अपाहिज होने के बाद भी बिना किसी सरकारी सहायता से कामयाबी हासिल करने वाला यह किसान
नए रास्ते में बाधाएं आती हैं, लेकिन उनका समाधान भी जरूर होता है।
आज आप जिस किसान की कहानी पढ़ेंगे वह शारीरिक रूप से विकलांग है, लेकिन उसका साहस और जज्बा ऐसा है कि वह दुनिया को जीतने का दम रखता है।
जिला फरीदकोट के गांव धूड़कोट का साहसी किसान राजविंदर सिंह खोसा जिसने बारहवीं, कंप्यूटर, B.A और सरकारी आई टी आई फरीदकोट से शार्ट हैंड स्टेनो पंजाबी टाइपिंग का कोर्स करने के बाद नौकरी की तलाश की, पर कहीं पर भी नौकरी न मिली और हार कर वह अपने गांव में गेहूं/धान की खेती करने लगे।
यह बात साल 2009 की है जब राजविंदर सिंह खोसा पारंपरिक खेती ही करते थे और इसके साथ-साथ अपने घर खाने के लिए ही सब्जियों की खेती करते थे जिसमें वह सिर्फ कम मात्रा में ही थोड़ी बहुत सब्जियां ही लगाते और बहुत बार जैसे गांव वाले आकर ले जाते थे पर उन्होंने कभी सब्जियों के पैसे तक नहीं लिए थे।
यह बहुत दिनों तक चलता रहा और वे सब्जियों की खेती करते रहे, लेकिन कम मात्रा में, लेकिन 2019 में कोविड की वजह से लॉकडाउन के कारण दुनिया को सरकार के आदेश के अनुसार अपने घरों तक ही सीमित रहना पड़ा और खाने-पीने की समस्या हो गई। खाना या सब्जी कहाँ से लेकर आए तो इसे देखते हुए जब राजविंदर खोसा जी घर आए तो वह सोच रहे थे कि यदि पूरी दुनिया घर बैठ गई तो खाना-पीना कैसे होगा और इसमें सबसे जरुरी था शरीर की इम्युनिटी बनाना और वह तब ही मजबूत हो सकती थी यदि खाना-पीना सही हो और इसमें सब्जियों की बहुत महत्ता है।
इसे देखते हुए राजविंदर ने सोचा और सब्जी के काम को बढ़ाने के बारे में सोचा। धीरे-धीरे राजविंदर ने 12 मरले में सब्जियों की खेती में जैसे भिंडी, तोरी, कद्दू, चप्पन कद्दू, आदि की सब्जियों की गिनती बढ़ानी शुरू कर दी और जो सब्जियां अगेती लगा और थोड़े समय में पक कर तैयार हो जाती है, सबसे पहले उन्होनें वहां से शुरू किया।
जब समय पर सब्जियां पक कर तैयार हुई तो उन्होनें सोचा कि इसे मंडी में बेच कर आया जाए पर साथ ही मन में ख्याल आया कि क्यों न इसका मंडीकरण खुद ही किया जाए जो पैसा बिचौलिए कमा रहे हैं वह खुद ही कमाया जाए।
फिर राजविंदर जी ने अपनी मारुती कार सब्जियों में लगा दी, सब्जियां कार में रख कर फरीदकोट शहर के नजदीकी लगती नहरों के पास सुबह जाकर सब्जियां बेचने लगे, पर एक दो दिन वहां बहुत कम लोग सब्जी खरीदने आए और घर वापिस निराश हो कर आए, लेकिन उन्होंने साहस नहीं छोड़ा और सोचा कल किसी ओर जगह लगा कर देखा जाए जहां पर लोगों का आना जाना हो। जैसे राजविंदर जी कार में बैठ कर जाने लगे तो पीछे जसपाल सिंह नाम के व्यक्ति ने आवाज लगाई कि सुबह-सुबह लोग डेयरी से दूध और दही लेने के लिए आते हैं क्या पता तेरी सब्जी वाली कार देखकर सब्जी खरीदने लग जाए, सुबह के समय सब्जी बेच कर देखें।
राजविंदर सिंह जी उसकी बात मानते फिर DC रिहाइश के पास डेयरी के सामने सुबह 6 बजे जाकर सब्जी बेचने लगे, जिससे कुछ लोगों ने सब्जी खरीदी। राजविंदर सिंह खोसा को थोड़ी ख़ुशी भी हुई और अंदर एक उम्मीद की रौशनी जगने लगी और अगले दिन सुबह 6 बजे जाकर फिर सब्जी बेचने लगे और कल से आज सब्जी की खरीद अधिक हुई देखकर बहुत खुश हुए।
राजविंदर जी ने सुबह 6 बजे से सुबह 9 बजे तक का समय रख लिया और इस समय भी वह सब्जियों को बेचते थे। ऐसा करते-करते उनकी लोगों के साथ जान-पहचान बन गई जिसके साथ उनकी सब्जियों की मार्केटिंग में दिनों दिन प्रसार होने लगा।
राजविंदर सिंह जी ने देखा कि मार्केटिंग में प्रसार हो रहा है तो अगस्त 2020 खत्म होते उनके 12 मरले से शुरू किए काम को धीरे-धीरे एक एकड़ में फैला लिया और बहुत सी नई सब्जियां लगाई, जिसमें गोभी, बंदगोभी, मटर, मिर्च, मूली, साग, पालक, धनिया, मेथी, अचार, शहद आदि के साथ-साथ राजविंदर सिंह विदेशी सब्जियां भी पैदा करने लगे, जैसे पेठा, सलाद पत्ता, शलगम, और कई सब्जियां लगा दी और उनकी मार्केटिंग करने लगे।
वैसे तो राजविंदर जी सफल तो तभी हो गए थे जब उनके पास एक औरत सब्जी खरीदने के लिए आई और कहने लगी, मेरे बच्चे सेहतमंद चीजें जैसे मूलियां आदि नहीं खाते, तो राजविंदर ने कहा, एक बार आप मेरी जैविक बगीची से उगाई मूली अपने बच्चों को खिला कर देखें, औरत ने ऐसा किया और उसके बच्चे मूली स्वाद से खाने लगे। जब औरत ने राजविंदर को बताया तो उन्हें बहुत ख़ुशी हुई। फिर शहर के लोग उनसे जुड़े और सब्जी का इंतजार करने लगे।
इसके साथ साथ वह पिछले बहुत अधिक समय से धान की सीधी बिजाई भी करते आ रहे हैं ।
आज उनकी मार्केटिंग में इतना अधिक प्रसार हो चूका है कि फरीदकोट के सफल किसानों की सूची में राजविंदर का नाम भी चमकता है ।
राजविंदर खेती का पूरा काम खुद ही देखते हैं, सब्जियों के साथ वह ओर खेती उत्पाद जैसे शहद, अचार का खुद मंडीकरण कर रहे है, जिससे उनके बहुत से लिंक बन गए हैं और मंडीकरण में उन्हें कोई समस्या नहीं आती ।
खास बात यह भी है कि उन्होंने यह सारी सफलता बिना किसी सरकारी सहायता से अपनी मेहनत द्वारा हासिल की है।
सिर्फ मेहनत ही नहीं राजविंदर सिंह खोसा टेक्नोलॉजी के मामले भी अप टू डेट रहते है, क्योंकि सोशल मीडिया का सही प्रयोग करके अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग भी करते हैं।
भविष्य की योजना
वे सब्जियों की खेती तो कर रहे हैं पर वह सब्जियों की मात्रा ओर बढ़ाना चाहते हैं ताकि लोगों को साफ सब्जी जोकि जहर मुक्त पैदा करके शहर के लोगों को प्रदान की जाए, जिससे खुद को स्वास्थ्य बनाया जाए।
कम खर्चे और कड़ी मेहनत करने वाले राजविंदर सिंह जी अच्छे मान-सम्मान के पात्र है।
संदेश
यदि कोई छोटा किसान है तो उसने पारंपरिक खेती के साथ-साथ कोई ओर छोटे स्तर पर सब्जियों की खेती करनी है तो वह जैविक तरीके के साथ ही शुरू करनी चाहिए और सब्जियों को मंडी में बेचें की बजाए खुद ही जाकर बेचे तो इससे बड़ी बात कोई भी नहीं, क्योंकि व्यवसाय कोई भी हो हमें काम करने के समय शर्म नहीं महसूस होनी चाहिए, बल्कि अपने आप पर गर्व होना चाहिए।