खेती के साथ साथ गन्ने से ज़हर—मुक्त गुड़—शक्कर तैयार करके बढ़िया कमाई करने वाला किसान
हमारे देश में खेती करने वाले परिवारों में रवायती खेती का रूझान ज्यादा है। पर कुछ किसान ऐसे भी हैं जो समय के साथ बदल रहे हैं और खेती के व्यवसाय को और भी लाभदायक व्यवसाय बनाकर अन्य किसानों में अपनी अलग पहचान बना रहे हैं। यह कहानी भी एक ऐसे किसान की है जिसने रवायती खेती के साथ साथ कुछ अलग करने के बारे में सोचा और अपनी मेहनत और लगन से अपनी एक अलग पहचान बनायी।
पंजाब के जिला संगरूर के गांव मानां के किसान खुशपाल सिंह के पिता सरदार जियून सिंह जी 22 एकड़ ज़मीन पर रवायती खेती करते थे। किसानी परिवार में पैदा हुए खुशपाल सिंह का भी खेती की तरफ ही रूझान था। पिता के अचानक देहांत के बाद खेती की सारी जिम्मेवारी खुशपाल जी के कंधों पर आ गई। जब खुशपाल जी ने खेती करनी शुरू की तो उन्होंने रवायती खेती के साथ साथ अन्य फसलें जैसे सरसों, हल्दी, धान, बासमती, आलू, मक्की और गन्ना आदि की खेती करनी भी शुरू कर दी। समय बीतने पर उन्होने खेती के साथ ही मधु—मक्खी पालन और डेयरी फार्मिंग का काम करना भी शुरू कर दिया। मधु—मक्खी के काम में वह शहद की मक्खियों को राजस्थान, अफगानगढ़ आदि इलाकों में लेकर जाते थे, पर कुछ समय बाद कुछ कारणों के कारण उन्हें मधु—मक्खी पालन का व्यवसाय छोड़ना पड़ा।
फिर खुशपाल जी ने सोचा कि क्यों ना अपने खेती के काम के साथ ही कुछ अलग किया जाए। इसलिए उन्होंने अपने खेतों में गन्ने की खेती करनी शुरू की। गन्ने की खेती के बारे में अपनी जानकारी बढ़ाने के लिए उन्होंने पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी, लुधियाना और के.वी.के. रौणी (पटियाला) से ट्रेनिंग भी ली।
धीरे — धीरे उन्होंने गन्ने से गुड़ तैयार करना शुरू कर दिया। उनकी तरफ से तैयार किए गए गुड़ को लोगों की तरफ से बहुत पसंद किया जाने लगा। लोगों की मांग पर उन्होंने गुड़ से शक्कर और अन्य उत्पाद तैयार करने भी शुरू कर दिए। इसके बाद खुशपाल जी ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और ग्राहकों की मांग को पूरा करने के लिए मेहनत करनी शुरू कर दिया। खुशपाल जी की मेहनत से आस—पास के गांव के लोग भी उन्हें जानने लगे।
हम गन्ने की फसल में खादों का प्रयोग पी ए यू की तरफ से सिफारिश मात्रा के अनुसार ही करते हैं और इससे तैयार गुड़ पूरी तरह रसायन—मुक्त होता है और इसमें किस भी तरह का रंग नहीं मिलाया जाता — खुशपाल सिंह
- साधारण गुड़
- शक्कर
- सौंफ वाला गुड़
- अलसी का चूरा
- तिल वाली टिक्की
- ड्राई फ्रूट वाला गुड़
- मेडीकटेड गुड़
- आम हल्दी गुड़
अपने द्वारा तैयार किए इन उत्पादों को बेचने के लिए वे पटियाला — संगरूर रोड पर “ज़िमीदारा घुलाड़ सराओ और गिल” के नाम से घुलाड़ चला रहे हैं। दूर — दूर से लोग उनसे गुड़ और अन्य उत्पाद खरीदने के लिए आते हैं।उनके बहुत सारे ग्राहक उनसे अपनी मांग के आधार पर भी गुड़ तैयार करवाते हैं। घुलाड़ के अलावा वे किसान मेलों में भी अपना स्टॉल लगाते हैं और ग्राहकों से मिल रहा प्रोत्साहन उन्हें और भी अच्छी क्वालिटी के उत्पाद तैयार करने के लिए प्रेरित करता है।
इस पूरे कारोबार में खुशपाल जी को अपने पारिवारिक सदस्यों की तरफ से पूरा सहयोग मिलता है, जिनमें से उनका भाई हरबख्श सिंह हर समय उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होता है।
हमारी घुलाड़ पर आकर कोई भी अपनी पसंद और मांग के आधार पर पास खड़ा होकर गुड़ तैयार सकता है। — खुशपाल सिंह
खुशपाल जी भविष्य में अपने उत्पादों की सूची और बड़ी करना चाहते हैं और अच्छी पैकिंग के द्वारा मार्केट में उतारना चाहते हैं।
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