शमशेर सिंह संधु

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जानिये क्या होता है जब नर्सरी तैयार करने का उद्यम कृषि के क्षेत्र में अच्छा लाभ देता है

जब कृषि की बात आती है तो किसान को भेड़ चाल नहीं चलना चाहिए और वह काम करना चाहिए जो वास्तव में उन्हें अपने बिस्तर से उठकर, खेतों जाने के लिए प्रेरित करता है, फिर चाहे वह सब्जियों की खेती हो, पोल्टरी, सुअर पालन, फूलों की खेती, फूड प्रोसेसिंग या उत्पादों को सीधे ग्राहकों तक पहुंचाना हो। क्योंकि इस तरह एक किसान कृषि में अपना सर्वश्रेष्ठ दे सकता है।

जाटों की धरती—हरियाणा से एक ऐसे प्रगतिशील किसान शमशेर सिंह संधु ने अपने विचारों और सपनों को पूरा करने के लिए कृषि के क्षेत्र में अपने रास्तों को श्रेष्ठ बनाया। अन्य किसानों के विपरीत, श्री संधु मुख्यत: बीज की तैयारी करते हैं जो उन्हें रासायनिक खेती तकनीकों की तुलना में अच्छा मुनाफा दे रहा है।

कृषि के क्षेत्र में अपने पिता की उपलब्धियों से प्रेरित होकर, शमशेर सिंह ने 1979 में अपनी पढ़ाई (बैचलर ऑफ आर्ट्स) पूरी करने के बाद खेती को अपनाने का फैसला किया और अगले वर्ष उन्होंने शादी भी कर ली। लेकिन गेहूं, धान और अन्य रवायती फसलों की खेती करने वाले अपने पिता के नक्शेकदम पर चलना उनके लिए मुश्किल था और वे अभी भी अपने पेशे को लेकर उलझन में थे।

हालांकि, कृषि क्षेत्र इतने सारे क्षेत्र और अवसरों के साथ एक विस्तृत क्षेत्र है, इसलिए 1985 में उन्हें पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के युवा किसान ट्रेनिंग प्रोग्राम के बारे में पता चला, यह प्रोग्राम 3 महीने का था जिसके अंतर्गत डेयरी जैसे 12 विषय थे जैसे डेयरी, बागबानी, पोल्टरी और कई अन्य विषय। उन्होंने इसमें भाग लिया। ट्रेनिंग खत्म करने के बाद उन्होंने बीज तैयार करने शुरू किए और बिना सब्जी मंडी या कोई अन्य दुकान खोले बिना उन्होंने घर पर बैठकर ही बीज तैयार करने के व्यवसाय से अच्छी कमाई की।

कृषि गतिविधियों के अलावा, शमशेर सिंह सुधु एक सामाजिक पहल में भी शामिल हैं जिसके माध्यम से वे ज़रूरतमंदों को कपड़े दान करके उनकी मदद करते हैं। उन्होंने विशेष रूप से अवांछित कपड़े इक्ट्ठे करने और अच्छे उद्देश्य के लिए इसका उपयोग करने के लिए किसानों का एक समूह बनाया है।

बीज की तैयारी के लिए, शमशेर सिंह संधु पहले स्वंय यूनिवर्सिटी से बीज खरीदते, उनकी खेती करते, पूरी तरह पकने की अवस्था पर पहुंच कर इसकी कटाई करते और बाद में दूसरे किसानों को बेचने से पहले अर्ध जैविक तरीके से इसका उपचार करते। इस तरीके से वे इस व्यवसाय से अच्छा लाभ कमा रहे हैं उनका उद्यम इतना सफल है कि उन्हें 2015 और 2018 में इनोवेटिव फार्मर अवार्ड और फैलो फार्मर अवार्ड के साथ आई.ए.आर.आई ने उत्कृष्ट प्रयासों के लिए दो बार सम्मानित किया है।

वर्तमान में शमशेर सिंह संधु बीज की तैयारी के साथ, ग्वार, गेहूं, जौ, कपास और मौसमी सब्जियों की खेती कर रहे हैं और इससे अच्छे लाभ कमा रहे हैं। भविष्य में वे अपने संधु बीज फार्म के काम का विस्तार करने की योजना बना रहे हैं, ताकि वे सिर्फ पंजाब में ही नहीं, बल्कि अन्य पड़ोसी राज्यों में भी बीज की आपूर्ति कर सकें।

संदेश
किसानों को अन्य बीज आपूर्तिकर्ताओं के बीज भी इस्तेमाल करके देखने चाहिए ताकि वे अच्छे सप्लायर और बुरे के बीच का अंतर जान सकें और सर्वोत्तम का चयन कर फसलों की बेहतर उपज ले सकें।

मोहन सिंह

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एक व्यक्ति की कहानी जिसने अपने बचपन के जुनून खेतीबाड़ी को अपनी रिटायरमेंट के बाद पूरा किया

जुनून एक अद्भुत भावना है या फिर ये कह सकते हैं कि ऐसा जज्बा है जो कि इंसान को कुछ भी करने के लिए प्रेरित कर सकता है और मोहन सिंह जी के बारे में पता चलने पर जुनून से जुड़ी हर सकारात्मक सोच सच्ची प्रतीत होती है। पिछले दो वर्षों से ये रिटायर्ड व्यक्ति – मोहन सिंह, अपना हर एक पल बचपन के जुनून या फिर कह सकते हैं कि शौंक को पूरा करने में जुटे हुए हैं आगे कहानी पढ़िए और जानिये कैसे..

तीन दशकों से भी अधिक समय से BCAM की सेवा करने के बाद मोहन सिंह आखिर में 2015 में संस्था से जनरल मेनेजर के तौर से रिटायर हुए और फिर उन सपनों को पूरा करने के लिए खेती के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया जिसे करने की इच्छा बरसों पहले उनके दिल में रह गई थी ।

एक शिक्षित पृष्ठभूमि से आने पर, जहां उनके पिता मिलिटरी में थे मोहन सिंह कभी व्यवसाय विकल्पों के लिए सीमित नहीं थे उनके पास उनके सपनों को पूरा करने की पूरी स्वतंत्रता थी। अपने बचपन के वर्षों में मोहन सिंह को खेती ने इतना ज्यादा प्रभावित किया कि इसके बारे में वे खुद ही नहीं जानते थे।

बड़े होने पर मोहन सिंह अक्सर अपने परिवार के छोटे से 5 एकड़ के फार्म में जाते थे जिसे उनका परिवार घरेलू उद्देश्य के लिए गेहूं, धान और कुछ मौसमी सब्जियां उगाने के लिए प्रयोग करता था। लेकिन जैसे ही वे बड़े हुए उनकी ज़िंदगी अधिक जटिल हो गई पहले शिक्षा प्रणाली, नौकरी की जिम्मेदारी और बाद में परिवार की ज़िम्मेदारी।

2015 में रिटायर होने के बाद मोहन सिंह ने प्रकाश आयरन फाउंडरी, आगरा में एक सलाहकार के तौर पर पार्ट टाइम जॉब की। वे एक महीने में एक या दो बार यहां आते हैं 2015 में ही उन्होंने अपने बचपन की इच्छा की तरफ अपना पहला कदम रखा और उन्होंने काले प्याज और मिर्च की नर्सरी तैयार करनी शुरू कर दी।

उन्होंने 100 मिट्टी के क्यारियों से शुरूआत की और धीरे धीरे इस क्षेत्र को 200 मिट्टी के क्यारियों तक बढ़ा दिया और फिर उन्होंने इसे 1 एकड़ में 1000 मिट्टी के क्यारियों में विस्तारित किया। उन्होंने ऑन रॉड स्टॉल लगाकर अपने उत्पादों की मार्किटिंग शुरू की। उन्हें इससे अच्छा रिटर्न मिला जिससे प्रेरित होकर उन्होंने सब्जियों की नर्सरी भी तैयार करनी शुरू कर दी। अपने उद्यम को अगले स्तर तक ले जाने के लिए एक व्यक्ति के साथ कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग शुरू की जिसमें उन्होंने मिर्च की पिछेती किस्म उगानी शुरू की जिससे उन्हें अधिक लाभ हुआ।

काले प्याज की फसल मुख्य फसल है जो प्याज की पुरानी किस्मों की तुलना में उन्हें अधिक मुनाफा दे रही है। क्योंकि इसके गलने की अवधि कम है और इसकी भंडारण क्षमता काफी अधिक है। कुछ मज़दूरों की सहायता से वे अपने पूरे फार्म को संभालते हैं और इसके साथ ही प्रकाश आयरन फाउंडरी में सलाहकार के तौर पर काम भी करते हैं। उनके पास सभी आधुनिक तकनीकें हैं जो उन्होने अपने फार्म पर लागू की हुई हैं जैसे ट्रैक्टर, हैरो, टिल्लर और लेवलर।

वैसे तो मोहन सिंह का सफर खेती के क्षेत्र में कुछ समय पहले ही शुरू हुआ है पर अच्छी गुणवत्ता वाले बीज और जैविक खाद का सही ढंग से इस्तेमाल करके उन्होंने सफलता और संतुष्टि दोनों ही प्राप्त की है।

वर्तमान में, मोहन सिंह, मोहाली के अपने गांव देवीनगर अबरावन में एक सुखी किसानी जीवन जी रहे हैं और भविष्य में स्थाई खेतीबाड़ी करने के लिए खेतीबाड़ी क्षेत्र में अपनी पहुंच को बढ़ा रहे हैं।

मोहन सिंह के लिए, अपनी पत्नी, अच्छे से व्यवस्थित दो पुत्र (एक वैटनरी डॉक्टर है और दूसरा इलैक्ट्रोनिक्स के क्षेत्र में सफलतापूर्वक काम कर रहा है), उनकी पत्नियां और बच्चों के साथ रहते हुए खेती कभी बोझ नहीं बनीं, वे खेतीबाड़ी को खुशी से करना पसंद करते हैं।उनके पास 3 मुर्रा भैंसे है जो उन्होंने घर के उद्देश्य के लिए रखी हुई है और उनका पुत्र जो कि वैटनरी डॉक्टर है उनकी देखभाल करने में उनकी मदद करता है।

संदेश

“किसानों को नई पर्यावरण अनुकूलित तकनीकें अपनानी चाहिए और सब्सिडी पर निर्भर होने की बजाये उन ग्रुपों में शामिल होना चाहिए जो उनकी एग्रीकल्चर क्षेत्र में मदद कर सकें। यदि किसान दोहरा लाभ कमाना चाहते हैं और फसल हानि के समय अपने वित्त का प्रबंधन करना चाहते हैं तो उन्हें फसलों की खेती के साथ साथ आधुनिक खेती गतीविधियों को भी अपनाना चाहिए।”

 

यह बुज़ुर्ग रिटायर्ड व्यक्ति लाखों नौजवानों के लिए एक मिसाल है, जो शहर की चकाचौंध को देखकर उलझे हुए हैं।

यादविंदर सिंह

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पंजाब के इस किसान ने गेहूं-धान की पारंपरिक खेती के स्थान पर एक सर्वश्रेष्ठ विकल्प चुना और इससे दोहरा लाभ कमा रहे हैं

पंजाब में जहां आज भी धान और गेहूं की खेती जारी है वहीं कुछ किसानों के पास अभी भी विकल्पों की कमी है। किसानों के पास भूमि का एक छोटा टुकड़ा होता है और कम जागरूकता वाले किसान अभी भी गेहूं और धान के पारंपरिक चक्र में फंसे हुए हैं। लेकिन बठिंडा जिले के चक बख्तू गांव के यादविंदर सिंह ने खेतीबाड़ी की पुरानी पद्धति को छोड़कर नर्सरी की तैयारी और सब्जियों की जैविक खेती शुरू की।

अपने लाखों सपनों को पूरा करने की इच्छा रखने वाले एक युवा यादविंदर सिंह ने अपनी ग्रेजुएशन के बाद होटल मैनेजमेंट में अपना डिप्लोमा पूरा किया और उसके बाद दो साल के लिए सिंगापुर में एक प्रतिष्ठित शेफ रहे। लेकिन वे अपने काम से खुश नहीं थे और सब कुछ होने के बावजूद भी अपने जीवन में कुछ कमी महसूस करते थे। इसलिए वे वापिस पंजाब आ गए और पूरे निश्चय के साथ खेतीबाड़ी के क्षेत्र में प्रवेश करने का फैसला किया।

2015 में उन्होंने अपना जैविक उद्यम शुरू किया लेकिन इससे पहले उन्होंने भविष्य के नुकसान से बचने के लिए बुद्धिमानी से काम लिया। अपनी चतुराई का प्रयोग करते हुए उन्होंने इंटरनेट की मदद ली और किसान मेलों में भाग लिया और जैविक सब्जियों को नर्सरी में तैयार करना शुरू किया। अपने ब्रांड को बढ़ावा देने के लिए यादविंदर ने अपने व्यापार का लोगो (LOGO) भी डिज़ाइन किया।

अपने खेतीबाड़ी उद्यम के पहले वर्ष उन्होंने 1 लाख कमाया और आज वे सिर्फ 2 कनाल (5 एकड़) से 2.5 लाख से भी ज्यादा कमा रहे हैं। खेतीबाड़ी के साथ उन्होंने नर्सरी प्रबंधन भी शुरू किया जिसमें कि बीज की तैयारी, मिट्टी प्रबंधन शामिल है। यहां तक कि उन्हें नए पौधे बेचने के लिए मार्किट जाने की भी जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि पौधे खरीदने के लिए किसान स्वंय उनके फार्म का दौरा करते हैं।

आज यादविंदर सिंह अपने व्यवसाय और अपनी आमदन से बहुत खुश हैं। भविष्य में वे अपनी खेतीबाड़ी के व्यवसाय को बढ़ाना चाहते हैं और अच्छा मुनाफा कमाने के लिए कुछ और फसलें उगाना चाहते हैं।

संदेश:
“हम जानते हैं कि सरकार साधारण किसानों के समर्थन के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं करती। लेकिन किसानों को निराश नहीं होना चाहिए क्योंकि मजबूत दृढ़ संकल्प और सही दृष्टिकोण से वे जो चाहें प्राप्त कर सकते हैं।”