बलविंदर कौर

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एक ऐसी गृहणी की कहानी, जो अपने हुनर का बाखूबी इस्तेमाल कर रही है

हमारे समाज की शुरू से ही यही सोच रही है कि शादी के बाद महिला को बस अपनी घरेलू ज़िंदगी की तरफ ज्यादा ध्यान देना चाहिए। पर एक गृहणी भी उस समय अपने हुनर का बाखूबी इस्तेमाल कर सकती है जब उसके परिवार को उसकी ज़रूरत हो।

ऐसी ही एक गृहणी है पंजाब के बठिंडा जिले की बलविंदर कौर। एम.ए. पंजाबी की पढ़ाई करने वाली बलविंदर कौर एक साधारण परिवार से संबंध रखती हैं। पढ़ाई पूरी करने के बाद उनकी शादी सरदार गुरविंदर सिंह से हो गई, जो कि एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे पर कुछ कारणों से, उन्होंने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और अपने घर की आर्थिक हालत में सहयोग देने के लिए बलविंदर जी ने काम करने का फैसला किया और उनके पति ने भी उनके इस फैसले में उनका पूरा साथ दिया। जैसे कि कहा ही जाता है कि यदि पत्नी पति के कंधे से कंधा मिलाकर चले तो हर मुश्किल आसान हो जाती है। अपने पति की सहमति से बलविंदर जी ने घर में पी.जी. का काम शुरू किया। पहले—पहल तो यह पी.जी. का काम सही चलता रहा पर कुछ समय के बाद यह काम उन्हें बंद करना पड़ा। फिर उन्होंने अपना बुटीक खोलने के बारे में सोचा पर यह सोच भी सही साबित नहीं हुई। 2008—09 में उन्होंने ब्यूटीशन का कोर्स किया पर इसमें उनकी कोई दिलचस्पी नहीं थी।

शुरू से ही मेरी दिलचस्पी खाना बनाने में थी सभी रिश्तेदार भी जानते थे कि मैं एक बढ़िया कुक हूं, इसलिए वे हमेशा मेरे बनाए खाने को पसंद करते थे आखिरमें मैंने अपने इस शौंक को व्यवसाय बनाने के बारे में सोचा — बलविंदर कौर

बलविंदर जी के रिश्तेदार उनके हाथ के बने आचार की बहुत तारीफ करते थे और हमेशा उनके द्वारा तैयार किए आचार की मांग करते थे।

अपने इस हुनर को और निखारने के लिए बलविंदर जी ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फूड प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी, लिआसन ऑफिस बठिंडा से आचार और चटनी बनाने की ट्रेनिंग ली। यहीं उनकी मुलाकात डॉ. गुरप्रीत कौर ढिल्लो से हुई, जिन्होंने बलविंदर जी को गाइड किया और अपने इस काम को बढ़ाने के लिए और उत्साहित किया।

आज—कल बाहर की मिलावटी चीज़ें खाकर लोगों की सेहत बिगड़ रही है मैंने सोचा क्यों ना घर में सामान तैयार करवाकर लोग को शुद्ध खाद्य उत्पाद उपलब्ध करवाए जाएं — बलविंदर कौर

मार्केटिंग की महत्तता को समझते हुए इसके बाद उन्होंने मैडम सतविंदर कौर और मैडम हरजिंदर कौर से पैकिंग और लेबलिंग की ट्रेनिंग ली।

के.वी.के. बठिंडा से स्क्वैश बनाने की ट्रेनिंग लेने के बाद उन्होंने अपना काम घर से ही शुरू किया। उन्होंने एक सैल्फ हेल्प ग्रुप बनाया जिसमें 12 महिलाएं शामिल हैं। ये महिलाएं उनकी सामान काटने और तैयार सामान की पैकिंग में मदद करती हैं।

इस सैल्फ हेल्प ग्रुप से जहां मेरी काम में बहुत मदद होती है वहीं महिलाओं को भी रोज़गार हासिल हुआ है, जो कि मेरे दिल को एक सुकून देता है — बलविंदर कौर

हुनर तो पहले ही बलविंदर जी में था, ट्रेनिंग हासिल करने के बाद उनका हुनर और भी निखर गया।

मुझे आज भी जहां कहीं मुश्किल या दिक्कत आती है, उसी समय मैं फूड प्रोसेसिंग आफिस चली जाती हूं जहां डॉ. गुरप्रीत कौर ढिल्लों जी मेरी पूरी मदद करती हैं — बलविंदर कौर
बलविंदर कौर के द्वारा तैयार किए जाने वाले उत्पाद
  • आचार — मिक्स, मीठा, नमकीन, आंवला (सभी तरह का आचार)
  • चटनी — आंवला, टमाटर, सेब, नींबू, घीया, आम
  • स्क्ववैश — आम, अमरूद
  • शरबत — सेब, लीची, गुलाब, मिक्स
हम इन उत्पादों को गांव में ही बेचते हैं और गांव से बाहर फ्री होम डिलीवरी की जाती है —बलविंदर कौर

बलविंदर जी Zebra smart food नाम के ब्रांड के तहत अपने उत्पाद तैयार करती हैं और बेचती हैं।

इन उत्पादों को बेचने के लिए उन्होंने एक व्हॉट्स एप ग्रुप भी बनाया है जिसमें ग्राहक आर्डर पर सामान प्राप्त कर सकते हैं।

भविष्य की योजना

बलविंदर जी भविष्य में अपने उत्पादों को दुनिया भर में मशहूर करवाना चाहती हैं।

संदेश
“हमें जैविक तौर पर तैयार की चीज़ों का इस्तेमाल करना चाहिए और अपने बच्चों की सेहत का ध्यान रखना चाहिए।
इसके साथ ही जो बहनें कुछ करने का सोचती हैं वे अपने सपनों को हकीकत में बदलें। खाली बैठकर समय को व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए। यह ज़रूरी नहीं कि वे कुकिंग ही करें, जिस काम में भी आपकी दिलचस्पी है आपको वही काम करना चाहिए। परमात्मा में विश्वास रखें और मेहनत करते रहें।”

अनीता गोयल

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एक ऐसी महिला की कहानी जो अपनी मेहनत से एक आम गृहणी से एक जानी मानी हस्ती बन गयी और ज़ायका मैंम के नाम से जानी जाने लगी

पुराने समय में, भारत में पहले विवाह के बाद महिलाओं में इतना विश्वास नहीं होता था कि वे अपने शौंक और रूचि को अपना व्यवसाय बना सकें। इसके पीछे काफी कारण हैं जैसे कि सामाजिक दबाव, पारिवारिक दबाव, रूढ़िवादी समाज, वित्तीय संकट, पारिवारिक जिम्मेदारियां और बहुत कुछ शामिल थे। लेकिन कुछ महिलाओं को आगे बढ़ने से रोका नहीं जा सकता। यह पंक्ति इन महिलाओं के लिए ही बनी है – जो रोशनी अंदर से प्रकाशित होती है, उसे कोई मध्यम नहीं कर सकता।

ऐसी महिला जो हमेशा महिला समाज के लिए प्रेरणा रही है वे हैं अनीता गोयल। अनीता गोयल लुधियाना शहर के एक कस्बे जगरांव की एक सफल उद्यमी हैं। वे अपने हॉमटाउन में कुकिंग क्लासिज़ के लिए बहुत प्रसिद्ध हैं और ज़ायका कुकिंग क्लासिज़ नामक ब्रांड के तहत अपने व्यवसाय को चलाती हैं। वह अपने छात्रों को पेंटिंग और कढ़ाई भी सिखाती हैं और उनके सभी छात्र छोटी उम्र की लड़कियों से लेकर बड़ी उम्र की महिलायें हैं। अपने काम के प्रति जुनून के कारण उन्हें “ज़ायका मैम” के नाम से जाना जाता है। वे 2009 में पी ए यू में किसान क्लब की मैंबर भी बनीं और अब तक वे पी ए यू में नियमित रूप से कुकिंग क्लासिज़ दे रही हैं। उनके सभी विद्यार्थी बड़ी लग्न से उनसे कुकिंग क्लासिज़ लेते हैं और उन्हें बहुत शांति से और ध्यान से सुनते हैं।

यह सब सफलता, समृद्धि और नाम इतनी आसानी से हासिल नहीं हुआ है। यह सब उनकी शादी के बाद 1986 में शुरू हुआ। उन्होंने एक ऐसे परिवार में शादी की, जहां किसी भी औरत ने घर से बाहर कभी कदम नहीं रखा। वे उनमें से पहली थी। उसके पति पेशे से वकील थे इसीलिए उनके परिवार की आर्थिक अवस्था अच्छी थी और उन्हें कभी काम करने की जरूरत नहीं पड़ी। लेकिन ये उनका जुनून ही था जिसने उन्हें उपलब्धि के इस स्तर तक पहुंचाया, जहां वे आज हैं। वे जगरांव में अपने संपूर्ण परिवार (पति, दो पुत्र, एक बेटी, दो बहुएं और दो पोतों) के साथ रहती हैं और साथ-साथ में अपने दैनिक व्यवसाय और शिक्षण कार्य को भी संभालती हैं। उनके लिए, उनका परिवार ही उनकी सबसे बड़ी ताकत है जिसने हमेशा उनका साथ दिया और वे जो भी कार्य करती हैं उसमें उन्हें उत्साहित करते हैं।

यह कहा जाता है कि कुछ भी बड़ा करने के लिए आपको कम से शुरूआत करनी पड़ती है और वही श्री मती अनीता गोयल ने किया। अपनी पहली नौकरी से उन्होनें 750 रूपये प्रति माह कमाये जिस पर शुरूआत में उनके पति को आपत्ति थी। कम राशि में सभी खर्चों जैसे खाना पकाने की सामग्री, सहूलतें, निजी उपयोग आदि का प्रबंध करना बहुत मुश्किल था। उन्होंने अपने व्यवसाय को शुरू करने के लिए बहुत मुश्किलों का सामना किया। हालांकि उन्होंने अपने जीवन में बहुत कुछ खोया लेकिन वह कभी भी निराश नहीं हुई और हमेशा खुद को उत्साहित रखा। बहुत काम करने के बाद अंत में उन्हें सफलता मिल ही गई और अधिकारिक तौर पर कुकिंग क्लासिज़ शुरू की और आज वे सफलतापूर्वक अपना व्यवसाय चला रही हैं।

उनके लिए खाना बनाना खुशी फैलाने की तरह है और उनके द्वारा बनाए गए खाद्य पदार्थों का स्वास्थ्यवर्धक होना उनके खाना बनाने के गुण को अलग और विशेष बनाता है। वे हर किस्म के बेकरी उत्पाद, आचार, चटनी, 17 किस्म के मसाले, 3 किस्म के इंस्टैंट मसाले और 3 किस्मों के इंस्टैंट पकवान (ठंडाई, फिरनी और खीर) बनाती हैं। वे ब्रैड, मफिनस, पिज्जा बेस, विभिन्न स्वाद के केक, नारियल कैस्टल, कपकेक, बिस्कुट और अन्य बेकरी उत्पाद बनाने के लिए मैदे की जगह गेंहूं के आटे का प्रयोग करती हैं और आचार में वे नमक, चीनी और तेल को छोड़कर किसी संरक्षित पदार्थ का प्रयोग नहीं करती क्योंकि उनके अनुसार नमक, चीनी और तेल आचार के लिए कुदरती संरक्षित पदार्थ हैं। उनके द्वारा बनाया गया हर उत्पाद स्वास्थ्यवर्धक और कुदरती होता है। वे बहुत स्वादिष्ट आचार बनाती हैं और उनके आचार की मांग विदेशों में भी है। वे कहती हैं कि यदि आप कुछ अच्छा देते हो तो आप भीड़ से निकलकर जरूर आगे आओगे।

उन्होंने अपने घर के पीछे एक छोटी बगीची लगाई हुई है जहां पर उन्होंने अपने घर में प्रयोग होने के लिए हल्दी, हरी मिर्च और अन्य मौसमी सब्जियां उगाई है। वे साठ साल की हैं लेकिन अलग अलग इवेंटस, प्रदर्शनियों और व्यवसायों में सक्रिय भागीदारी से ऐसा लगता है कि वे भविष्य में और बहुत कुछ हासिल करेंगी। श्रीमती अनीता गोयल के कुकिंग के प्रति शौंक और जुनून ने उनकी समाज में अपनी पहचान और अच्छा कमाने में बहुत मदद की है। वर्तमान में, वे अपने व्यवसाय को अगले स्तर तक ले जाने की योजना बना रही हैं और एक अधिकारिक दुकान खोलने की योजना बना रही हैं जहां वे सभी उत्पादों को आसानी से बेच सकें।

श्रीमती अनीता गोयल द्वारा दिया गया संदेश
“उनके अनुसार कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता, यदि आप वास्तव में परिवर्तन करना चाहते हैं तो आपको दृढ़ संकल्प और इच्छा शक्ति के माध्यम से आगे बढ़ना है। आप में दृढ़ इच्छा शक्ति होनी चाहिए तभी आप जो चाहें प्राप्त कर सकते हैं। एक महिला अपनी शक्ति के साथ ही अपने जीवन में आगे बढ़ सकती है। महिलाओं को समाज में अपनी पहचान बनानी चाहिए। महिला की पहचान उसके गुणों और प्रतिभा से होती है ना कि सिर्फ उसके पति के नाम से। जब आपका परिवार आपके नाम से जाना जाता है यह बहुत गर्व महसूस करवाता है।”