नीरज कुमार

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जैविक खेती के प्रति जागरूक करने वाली एक आजीवन साइकिल यात्रा

जिंदगी के सफर में कुछ ऐसे मोड़ आते हैं जो इंसान को बदल देते हैं। एक ऐसा वाक्यात नीरज कुमार प्रजापति के साथ हुआ जो की आहुलाना गांव, गोहाना, हरियाणा के रहने वाले हैं। इससे उनके विचार तो बदले ही लेकिन इसके साथ उनकी जिंदगी को एक नया मोड़ मिल गया।
उन्होंने एक दृश्य देखा जिसमे एक ट्रैन कैंसर मरीजों को ले जा रही थी, जिसके बाद उन्होंने बी-टेक का पांचवा समेस्टर छोड़ दिया। उन्होंने साइकिल यात्रा के जरिये जहर मुक्त खेती, यानि जैविक खेती की जागरूकता के लिए अपने करियर की चिंता छोड़ दी। नीरज के निस्वार्थ भाव से उठाए गए इस कदम को देखते हुए उन्हें “द साइकिल मैन ऑफ इंडिया” का नाम दिया गया है।
प्रजापति, नीरज कुमार ने कहा, “जब मैंने पंजाब में बठिंडा से बीकानेर जा रही ट्रेन में कैंसर मरीजों को इलाज के लिए जाते हुए देखा तो मेरा मन उदास हो गया । उस ट्रैन में जो मरीज सफर कर रहे थे उनमें से ज्यादातर पंजाब और हरियाणा के रहने वाले थे।
उनका मानना था कि खेतीबाड़ी में कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग भी कैंसर के प्रमुख कारणों में से एक है। इसे देखते हुए उन्होंने फैसला किया कि वह किसानों को जैविक खेती अपनाने के लिए प्रेरित करने का प्रयास करेंगे।
नीरज ने उन्हें ना केवल जैविक खेती की तकनीक सिखाई, बल्कि उन्होंने मार्केटिंग के लिए चैनल भी तैयार किए। आज अपनी उपज के विक्रय केन्द्रों के साथ-साथ ये सभी किसान ना केवल अधिक पैसा कमा रहे हैं बल्कि कम संसाधनों के साथ अधिक उत्पादन भी कर रहे हैं।
नीरज अब लगभग 70,000 किसानों को प्रशिक्षित कर चुके हैं और प्रति माह 1,000 किलोग्राम भोजन के उत्पादन में उनकी सहायता कर रहे हैं। उन्होंने 2018 में फसल बेचने के लिए अंतरराष्ट्रीय कृषि संस्थानों और हाउसिंग सोसाइटियों के साथ सफलतापूर्वक भागीदारी की। उनके प्रयास यहीं समाप्त नहीं हुए। अपने दृष्टिकोण और संचार कौशल के माध्यम से, उन्होंने किसानों को अपनी साइकिल पर देश भर में यात्रा करने और सब्जियों और अनाज के लिए बाजार स्थापित करने में सक्षम बनाया।
खेती के साथ साइकिल यात्रा के रोमांच के बाद, उन्होंने “किसानों का जीवन” नामक पुस्तक में अपने अनुभवों के बारे में लिखने का फैसला किया। जैविक खेती के बारे में सीखने और इसके तरीकों को लागू करने के लिए, उन्होंने अब किसानों को समझाने से लेकर प्रशिक्षण और उनकी उपज बेचने में उनकी सहायता करने तक सब कुछ किया है।
नीरज प्रजापति यह सुनिश्चित करते हैं कि किसी विशेष क्षेत्र की यात्रा के दौरान, वह जैविक खेती पर शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों से मिले और फिर इन नई तकनीकों को विभिन्न गांवों के किसानों तक पहुंचाएं।
वह किसानों के काम में मदद करते है। वह किसानों की चिंताओं को सुनते हैं और फिर समाधान खोजने के लिए विशेषज्ञों से सलाह लेते हैं।
COVID प्रतिबंधों और लॉकडाउन के कारण, नीरज का मिशन रुका हुआ था
“यह हमारे लिए युवा और होनहार किसानों पर ध्यान केंद्रित करने का समय है, खासकर उन लोगों पर जिन्होंने हाल ही में खेतों में काम करना शुरू किया है।” 25 वर्षीय नीरज कहते हैं, “युवा किसानों को उचित तकनीकों से अवगत कराया जाना चाहिए ताकि वे कृषि में काम करना जारी रखने के लिए प्रेरित महसूस करें।”
जैविक खेती और फसलों में कीटनाशकों के प्रयोग से जुड़ी समस्याओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रजापति देश भर में 111,111 किलोमीटर तक साइकिल चलाने के मिशन पर हैं। वह कहते है, यह सबसे अधिक उत्साहपूर्ण भावनाओं में से एक था जिसे मैंने कभी अनुभव किया था। नीरज प्रजापति कहते हैं, “मुझे बी-टेक से बाहर हुए तीन साल हो गए, लेकिन मुझे लगा कि बदलाव रंग ला रहा है।”
शुरुआत से बात करते है: कैसे नीरज प्रजापति नाम का एक बी-टेक ड्रॉपआउट विद्यार्थी किसान बन गया और भारत के किसान समुदाय में साइकिल यात्रा के माध्यम से जैविक खेती और जीएपी को अपनाने के लिए जागरूक किया और उनकी मदद की।
उन्होंने अपनी बचत का इस्तेमाल कुछ साल बाद साइकिल खरीदने के लिए किया। विस्तृत खोज करने के बाद, उन्होंने विभिन्न शोध संस्थानों, कॉलेजों और गांवों में जाना और जानकारी प्राप्त करना शुरू किया।
तीन साल तक जैविक खेती का ज्ञान प्राप्त करने के बाद उनको विश्वास हो गया वो पंजाब और हरियाणा के आस पास वाले जिलों में किसानो को इसके लिए ट्रेनिंग प्रदान कर सकते हैं।
इस इंजीनियरिंग ड्रॉपआउट ने कई उत्तरी राज्यों में किसानों को जैविक खेती के लाभों के बारे में शिक्षित करने के लिए 44,817 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय की।
उन्होंने राजस्थान, पंजाब और हरियाणा में किसानों को उनकी फसलों पर कीटनाशकों के उपयोग के खतरों के बारे में शिक्षित करने के लिए साइकिल चलाई है। वह इस बारे में जागरूकता बढ़ा रहे है कि इन रसायनों का उत्पादन कैसे किया जाता है। जिस कारण देश में फेफड़ों की बीमारी और कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं।
नीरज अब तक हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में 44817 किलोमीटर का सफर तय कर लोगों को जागरूक कर चुके हैं। नीरज ने जैविक जागरूकता के लिए 1 लाख 11 हजार 111 किलोमीटर साइकिल यात्रा का लक्ष्य रखा है।
नीरज ने कहा, “मैं 45,000 किमी का आंकड़ा पार करने वाला हूं।” वह आने वाले वर्षों में विभिन्न क्षेत्रों में अपने आगामी साइकिलिंग कार्यक्रमों के माध्यम से और अधिक किसानों की भर्ती करने की योजना बना रहे है और वह जैविक उत्पादों और जीएपी के उपभोग के लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाना चाहतें है।
उन्होंने बिना अपने करियर की चिंता करे किसानों को जहर मुक्त खेती के बारे में जागरूक करने के लिए कश्मीर से कन्याकुमारी तक यात्रा करने का निर्णय किया और अपना सफर शुरू कर दिया था। वह जहां भी जाते हैं खेतों में जाते हैं और लोगों को कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से होने वाले नुकसान के बारे में बताते हैं।

किसानों के लिए संदेश

नीरज ने एग्रोकेमिकल्स के उपयोग को कम से कम करने पर अपनी राय व्यक्त की है। जैविक खेती की ओर रुख करना और मिट्टी के स्वास्थ्य की रक्षा करना और मूल्यवान फसल के लिए मिट्टी में सूक्ष्म जीवों की मात्रा बढ़ाना महत्वपूर्ण है।

अमरजीत सिंह भट्ठल

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जानें एक रिटायर्ड फौजी के बारे में, जो एग्रीप्रेन्योर बन गए और एग्री बिज़नेस के क्षेत्र में क्रांति ला रहे हैं

आज कल बहुत कम लोग अपने भविष्य में खेतीबाड़ी के क्षेत्र में जाने के बारे में सोचते हैं। जिस दौर में हम रह रहे हैं, इसमें ज्यादातर लोग बड़े शहरों का हिस्सा बनना चाहते हैं और सेवा मुक्ति के बाद की ज़िंदगी को लोग आमतौर पर आसान और आरामदायक तरीके से जीना चाहते हैं, जिसमें उनके पास कोई काम ना होना, घर में खाली बैठना, अखबार पढ़ना, बच्चों के साथ समय बिताना और थोड़ी बहुत कसरत करना आदि शामिल हो। बहुत कम लोग होते हैं, जो कुदरत की चिंता करते हैं और अपनी जिम्मेदारियां निभाते हैं और अपने जीवन में उन्होंने मिट्टी से जो कुछ हासिल किया, उसे वापिस देने की कोशिश करते हैं।

स. अमरजीत सिंह भट्ठल एक रिटायर्ड फौजी हैं, जो कुदरत के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं और इस जिम्मेदारी को उन्होंने अपना शौंक और आराम का तरीका बना लिया। वे आराम वाली ज़िंदगी को छोड़कर लुधियाना में स्थित अपने गांव में अपने पिता और पत्नी सहित रह रहे हैं और जट्ट सौदा के नाम से एक दुकान चला रहे हैं।

सड़क के साथ लगती और भी दुकानें और रिटेल स्टोर हैं, पर जट्ट सौदे में खास क्या है दुकान के पीछे स्वंय के खेत में उगाई जैविक सब्जियां, दालें, फल और मसाले आदि जट्ट सौदे को दूसरों से अलग और विलक्षण बनाते हैं। वास्तव में उनकी ऑन रोड फार्म मार्किट है, जहां पर आप सब कुछ ताजा और जैविक खरीद सकते हैं। इसके अलावा उनके पास एक छोटा पॉल्टरी फार्म भी है, जहां उनके पास लगभग 100 देसी मुर्गियां हैं। मुर्गियों की गिनती कम ज्यादा होती रहती है, पर देसी अंडों की मांग कभी भी नहीं घटती और स्टोर में पहुंचने के साथ-साथ ही सारे अंडे बिक जाते हैं।

उन्होंने विरासत मिशन से ट्रेनिंग लेने के बाद दिसंबर 2012 में जैविक खेती शुरू की। उस दिन से लेकर आज तक वे खेती का काम पूरी लगन से कर रहे हैं। वे सुबह से शाम तक का समय अपने फार्म स्टोर पर ही व्यतीत करते हैं, जहां उनके पिता भी उनका साथ देते हैं। ये पिता-पुत्र अपनी ज़मीन के छोटे से हिस्से को अपने पुत्र की तरह पालते हैं।

उन्होंने अपनी दुकान की दिखावट ग्रामीण तरीके से तैयार की है, जिसके एक ओर आप ताज़ी मौसमी सब्जियां डिस्पले पर लगी देख सकते हैं और छत से नीचे लटकती लहसुन की गांठे देख सकते हैं। दुकान के बीच में से एक रास्ता पीछे बने फार्म की तरफ जाता है, जहां आपको भिंडी, टमाटर, करेले, अरहर अलग अलग तरह के लैट्टस (सलाद पत्ता) की किस्में और अन्य बहुत तरह की सब्जियां मिलती हैं। उनके अनुसार फार्म देखने के लिए सबसे उचित समय जल्दी सुबह से शाम तक का होता है क्योंकि उस समय आप बहुत अच्छे कुदरत के रंगों को फार्म की खूबसूरती से मिलते देख सकते हैं। फार्म के एक कोने पर पोल्टरी फार्म बना है जहां आप किल्ली से बंधा कुत्ता देख सकते हैं। सब कुछ मिलाकर यह फार्म एक संपूर्ण फार्म का दीदार करवाता है। उनके पास खेती के कामों के लिए 2-3 मजदूर हैं।

अमरजीत सिंह जी ने पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ से एम एस सी की डिग्री पूरी की और देश की सेवा करना उनके द्वारा चुना गया पेशा था। खेती से पहले, स. अमरजीत सिंह एक इमीग्रेशन कंपनी में सलाहकार के तौर पर भी काम करते थे, जहां वे बच्चों के साथ बात करके भविष्य की ज़िंदगी के लक्ष्यों और उद्देश्यों के बारे में चर्चा करते थे और उन्हें सलाह देते थे। इसके अलावा वे पंजाब के मुख्य मंत्री अमरिंदर सिंह जी के भी प्रसिद्ध सलाहकार रहे हैं। अपनी ज़िंदगी में इतने मशहूर पद हासिल करने के बाद भी आज वे किसी भी चीज़ का घमंड नहीं करते। वे सादा जीवन व्यतीत करने में यकीन रखते हैं और कुदरत की इज्ज़त भी करते हैं। वे जैविक खेती के द्वारा कुदरत को बचाने और समाज को तंदरूस्त भोजन देने की कोशिश कर रहे हैं। अमरजीत सिंह जी का एक छिपा हुआ गुण भी है। उनके कॉलेज के समय से ही वे साहित्य में रूचि रखते थे और उन्हें लियो टॉलस्टॉये को पढ़ने का बहुत शौंक था। वे बहुत बढ़िया लेखक भी हैं और अब भी जब खेती के कामों से समय मिलता है तो अपने विचारों और सोच को शब्दों में लिखते हैं।

उनसे बातचीत करने के बाद उन्होंने ग्राहकों की मांग बारे में चर्चा की और उनके अनुसार आज कल ग्राहकों की मांग स्वास्थ्य के हित में नहीं है। आधुनिक तकनीकों और नए तरीकों से खाना बचाकर आज आप गर्मियों में मटर और गाजर और सर्दियों में लौकी खा सकते हैं। जैसे कि हम सब जानते हैं कि सब्जियां मानवी पाचन क्रिया में मुख्य हिस्सा है और प्रत्येक मौसम हमें बहुत सारी ताजी उपज प्रदान करता है। इसलिए यदि आप अपने भोजन में अन्य जैविक, मौसमी फल और सब्जियों को शामिल करते हैं, तो यह और भी ज्यादा लाभदायक होगा, क्योंकि खुराक में मौसमी फल शामिल करने से आप अधिक तत्वों वाली सब्जियां, जो कि बिना किसी रसायनों से होती हैं, उनका अच्छा स्वाद ले सकते हैं। यह भोजन आपके शरीर के लिए भी मौसम के अनुसार सहायक होगा। उन्होंने यह भी कहा कि जिस दिन ग्राहकों को जैविक भोजन के फायदों के बारे में पता लगेगा, उस दिन से जैविक सब्जियों और फलों की मांग अपने आप बढ़ जायेगी और जागरूकता बढ़ाने के लिए किसानों और ग्राहकों में संपर्क होना बहुत जरूरी है।

वे स्वंय लोगों को जैविक खेती के बारे में जागरूक करने की कोशिश करते हैं और उन्होंने स्कूल के बच्चों को जैविक खेती और भोजन की महत्वत्ता पर प्रैज़ैनटेशन भी दी। इस समय वे जैविक खेती को जारी रखने और अन्य लोगों को जैविक खेती के फायदों से जागरूक करवाने की योजना बना रहे हैं।

भविष्य में उनकी योजनाएं इस प्रकार हैं:

• अपनी ऑन रोड मार्किट के ढांचे को अपग्रेड करना

• 2000 गज में नैट हाउस बनाना

• अपने फार्म में फसलों को संरक्षित वातावरण प्रदान करना

• सिंचाई का हाइब्रिड सिस्टम लगाना

• पानी की स्टोरेज बढ़ाना

अमरजीत सिंह भट्ठल जी के द्वारा दिया गया संदेश
“उन्होंने आज के किसानों को बड़ी समझदारी वाला संदेश दिया कि आप उत्पाद का मुल्य नियंत्रण नहीं कर सकते, क्योंकि वह सरकार पर निर्भर करता है, आपको वह करना चाहिए, जो आप कर सकते हैं। किसानों को लागत मुल्य पर नियंत्रण करना चाहिए और जैविक खेती करनी चाहिए, क्योंकि इससे ज्यादा खर्चा नहीं आता। एक समय आयेगा, जब लोगों को अहसास होगा कि पारंपरिक खेती उनकी मांगों को पूरा नहीं कर रही है। इसलिए अच्छा होगा, यदि हम समय की जरूरत को समझ लें और इसके अनुसार ही काम करें।”