाल से पुरस्कार से भी मान्यता मिली।

करमजीत के आगे बढ़ने का काम डेयरी फार्मिंग पर ही नहीं रुका। कृषि के लिए उनके जुनून ने उन्हें अपने प्रयासों में विविधता लाने के लिए प्रेरित किया। गन्ने की खेती के अलावा, वह अपनी 25 एकड़ ज़मीन पर मक्का और कपास की खेती करते हैं। करमजीत ने अपने गन्ना उत्पादन के उप-उत्पादों को एक मूल्यवान स्रोत के रूप में उपयोग किया। इसके अपशिष्ट का भी दोहरे उद्देश्य से प्रयोग किया जाता है, इसका उपयोग नवीकरणीय ईंधन स्रोत और पोषक तत्वों से भरपूर जैविक उर्वरक दोनों के रूप में किया जाता है। करमजीत सिंह जी ने डेयरी फार्मिंग में प्रशंसा पत्र भी हासिल किए हैं। वर्तमान में, उनके पशु पालन में उनके पास पाँच गाय और पाँच भैंस हैं, जो उनके बढ़ते कृषि उद्योग में योगदान देती हैं।

करमजीत को कार्य करते समय अनेकों चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उत्पादों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए निरंतरता और उत्कृष्टता सुनिश्चित करने के लिए श्रम की कड़ी निगरानी की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपने उत्पादों की प्रभावी ढंग से मार्केटिंग करने के लिए रचनात्मक योजना और निरंतर जुड़ाव की आवश्यकता होती है। हालाँकि, दृढ़ता और दृढ़ संकल्प के साथ, करमजीत ने इन बाधाओं को पार किया और बाजार में मजबूत पकड़ बनाई।

करमजीत की सफलता उनके संयुक्त परिवार के अटूट सहयोग के बिना संभव नहीं थी। उनकी दृष्टि, समर्पण और परिवार के विश्वास ने उनके सफर को बढ़ावा दिया है। इसके अलावा, करमजीत के बच्चों ने भी उनके काम में काफी रुचि दिखाई है, जिससे उनके उज्ज्वल भविष्य का मार्ग साफ़ हुआ है।

करमजीत जी का लक्ष्य अपने निर्यात व्यवसाय का बढ़ाने और प्रामाणिक पंजाबी व्यंजनों को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करना है, जिसमें मक्की की रोटी, सरसों का साग और मक्खन आदि शामिल हैं। वह अपने क्षेत्र के समृद्ध स्वादों को उजागर करते हुए उन्हें दुनिया के हर कोने में ले जाने की कल्पना करते हैं। इसके अलावा, करमजीत अपनी अधिक ज़मीन पर मक्की और कपास की खेती करते हुए विविध खेती अभ्यासों में शामिल होते रहना चाहते हैं।

किसानों के लिए संदेश

करमजीत जी गुड़ उत्पादन में उद्यम करने की इच्छा रखने वाले लोगों का मार्गदर्शन करने की इच्छा रखते हैं। वह किसानों से शुरूआती उत्पादन स्थापित करने से लेकर अंतिम उत्पादों के मंडीकरण तक, अपने कार्यों को बारीकी से जानने के लिए प्रेरित करते हैं। करमजीत का मानना है कि कृषि समुदाय की वृद्धि और समृद्धि के लिए ज्ञान और अनुभव सांझा करना महत्वपूर्ण है।

करमजीत सिंह भंगु

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मिलिए आधुनिक किसान से, जो समय की नज़ाकत को समझते हुए फसलें उगा रहा है

करमजीत सिंह के लिए किसान बनना एक धुंधला सपना था, पर हालात सब कुछ बदल देते हैं। पिछले सात वर्षों में, करमजीत सिंह की सोच खेती के प्रति पूरी तरह बदल गई है और अब वे जैविक खेती की तरफ पूरी तरह मुड़ गए हैं।

अन्य नौजवानों की तरह करमजीत सिंह भी आज़ाद पक्षी की तरह सारा दिन क्रिकेट खेलना पसंद करते थे, वे स्थानीय क्रिकेट टूर्नामेंट में भी हिस्सा लेते थे। उनका जीवन स्कूल और खेल के मैदान तक ही सीमित था। उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि उनकी ज़िंदगी एक नया मोड़ लेगी। 2003 में जब वे स्कूल में ही थे उस दौरान उनके पिता जी का देहांत हो गया और कुछ समय बाद ही, 2005 में उनकी माता जी का भी देहांत हो गया। उसके बाद सिर्फ उनके दादा – दादी ही उनके परिवार में रह गए थे। उस समय हालात उनके नियंत्रण में नहीं थे, इसलिए उन्होंने 12वीं के बाद अपनी पढ़ाई छोड़ने का फैसला किया और अपने परिवार की मदद करने के बारे में सोचा।

उनका विवाह बहुत छोटी उम्र में हो गया और उनके पास विदेश जाने और अपने जीवन की एक नई शुरूआत करने का अवसर भी था पर उन्होंने अपने दादा – दादी के पास रहने का फैसला किया। वर्ष 2011 में उन्होंने खेती के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया। उन्होंने छोटे रकबे में घरेलु प्रयोग के लिए अनाज, दालें, दाने और अन्य जैविक फसलों की काश्त करनी शुरू की। उन्होंने अपने क्षेत्र के दूसरे किसानों से प्रेरणा ली और धीरे धीरे खेती का विस्तार किया। समय और तज़ुर्बे से उनका विश्वास और दृढ़ हुआ और फिर करमजीत सिंह ने अपनी ज़मीन ठेके पर से वापिस ले ली।
उन्होंने टिंडे, गोभी, भिंडी, मटर, मिर्च, मक्की, लौकी और बैंगन आदि जैसी अन्य सब्जियों में वृद्धि की और उन्होंने मिर्च, टमाटर, शिमला मिर्च और अन्य सब्जियों की नर्सरी भी तैयार की।

खेतीबाड़ी में दिख रहे मुनाफे ने करमजीत सिंह की हिम्मत बढ़ाई और 2016 में उन्होंने 14 एकड़ ज़मीन ठेके पर लेने का फैसला किया और इस तरह उन्होंने अपने रोज़गार में ही खुशहाल ज़िंदगी हासिल कर ली।

आज भी करमजीत सिंह खेती के क्षेत्र में एक अनजान व्यक्ति की तरह और जानने और अन्य काम करने की दिलचस्पी रखने वाला जीवन जीना पसंद करते हैं। इस भावना से ही वे वर्ष 2017 में बागबानी की तरफ बढ़े और गेंदे के फूलों से ग्लैडियोलस के फूलों की अंतर-फसली शुरू की।

करमजीत सिंह जी को ज़िंदगी में अशोक कुमार जी जैसे इंसान भी मिले। अशोक कुमार जी ने उन्हें मित्र कीटों और दुश्मन कीटों के बारे में बताया और इस तरह करमजीत सिंह जी ने अपने खेतों में कीटनाशकों के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाया।

करमजीत सिंह जी ने खेतीबाड़ी के बारे में कुछ नया सीखने के तौर पर हर अवसर का फायदा उठाया और इस तरह ही उन्होंने अपने सफलता की तरफ कदम बढ़ाए।

इस समय करमजीत सिंह जी के फार्म पर सब्जियों के लिए तुपका सिंचाई प्रणाली और पैक हाउस उपलब्ध है। वे हर संभव और कुदरती तरीकों से सब्जियों को प्रत्येक पौष्टिकता देते हैं। मार्किटिंग के लिए, वे खेत से घर वाले सिद्धांत पर ताजा-कीटनाशक-रहित-सब्जियां घर तक पहुंचाते हैं और वे ऑन फार्म मार्किट स्थापित करके भी अच्छी आय कमा रहे हैं।

ताजा कीटनाशक रहित सब्जियों के लिए उन्हें 1 फरवरी को पी ए यू किसान क्लब के द्वारा सम्मानित किया गया और उन्हें पटियाला बागबानी विभाग की तरफ से 2014 में बेहतरीन गुणवत्ता के मटर उत्पादन के लिए दूसरे दर्जे का सम्मान मिला।

करमजीत सिंह की पत्नी- प्रेमदीप कौर उनके सबसे बड़ी सहयोगी हैं, वे लेबर और कटाई के काम में उनकी मदद करती हैं और करमजीत सिंह खुद मार्किटिंग का काम संभालते हैं। शुरू में, मार्किटिंग में कुछ समस्याएं भी आई थी, पर धीरे धीरे उन्होने अपनी मेहनत और उत्साह से सभी रूकावटें पार कर ली। वे रसायनों और खादों के स्थान पर घर में ही जैविक खाद और स्प्रे तैयार करते हैं। हाल ही में करमजीत सिंह जी ने अपने फार्म पर किन्नू, अनार, अमरूद, सेब, लोकाठ, निंबू, जामुन, नाशपाति और आम के 200 पौधे लगाए हैं और भविष्य में वे अमरूद के बाग लगाना चाहते हैं।

संदेश

“आत्म हत्या करना कोई हल नहीं है। किसानों को खेतीबाड़ी के पारंपरिक चक्र में से बाहर आना पड़ेगा, केवल तभी वे लंबे समय तक सफलता प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा किसानों को कुदरत के महत्तव को समझकर पानी और मिट्टी को बचाने के लिए काम करना चाहिए।”

 

इस समय 28 वर्ष की उम्र में, करमजीत सिंह ने जिला पटियाला की तहसील नाभा में अपने गांव कांसूहा कला में जैविक कारोबार की स्थापना की है और जिस भावना से वे जैविक खेती में सफलता प्राप्त कर रहे हैं, उससे पता लगता है कि भविष्य में उनके परिवार और आस पास का माहौल और भी बेहतर होगा। करमजीत सिंह एक प्रगतिशील किसान और उन नौजवानों के लिए एक मिसाल हैं, जो अपने रोज़गार के विकल्पों की उलझन में फंसे हुए हैं हमें करमजीत सिंह जैसे और किसानों की जरूरत है।