जैविक गुड़ बेच कर बहन-भाई को जोड़ी ने चखा सफलता का स्वाद
बेशक आपने भाई-बहनों को लड़ते हुए देखा है लेकिन क्या आपने उन्हें एक साथ बिजनेस चलाने के लिए एक साथ काम करते देखा है?
मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश की संगीता तोमर जी और भूपिंदर सिंह जी भाई-बहन बिजनेस पार्टनर्स का एक आदर्श उदाहरण हैं, जिन्होंने एक साथ बिजनेस शुरू किया और अपने दृढ़ संकल्प और जुनून के साथ सफलता की नई ऊंचाइयों पर पहुंचे। संगीता जी और भूपिंदर जी का जन्म और पालन पोषण मुजफ्फरनगर में हुआ, संगीता जिनका विवाह नजदीकी गांव में हुआ था वहअपने नए परिवार के साथ अच्छी तरह से सेटल हैं। उत्तर प्रदेश राज्य की आगे वाली बेल्ट सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले गन्ने के लिए जाने जाती है, हालांकि यह फसल अन्य राज्यों में भी उगाई जाती है लेकिन गन्ना गुणवत्ता और स्वाद में अलग होता है। दोनों ने अपनी 9.5 एकड़ जमीन पर गन्ना उगाने के बारे में सोचा और 2019 में उन्होंने ‘किसान एग्रो-प्रोडक्ट्स’ नाम से गन्ना उत्पादों की प्रोसेसिंग शुरू किया।
उत्पादों की सूची
- गुड़
- शक़्कर
- देसी चीनी
- जामुन का सिरका
जैविक फलों से बने गुड़ से विभिन्न स्वादों वाले कुल 12 उत्पाद तैयार किए जाते हैं। वे फ्लेवर्ड चॉकलेट, आम, सौंफ, इलायची, अदरक, मिक्स, अजवाइन, सूखे मेवे और मूंगफली का गुड़ में शामिल करने से परहेज करते हैं।
भूपिंदर सिंह जी ने इस क्षेत्र में कभी कोई ट्रेनिंग नहीं ली था लेकिन उनके पूर्वज पंजाब में गन्ने की खेती करते थे। वह इस अभ्यास के साथ-साथ आज के उपभोक्ताओं की आवश्यकता को भी समझते थे जो अपने भोजन के बाद मीठे में चीनी खाना पसंद करते हैं। उन्होंने गुड़ को छोटे-छोटे टुकड़ों में बनाने के बारे में सोचा। उन्होंने गुड़ को बर्फी के रूप में बनाने के बारे में सोचा जहां 1 टुकड़े का वजन लगभग 22gm है, जोकि भोजन या दूध के साथ एक बार में खाना आसान था, जैविक था और चीनी से कहीं बढ़िया था।
“अच्छी गुणवत्ता और स्वादिष्ट गुड़ पैदा करने की तकनीक हमारे परिवार में पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है” भूपिंदर सिंह
संगीता जी मार्केटिंग का काम देखते हैं और प्लांट में शरीरक रूप से मौजूद न होने पर भी नियमित निरीक्षण करते हैं। स्टील-इनफ्यूज्ड मशीनरी का उपयोग प्रोसेसिंग के लिए किया जाता है जिसे किसी भी प्रदूषण से बचाने के लिए अच्छी तरह से कवर किया जाता है। क्योंकि सभी उत्पाद मशीन द्वारा बनाए जाते हैं, इसलिए स्वाद में कोई बदलाव नहीं होता है। भूपिंदर जी, संगीता जी और उनकी टीम दिल्ली के 106 सरकारी स्टोर और 37 निजी स्टोर में अपने उत्पाद पहुंचाती है।
प्रतिदिन उपयोग किए जाने वाले गन्ने की मात्रा 125 क्विंटल है और इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए उन्हें अपने गाँव के अन्य किसानों से इस फसल को खरीदने की आवश्यकता है। गुड़ का उत्पादन आमतौर पर सितंबर से मई तक होता है लेकिन जब उपज मौसमी कारकों से प्रभावित होती है तो यह सितंबर से अप्रैल तक ही होती है।
प्रारंभिक जीवन
भूपिंदर सिंह जी 2009 में भारतीय सेना से राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के रूप में सेवानिवृत्त हुए और फिर खाद्य उद्योग में अनुभव हासिल करने के लिए एक फाइव स्टार होटल में काम किया। 2019 में, उन्होंने अपने गाँव में सीखी गई पारंपरिक प्रथाओं से कुछ बड़ा करने का फैसला किया। उन्होंने अपने उत्पादन पलांट और अपने खेतों में काम करने वाले मजदूरों के लिए रोजगार भी पैदा किया और अन्य किसानों से गन्ना खरीदकर किसानों को आय का एक स्रोत भी प्रदान किया।
संगीता तोमर, जिन्होंने अंग्रेजी मेजर में मास्टर डिग्री पूरी की है, एक स्वतंत्र महिला हैं। उनके सभी बच्चे विदेश में बसे हुए हैं लेकिन वह अपने गांव में रह कर खेती करना चाहते हैं।
चुनौतियां
एक अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पाद की पहचान एक ऐसे उपभोक्ता द्वारा की जा सकती है जो जैविक उत्पाद और डुप्लिकेट उत्पाद के बीच का अंतर जानता हो। उनके गांव में ऐसे किसान हैं जो जुलाई में भी चीनी और केमिकल से गुड़ बना रहे हैं. यह किसान अपना उत्पाद कम कीमत पर बेचते हैं जो खरीदार को रासायनिक रूप से बने गुड़ की ओर आकर्षित करता है।
प्राप्तियां
- लखनऊ में गुड़ महोत्सव में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा सम्मानित किया गया।
- मुजफ्फरनगर के गुड़ महोत्सव में सम्मानित किया गया।
किसानों के लिए संदेश
वह चाहते हैं कि लोग खेती की ओर वापिस आएं। आज के दौर में नौकरी के लिए आवेदनकर्ता अधिक हैं लेकिन नौकरी कम। इसलिए बेरोजगार होने के बजाय अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने का समय आ गया है। इसके अलावा, कृषि में विभिन्न क्षेत्र हैं जिन्हें कोई भी अपनी रुचि के अनुसार चुन सकता है।
योजनाएं
भूपिंदर सिंह जी बिचौलियों के बिना अपने उत्पादों को सीधे उपभोक्ताओं को बेचना चाहते हैं, जिससे उनका मुनाफा बढ़ेगा और उपभोक्ता भी कम कीमत पर जैविक उत्पाद खरीद सकेंगे।