श्रुती गोयल

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खुद को चुनौती देकर फिर उससे लड़ना और सफल होना सीखें इस उद्यमी महिला से- श्रुती गोयल

हर इंसान की हमेशा यही कोशिश होती है कि वह जिंदगी में कुछ अलग करे जिससे उसकी पहचान उसके नाम से नहीं बल्कि उसके काम से हो और बहुत इंसान ऐसे होते हैं जिनके पास पहचान तो होती है पर वह यह सोचते हैं कि पहचान मैं किसी के नाम की नहीं बल्कि अपने नाम और काम की बनानी है।

भारत की पहली ऐसी महिला श्रुती गोयल जिनको फ़ूड प्रोसेसिंग में 2 लाइसेंस सरकार की तरफ से प्राप्त हुए हैं, जो गांव जगराओं, ज़िला लुधियाना की रहनी वाली हैं। इनकी सोच इतनी विशाल है कि इन्होंने अपने परिवार का नाम और पहचान होते हुए भी अपनी अलग पहचान बनाने का काम किया और उसमें कामयाब होकर दिखाया।

मैं खुद कुछ अलग करना चाहती थी- श्रुती गोयल

वैसे श्रुति की पहचान उनकी मां अनीता गोयल के कारण ही बनी थी। जो ज़ाइका फ़ूड नाम का एक ब्रांड बाज़ार में लेकर आए और आज बहुत बड़े पैमाने पर काम कर रहे हैं। वहां हर कोई अच्छी तरह से उन्हें जानता है और पहले श्रुति जी आमला कैंडी पर काम कर रही थी जो ज़ाइका फ़ूड को पेश कर रहा था।

शुरू के समय में श्रुती अपने माता अनीता गोयल जी के साथ काम करते थे और खुश भी थे, जहां पर श्रुती को फ़ूड प्रोसेसिंग मार्केटिंग के बारे में बहुत कुछ पता चल चुका था और अक्सर जब कभी भी मार्केटिंग करने जाते थे तो अधिकतर वह ही जाते है थे। जिससे दिन प्रतिदिन इन उत्पादों के बारे में जानकारी मिलती रही। पर मन में हमेश एक बात थी यदि कोई काम करना है तो खुद का ही करना है और अलग पहचान बनानी है।

साल 2020 के फरवरी महीने में श्रुती जी ज़ाइका फ़ूड को पेश करते हुए एक SIDBI के मेले में गए थे, वहां उनकी मुलाकात SIDBI बैंक के GM राहुल जी के साथ हुई। मुलाकात के दौरान राहुल जी ने बोला, बेटा आप खुद की पहचान बनाने के लिए काम करें क्योंकि आपके काम करने का तरीका सबसे अलग और अच्छा है, तुम अपना काम अलग से करने के बारे में ज़रूर सोचना।

मेरे मन में बहुत से सवाल खड़े होने लगे, मैं ऐसा क्यों करूं जिससे मेरी पहचान बने- श्रुती गोयल

उन्हें चुनौती लेना बहुत पसंद है और इसे ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ते गए पर उन्हें यह नहीं पता था कि करना क्या है। एक दिन वह कहीं प्रोग्राम में गए, तो वहां उन्होंने सजावट की तरफ देख रहे थे तो उनका ध्यान गुलाब के फूलों की ओर गया और जब प्रोग्राम खत्म हुआ तो देखते हैं कि कर्मचारी ताजे फूलों को कचरे में फेंक रहे थे। जिसे देखकर उनका मन उदास हो गया क्योंकि गुलाब एक ऐसा फूल है जो सुंदरता के लिए पहले नंबर पर आता है।

जब वह घर आए तो वह बार-बार उसी के बारे में सोचने लगे कि क्या किया जाए जिससे फूल बेकार न हो और फूलों का सही प्रयोग किया जाए।

बहुत समय रिसर्च करने के बाद उनके मन में यह ख्याल आया क्यों न गुलाब की पत्तियों को इकट्ठा करके जैम बनाया जाए जो गुलकंद मुक्त हो और उसमें किसी भी प्रकार की मिलावट न हो। उन्होंने फ़ूड नुट्रिशन पर पहले से ही एक साल की ट्रेनिंग की हुई थी, श्रुती जी के लिए एक बात बहुत ही फायदेमंद साबित हुई, क्योंकि उन्हें जानकारी तो बहुत थी और दूसरा वह अपने माता जी के साथ प्रोसेसिंग और मार्केटिंग का काम करते थे।

पर इतना रिसर्च करने के बाद एक समस्या थी कि परिवार वाले अलग काम करने के लिए मानेंगे या नहीं, और जब हुई तो परिवार वालों ने मना कर दिया। उस समय माता जी कहा बेटा जायका फ़ूड का काम बहुत अच्छा चल रहा है, उसमें है ही मेहनत करते हैं। पर श्रुती जी का होंसला अटूट था और बाद में श्रुती जी ने उन्हें मना लिया ।

इसके बाद श्रुती जी ने गुलाब की पत्तियों को इकट्ठा करके उस पर काम करना शुरू कर दिया इसमें उनका साथ डॉक्टर मरीदुला मैडम ने दिया। श्रुती ने CIPHET लुधियाना से ट्रेनिंग तो ली ही थी तो इकट्ठा किए गुलाब की पत्तीयों को तोड़ कर अपनी माता जी के साथ अपने घर में ही प्रोसेसिंग करनी शुरू कर दी और पहली बार जैम बनाया, उन्होंने बाद में जिसे Rose Petal Jam का नाम दिया। जिसका फायदा यह था कि आप दूध में डालकर या फिर वैसे ही चम्मच भरकर खा सकते है और जो खाने में भी स्वादिष्ट है। इसके साथ ही उन्होंने गुलाब के फूलों का शर्बत बनाया, जिसमें सभी पोषक तत्व वाली चीजें मौजूद है जो शरीर की इम्युनिटी और ताकतवर बनाने के लिए जरुरी होती है ।

लंबे समय से श्रुति बिना ब्रांड और पैकिंग से ही अपनी दूकान पर मार्केटिंग कर रही थी पर उन्हें कुछ नहीं मिला । जिससे निराश हुए और कहा जब मुसीबत आती है तो वह हमारे भले के लिए ही आती है। इस तरह ही श्रुती गोयल जी के साथ हुआ।

एक दिन वह बैठे ही थे कि मन में ख्याल आया कि क्यों न इसकी अच्छे से पैकिंग करके और ब्रांड के साथ मार्किट में लाया जाए, जिससे एक तो लोगों को इसके ऊपर लिखी जानकारी पढ़ कर पता चलेगा दूसरा एक अलग ब्रांड नाम लोगों को आकर्षित करेगा।

मैं ब्रांड के बारे में रिसर्च करनी लगी जोकि अलग और जिसमें पुराने संस्कृति की महक आती हो- श्रुती गोयल

बहुत अधिक रिसर्च करने पर उनके दिमाग में एक संस्कृत का नाम आया जिससे वह बहुत खुश हुए, फिर “स्वादम लाभ” ब्रांड रखें का फैसला किया, जिसके पीछे भी एक महत्ता है, जैसे स्व मतलब स्वाद हो, दम वे ताकतवर हो, लाभ का मतलब खा कर शरीर को कोई फायदा हो। इस तरह ब्रांड का नाम रखा।

फिर देरी न करते हुए वह जैम और शर्बत को मार्किट में ले कर आए और उसकी मार्केटिंग करनी शुरू कर दी, जिसमें उनकी बहुत सी सहायता डॉक्टर रमनदीप सिंह जी ने की जोकि PAU में एग्री बिज़नेस विषय के प्रोफेसर हैं और बहुत से किसानों को और उघमियों को उच्च स्तर पर पहुंचाने में हमेशा तैयार रहते हैं। इस तरह ही डॉक्टर रमनदीप जी ने श्रुती की बहुत से चैनल के साथ इंटरव्यू करवाई जहां से श्रुती जी के बारे में लोगों को पता चलने लगा और उनके जैम और शर्बत की मांग बढ़ने लगी और मार्केटिंग भी होने लगी।

जब पता लगा कि मार्केटिंग सही तरीके से चल रही है तो जैम के साथ आंवला केंडी, कद्दू के बीजों पर काम करना शुरू कर दिया। जिसमें उनहोंने कद्दू के बीजों से 3 से 4 प्रॉडक्ट त्यार किए जो कि ग्लूटन मुक्त है। इस तरह धीरे-धीरे मार्केटिंग में पैर स्थिर हो गए। सितंबर 2020 में सफल हुए।

उनके द्वारा त्यार किए जा रहे उत्पाद

  • जैम
  • शर्बत
  • केक
  • पंजीरी
  • बिस्कुट
  • लड्डू
  • ब्रेड आदि।

आज मार्केटिंग के लिए कहीं बाहर या दूकान पर उत्पाद के बारे में बताना नहीं पड़ता बल्कि लोगों की मांग के आधार पर बिक जाते हैं। श्रुती जी अपनी मार्केटिंग लुधियाना और चंडीगढ़ शहर में करते हैं, जिसके कारण उन्हें बहुत से लोग जानते हैं और मार्केटिंग हो जाती है।वह खुश है और इस ओर बड़े स्तर पर लेकर जाना चाहते हैं।

श्रुती को बहुत जगह पर उनके काम के लिए सम्मानित किया जा चुका है। श्रुती जी ऐसे एक महिला उघमी है जिन्होंने खुद को चुनौती दी थी कि खुद के साथ लड़ कर कामयाबी हासिल करनी है, जिस पर वह सफल साबित हुए ओर आज उन्हें अपने आप पर गर्व है और अपने परिवार का नाम रोशन किया।

भविष्य की योजना

वह आगे भी इसे ओर बड़े स्तर पर लेकर जाना चाहते हैं। बाकि उद्देश्य यह है कि उनके उत्पादों के बारे में लोग इतना जागरूक हों कि जो थोड़ा बहुत बताना पड़ता है, वह भी न बताना पड़े। बल्कि अपने आप ही बिक जाए। इसके साथ-साथ हरी मिर्च का पाउडर बना कर मार्केटिंग करना चाहते हैं।

संदेश

हर एक महिला को चाहिए कि वह किसी पर निर्भर न रह कर खुद का कोई व्यवसाय शुरू करे जिसका उसे शोक भी हो और उसे बड़े स्तर पर लेकर जाने की हिम्मत भी हो।

ज्योति गभीर

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एक ऐसी महिला जिसने न केवल अपने लक्ष्यों के बारे में सपना देखा बल्कि उन्हें पाने और सफलता हासिल करने का साहस भी किया – ज्योति गंभीर

ज्योति गंभीर एक ऐसी महिला हैं जिनकी न केवल ख्वाहिश थीं बल्कि उन्हें हासिल करने और सफल होने का साहस भी था।
अगर सही समय पर सही दिशा में निर्देशित किया जाए, तो आपका जुनून आपको ऊंचाइयों तक पहुंचाने में मदद कर सकता है।  हम में से हर एक के लक्ष्य और इच्छाएं होती हैं, लेकिन हर किसी में उसे पाने का साहस नहीं होता है। असफल होने के डर से व्यक्ति अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने से रोकता है। फिर भी, कुछ ऐसे भी हैं जो कभी हार नहीं मानते।
ऐसी ही लुधियाना से एक महिला ज्योति गंभीर, जिन्होनें न केवल अपने शोक को एक व्यवसाय में बदलने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल रही, बल्कि दूसरों के लिए भी आदर्श बने।
ज्योति गंभीर जी हमेशा खाना पकाने की शौक़ीन थी और यही शौक उन्हें  ख़ुशी देता था, पर यह शौक उनका रसोई तक ही सिमित था फिर उनकी ज़िंदगी में एक ऐसा मोड़ आया जब उन्हें लगा अब समय है जिंदगी को नए सिरे से शुरू करने का।

खाना बनाना मेरा शौक था और मैंने अपने परिवार के लिए घर पर अलग-अलग खाने की चीजें बनाई – ज्योति गंभीर

जैसा कि वे कहते हैं, ”जहाँ चाह होती है, वहाँ राह होती है।” ज्योति की बेटी lactose intolerance से पीड़ित थी और बाहर का खाना खाने के बाद अक्सर बीमार पड़ जाती थी। उसकी बेटी की बीमारी ने उन्हें मजबूत बनाया और उन्होंने अपनी बेटी के लिए ताजा बिस्कुट पकाना शुरू कर दिया, क्योंकि उसके बिस्कुट ग्लूटन और स्वादिष्ट थे। जोकि उनकी बेटी और परिवार ने खूब पसंद किये और उनकी तारीफ भी की। वह अपना खुद का काम शुरू करने के लिए प्रेरित हुई। उन्होंने अपने परिवार और दोस्तों को देने के लिए बिस्कुट बनाये। उनकी तरफ से बढ़िया प्रोत्साहन मिलने के बाद उन्होंने खुद में आशा की किरण जगाई और आगे बढ़ती गई। उसने प्रेरित महसूस किया और सोचा कि वह उन लोगों के लिए गुणवत्ता वाले बिस्कुट और बेकरी आइटम प्रदान कर सकती है जो ग्लूटेन एलर्जी, lactose intolerance से पीड़ित हैं। और जो ऑर्गनिक खाना पसंद करते हैं।
मैं अपनी नई शुरुआत को लेकर परिवार की मेरे प्रति प्रतिक्रिया के लिए बहुत उत्तेजित थी। उनके इस फैसले को उनके पति ने पूरा समर्थन दिया। समर्थन मिलने के बाद वह सातवें आसमान पर थी। वह इसके बारे में आशावादी थी। उसने सोचा कि उसने सभी चुनौतियों को पार कर लिया है और वह देख सकती है कि उसका रास्ता साफ हो गया है।
फिर उन्होंने खाना बनाने की ट्रेनिंग लेने के बारे में सोचा। जैसे ही उन्होंने अपनी रिसर्च शुरू की, उन्होंने अपने उत्पादों को “डिलीशियस बाइट्स” नाम से लेबल करना शुरू किया।  लुधियाना शहर में रहने के कारण उन्हें पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पी.ए.यू.)  से ट्रेनिंग की। उन्होंने पी.ए.यू. में अपनी ट्रेनिंग शुरू करने में एक सेकंड भी बर्बाद नहीं किया।

मैंने पी.ए.यू. में अपना प्रशिक्षण शुरू किया और फिर, बाद में, केक और कुकीज़ के लिए लिए घर से काम किया। —ज्योति गंभीर

अपना कोर्स पूरा करने के बाद, उन्होनें दिन में कुछ घंटे काम करना शुरू कर दिया। इस बीच, उनकी मुलाकात पी.ए.यू. के मार्केटिंग हेड डॉ. रमनदीप सिंह से हुई, जिन्होंने सफलता पाने में कई किसानों का मार्गदर्शन किया है और हमेशा उनकी सहायता करने के लिए तैयार रहते हैं। डॉ. सिंह,  ज्योति जी के काम से बहुत प्रभावित हुए, जब उन्होंने उन्हें अपनी खुद के लिए कुछ शुरू करने की उनकी आजीवन खोज के बारे में बताया।  उन्होनें उनमें दृढ़ संकल्प देखा। इसलिए, फिर उन्होंने ज्योति जी को पी.ए.यू. की सोशल मीडिया टीम से मिलवाया और उन्हें स्ट्रैटेजिक मार्केटिंग आइडिया दिए।
डॉ. रमनदीप ने तब अपनी खेती ऐप पर ज्योति जी की पहल को बढ़ावा देने पर विचार किया और फिर अपनी खेती टीम ने ज्योति जी की कहानी को ओर लोगों तक  पहुंचाया।
ज्योति जी के पास इस पर अनगिनत प्रतिक्रियाएँ थीं, और उन्हें जल्द ही पूरे शहर से ग्राहकों से फोन आने लगे जो ऑर्डर देना चाहते थे। इस बीच पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के स्रोतों का उपयोग करते हुए, उन्होंने मार्केटिंग का अधिक ज्ञान प्राप्त करने के साथ ही अपने व्यवसाय का विस्तार करना शुरू कर दिया। कुछ हफ्तों के बाद, जब केक और कुकीज बनाने का उनका व्यवसाय अच्छी तरह से स्थापित हो गया, तो उन्होंने ओर अधिक उत्पादों का उत्पादन करने का निर्णय लिया।
जैसे ही डिलीशियस बाइट्स ने सफलता का रास्ता पकड़ा, ज्योति जी ने अपने उत्पादों को पैकेज और लेबल करना शुरू कर दिया।

वह इन उत्पादों में से 14-15 विभिन्न प्रकार के बेकरी उत्पाद बनाती है:

  • बिस्कुट
  • केक
  • ब्रेड
  • गुड़
  • गन्ना
  • जैम
  • स्क्वैश
बिस्कुट बनाने के लिए आवश्यक सामग्री पूरी तरह से जैविक होती है। अन्य सामान जिनमें गुड़ शामिल हैं, वे हैं केक, ब्रेड और कई तरह के बिस्कुट। उसने एक कदम आगे बढ़ाया, फिर अन्य जैविक खेती करने वाले किसानों के साथ सम्पर्क बनाया और उनसे सीधे तौरआवश्यक सामग्री खरीदना शुरू कर दिया।
डॉ. रमनदीप ने ज्योति जी को अपना करियर बनाने में सहायता करके यह सब संभव किया।
वर्तमान में, ज्योति जी इंस्टाग्राम और फेसबुक पेजों पर ‘डिलिशियस बाइट्स’ की मार्केटिंग और प्रचार का प्रबंधन खुद करती हैं।
2019 में, उन्हें परिरक्षक मुक्त उत्पादों की एक बड़ी पहल करने के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना-कृषि और संबद्ध क्षेत्र कायाकल्प (RKVY-RAFTAAR) के लिए लाभकारी दृष्टिकोण से 16 लाख रूपये से पुरस्कृत किया गया था।
ज्योति गंभीर 2021 में सेलिब्रेटिंग फार्मर्स एज इंटरनेशनल (C.F.E.I.) प्राइवेट लिमिटेड के साथ पार्टनर बन गए,  जहां वह कई किसानों को प्राकृतिक रूप से उगाए गए गन्ने की प्रोसेसिंग में गन्ना जैम और क्षारीय गन्ने के रस की चाय जैसे स्वस्थ उत्पादों में सहायता कर रही है। सी.एफ.ई.आई. कंपनी के माध्यम से पहले ही दो किसान हित समूह (एफ.आई.जी.) स्थापित कर चुके हैं,   उनके प्रौद्योगिकी भागीदार एस.बी.आई. कोयंबटूर और आई.आई.टी मुंबई की सहायता से इस साल के अंत तक 100 एफ.आई.जी. स्थापित करने का उनका लक्षण है।  ये किसान समूह समर्थन, शिक्षित और उन्हें अपने उत्पादों की मार्केटिंग करने में मदद करते हैं।

“वहां न जाए जहाँ रास्ता ले जा सकता है।” “बल्कि वहाँ जाओ जहाँ कोई रास्ता नहीं है और एक निशान छोड़ दो।”

हम सभी के सपने होते हैं, लेकिन कई उन्हें पूरा नहीं कर पाते। श्रीमती ज्योति गंभीर जी डिलीशियस बाइट्स की गर्वित ओनर हैं और C.F.E.I के साथ साझेदारी के तहत महाराष्ट्र में अपना पहला आउटलेट खोलकर अपने आजीवन सपने की खोज को पूरा करने में कामयाब रही है। वह इस साल अपने कारोबार का ओर विस्तार करने की योजना बना रही है और अपने इलाके लुधियाना में एक और आउटलेट खोल रही है।
यह सब एक होम बेकरी, बेकिंग केक और कुकीज और ऑर्डर देने के साथ शुरू हुआ। उसने धीरे-धीरे लोगों की विभिन्न प्रकार की पसंद की चीजों के बारे में जाना और शाकाहारी और ग्लूटन मुक्त उत्पादों को बनाना शुरू कर दिया। उन्होंने प्रति दिन 15 यूनिट बेचने से लेकर प्रतिदिन 1,000 यूनिट बेचे और अपना खुद का ब्रांड लॉन्च किया।
जैसा वे कहते हैं, “सपने तब तक काम नहीं करते जब तक आप नहीं करते।”
2021 में, भारत सरकार ने दुबई एक्सपो इंडिया पवेलियन में अपने उत्पादों का प्रदर्शन करने के लिए पंजाब की एक प्रिजर्वेटिव और केमिकल-फ्री बेकरी, डिलीशियस बाइट्स,को चुना।

भविष्य की योजना

वह अपने व्यवसाय को इस हद तक बढ़ाना चाहती है कि वह एक छत के नीचे अपने उत्पादों का पैकेज और मर्केटिंग करने में सक्षम हो।

संदेश

हर महिला को अपने सपनों को पूरा करना चाहिए अगर व्यक्ति पूरी तरह से दृढ़ संकल्प और जुनूनी है तो उन लक्ष्यों को पूरा करने की कोई सीमा नहीं है।

अनीता गोयल

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एक ऐसी महिला की कहानी जो अपनी मेहनत से एक आम गृहणी से एक जानी मानी हस्ती बन गयी और ज़ायका मैंम के नाम से जानी जाने लगी

पुराने समय में, भारत में पहले विवाह के बाद महिलाओं में इतना विश्वास नहीं होता था कि वे अपने शौंक और रूचि को अपना व्यवसाय बना सकें। इसके पीछे काफी कारण हैं जैसे कि सामाजिक दबाव, पारिवारिक दबाव, रूढ़िवादी समाज, वित्तीय संकट, पारिवारिक जिम्मेदारियां और बहुत कुछ शामिल थे। लेकिन कुछ महिलाओं को आगे बढ़ने से रोका नहीं जा सकता। यह पंक्ति इन महिलाओं के लिए ही बनी है – जो रोशनी अंदर से प्रकाशित होती है, उसे कोई मध्यम नहीं कर सकता।

ऐसी महिला जो हमेशा महिला समाज के लिए प्रेरणा रही है वे हैं अनीता गोयल। अनीता गोयल लुधियाना शहर के एक कस्बे जगरांव की एक सफल उद्यमी हैं। वे अपने हॉमटाउन में कुकिंग क्लासिज़ के लिए बहुत प्रसिद्ध हैं और ज़ायका कुकिंग क्लासिज़ नामक ब्रांड के तहत अपने व्यवसाय को चलाती हैं। वह अपने छात्रों को पेंटिंग और कढ़ाई भी सिखाती हैं और उनके सभी छात्र छोटी उम्र की लड़कियों से लेकर बड़ी उम्र की महिलायें हैं। अपने काम के प्रति जुनून के कारण उन्हें “ज़ायका मैम” के नाम से जाना जाता है। वे 2009 में पी ए यू में किसान क्लब की मैंबर भी बनीं और अब तक वे पी ए यू में नियमित रूप से कुकिंग क्लासिज़ दे रही हैं। उनके सभी विद्यार्थी बड़ी लग्न से उनसे कुकिंग क्लासिज़ लेते हैं और उन्हें बहुत शांति से और ध्यान से सुनते हैं।

यह सब सफलता, समृद्धि और नाम इतनी आसानी से हासिल नहीं हुआ है। यह सब उनकी शादी के बाद 1986 में शुरू हुआ। उन्होंने एक ऐसे परिवार में शादी की, जहां किसी भी औरत ने घर से बाहर कभी कदम नहीं रखा। वे उनमें से पहली थी। उसके पति पेशे से वकील थे इसीलिए उनके परिवार की आर्थिक अवस्था अच्छी थी और उन्हें कभी काम करने की जरूरत नहीं पड़ी। लेकिन ये उनका जुनून ही था जिसने उन्हें उपलब्धि के इस स्तर तक पहुंचाया, जहां वे आज हैं। वे जगरांव में अपने संपूर्ण परिवार (पति, दो पुत्र, एक बेटी, दो बहुएं और दो पोतों) के साथ रहती हैं और साथ-साथ में अपने दैनिक व्यवसाय और शिक्षण कार्य को भी संभालती हैं। उनके लिए, उनका परिवार ही उनकी सबसे बड़ी ताकत है जिसने हमेशा उनका साथ दिया और वे जो भी कार्य करती हैं उसमें उन्हें उत्साहित करते हैं।

यह कहा जाता है कि कुछ भी बड़ा करने के लिए आपको कम से शुरूआत करनी पड़ती है और वही श्री मती अनीता गोयल ने किया। अपनी पहली नौकरी से उन्होनें 750 रूपये प्रति माह कमाये जिस पर शुरूआत में उनके पति को आपत्ति थी। कम राशि में सभी खर्चों जैसे खाना पकाने की सामग्री, सहूलतें, निजी उपयोग आदि का प्रबंध करना बहुत मुश्किल था। उन्होंने अपने व्यवसाय को शुरू करने के लिए बहुत मुश्किलों का सामना किया। हालांकि उन्होंने अपने जीवन में बहुत कुछ खोया लेकिन वह कभी भी निराश नहीं हुई और हमेशा खुद को उत्साहित रखा। बहुत काम करने के बाद अंत में उन्हें सफलता मिल ही गई और अधिकारिक तौर पर कुकिंग क्लासिज़ शुरू की और आज वे सफलतापूर्वक अपना व्यवसाय चला रही हैं।

उनके लिए खाना बनाना खुशी फैलाने की तरह है और उनके द्वारा बनाए गए खाद्य पदार्थों का स्वास्थ्यवर्धक होना उनके खाना बनाने के गुण को अलग और विशेष बनाता है। वे हर किस्म के बेकरी उत्पाद, आचार, चटनी, 17 किस्म के मसाले, 3 किस्म के इंस्टैंट मसाले और 3 किस्मों के इंस्टैंट पकवान (ठंडाई, फिरनी और खीर) बनाती हैं। वे ब्रैड, मफिनस, पिज्जा बेस, विभिन्न स्वाद के केक, नारियल कैस्टल, कपकेक, बिस्कुट और अन्य बेकरी उत्पाद बनाने के लिए मैदे की जगह गेंहूं के आटे का प्रयोग करती हैं और आचार में वे नमक, चीनी और तेल को छोड़कर किसी संरक्षित पदार्थ का प्रयोग नहीं करती क्योंकि उनके अनुसार नमक, चीनी और तेल आचार के लिए कुदरती संरक्षित पदार्थ हैं। उनके द्वारा बनाया गया हर उत्पाद स्वास्थ्यवर्धक और कुदरती होता है। वे बहुत स्वादिष्ट आचार बनाती हैं और उनके आचार की मांग विदेशों में भी है। वे कहती हैं कि यदि आप कुछ अच्छा देते हो तो आप भीड़ से निकलकर जरूर आगे आओगे।

उन्होंने अपने घर के पीछे एक छोटी बगीची लगाई हुई है जहां पर उन्होंने अपने घर में प्रयोग होने के लिए हल्दी, हरी मिर्च और अन्य मौसमी सब्जियां उगाई है। वे साठ साल की हैं लेकिन अलग अलग इवेंटस, प्रदर्शनियों और व्यवसायों में सक्रिय भागीदारी से ऐसा लगता है कि वे भविष्य में और बहुत कुछ हासिल करेंगी। श्रीमती अनीता गोयल के कुकिंग के प्रति शौंक और जुनून ने उनकी समाज में अपनी पहचान और अच्छा कमाने में बहुत मदद की है। वर्तमान में, वे अपने व्यवसाय को अगले स्तर तक ले जाने की योजना बना रही हैं और एक अधिकारिक दुकान खोलने की योजना बना रही हैं जहां वे सभी उत्पादों को आसानी से बेच सकें।

श्रीमती अनीता गोयल द्वारा दिया गया संदेश
“उनके अनुसार कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता, यदि आप वास्तव में परिवर्तन करना चाहते हैं तो आपको दृढ़ संकल्प और इच्छा शक्ति के माध्यम से आगे बढ़ना है। आप में दृढ़ इच्छा शक्ति होनी चाहिए तभी आप जो चाहें प्राप्त कर सकते हैं। एक महिला अपनी शक्ति के साथ ही अपने जीवन में आगे बढ़ सकती है। महिलाओं को समाज में अपनी पहचान बनानी चाहिए। महिला की पहचान उसके गुणों और प्रतिभा से होती है ना कि सिर्फ उसके पति के नाम से। जब आपका परिवार आपके नाम से जाना जाता है यह बहुत गर्व महसूस करवाता है।”