शहनाज़ कुरेशी

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जानें कैसे इस महिला ने फूड प्रोसेसिंग और एग्रीबिज़नेस के माध्यम से स्वस्थ भोजन के रहस्यों को प्रत्यक्ष किया

बहुत कम परोपकारी लोग होते हैं जो समाज के कल्याण के बारे में सोचते हैं और कृषि के रास्ते पर अपने भविष्य को निर्देशित करते हैं क्योंकि कृषि से संबंधित रास्ते पर मुनाफा कमाना आसान नहीं है। लेकिन हमारे आस -पास कई अवसर हैं जिनका लाभ उठाना हमें सीखना होगा। ऐसी ही एक महिला है श्री मती शहनाज कुरेशी जो कि अपने अभिनव सपनों और कृषि के क्षेत्र में अपना जीवन समर्पित करने की सोच रही थी।
बहुत कम उम्र में शादी करने के बावजूद शहनाज़ कुरेशी ने कभी सपने देखना नहीं छोड़ा। शादी के बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और अपनी ग्रेजुएशन पूरी की और फैशन डिज़ाइनिंग में M.Sc भी की। उन्हें विदेशों से नौकरी के कई प्रस्ताव मिले लेकिन उन्होंने अपने देश में रह कर, समाज के लिए कुछ अच्छा करने का फैसला किया।

इन सभी चीज़ों के दौरान उनके माता पिता के स्वास्थ्य ने खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता की ओर उनका नज़रिया बदल दिया। उनके माता-पिता दोनों ही गठिया, डायबिटिज़ और किडनी की समस्या से पीड़ित थे। उन्होंने सोचा कि यदि भोजन इन समस्याओं के पीछे का कारण है तो भोजन ही इनका एकमात्र इलाज होगा। उन्होंने अपने परिवार की खाने की आदतों को बदल दिया और केवल अच्छी और ताजी सब्जियां चीज़ें खानी शुरू कर दीं। इस आदत ने उनके माता-पिता के स्वास्थ्य में काफी सुधार हुआ। इसी बड़े सुधार को देखते हुए उन्होंने फूड प्रोसेसिंग व्यापार में दाखिल होने का फैसला लिया। इसके अलावा वे खाली बैठने के लिए नहीं बनी थी इसलिए उन्होंने एग्रीबिज़नेस के क्षेत्र में अपने कदम रखे और जरूरतमंद किसानों की मदद करने का फैसला किया।

एग्रीबिज़नेस के क्षेत्र में कदम रखने का उनका फैसला सिर्फ सफलता का पहला चरण था और पूरा बठिंडा उनके बारे में जानने लगा। उन्होंने और उनके परिवार ने, के वी के बठिंडा से मधु मक्खी पालन की ट्रेनिंग ली और 200 मधुमक्खी बक्सों के साथ व्यवसाय शुरू किया। उन्होंने मार्किटिंग की और उनके पति ने प्रोसेसिंग का काम संभाला। व्यवसाय से अधिक लाभ लेने के लिए उन्होंने शहद के फेस वॉश, साबुन और बॉडी सक्रब बनाना शुरू किया। ग्राहकों ने इन्हें पसंद करना शुरू किया और उनकी सिफारिश और होने लगी। कुछ समय के बाद उन्होंने सब्जियों और फलों की खेती की ट्रेनिंग ली और इसे चटनी, मुरबा और आचार बनाकर लागू करना शुरू किया।
एक समय था जब उनके पति ने काम के लिए उनकी आलोचना की क्योंकि वे व्यवसाय से होने वाले लाभों को लेकर अनिश्चित थे। इसके अलावा उन्होंने यह भी सोचा कि ये उत्पाद पहले से ही बाज़ार में उपलब्ध हैं जो इन उत्पादों को लोग क्यों खरीदेंगे। लेकिन वे कभी भी इन बातों से वंचित नहीं हुई क्योंकि उनके पास उनके बच्चों का समर्थन हमेशा था। कुछ महान शख्सियतों जैसे ए पी जे अब्दुल कलाम, बिल गेट्स, अकबर और स्वामी विवेकानंद से वे प्रेरित हुई। खाली समय में वे उनके बारे में किताबें पढ़ना पसंद करती थी।

समय के साथ-साथ उन्होंने अपने उत्पादों को बढ़ाया और इनसे काफी लाभ कमाना शुरू किया। जल्दी ही उन्होंने फल के स्क्वैश, चने के आटे की बड़ियां और पकौड़े और भी काफी चीज़े बनानी शुरू की। अंकुरित मेथी का आचार उनके प्रसिद्ध उत्पादों मे से एक है क्योंकि अदभुत स्वास्थ्य लाभों के कारण इसकी मांग फरीदकोट, लुधियाना और अन्य जगहों में पी ए यू द्वारा करवाये जाते मेलों और समारोह में हमेशा रहती है। उन्होंने मार्किट में अपने उत्पादों की एक अलग जगह बनाई है जिसके चलते उन्होंने व्यापक स्तर पर अच्छे ग्राहकों को अपने साथ जोड़ा है।

2014 में उन्होंने बठिंडा के नज़दीक महमा सरजा गांव में किसान सैल्फ हैल्प ग्रुप बनाया और इस ग्रुप के द्वारा उन्होंने अन्य किसानों के उत्पादों को बढ़ावा दिया। कभी कभी वे उन किसानों की मदद और समर्थन करने के लिए अपने मुनाफे की अनदेखी कर देती थीं, जिनके पास आत्मविश्वास और संसाधन नहीं थे। 2015 में उन्होंने FRESH HUB नाम की एक फर्म बनायी और वहां अपने उत्पादों को बेचना शुरू किया। आज उनके कलेक्शन में कुल 40-45 उत्पाद हैं जिसका कच्चा माल वे खुद खरीदती हैं, प्रोसेस करती हैं, पैक करती हैं और मंडीकरण करती हैं। ये सब वे उत्पादों की शुद्धता और स्वस्थता सुनिश्चित करने के लिए करती हैं ताकि ग्राहक के स्वास्थ्य पर कोई दुष्प्रभाव ना हो। यहां तक कि जब वे आचार तैयार करती हैं तब भी वे घटिया सिरके का इस्तेमाल नहीं करती और अच्छी गुणवत्ता के लिए हमेशा सेब के सिरके का प्रयोग करती हैं।

2016 में उन्होंने सिरके की भी ट्रेनिंग ली और बहुत जल्द इसे लागू भी करेंगी। वर्तमान में वे प्रतिवर्ष 10 लाख लाभ कमा रही हैं। एक चीज़ जो उन्होंने बहुत जल्दी समझी और उसे लागू किया। वह थी उन्होने हमेशा मात्रा या स्वाद को ध्यान ना देकर गुणवत्ता की ओर ध्यान दिया। मंडीकरण के लिए वे आधुनिक तकनीकों जैसे व्हाट्स एप द्वारा किसानों और अन्य आवश्यक विवरणों के साथ जुड़ती हैं। खरीदने से पहले वे हमेशा सुनिश्चित करती हैं कि रासायनिक मुक्त सब्जियां ही खरीदें और किसानों को वे जैविक खेती शुरू करने के लिए प्रोत्साहित भी करती हैं। उनके काम में सिर्फ प्रोसेसिंग और मंडीकरण ही शामिल नहीं हैं बल्कि वे अन्य महिलाओं को अपनी तकनीक के बारे में जानकारी भी देती हैं। क्योंकि वे चाहती हैं कि अन्य लोग भी प्रगति करें और समाज के लिए कुछ अच्छा करें।

शुरू से ही शहनाज़ कुरेशी की मानसिकता उनके काम के लिए बहुत सपष्ट थी। वे चाहती हैं कि समाज में प्रत्येक इंसान आत्म निर्भर और आत्मविश्वासी बनें। उन्होंने अपने बच्चों को ऐसी परवरिश दी कि उन्हें किसी के सामने हाथ नहीं फैलाना पड़ता, सभी को अपनी मूल जरूरतों को पूरा करने के लिए आत्म निर्भर होना चाहिए। वर्तमान में उनका मुख्य ध्यान युवाओं, विशेष रूप से लड़कियों पर है। उन्होंने अपनी सोच और कौशल को अखबार और रेडियो के माध्यम से अधिक लोगों तक पहुंचाती हैं वे इनके माध्यम से ट्रेनिंग और जानकारी भी देती हैं। वे व्यक्तिगत तौर पर किसान ट्रेनिंग कार्यक्रमों और मीटिंग का दौरा करती हैं, विशेषकर कौशल प्रदान करती हैं। 2016 में उन्होंने कॉलेज के छात्रों के लिए टिफिन सेवा भी शुरू की। आज उनके काम ने उन्हें इतना लोकप्रिय बना दिया है कि उनका अपना रेडियो शो है जो हर शुक्रवार को दोपहर के 1 से 2 तक प्रसारित होता है, जहां पर वे लोगों को पानी के प्रबंधन, हेल्थ फूड रेसिपी और भी बहुत कुछ, के बारे में सुझाव देती हैं।

जन्म से कश्मीरी होने के कारण शहनाज़ हमेशा अपने काम और उत्पादों में अपने मूल स्थान का एक सार लाने की कोशिश करती हैं। उन्होंने “शाह के कश्मीरी और मुगलई चिकन” नाम से बठिंडा में एक रेस्टोरेंट भी खोला है और वहीं पर एक ग्रामीण कश्मीरी इंटीरियर देने और अपने रेस्टोरेंट में कश्मीरी क्रॉकरी सेट का उपयोग करने की भी योजना बना रही है। यहां तक कि उनका एक प्रसिद्ध उत्पाद है, कश्मीरी चाय जो कि कश्मीरी परंपरा और व्यंजनों के मूल को दर्शाता है। वे हर स्वस्थ, फायदेमंद और पारंपरिक नुस्खा सांझा करना चाहती हैं जो उन्होंने अपने उत्पादों, रेस्टोरेंट और ट्रेनिंग के माध्यम से जाना है। कश्मीर में उनके बाग भी है जो उनकी गैर मौजूदगी में उनके चचेरे भाई की देख रेख में है। बाग में मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को बनाए रखने और अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए वे जैविक तरीकों का पालन करती हैं।

शहनाज़ कुरेशी की ये सिर्फ कुछ ही उपलब्धियां थी। आने वाले समय में वे समाज के हित में और ज्यादा काम करेंगी। उनके प्रयासों को कई संगठनों द्वारा प्रशंसा मिली है और उन्हें मुक्तसर साहिब के फूड प्रोसेसिंग विभाग द्वारा सम्मानित भी किया गया है। इसके अलावा 2015 में उन्हें पी ए यू द्वारा जगबीर कौर मेमोरियल पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया।

किसानों को संदेश

हर समय सरकार को दोष नहीं देना चाहिए क्योंकि जिन समस्याओं का आज हम सामना कर रहे हैं उनके लिए सिर्फ हम ही जिम्मेदार हैं। आजकल किसानों को पता ही नहीं है कि अवसरों का लाभ कैसे उठाया जाए, क्योंकि यदि किसान आगे बढ़ना चाहते हैं तो उन्हें अपनी सोच को बदलना होगा। इसके अलावा इसका पालन करना आवश्यक नहीं है। आप दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा हो सकते हैं। किसानों को यह समझना होगा कि कच्चे माल की तुलना में फूड प्रोसेसिंग में अधिक मुनाफा है।

अनीता गोयल

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एक ऐसी महिला की कहानी जो अपनी मेहनत से एक आम गृहणी से एक जानी मानी हस्ती बन गयी और ज़ायका मैंम के नाम से जानी जाने लगी

पुराने समय में, भारत में पहले विवाह के बाद महिलाओं में इतना विश्वास नहीं होता था कि वे अपने शौंक और रूचि को अपना व्यवसाय बना सकें। इसके पीछे काफी कारण हैं जैसे कि सामाजिक दबाव, पारिवारिक दबाव, रूढ़िवादी समाज, वित्तीय संकट, पारिवारिक जिम्मेदारियां और बहुत कुछ शामिल थे। लेकिन कुछ महिलाओं को आगे बढ़ने से रोका नहीं जा सकता। यह पंक्ति इन महिलाओं के लिए ही बनी है – जो रोशनी अंदर से प्रकाशित होती है, उसे कोई मध्यम नहीं कर सकता।

ऐसी महिला जो हमेशा महिला समाज के लिए प्रेरणा रही है वे हैं अनीता गोयल। अनीता गोयल लुधियाना शहर के एक कस्बे जगरांव की एक सफल उद्यमी हैं। वे अपने हॉमटाउन में कुकिंग क्लासिज़ के लिए बहुत प्रसिद्ध हैं और ज़ायका कुकिंग क्लासिज़ नामक ब्रांड के तहत अपने व्यवसाय को चलाती हैं। वह अपने छात्रों को पेंटिंग और कढ़ाई भी सिखाती हैं और उनके सभी छात्र छोटी उम्र की लड़कियों से लेकर बड़ी उम्र की महिलायें हैं। अपने काम के प्रति जुनून के कारण उन्हें “ज़ायका मैम” के नाम से जाना जाता है। वे 2009 में पी ए यू में किसान क्लब की मैंबर भी बनीं और अब तक वे पी ए यू में नियमित रूप से कुकिंग क्लासिज़ दे रही हैं। उनके सभी विद्यार्थी बड़ी लग्न से उनसे कुकिंग क्लासिज़ लेते हैं और उन्हें बहुत शांति से और ध्यान से सुनते हैं।

यह सब सफलता, समृद्धि और नाम इतनी आसानी से हासिल नहीं हुआ है। यह सब उनकी शादी के बाद 1986 में शुरू हुआ। उन्होंने एक ऐसे परिवार में शादी की, जहां किसी भी औरत ने घर से बाहर कभी कदम नहीं रखा। वे उनमें से पहली थी। उसके पति पेशे से वकील थे इसीलिए उनके परिवार की आर्थिक अवस्था अच्छी थी और उन्हें कभी काम करने की जरूरत नहीं पड़ी। लेकिन ये उनका जुनून ही था जिसने उन्हें उपलब्धि के इस स्तर तक पहुंचाया, जहां वे आज हैं। वे जगरांव में अपने संपूर्ण परिवार (पति, दो पुत्र, एक बेटी, दो बहुएं और दो पोतों) के साथ रहती हैं और साथ-साथ में अपने दैनिक व्यवसाय और शिक्षण कार्य को भी संभालती हैं। उनके लिए, उनका परिवार ही उनकी सबसे बड़ी ताकत है जिसने हमेशा उनका साथ दिया और वे जो भी कार्य करती हैं उसमें उन्हें उत्साहित करते हैं।

यह कहा जाता है कि कुछ भी बड़ा करने के लिए आपको कम से शुरूआत करनी पड़ती है और वही श्री मती अनीता गोयल ने किया। अपनी पहली नौकरी से उन्होनें 750 रूपये प्रति माह कमाये जिस पर शुरूआत में उनके पति को आपत्ति थी। कम राशि में सभी खर्चों जैसे खाना पकाने की सामग्री, सहूलतें, निजी उपयोग आदि का प्रबंध करना बहुत मुश्किल था। उन्होंने अपने व्यवसाय को शुरू करने के लिए बहुत मुश्किलों का सामना किया। हालांकि उन्होंने अपने जीवन में बहुत कुछ खोया लेकिन वह कभी भी निराश नहीं हुई और हमेशा खुद को उत्साहित रखा। बहुत काम करने के बाद अंत में उन्हें सफलता मिल ही गई और अधिकारिक तौर पर कुकिंग क्लासिज़ शुरू की और आज वे सफलतापूर्वक अपना व्यवसाय चला रही हैं।

उनके लिए खाना बनाना खुशी फैलाने की तरह है और उनके द्वारा बनाए गए खाद्य पदार्थों का स्वास्थ्यवर्धक होना उनके खाना बनाने के गुण को अलग और विशेष बनाता है। वे हर किस्म के बेकरी उत्पाद, आचार, चटनी, 17 किस्म के मसाले, 3 किस्म के इंस्टैंट मसाले और 3 किस्मों के इंस्टैंट पकवान (ठंडाई, फिरनी और खीर) बनाती हैं। वे ब्रैड, मफिनस, पिज्जा बेस, विभिन्न स्वाद के केक, नारियल कैस्टल, कपकेक, बिस्कुट और अन्य बेकरी उत्पाद बनाने के लिए मैदे की जगह गेंहूं के आटे का प्रयोग करती हैं और आचार में वे नमक, चीनी और तेल को छोड़कर किसी संरक्षित पदार्थ का प्रयोग नहीं करती क्योंकि उनके अनुसार नमक, चीनी और तेल आचार के लिए कुदरती संरक्षित पदार्थ हैं। उनके द्वारा बनाया गया हर उत्पाद स्वास्थ्यवर्धक और कुदरती होता है। वे बहुत स्वादिष्ट आचार बनाती हैं और उनके आचार की मांग विदेशों में भी है। वे कहती हैं कि यदि आप कुछ अच्छा देते हो तो आप भीड़ से निकलकर जरूर आगे आओगे।

उन्होंने अपने घर के पीछे एक छोटी बगीची लगाई हुई है जहां पर उन्होंने अपने घर में प्रयोग होने के लिए हल्दी, हरी मिर्च और अन्य मौसमी सब्जियां उगाई है। वे साठ साल की हैं लेकिन अलग अलग इवेंटस, प्रदर्शनियों और व्यवसायों में सक्रिय भागीदारी से ऐसा लगता है कि वे भविष्य में और बहुत कुछ हासिल करेंगी। श्रीमती अनीता गोयल के कुकिंग के प्रति शौंक और जुनून ने उनकी समाज में अपनी पहचान और अच्छा कमाने में बहुत मदद की है। वर्तमान में, वे अपने व्यवसाय को अगले स्तर तक ले जाने की योजना बना रही हैं और एक अधिकारिक दुकान खोलने की योजना बना रही हैं जहां वे सभी उत्पादों को आसानी से बेच सकें।

श्रीमती अनीता गोयल द्वारा दिया गया संदेश
“उनके अनुसार कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता, यदि आप वास्तव में परिवर्तन करना चाहते हैं तो आपको दृढ़ संकल्प और इच्छा शक्ति के माध्यम से आगे बढ़ना है। आप में दृढ़ इच्छा शक्ति होनी चाहिए तभी आप जो चाहें प्राप्त कर सकते हैं। एक महिला अपनी शक्ति के साथ ही अपने जीवन में आगे बढ़ सकती है। महिलाओं को समाज में अपनी पहचान बनानी चाहिए। महिला की पहचान उसके गुणों और प्रतिभा से होती है ना कि सिर्फ उसके पति के नाम से। जब आपका परिवार आपके नाम से जाना जाता है यह बहुत गर्व महसूस करवाता है।”

अमनदीप कौर

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एक ऐसी लड़की की कहानी, जो उभरते हुए कौशल के साथ अपने पैरों पर खड़ा होने और रसोई कला से समाज में अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रही है

यह कहा जाता है कि जो लोग अपने जीवन में कुछ हासिल करना चाहते हैं, उनके लिए केवल एक छोटी सी प्रेरणा ही पर्याप्त होती है। भगवान ने हर किसी को उपहार के साथ भेजा है, उनमें से कुछ ही उस अपनी प्रतिभा को पहचान पाते हैं और अधिकांश लोग विश्वास की कमी के कारण ऐसा करने की हिम्मत नहीं करते। लेकिन मोगा की एक लड़की ने अपनी प्रतिभा को पहचाना और आत्मनिर्भर होने के लिए अपने पैरों पर खड़े होने की हिम्मत की।

अमनदीप कौर (25 वर्षीय) एक उभरती उद्यमी है जो समाज में अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रही है जैसे कि हम सब जानते हैं कि हर नेता के पीछे एक संघर्ष का अनुभव होता है जो उसे उस स्थान तक पहुंचाने के लिए उत्साहित करता है, उसी तरह अमनदीप के साथ भी है। वह अन्य लड़कियों के समान एक युवा और उत्साही लड़की है लेकिन उसका दृढ़ संकल्प है, जो उसे दूसरों से अलग करता है। वर्तमान में वह अपने भाई और मां के साथ रह रही है, उसके पिता का बहुत समय पहले निधन हो गया था और आर्थिक तंगी के कारण उसने 10 वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी, लेकिन जैसा कि हम सबने सुना है कि, जो लोग कुछ बड़ा करना चाहते हैं और भीड़ से बाहर खड़े होते हैं, उन्हें किसी प्रकार की कठिनाइयों से रोका नहीं जा सकता।

आज अमनदीप 7 लड़कियों के (स्वाति महिला सहकारी संस्था) ग्रुप का नेतृत्व कर रही है और इस ब्रांड नाम के तहत वह सफलता के कुछ कदम उठा रही है। इस समूह गठन के पीछे महिला लोक हितैषी श्री मती सुंदरा का हाथ है। श्रीमती सुंदरा ने एक छोटी सी प्रेरणा अमनदीप को दी जो उसके लिए लड़कियों को इक्ट्ठा करने और अपने घर से तैयार चटनी और आचार का व्यवसाय शुरू करने के लिए काफी थी।

अमनदीप कौर ने बताया कि श्री मती सुंदरा ने 2003 में उनके गांव का दौरा किया, उन्हें इक्ट्ठा कर जागरूक किया कि उनके पास क्या क्षमताएं है और वे बेकार रहने की बजाय अपने कौशल को कैसे उपयोगी बना सकते हैं। वह अमनदीप और अन्य लड़कियों को आचार, चटनी और कई अन्य खाद्य उत्पादों, जैसे घर के उत्पादों को बनाने की ट्रेनिंग में दाखिला लेने में भी मदद करती है और उन्हें आगे अध्ययन करने के लिए प्रेरित करती हैं।

अमनदीप ना केवल कमाने और अपने परिवार को समर्थन देने के लिए काम कर रही है बल्कि समाज में अपनी पहचान बनाने के लिए भी काम कर रही है। वह अपने काम के प्रति काफी भावुक है और उसने घर से बने उत्पादों में शिक्षा लेने की योजना बनाई है ताकि वह विभिन्न खाद्य उत्पादों को बाज़ार में बिक्री के लिए ला सके। अन्य लड़कियों के नाम परमिंदर, बलजीत, रणजीत, गुरप्रीत, चन्नी, मंजीत, पवनदीप। ये लड़कियां शुरूआती 20 वें वर्ष या उससे कम उम्र की हैं लेकिन कुछ परिस्थितयों के कारण उन्हें अपनी शिक्षा बीच में ही छोड़नी पड़ी। उनके अध्ययन को जारी रखने, नई चीज़ों का पता लगाने, अपनी आजीविका अर्जित करने और आत्मनिर्भर होने के लिए उनमें उत्साह अभी भी है। सभी लड़कियां अपने काम के प्रति बहुत उत्साहित हैं और वे व्यवसाय के साथ अपने अध्ययन को जारी रखने में रूचि रखती हैं।

अमनदीप और उसके ग्रुप के बाकी सदस्य काफी मेहनती हैं और जानते हैं कि अपने काम का कुशलता से कैसे प्रबंध करना है। वे आचार, चटनी और इत्र बनाने के लिए स्वंय बाज़ार (सब्जी मंडी) से कच्चा माल खरीदते हैं। वे 10 प्रकार के आचार, 2 प्रकार की चटनी, और 3 प्रकार का इत्र और कैंडिज़ भी बनाते हैं। सब कुछ उनके द्वारा हाथों से बनाया गया है और बिना किसी रसायन के शुद्ध रूप से प्राकृतिक हैं। उनके द्वारा बनाए गए उत्पादों में आचार, चटनी और कैंडिज़ बहुत स्वादिष्ट होते हैं और वास्तविक स्वाद वाले हैं और आपको अपनी दादी के हाथ का स्वाद याद दिलायेंगे।

आम की चटनी, लच्छा निंबू का आचार, अदरक का आचार और लहसुन का आचार सबसे अधिक बिकने वाले उत्पाद हैं। वे कई प्रदर्शनियों और इवेंट्स में जाते हैं ताकि वे अपने हाथों से बने प्राकृतिक उत्पादों को बेच सकें और इसके अलावा वे अपने उत्पाद को बेचने के लिए व्यक्तिगत रूप से विभिन्न समाजों और विभिन्न जिलों के समितियों का दौरा करते हैं। अब तक वे फतेहगढ़, फिरोज़पुर, लुधियाना और मोगा में गए हैं और आने वाले समय में अधिक से अधिक शहरों में जायेंगे। आमतौर पर वे एक दिन में लगभग 100 डिब्बे बनाते हैं।

वर्तमान में इस ग्रुप की कुल आय केवल 20000 रूपये प्रति महीना है और उनके लिए इस तरह की कम आमदन में प्रबंधन करना बहुत मुश्किल है। इसका कारण यह है कि उनके उत्पाद को बेचने के लिए उनके पास उचित प्लेटफॉर्म नहीं है और बहुत कम लोग स्वाति महिला सहकारी समिति के बारे में जानते हैं। उनके अनुसार यह सिर्फ शुरूआत है और इस प्रकार की कठिनाइयां कभी भी उन्हें निराश नहीं कर सकती और जो काम वे कर रही हैं वो करने से उन्हें नहीं रोक सकती।


अमनदीप कौर द्वारा संदेश
हर लड़की को अपना कौशल पहचानना चाहिए और उन्हें अपने दम पर आत्मनिर्भर होने के लिए बुद्धिमानी से इसका उपयोग करना चाहिए। आज, महिलाओं को दूसरों पर निर्भर नहीं होना चाहिए। उन्हें आत्म निर्धारित और स्व- नियंत्रण होना चाहिए क्योंकि यह अच्छा लगता है जब आप में अपनी इच्छाओं को पूरा करने की शक्ति होती है। रास्ता दिखाने में शिक्षा बहुत आवश्यक है। काम और आत्मनिर्भरता आपको महसूस करवाते हैं कि आप क्या हैं। इसलिए हर लड़की को अपनी शिक्षा पूरी करनी चाहिए और रूचि के अनुसार उन्हें अपना रास्ता चुनना चाहिए जो उन्हें अच्छा जीवन जीने में मदद करता है।