सुनीता देवी

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जानिए, कैसे एक गतिशील माँ-बेटी की जोड़ी अपने दस्तकारी फुलकारी उत्पादों की ओर लोगों को आकर्षित कर रही है

हमारे भारतीय समाज में, शुरू से ही पुरूषों को परिवार के लिए आजीविका कमाने वाले और परिवार के लिए मुख्य सदस्य के रूप में माना जाता है। दूसरी ओर, महिलाओं को गृहणी माना जाता है जो परिवार की सभी कामों जैसे (कपड़े साफ करने, भोजन, घर की सफाई आदि) को समय पर परिवार के सदस्यों को उपलब्ध करवाने की जिम्मेदार है। खैर, इन प्रवृत्तियों को पहले निभाया जाता था लेकिन वर्तमान में नहीं। आज कई महिलायें समाज के लिए प्रेरणा के रूप में सामने आई हैं और अपने परिवार के लिए पुरूष और महिला दोनों की भूमिका निभा रही हैं और दुनिया को पलट रही हैं।

पंजाब के फतेहगढ़ साहिब के एक छोटे से गांव (चनारथल खुरद) से दो ऐसी महिलायें अपने गांव से 10 महिलाओं का नेतृत्व करके स्वंय के सफल फुलकारी व्यवसाय को चला रही हैं। महिलाओं की यह जोड़ी मां-बेटी की है। जो व्यापार के हर काम को बहुत ही आसानी से प्रबंधित करती हैं। इस ग्रुप की मुखिया सुनीता देवी (मां) और बेअंत शर्मा (बेटी) हैं। बेअंत एक सक्रिय, युवा और संवादक सदस्य के रूप में है, जो हर मंच पर ग्रुप का प्रतिनिधित्व करती है।

1996 में सुनीता जी के पति की मृत्यु हो गई और परिवार के लिए यह बहुत दुखद स्थिति थी, तब से परिवार के सदस्यों को जीवित रहना मुश्किल हो गया, लेकिन धीरे-धीरे सुनीता जी और उनके बच्चे इस सदमे से बाहर हुए और धीरे-धीरे अपनी ज़िंदगी को सुचारू रूप से आसान बनाया। उन्होंने कई मुश्किलों का सामना किया और आज इस अवस्था तक पहुंचने के लिए कई बाधाएं पार की।

आंगनवाड़ी ने स्थानीय स्तर पर उस गांव की महिलाओं की मदद करने के लिए 2012 में सैल्फ हैल्प ग्रुप बनाया और सुनीता जी की बेटियां इस सैल्फ हैल्प ग्रुप की मैंबर थीं। वे फुलकारी, सूट, दुपट्टा, शॉल और जैकेट के हर टुकड़े पर इतनी मेहनत से काम करती थीं लेकिन वे अपने द्वारा बनाये गये उत्पादों की सही कीमत नहीं पा रही थीं। कुछ भी ठीक से प्रबंधित नहीं था। इसलिए एक मीटिंग में बेअंत शर्मा ने अपनी और अन्य महिलाओं की समस्याओं को व्यक्त किया, उसके बाद 2017 में दो ग्रुप बनाए गए – श्री गुरू अर्जन देव सैल्फ हैल्प ग्रुप और देवी अन्नपूर्णा ग्रुप। सुनीता जी को श्री गुरू अर्जन देव सैल्फ हैल्प ग्रुप की मुखिया बनाया गया और बेअंत ग्रुप की प्रतिनिधि थीं। वैसे यह एक ग्रुप का प्रयास था लेकिन ग्रुप को बनाने में बेअंत की इच्छा शक्ति और सुनीता जी की अपनी बेटी को समर्थन की ताकत है और जब प्यार और कौशल एक साथ काम करते हैं तो एक उत्तम रचना के होने की उम्मीद होती है।

इससे पहले आर्थिक संकट के कारण बेअंत और अन्य बच्चों को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी लेकिन अब चीज़ें अच्छी हो रही हैं। बेअंत और अन्य लड़कियां अपनी पढ़ाई जारी रखने की योजना बना रही हैं। बेअंत ने पंजाबी यूनिवर्सिटी से BA प्राइवेट करने की योजना बनाई है।

सुनीता जी के परिवार में कुल छ: सदस्य हैं, चार बेटियां, एक बेटा और वे स्वंय। पुत्र कांट्रेक्ट के आधार पर गुजरात में होंडा सिटी में काम कर रहा है और बेटियां ग्रुप को चलाने में अपनी माता का साथ दे रही हैं। बेअंत इनमें से काफी सक्रिय है और विभिन्न सम्मेलन और प्रदर्शनियों में अपने ग्रुप का प्रतिनिधित्व करती हैं। अब, सुनीता जी और बेअंत ग्राहकों से जुड़े हुए हैं और वे अपने उत्पादों को ग्राहकों को बेचते हैं और उत्पादिन वस्तुओं का सही मूल्य प्राप्त करते हैं। बेअंत एक युवा लड़की है और वर्तमान के मंडीकरण प्रवृत्तियों के बारे में अच्छे से जानती हैं और उनका अनुसरण करती हैं। उसने ग्रुप के नाम पर विज़िटिंग कार्ड बनाया है और व्हाट्स एप् के माध्यम से सभी ग्राहकों से जुड़ी हुई हैं। इस समूह द्वारा बनाए गए दस्तकारी उत्पाद वास्तव में बहुत ही सुंदर, अनूठे और गुणवत्ता में बेहतरीन हैं। वे कच्चे माल को सरहिंद से खरीदते हैं और फुलकारी सूट, दुपट्टा, की-रिंगज़, बुक मारकर्ज़, शॉल, जैकेट और अन्य घर के सजावटी उत्पादों को निर्माण करते हैं। भविष्य में वे रचनात्मक डिज़ाइनों के साथ अधिक फुलकारी उत्पादों का निर्माण करने की योजना बना रहे हैं।

मां बेटी दोनों द्वारा संदेश
एक औरत में सब कुछ करने की क्षमता होती है, यह सब अंदरूनी शक्ति और दृढ़ संकल्प पर है। तो कभी भी खुद को कम मत समझें और हमेशा अपने कौशल को स्वंय के लिए उपयोगी बनाने की कोशिश करें। एक चीज़ जो महिला को मजबूत करती है वह है शिक्षा। दुनिया की वर्तमान स्थिति से अपडेट और जागरूक होने के लिए हर महिला को अपनी शिक्षा का पूरा अध्ययन करना चाहिए।

रक्षा ढंड

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एक ऐसी महिला की कहानी जो फुलकारी पर काम करने वाले लोगों की कला को उजागर करके उन्हें अपना कल्चर दिखाने में मदद कर रही है

वे दिन चले गए जब महिलाएं केवल रसोई में काम करने के लिए बंधी थी और आर्थिक रूप से असहाय थी। पुराने समय में बहुत कम लोग थे जो इस बात को स्वीकार करते थे कि मेहनत, दिमाग और नेतृत्व के तौर पर महिलाएं पुरूषों के समान हैं।

आज भी कई महिलाएं ऐसी हैं जो खुद पर विश्वास करती हैं। उनका अपने काम के प्रति जुनून है और उनमें इतनी दिमागी शक्ति है, जिसका प्रयोग करके वे अपनी ज़िंदगी और व्यवसाय को अच्छे से संभाल सकती हैं। ऐसे ही रक्षा ढंड नाम की महिला हैं जो कि कर्मचारियों के साथ रचनात्मक फुलकारी के कौशल का प्रयोग करके एक सैल्फ हैल्प ग्रुप कम व्यवसाय का नेतृत्व कर रही हैं। वे नए डिज़ाइनों और नवीनता के साथ फुलकारी की कला को ज़िंदा रखने की कोशिश कर रही हैं।

रक्षा ढंड चमकौर साहिब के रहने वाली हैं और गेंदा सैल्फ हैल्प ग्रुप की अध्यक्ष हैं। उन्होंने यह ग्रुप 2010 में 16 फुलकारी कर्मचारियों के साथ बनाया और जब उनके द्वारा बनाया गया फुलकारी हैंडीक्राफ्ट कलस्टर, विकास कमिश्नर हैंडीक्राफ्ट नई दिल्ली द्वारा मंज़ूर हो गया, फिर उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। उन्होंने पंजाब की पारंपरिक हस्तकला को ऊपर उठाने में तेजी से शुरूआत की। मंजूरी मिलने के बाद NIFD के फैशन डिज़ाइनरों को विशेष तौर पर इस ग्रुप के कर्मचारियों को ट्रेनिंग देने के लिए भेजा गया। इन कर्मचारियों को कुल 25 दिन की ट्रेनिंग दी गई और धीरे-धीरे उनके काम को प्रशंसा मिलने लगी। धीरे-धीरे ग्रुप के ग्राहक बढ़े और उन्होंने अच्छा लाभ कमाया। आज रक्षा ढंड की चमकौर साहिब फुलकारी हाउस के नाम से दुकान उसी शहर में हैं जहां वे रहती हैं और दुकान में गेंदा सैल्फ हैल्प ग्रुप द्वारा के तैयार किए गए उत्पाद बेचती हैं। उनका बेटा उनके काम, प्रदर्शनियों और सभी सम्मेलनों में उनका साथ देता है।

रक्षा ढंड की कोई मजबूरी, पारिवारिक दबाव या आर्थिक समस्या नहीं थी, जिसके कारण उन्होंने ये ग्रुप बनाया और उत्पाद बेचने शुरू किए। यह रक्षा ढंड का जुनून था कि वे फुलकारी के इतिहास और कल्चर को लोगों के सामने पेश करे और खुद आत्मनिर्भर हो सके। उन्होंने हमेशा अपने ग्रुप मैंबरों को प्रेरित किया और कर्मचारियों की मदद से फुलकारी की तकनीकों से सुंदर और आकर्षक डिज़ाइनों का प्रयोग करते हुए फुलकारी सूट, दुपट्टा, शॉल, जैकेट और अन्य उत्पाद बनाए।

वर्तमान में, रक्षा ढंड अपने संपूर्ण परिवार पति, दो बेटों और बहू सहित खुश रह रही हैं। दो बेटों में से छोटा बेटा ऑस्ट्रेलिया रहता है और बड़ा-हर्ष ढंड कारोबार में अपनी मां की मदद करता है। अपने गेंदा सैल्फ हैल्प ग्रुप के तहत वे अन्य महिलाओं को भी फुलकारी की कला सिखाती हैं ताकि वे फुलकारी बना सकें और आत्मनिर्भर हो सकें। वे लुधियाना से कच्चा माल खरीदती हैं और कर्मचारियों को देती हैं, जो दिन, रात आकर्षक फुलकारी उत्पाद बनाते हैं। रक्षा ढंड मौके पर उनका भुगतान करती हैं। वे ग्राहकों को उत्पादों के लिए इंतज़ार नहीं करवाती क्योंकि उनके तहत काम कर रहे कर्मचारी सभी महिलाएं हैं जो अच्छे परिवारों में से हैं और अपनी आजीविका भी चलाती हैं। वे अपने अधीन काम कर रही महिलाओं की स्थिति को समझती हैं और इसीलिए हमेशा उनके काम की सही कीमत देती हैं।

भविष्य की योजना:
भविष्य में वे अपने कारोबार को ओर बड़ा करने की योजना बना रही हैं और अपने दस्तकारी का काम लोगों के लिए बड़े स्तर पर उपलब्ध करवाती हैं। हाल ही में उन्होंने इंडिया मार्ट से संपर्क किया है ताकि वे उनके साथ डील कर सके और अपने उत्पादों को वैबसाइट के माध्यम से बेच सके।

रक्षा ढंड द्वारा संदेश
“हर महिला को आत्मनिर्भर होना चाहिए और वही करना चाहिए जो उसे पसंद है क्योंकि यदि आप अपने भविष्य को बनाना चाहते हैं तो आपको कोई रोक नहीं सकता। मैं अपने समाज में महिलाओं का भविष्य बनाने की कोशिश कर रही हूं। यदि आप भी ऐसा करने में सक्षम है तो उन गरीब महिलाओं की मदद करने में एक कदम आगे बढाएं जो गरीब वर्ग से आती हैं और उन्हें सिखाएं कि कैसे वे अपने कौशल का उपयोग करें और आत्म निर्भर बन सकें।”