कुनाल गहलोट

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जानें कैसे एक ग्रामीण किसान सब्जियों की विविध खेती से लाखों कमा रहा है

जैसे कि हम जानते हैं कि समय सभी के लिए एक सीमित वस्तु है, और कड़ी मेहनत से किसी व्यक्ति को करोड़पति प्रतियोगियों से मुकाबला करने में मदद नहीं मिलेगी क्योंकि यदि कड़ी मेहनत करके भाग्य प्राप्त करना संभव है तो आज के किसान इस देश के सबसे बड़े करोड़पति होंगे।

जो चीज़ आपके काम को अधिक प्रभावकारी और उत्पादक बनाती है वह है होशियारी। यह कहानी है दिल्ली के बाहरी गांव – टिगी पुर के एक साधारण किसान की, जो कि खेतीबाड़ी की आधुनिक तकनीक से सब्जियों की खेती में लाखों कमा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि उनके पास कोई उच्च तकनीक वाली मशीनरी या उपकरण है या वे खाद की जगह सोने का प्रयोग करते हैं, यह सिर्फ उनका बुद्धिमत्तापूर्ण नज़रिया है जो वे अपने खेतों में लागू कर रहे हैं।

कुनाल गहलोट द्वारा अपनाई गई तकनीक….

कुनाल गहलोट 2004 से फसल विवधीकरण और खेती विविधीकरण से जुड़े हुए हैं, जिसके परिणामस्वरूप 10 वर्षों में उनके खेत की आमदन में 500 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जी हां, आप सही पढ़ रहे हैं! 2004 में उनके खेत की आय 5 लाख थी और 2015 में यह 3500000 लाख हो गई।

6 अंको की आय को 7 अंको में बदलना सिर्फ कुनाल गहलोट के लिए ही संभव था क्योंकि वे नई और आधुनिक तकनीकों को लागू करते हैं। अन्य किसानों के विपरीत उन्होंने फसलों, पौधों और बागबानी उत्पादों जैसे मशरूम की खेती और सब्जी की गहन खेती के उत्पादन में वैज्ञानिक तकनीकों को अपनाया। इस पहल से, उन्होंने सिर्फ 4 महीनों में 3.60 लाख प्रति हेक्टेयर अर्जित किया।

कैसे मार्किटिंग ने उनकी खेतीबाड़ी को अगले स्तर तक पहुंचाया….

मंडी की मांगों के मुताबिक,कृषि उत्पादों की बिक्री में बढ़ोतरी हुई और कई नए प्रभावी लिंक मंडीकरण के लिए बनाए गए, जिससे कुनाल गहलोट को जरूरतों के मुताबिक संभावित बाजारों की पहचान करने में मदद मिली।

कृषि उत्पाद की उत्पादकता बढ़ाने के लिए उन्होंने बड़े पैमाने पर वर्मीकंपोस्ट प्लांट की स्थापना की और बेहतर खेती और कटाई प्रक्रिया के लिए खेत में मशीनों का इस्तेमाल किया। वर्तमान में वे गेहूं (HD-2967 and PB-1509), धान, मूली, पालक, सरसों, शलगम, फूल गोभी, टमाटर, गाजर आदि उगा रहे हैंऔर इसके साथ ही वे सब्जी के बीजों को भी तैयार करते हैं। ये थी कुनाल गहलोट की कुछ उपलब्धियां उल्लेख करने के लिए।

उन्होंने खीरे की खेती, बंद गोभी की रोपाई, गेंदे का मूली के साथ अंतरीफसली में भी सुधार किया।

अपने काम के लिए, उन्हें विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी संगठनों से कई पुरस्कार और मान्यता मिली है। वे हमेशा अपने क्षेत्र के साथी किसानों के बीच अपने ज्ञान और आविष्कारों को सांझा करने की कोशिश करते हैं और कृषि क्षेत्र के सुधार में भी योगदान करते हैं।

खैर, अच्छी तरह से किया गया होशियारी वाला काम एक आदमी को कहीं भी ले जा सकता है। यह उसके ऊपर है कि वह किस दिशा में जाना चाहता है। यदि आप कृषि विविधीकरण या सब्जियों की गहन खेती करना चाहते हैं तो ‘अपनी खेती’ मोबाइल एप डाउनलोड करें और स्वंय को खेतीबाड़ी की सभी आधुनिक तकनीकों से अपडेट रखें और इसे लागू करें।

हरतेज सिंह मेहता

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जैविक खेती के लिए दूसरों को प्रोत्साहित करके बेहतर भविष्य के लिए एक आधार स्थापित कर रहे हैं

पहले जैविक एक ऐसा शब्द था जिसका प्रयोग बहुत कम किया जाता था। बहुत कम किसान थे जो जैविक खेती करते थे और वह भी घरेलु उद्देश्य के लिए। लेकिन समय के साथ लोगों को पता चला कि हर चमकीली सब्जी या फल अच्छा दिखता है लेकिन वह स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता।

यह कहानी है – हरतेज सिंह मेहता की जिन्होंने 10 वर्ष पहले एक बुद्धिमानी वाला निर्णय लिया और वे इसके लिए बहुत आभारी भी हैं। हरतेज सिंह मेहता के लिए, जैविक खेती को जारी रखने का निर्णय उनके द्वारा लिया गया एक सर्वश्रेष्ठ निर्णय था और आज वे अपने क्षेत्र (मेहता गांव – बठिंडा) में जैविक खेती करने वाले एक प्रसिद्ध किसान हैं।

पंजाब के मालवा क्षेत्र, जहां पर किसान अच्छी उत्पादकता प्राप्त करने के लिए कीटनाशक और रसायनों का प्रयोग बहुत उच्च मात्रा में करते हैं। वहीं, हरतेज सिंह मेहता ने प्रकृति के साथ तालमेल बनाकर रखने को चुना। वे बचपन से ही अपने पैतृक व्यवसायों के प्रति समर्पित है और उनके लिए अपनी उपलब्धियों के बारे में फुसफुसाने से अच्छा, एक साधारण जीवन व्यतीत करना है।

उच्च योग्यता (एम.ए. पंजाबी, एम.ए. पॉलिटिकल साइंस) होने के बावजूद, उन्होंने शहरी जीवन और सरकारी नौकरी की बजाय जैविक खेती करने को चुना। वर्तमान में उनके पास 11 एकड़ ज़मीन है जिसमें वे कपास, गेहूं, सरसों, गन्ना, मसूर, पालक , मेथी, गाजर, मूली, प्याज, लहसुन और लगभग सभी सब्जियां उगाते हैं। वे हमेशा अपने खेतों को कुदरती तरीकों से तैयार करना पसंद करते हैं जिसमें कपास (F 1378), गेहूं (1482) और बंसी नाम के बीज अच्छे परिणाम देते हैं।

“अंसतोष, निरक्षरता और किसानों की उच्च उत्पादकता की इच्छा रासायनिक खादों और कीटनाशकों का उपयोग करने के लिए प्रेरित करती है, जिसके कारण किसान जो कि उद्धारकर्त्ता के रूप में जाने जाते हैं वे अब समाज को विष दे रहे हैं। आजकल किसान कीट प्रबंधन के लिए कीटनाशकों और रसायनों का इस्तेमाल करते हैं जो मिट्टी के मित्र कीटों और उपजाऊपन को नुकसान पहुंचाते हैं। वे इस बात से अवगत नहीं हैं कि वे अपने खेत में रसायनों को उपयोग करके पूरी खाद्य श्रंख्ला को विषाक्त बना रहे हैं। इसके अलावा, रसायनों और कीटनाशकों का उपयोग करके वे ना केवल पर्यावरण की स्थिति को बिगाड़ रहे हैं बल्कि कर्ज में बढ़ोतरी के कारण प्रमुख आर्थिक नुकसान का भी सामना कर रहे हैं।”– हरतेज सिंह ने कहा।

मेहता जी हमेशा खेती के लिए कुदरती ढंग को अपनाते हैं और जब भी उन्हें कुदरती खेती के बारे में जानकारी की आवश्यकता होती है तो वे अमृतसर के पिंगलवाड़ा सोसाइटी और एग्रीकल्चर हेरीटेज़ मिशन से संपर्क करते हैं। वे आमतौर पर गाय के मूत्र और पशुओं के गोबर का प्रयोग खाद बनाने के लिए करते हैं और यह मिट्टी के लिए भी अच्छा है और पर्यावरण अनुकूलन भी है।

मेहता जी के अनुसार कुदरती तरीके से उगाए गए भोजन के उपभोग ने उन्हें और उनके परिवार को पूरी तरह से स्वस्थ और रोगों से दूर रखा है। इसी कारण श्री मेहता का मानना है कि वे जैविक खेती के प्रति प्रेरित हैं और भविष्य में भी इसे जारी रखेंगे।

संदेश
“मैं देश भर के किसानों को एक ही संदेश देना चाहता हूं कि हमें निजी कंपनियों के बंधनों से बाहर आना चाहिए और समाज को स्वस्थ बनाने के लिए स्वस्थ भोजन प्रदान करने का वचन देना चाहिए।”