एक उभरते मक्खीपालक की कहानी, जिन्होंने सफलतापूर्वक मक्खीपालन के व्यवसाय को करने के लिए अपना रास्ता खुद बनाया
यह कहा गया है कि जब आपको कुछ अच्छा पाने का मौका मिलता है तो उसे गंवाना नहीं चाहिए। क्योंकि चीज़ें उनके लिए ही अच्छी होती है जो जानते हैं कि उन्हें कैसे अच्छा बनाया जायें। ऐसे ही एक व्यक्ति हैं – गोबिंदर सिंह रंधावा उर्फ जोंटी रंधावा, जिन्होंने मौके को गंवाया नहीं और मधु मक्खी पालन के क्षेत्र में सफलता के लिए अपना रास्ता खुद बनाया।
गोबिंदर सिंह रंधावा गांव लांडा, जिला लुधियाना के रहने वाले हैं। उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई के बाद युवावस्था में ही मक्खीपालन के काम का चयन किया। इन सबके पीछे उनके गांव के प्रमुख सरदार बलदेव सिंह थे जिन्होंने उनकी प्रेरणा शक्ति के रूप में काम किया। सरदार बलदेव सिंह स्वंय एक प्रगतिशील किसान थे और मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में उनका नाम बहुत प्रसिद्ध था।
गोबिंदर सिंह ने अपने दो दोस्तों के साथ पी ए यू में 8 दिनों के लिए मक्खी पालन की ट्रेनिंग ली और उसके बाद ही मक्खी पालन का काम शुरू कर दिया। आज वे एक सफल मक्खीपालक हैं और उन्होंने अपना अच्छा व्यवसाय स्थापित कर लिया है। उन्होंने 2003 में 280000 रूपये का लोन लेकर 114 मधुमक्खी बक्से के साथ मक्खीपालन का काम शुरू किया था और आज उनके पास 1000 मधुमक्खी के बक्से हैं। वे मक्खी पालन के लिए रसायनों या खुराक का प्रयोग नहीं करते। वे हमेशा शक्कर या गुड़ पीसकर मधुमक्खियों को प्राकृतिक फीड देते हैं और कीटों के हमले को रोकने के लिए कुदरती तरीके का प्रयोग करते हैं। मुख्य रूप से वे गेंदे और सरसों के फूलों से शहद तैयार करते हैं और वर्तमान में उनकी आमदन 3 करोड़ के लगभग है।
अपना व्यवसाय स्थापित करते समय उन्होंने कुछ लक्ष्य बनाये और उन्हें एक एक कर पूरा करके अपने उत्पादों के लिए बाज़ार में एक अच्छी जगह बनाई। शुरूआत से ही वे अपने उत्पादों को विदेशों में निर्यात करने की दिलचस्पी रखते थे और फिलहाल वे स्वंय द्वारा बनाये गये मधुमक्खी मोम का निर्यात अमेरिका को कर रहे हैं। भारत में, वे शहद को दोराहा, लुधियाना जीटी रोड शॉप पर थोक में बेचते हैं और इससे वे अच्छा लाभ कमा रहे हैं। वे राष्ट्रीय बागबानी विभाग के पंजीकृत आपूर्तिकर्त्ता भी हैं और उनके माध्यम से अपने उत्पाद बेचते हैं।
महान व्यकितत्व में से एक- डॉ रमनदीप सिंह, जिन्होंने व्हाट्स एप ग्रुप के माध्यम से मेलों और समारोह के बारे में आवश्यक जानकारी देकर उनके उत्पादों के मंडीकरण में उनकी मदद की। गोबिंदर सिंह ने मक्खीपालकों और किसानों की उन समस्याओं के बारे में अपने विचार सांझा किए जिनका वे सामना कर रहे हैं। उनके अनुसार आज के समय में सब कुछ ऑनलाइन ही उपलब्ध होता है, यहां तक कि उपभोक्ता बुनियादी चीज़ों की खरीददारी भी ऑनलाइन ही करते हैं इसलिए उत्पादकों को एक कदम आगे बढ़ाकर अपने उत्पादों को ऑनलाइन बेचने की जरूरत है।
वर्तमान में गोबिंदर सिंह अपने संपूर्ण परिवार (माता, पिता, पत्नी और दो बेटों) के साथ अपने गांव में रह रहे हैं और अपने बिग बी एसोसिएशन का समर्थन भी कर रहे हैं। वे एक सहायक व्यक्ति भी हैं और अन्य उभरते हुए मक्खीपालकों को बक्से प्रदान करके उनकी मदद करते हैं और उनका आवश्यक मार्गदर्शन भी करते हैं। वे किसानों को अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए लोन की प्रक्रिया के बारे में जानकारी भी देते हैं। वे भविष्य में शहद के अन्य उत्पादों जैसे बी विनोम, रोयल जैली और हनी बी पोलन के दाने बनाना और पेश करना चाहते हैं और अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में निर्यात करना चाहते हैं जिनकी वहां पर अधिक मांग है।
किसानों को संदेश
“जो युवा असफलता का सामना करने के बाद आत्महत्या कर लेते हैं उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। उन्हें अपनी क्षमता को पहचानना शुरू करना चाहिए, क्योंकि यदि किसी व्यक्ति में कुछ करने की इच्छा होती है तो वे इसे प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में किसी भी स्तर पर बहुत आसानी से पहुंच सकते हें। आत्महत्या करना किसी भी समस्या का समाधान नहीं है।“