महावीर धारीवाल

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मैंने सपने भी देखे और उनको पूरा भी किया -महावीर धारीवाल

महावीर धारीवाल एक मुख्य जीवन बीमा अधिकारी हैं, जिन्होंने अजमेर, राजस्थान में एल.आई.सी के साथ 25 वर्षों से अधिक समय तक काम किया है। उन्होंने सफलता के लिए अपना रास्ता खुद बनाया और अपने बगीचे में गुलकंद पैदा करने के लिए गुलाब उगाना शुरू कर दिया। आज वह राजस्थान के सबसे प्रसिद्ध गुलकंद “पी.एफ.आई गोल्ड गुलकंद” के गौरवशाली मालिक हैं।

जैसा कि उनके नाम का अर्थ स्वयं मनुष्य के लिए है, ‘महावीर’, जिसका अर्थ है साहसी, क्योंकि उनका परिवार वर्षों से खेती के साथ जुड़ा हुआ था। उनके मन की इच्छा थी वह खुद का काम शुरू करें, जिसने भवता, सरधना जिले, अजमेर में “पुष्कर खाद्य उद्योग” को जन्म दिया। गुलकंद बनाने के लिए 12 एकड़ के खेत में डैमस्क और चाइनीज जैसे गुलाबों की विभिन्न किस्मों को उगाना शुरू किया।

शुरू से उनका मानना था कि लोगों की भलाई अच्छा खाना खाने में है तो क्यों न वह इसे खुद से ही शुरू करें। उन्होंने वर्षों में गुलकंद का उत्पादन करने के लिए गुलाब उगाए, लेकिन छोटे स्तर पर अपने इस्तेमाल के लिए। एक किसान के रूप में, वह जानते थे कि गुलकंद एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर है और एक ऊर्जा बूस्टर है। नियमित रूप से गुलकंद का सेवन करने से लोगों को गंभीर अल्सर, कब्ज और गैस से राहत मिल सकती है। उन्हें पता था कि राजस्थान भारत के सबसे गर्म राज्यों में से एक है। गर्मियों में गुलकंद का सेवन सनस्ट्रोक, (लू) नाक से खून बहने और चक्कर आने से रोकने में मदद करता है। एक कदम आगे बढ़ाते हुए वह बिना पीछे देखे आगे बढ़ने लगा। पिछले 15 वर्षों से नर्सरी होने के बाद से उनका परिवार हमेशा उनका सहयोगी रहा है।

 एक मुख्य जीवन बीमा अधिकारी के रूप में काम करते हुए, उन्होंने अपने खेत में गुलाब उगाकर अपनी मुश्किलों को अपने पक्ष में कर लिया। बाद में, महामारी के दौरान, उन्होंने उच्च गुणवत्ता वाले जैविक आंवला उत्पाद बनाये। आज उनके पास गुलकंद से बनें 3-4 और आंवला से बनें 6-7 तरह के उत्पाद है।

जैसे-जैसे हम समय के साथ बढ़ते गए , वैसे ही पुष्कर खाद्य उद्योग भी बढ़ा। विकास के एक नए रास्ते पर चलते हुए, महावीर जी सुधार कर रहे हैं और नए उत्पादों के साथ आने के लिए हर दिन कड़ी मेहनत कर रहे हैं। महावीर जी के ब्रांड में 14-15 खाद्य उत्पाद शामिल हैं जिन्हें वह अपनी देखरेख में पैक और लेबलिंग करते है। उनकी कंपनी द्वारा निर्मित सभी उत्पाद FSSAI द्वारा स्वीकृत (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) हैं।

उत्पादों की सूची

  • आंवला उत्पाद जैसे- मुरब्बा, आंवला पाउडर और आंवला ऑर्गेनिक लड्डू।
  • आंवला कैंडीज की एक किस्म
  • पान, आइसक्रीम और गुलकंद और शहद से बने शेक
  • हल्दी, कस्तूरी मेथी और पुदीना जैसे मसाले भी उगाए जाते हैं।
वह हाल ही में पैशनफ्रूट और ड्रैगन फ्रूट की किस्में लेकर आये हैं, जो केवल पूरे राजस्थान राज्य में सिर्फ उनके पास उपलब्ध हैं।
उनके आंवला के लड्डू बहुत स्वादिष्ट हैं, जिसे उनके इलाके के ज्यादातर लोग बड़े चाव से खाते और आनंद लेते हैं। स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग ही एक अलग उत्पाद बनाने का उद्देश्य था।
उनसे बात करते हुए, उन्होंने कहा कि लोग काजू बर्फी पर 600-700 रुपये खर्च करने को तैयार हैं, जबकि हमारे लड्डू 300 रुपये के हैं और उन लोगों के लिए खाने का बढ़िया उत्पाद हैं।

और इसके साथ, उन्होंने कहा कि यह एक खुद का बनाया हुआ रास्ता है जहां वह सफल हो रहे हैं और हर दिन सीख रहें है। वह अपने उत्पादों को सीधे उपभोक्ता को बेचते हैं क्योंकि उनका मानना है कि वह गुणवत्ता से समझौता नहीं कर सकते।

इससे पहले, पुष्कर खाद्य उद्योग को कवर किया गया था और उनके गुणवत्ता वाले उत्पादों और श्री महावीर के दृढ़ संकल्प के लिए दूरदर्शन टीवी पर इसका प्रसारण किया गया था।
महावीर जी की कहानी हमें विश्वास दिलाती है कि यदि आप में साहस और विश्वास है तो आप बहुत आगे बढ़ सकते हैं। जैसा कि कहा जाता है, “विश्वास चीजों को आसान नहीं बनाता है, लेकिन यह उन्हें संभव बनाता है।”

चुनौतियां

उनका मानना है कि किसानों के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण भाग यह है कि वे उन सरकारी नीतियों से अनजान हैं जो उनके लिए बनाई गई हैं और उनकी जरूरतों को पूरा करती हैं और इससे संबंधित जानकारी देने वाले भी उपलब्ध नहीं है।

भविष्य की योजनाएं

महावीर जी का लक्ष्य अपने कारोबार को पूरे भारत में फैलाना और कई वॉक-इन स्टोर खोलना है। सबसे पहले उनका पहला स्टोर जयपुर में खुल रहा है और अगला स्टोर दिल्ली होगा।

राजिंदर पाल सिंह

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एक इंसान की कहानी जिसने अपनी गल्तियों से सीखकर बुद्धिमता के रास्ते को चुना – जैविक खेती

प्राकृति हमारे सबसे महान शिक्षकों में से एक है और वह कभी भी हमें सिखाने से रूकी नहीं है, जिसकी हमें जानने की जरूरत होती है। आज हम धरती पर इस तरीके से रह रहे हैं कि जैसे हमारे पास एक और ग्रह भी है। हम इस बात से अवगत नहीं है कि हम प्राकृति के संतुलन को कैसे परेशान कर रहे हैं और यह हमें कैसे प्रतिकूल प्रभाव दे सकती है। आजकल हम मनुष्यों और जानवरों में बीमारियों, असमानताओं और कमियों के कई मामलों को देख रहे हैं। लेकिन फिर भी ज्यादातर लोग गल्तियों की पहचान करने में सक्षम नहीं हैं वे आंखों पर पट्टी बांधकर बैठे हैं। जैसे कि कुछ गलत हो ही नहीं रहा। पर इनमें से कुछ व्यक्ति ऐसे हैं जो कि अपनी गल्तियों से सीखते हैं और समाज में एक बड़ा बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं।

ऐसा कहा जाता है कि गल्तियों में आपको पहले से अच्छा बनाने की शक्ति होती है और एक ऐसे व्यक्ति हैं राजिंदर पाल सिंह जो कि बेहतर दिशा में अपना रास्ता बना रहे हैं और आज वे जैविक खेती के क्षेत्र में एक सफल शख्सियत हैं। उनके उत्पादों की प्रशंसा और अधिक मांग केवल भारत में ही नहीं बल्कि अमेरिका, कैनेडा और यहां तक कि लंदन के शाही परिवार में भी है।

खैर, एक सफल यात्रा के पीछे हमेशा एक कहानी होती है।राजिंदरपाल सिंह जिला बठिंडा के गांव कलालवाला के वसनीक; एक समय में ऐसे किसान थे जो कि पारंपरिक खेती करते थे लेकिन रसायनों और कीटनाशकों के प्रतिकूल प्रभावों का सामना करने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि वे रसायनों का प्रयोग करके अपने पर्यावरण और अपनी सेहत को प्रभावित कर रहे हैं। वे फसलों पर कीटनाशकों का प्रयोग करते थे, लेकिन एक दिन उस स्प्रे ने उनके नर्वस सिस्टम को प्रभावित किया और ऐसा ही उनके एक रिश्तेदार के साथ हुआ। उस दिन से उन्होंने रसायनों के प्रयोग को छोड़कर कृषि के लिए जैविक तरीका अपनाया।

शुरूआत में उन्होंने और उनके चाचा जी ने 4 एकड़ भूमि में जैविक खेती करनी शुरू की और धीरे धीरे इस क्षेत्र को बढ़ाया 2001 में वे उत्तर प्रदेश से गुलाब के पौधे खरीद कर लाये और तब से वे अन्य फसलों के साथ गुलाब की खेती भी कर रहे हैं। उन्होंने जैविक खेती के लिए कोई ट्रेनिंग नहीं ली। उनके चाचा जी ने किताबों से सभी जानकारी इकट्ठा करके जैविक खेती करने में उनकी मदद की। वर्तमान में वे अपने संयुक्त परिवार अपनी पत्नी, बच्चे, चाचा, चाची और भाइयों के साथ रह रहे हैं और अपनी सफलता के पीछे का पूरा श्रेय अपने परिवार को देते हैं।

वे बठिंडा के मालवा क्षेत्र के पहले किसान हैं जिन्होंने पारंपरिक खेती को छोड़कर जैविक खेती को चुना। जब उन्होंने जैविक खेती शुरू की, उस समय उन्होंने कई मुश्किलों का सामना किया और कई लोगों ने उन्हें यह कहते हुए भी निराश किया कि वे सिर्फ पैसा बर्बाद कर रहे हैं, लेकिन आज उनके उत्पाद एडवांस बुकिंग में बिक रहे हैं और वे पंजाब के पहले किसान भी हैं जिन्होंने अपने फार्म पर गुलाब का तेल बनाया और 2010 में फतेहगढ़ साहिब के समारोह में प्रिंस चार्ल्स और उनकी पत्नी को दिया था।

वे जो काम कर रहे हैं उसके लिए उन्हें फूलों का राजा नामक टाइटल भी दिया गया है। उनके पास गुलाब की सबसे अच्छी किस्म है जिसे Damascus कहा जाता है और आप गुलाबों की सुगंध उनके गुलाब के खेतों की कुछ ही दूरी पर से ले सकते हैं जो कि 6 एकड़ की भूमि पर फैला हुआ है। उन्होंने अपने फार्म में तेल निकालने का प्रोजैक्ट भी स्थापित किया है जहां पर वे अपने फार्म के गुलाबों का प्रयोग करके गुलाब का तेल बनाते हैं। गुलाब की खेती के अलावा वे मूंग दाल, मसूर, मक्की, सोयाबीन, मूंगफली, चने, गेहूं, बासमती, ग्वार और अन्य मौसमी सब्जियां उगाते हैं। 12 एकड़ में वे बासमती उगाते हैं और बाकी की भूमि में वे उपरोक्त फसलें उगाते हैं।

राजिंदरपाल सिंह जिन गुलाबों की खेती करते हैं वे वर्ष में एक बार दिसंबर महीने में खिलते हैं और इनकी कटाई मार्च और अप्रैल तक पूरी कर ली जाती है। एक एकड़ खेत में वे 12 से 18 क्विंटल गुलाब उगाते हैं और आज एक एकड़ गुलाब के खेतों से उनका वार्षिक मुनाफा 1.25 लाख रूपये है। उनके उत्पादों की मांग अमेरिका, कैनेडा और अन्य देशों में है। यहां तक कि उनके द्वारा बनाये गये गुलाब के तेल को भी निर्यातकों द्वारा अच्छी कीमत पर खरीदा जाता हैं सिर्फ इसलिए क्योंकि वे तेल, शुद्ध जैविक गुलाबों से बनाते हैं। बेमौसम में वे गुलाब की अन्य किस्में उगाते हैं और उनसे गुलकंद बनाते हैं और उसे नज़दीक के ग्रोसरी स्टोर में बेचते हैं। गुलाब का तेल, रॉज़ वॉटर और गुलकंद के इलावा अन्य फसलें जैविक मसूर, गेहूं, मक्की, धान को भी बेचते हैं। सभी उत्पाद उनके द्वारा बनाये जाते है और उनके ब्रांड नाम भाकर जैविक फार्म के नाम से बेचे जाते हैं।

आज राजिंदर पाल सिंह जैविक खेती से बहुत संतुष्ट हैं। हां उनके उत्पादों की उपज कम होती है लेकिन उनके उत्पादों की कीमत, पारंपरिक खेती का प्रयोग करके उगाई अन्य फसलों की कीमत से ज्यादा होती है। वे अपने खेतों में सिर्फ गाय की खाद और नदी के पानी का प्रयोग करते हैं और बाज़ार से किसी भी तरह की खाद या कंपोस्ट नहीं खरीदते। जैविक खेती करके वे मिट्टी के पोषक तत्व और उपजाऊ शक्ति को बनाए रखने में सक्षम हैं। शुरूआत में उन्होंने अपने उत्पादों के मंडीकरण में छोटी सी समस्या का सामना किया लेकिन जल्दी ही लोगों ने उनके उन्पादों की क्वालिटी को मान्यता दी, फिर उन्होंने अपने काम में गति प्राप्त करनी शुरू की और वे जैविक खेती करके अपनी फसलों में बहुत ही कम बीमारियों का सामना कर रहे हैं।

अब उनके पुरस्कार और प्राप्तियों पर आते हैं। ATMA स्कीम के तहत केंद्र सरकार द्वारा उनकी सराहना की गई और देश के अन्य किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए एक प्रेरणास्त्रोत के रूप में प्रस्तुत किया गया। वे भूमि वरदान फाउंडेशन के मैंबर भी हैं जो कि रोयल प्रिंस ऑफ वेलस के नेतृत्व में होता है और उनके सभी उत्पाद इस फाउंउेशन के द्वारा प्रमाणित हैं। उन्होंने पटियाला के पंजाब एग्रीकल्चर विभाग से प्रशंसा पत्र भी प्राप्त किया और यहां तक कि पंजाब के पूर्व कृषि मंत्री श्री तोता सिंह ने उन्हें प्रगतिशील किसान के तौर पर पुरस्कृत किया।

भविष्य की योजना
भविष्य में वे जैविक खेती के क्षेत्र में अपने काम को जारी रखना चाहते हैं और जैविक खेती के बारे में ज्यादा से ज्यादा किसानों को जागरूक करना चाहते हैं ताकि वे जैविक खेती करने के लिए प्रेरित हो सकें।

राजिंदर पाल सिंह द्वारा दिया गया संदेश-
आज हमारी धरती को हमारी जरूरत है और किसान के तौर पर धरती को प्रदूषन से बचाने के लिए हम सबस अधिक जिम्मेदार व्यक्ति हैं। हां, जैविक खेती करने से कम उपज होती है लेकिन आने वाले समय में जैविक उत्पादों की मांग बहुत अधिक होगी, सिर्फ इसलिए नहीं कि ये स्वास्थ्यवर्धक हैं अपितु इसलिए क्योंकि यह समय की आवश्यकता बन जाएगी। इसके अलावा जैविक खेती स्थायी है और इसे कम वित्तीय की आवश्यकता होती है। इसे सिर्फ श्रमिकों की आवश्यकता होती है और यदि एक किसान जैविक खेती करने में रूचि रखता है तो वह इसे बहुत आसानी से कर सकता है।