अमनदीप सिंह सराओ

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नई और आधुनिक तकनीकों के साथ कृषि क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना रहा नौजवान किसान

हमारे देश में रवायती खेती का रूझान बहुत ज्यादा है। पर रवायती खेती से किसानों को अपनी मेहनत के मुताबिक मुनाफा नहीं होता है। ऐसे किसान अपनी आय बढ़ाने के लिए रवायती खेती के साथ साथ सब्जियों और फलों की खेती को तरजीह दे रहे हैं, क्योंकि समय की आवश्यकतानुसार किसान भी अपने आप को बदल रहा है। जो, कुछ अलग सोचने और करने की हिम्मत रखते हैं, वही कुछ बड़ा करते हैं। ऐसा ही एक नौजवान किसान हैं अमनदीप सिंह सराओ, जो एक ऐसी फसल की खेती कर रहे हैं, जिसके बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं थी। पर अपनी मेहनत और कुछ अलग करने के जुनून ने आज उन्हें एक अलग पहचान दी है।

पंजाब के मानसा जिले के अमनदीप सिंह जी के दादा जी और पिता जी ने अपने निजी कारोबार के कारण काफी ज़मीन खरीदी हुई थी। पर समय की कमी होने के कारण उन्होंने अपनी 32 एकड़ ज़मीन ठेके पर दी हुई थी। इस ज़मीन पर रवायती खेती ही की जाती थी। घर में खेती का बहुत काम ना होने के कारण अमनदीप की भी खेती की तरफ कोई विशेष रूचि नहीं थी।

अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद अमनदीप अपने दोस्तों के साथ गुजरात घूमने गए। यहां उन्होंने एक फार्म देखा। सभी दोस्तों को यह फार्म बहुत अजीब लगा और उन्होंने इस फार्म के अंदर जाकर इसके बारे में जानकारी इक्ट्ठी करने का फैसला किया। फार्म के अंदर जाकर उन्हें पता लगा कि यह ड्रैगन फ्रूट का फार्म है। इस फार्म का नाम GDF था। विदेशी फल होने के कारण हमारे देश में बहुत कम किसानों को ड्रैगन फ्रूट की खेती के बारे में जानकारी है। इसी तरह अमनदीप को भी इस विदेशी फल के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। GDF के मालिक निकुंज पंसूरिया से उन्हें ड्रैगन फ्रूट और इसकी खेती के बारे में जानकारी मिली। वापिस पंजाब आकर अमनदीप ने इसकी खेती के बारे में अपने पारिवारिक सदस्यों के साथ सलाह की तो उन्होंने अपने बेटे को इस काम के लिए शाबाशी दी, कि वह रवायती खेती से कुछ अलग करने जा रहा है। और जानकारी इक्ट्ठी करने के लिए अमनदीप ने सोशल मीडिया का सहारा लिया। यहां उन्हें ड्रैगन फ्रूट के बारे में काफी कुछ नया पता लगा।

“GDF फार्म, लक्ष्मी पुत्रा ड्रैगन फ्रूट फार्म, RK ड्रैगन फ्रूट फार्म, वासुपूज्या ड्रैगन फ्रूट फार्म, श्री हरी हॉर्टिकल्चर नर्सरी, सांगर नर्सरी देखने के बाद, मुझे यह महसूस हुआ कि हमारे किसान शुरू से ही रवायती खेती के चक्र में फंसे हुए हैं। इसलिए हमें नई पीढ़ी को ही खेती में कुछ अलग करना पड़ेगा।” — अमनदीप सिंह

इंटरेनट के ज़रिए अमनदीप को पता लगा कि पंजाब के बरनाला में हरबंत सिंह औलख जी ड्रैगन फ्रूट की खेती करते हैं, तो ड्रैगन फ्रूट की खेती के बारे में और जानकारी लेने के उद्देश्य से अमनदीप, बरनाला उनके फार्म पर गए और यहां उन्होंने ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू करने के लिए काफी हौंसला मिला। इसके साथ ही अमनदीप ने भी इस विदेशी फल की खेती करने का पक्का मन बना लिया।

ड्र्रैगन फ्रूट की खेती शुरू करने के लिए अमनदीप ने अपनी ठेके पर दी 32 एकड़ ज़मीन में से 2 एकड़ पर फ्रूट की खेती के लिए, GDF के मालिक की सलाह से पोल (खंभे) तैयार करवाए और 4 अलग अलग स्थानों पर पौधे मंगवाए। अपने इस फार्म का नाम उन्होंने “सराओ ड्रैगन फ्रूट्स फार्म” रखा। अमन को जहां भी कोई मुश्किल आई उन्होंने हमेशा माहिरों और इंटरनेट की मदद ली। उन्होंने शुरूआत में ड्रैगन फ्रूट की लाल और सफेद किस्म के पौधे लगाए।

कहा जाता है कि प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं होती, उसी तरह सराओ ड्रैगन फ्रूट्स फार्म में पहले वर्ष हुए फलों का स्वाद बहुत बढ़िया था और बाकी लोगों ने भी इसकी काफी प्रशंसा की।

“ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू करने के बाद सभी पारिवारिक सदस्यों ने मेरा हौंसला बढ़ाया और मन लगाकर मेहनत करने के लिए प्रेरित किया और मैंने फिर कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा” — अमनदीप सिंह सराओ

इस सफलता के बाद अमनदीप की हिम्मत काफी बढ़ गई।अमनदीप के भाभी जी हरमनदीप कौर जंगलात विभाग में नौकरी करते हैं और उन्होंने अमनदीप को ड्रैगन फ्रूट के साथ साथ चंदन की खेती करने के लिए भी कहा। हमारे देश में चंदन को धार्मिक क्रियाओं के लिए प्रयोग किया जाता है और इसकी कीमत भी काफी ज्यादा है। इसलिए अमनदीप ने चंदन की खेती के बारे में जानकारी इक्ट्ठी करनी शुरू कर दी।

फिर अमनदीप ने गुजरात के चंदन विकास एसोसिएशन के प्रधान श्री नितिन पटेल से संपर्क और मुलाकात की। नितिन पटेल के फार्म में चंदन के लगभग 2000 पौधे लगे हैं। यहां अमनदीप ने चंदन के थोड़े से पौधे लेकर अपने फार्म पर ट्रायल के तौर पर लगाए और अब सराओ फार्म में चंदन के लगभग 225 पौधे हैं।

“हालात को ऐसा ना होने दें कि आप हिम्मत हार जाओ, बल्कि हिम्मत ऐसी रखें कि हालात हार जाएं” — अमनदीप सिंह सराओ

नौजवान किसान होने के तौर पर अमनदीप हमेशा कुछ ना कुछ नया करने के बारे में सोचते रहते थे। इसलिए उन्होंने ड्रैगन फ्रूट के पौधों की ग्राफ्टिंग करनी भी शुरू कर दी। इसके लिए उन्होंने मैरी एन पसाउल से ट्रेनिंग ली जो कि Tangum Philipine Island से हैं।

सराओ ड्रैगन फ्रूट्स फार्म में ड्रैगन फ्रूट की 12 किस्में है, जिनके नाम इस प्रकार हैं:
• वालदीवा रोजा
• असुनता
• कोनी मायर
• डिलाईट
• अमेरिकन ब्यूटी
• पर्पल हेज़
• ISIS गोल्डन यैलो
• S8 शूगर
• आउसी गोल्डन यैलो
• वीयतनाम वाईट
• रॉयल रैड
• सिंपल रैड

अब भी अमनदीप खेती की नई तकनीकों के बारे में जानकारी इक्ट्ठी करते रहते हैं और उन्होंने अपने फार्म में तुपका सिंचाई सिस्टम भी लगवा लिया है। अपनी इसी मेहनत और दृढ़ संकल्प के कारण अमनदीप की आस पास के गांव में भी वाहवाही हो रही है और बहुत सारे लोग उनका फार्म देखने के लिए आते रहते हैं।

भविष्य की योजना

अमनदीप आने वाले समय में अपने फार्म के फलों की मार्केटिंग बड़े स्तर पर करना चाहते हैं और साथ ही चंदन से उत्पाद तैयार करके बेचना चाहते हैं।

संदेश
“हमारे किसान भाइयों को ज़हर मुक्त खेती करनी चाहिए। नौजवान पीढ़ी को आगे आकर नई सोच से खेती करनी होगी जिससे कि खेती के क्षेत्र में रोज़गार के अवसर और पैदा हो।”

रिषभ सिंगला

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हरियाणा का 23 साल का नौजवान बन रहा है दूसरे नौजवानों के लिए मिसाल

बेरोज़गारी के इस दौर में एक तरफ जहाँ हमारी युवा पीढ़ी नशों की तरफ जा रही है या विदेशों में रहने के बारे में सोच रही है, वहां ही दूसरी तरफ हरियाणा का 23 साल का नौजवान कुछ अनोखा करके बाकि लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बन रहे है। जी हां हरियाणा के रिषभ सिंगला, जो कि अपनी BBA पढ़ाई पूरी कर चुके हैं, अपनी ज़िन्दगी में कुछ अलग करने की इच्छा रखते थे। आज-कल बच्चे से लेकर बुज़ुर्ग सभी ही चॉकलेट के शौक़ीन हैं। इसलिए रिशभ चॉकलेट बनाने के बारे में सोचने लगे। रिशभ को पढ़ाई करते हुए ही पता चला कि कोको प्लांट्स की आर्गेनिक खेती कर्नाटक में होती है, पर उन्हें इसके बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं थी, क्योंकि रिशभ के पिता धूप-अगरबत्ती की ट्रेडिंग का व्यापार करते हैं। इसके लिए कोको प्लांट्स के बारे में अधिक जानकारी हासिल करने के लिए COORG (कर्नाटक) गए। उन्होंने जानकारी हासिल करने के बाद चॉकलेट तैयार करने का इरादा बनाया।

फरवरी 2018 में पहली बार कर्नाटक के किसानों से आर्गेनिक कोको बीन्स लेकर रिशभ ने घर पर ही मिक्सर ग्राइंडर के साथ कोको बीन्स पीसकर चॉकलेट तैयार की। हालाँकि पहले उनको इस काम में कठिनाई आई पर उन्होंने हार नहीं मानी। रिशभ ने अन्य कई किस्मों की चॉकलेट तैयार की और उनको इस काम में सफलता भी मिली। इस तरह उनके द्वारा घर में चॉकलेट तैयार करने का सिलसिला शुरू हो गया। पहले उनके परिवार के सदस्य ही इस काम में उनकी मदद करते थे, पर काम ज़्यादा होने के कारण उन्होंने 8 घरेलू महिलाओं को अपने काम में शामिल कर लिया और उनको रोज़गार उपलब्ध करवाया।

“मेरे अनुसार, भले ही इस व्यवसाय में मुनाफा कम हो लेकिन चॉकलेट की गुणवत्ता अच्छी होनी चाहिए, क्योंकि आज कल के दौर में मिलावटी चीजें बहुत बेची जाती हैं, जो लोगों के स्वस्थ के लिए हानिकारक होती हैं।” – रिशभ सिंगला

अपनी सोच के अनुसार ही रिशभ केवल आर्गेनिक तौर पर कोको बीन्स ही खरीदते हैं और इनसे ही चॉकलेट तैयार करते हैं। अब रिशभ बंगाल में तैयार किये आर्गेनिक कोको बीन्स ही चॉकलेट तैयार करने के लिए खरीदते हैं।

कोको बीन्स के बारे में पूरी जानकारी हासिल करने और उनसे चॉकलेट तैयार करने के बाद रिशभ अब चॉकलेट की पैकिंग भी स्वयं करते हैं। रिशभ चॉकलेट की पैकिंग इतने आकर्षक तरीके से करते हैं कि चॉकलेट की पैकिंग देखकर ही उसकी गुणवत्ता का अंदाज़ा लग जाता है। वह चॉकलेट की पैकिंग इस तरीके से करते हैं कि जो भी उसे देखता है चॉकलेट खाने के बिना नहीं रह सकता।

नौजवान होने के कारण रिशभ सब की ज़िंदगी में सोशल मीडिया के महत्व को अच्छी तरह से समझते हैं। उन्होंने सोशल मीडिया को सार्थक रूप में उपयोग करते हुए अपने ब्रांड “शियाम जी चॉकलेट” की मार्केटिंग ऑनलाइन करनी शुरू की। इससे उनके व्यवसाय को एक नई दिशा मिली।

“जो काम हाथों से अच्छी तरह और सफाई से हो सकता है, वह काम मशीनों से नहीं किया जा सकता। पर मशीनें काम को बहुत आसान बना देती हैं।” –  रिशभ सिंगला

शियाम जी चॉकलेट द्वारा तैयार किये गए उत्पाद:-

  • 85% आर्गेनिक डार्क चॉकलेट बार
  • 75% आर्गेनिक डार्क चॉकलेट बार
  • 55% आर्गेनिक डार्क चॉकलेट बार
  • 19% आर्गेनिक डार्क चॉकलेट बार इन डिफरेंट फ्लेवर्स
  • सी साल्ट आर्गेनिक चॉकलेट बार

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फेस्टिवल आइटम

  • फेस्टिव सेलिब्रेशन एसोरटिड असॉर्टेड 15 पीस चॉकलेट बॉक्स

भविष्य की योजना:

रिशभ अब भी घर में ही चॉकलेट तैयार करते हैं, पर वह भविष्य में अपनी चॉकलेट की फैक्टरी लगाना चाहते हैं, जिसमें वह प्रोसेसिंग के लिए नई मशीनें और तकनीक इस्तेमाल करेंगे।

भले ही रिशभ को इस काम को शुरू किये हुए अभी एक साल का समय हुआ है, पर वह आगे भी इस क्षेत्र में अपना ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं और चॉकलेट की गुणवत्ता को बढ़ाना चाहते हैं।

संदेश
“रिशभ सिंगला आर्गेनिक उत्पाद तैयार करते हैं और वह दूसरे नौजवानों को भी यह संदेश देना चाहते हैं कि वह आर्गेनिक तौर पर तैयार किये गए उत्पादों का प्रयोग करें और बिमारियों से दूर रहें, क्योकि स्वास्थ्य सबसे ज़रूरी है।”