रविंदर सिंह और शाहताज संधु

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कैसे संधु भाइयों ने अपने पारंपरिक आख्यान को जारी रखा और पोल्टरी के व्यवसाय को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया

यह कहानी सिर्फ मुर्गियों और अंडो के बारे में ही नहीं है। यह कहानी है भाइयों के दृढ़ संकल्प की, जिन्होंने अपने छोटे परिवार के उद्यम को कई बाधाओं का सामना करने के बाद एक करोड़पति परियोजना में बदल दिया।

खैर, कौन जानता था कि एक साधारण किसान- मुख्तियार सिंह संधु द्वारा शुरू किया गया पोल्टरी फार्मिंग का सहायक उद्यम उनकी अगली पीढ़ी द्वारा नए मुकाम तक पहुंचाया जायेगा।

तो, पोलटरी व्यवसाय की नींव कैसे रखी गई…

यह 1984 की बात है जब मुख्तियार सिंह संधु ने खेतीबाड़ी के साथ पोल्टरी फार्मिंग में निवेश करने का फैसला किया। श्री संधु ने वैकल्पिक आय के अच्छे स्त्रोत के रूप में मुर्गी पालन के व्यवसाय को अपनाया और परिवार की बढ़ती हुई जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्हें खेतीबाड़ी के साथ यह उपयुक्त विकल्प लगा। उन्होंने 5000 ब्रॉयलर मुर्गियों से शुरूआत की और धीरे-धीरे समय और आय के साथ इस व्यवसाय का विस्तार किया।

उनके भतीजे का इस व्यवसाय में शामिल होना…

समय बीतने के साथ मुख्तियार सिंह ने इस व्यवसाय में अपना सर्वश्रेष्ठ दिया और अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दी और 1993 में उनके भतीजे रविंदर सिंह संधु (लाडी) ने अपने चाचा जी के व्यवसाय में शामिल होने और ब्रॉयलर उद्यम को नई ऊंचाइयों तक लेकर जाने का फैसला किया।

जब बर्ड फ्लू की मार मार्किट पर पड़ी और कई पोल्टरी व्यवसाय प्रभावित हुए…

2003-04 वर्ष में बर्ड फ्लू फैलने से पोल्टरी उद्योग को एक बड़ा नुकसान हुआ। मुर्गी पालकों ने अपनी मुर्गियां नदी में फेंक दी और पोल्टरी उद्यम शुरू करने की हिम्मत किसी की नहीं हुई। संधु पोल्टरी को भी इस बड़ी समस्या का सामना करना पड़ा लेकिन रविंदर सिंह संधु बहुत दृढ़ थे और वे किसी भी कीमत पर अपने व्यवसाय को शुरू करना चाहते थे। वे थोड़ा डरे हुए भी थे क्योंकि उनका कारोबार बंद हो जाएगा, लेकिन उनके दृढ़ संकल्प और लक्ष्य के बीच कुछ भी खड़ा नहीं रहा। उन्होंने बैंक से लोन लिया और मुर्गी पालन दोबारा शुरू किया।

“पोल्टरी उद्योग दोबारा शुरू करने का कारण यह था कि मेरे चाचा जी (मुख्तियार सिंह) का इस उद्योग से काफी लगाव था क्योंकि इस व्यवसाय को शुरू करने वाले वे पहले व्यक्ति थे।इसके अलावा हमारे परिवार में प्रत्येक सदस्य की शिक्षा (प्राथमिक से उच्च शिक्षा) का खर्च और परिवार के प्रत्येक सदस्य का खर्च इसी उद्यम से लिया गया। आज मेरी एक बहन कैलिफोर्निया में सरकारी अफसर के रूप में कार्यरत है। एक बहन करनाल के सरकारी हाई स्कूल में लैक्चरार है। कुछ वर्षों पहले शाहताज सिंह (रविंदर सिंह का चचेरा भाई) ने फ्लोरिडा की यूनिवर्सिटी से मकैनिकल इंजीनियरिंग में मास्टर्स पूरी की है। दोनों बेटी और बेटे की शादी का खर्च … सब कुछ पोल्टरी फार्म की आमदन से किया गया है।”

बहुत कम लोगों ने फिर से अपना पोल्टरी व्यवसाय शुरू किया और रविंदर सिंह संधु उनमें से एक थे। व्यवसाय दोबारा खड़ा करने के बाद संधु पोल्टरी फार्म जोश के साथ वापिस आए और पोल्टरी व्यवसाय से अच्छे लाभ कमाये।

व्यापार का विस्तार…

2010 तक, रविंदर ने अपने अंकल के साथ फार्म की उत्पादकता 2.5 लाख मुर्गियों तक बढ़ा दी। उसी वर्ष में, उन्होंने 40000 पक्षियों की क्षमता के साथ एक हैचरी की स्थापना की जिसमें से उन्होंने रोजाना औसतन 15000 पक्षी प्राप्त करने शुरू किए।

जब शाहताज व्यवसाय में शामिल हुए…

2012 में, अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, शाहताज सिंह संधु अपने चचेरे भाई (रविंदर उर्फ लाडी पाजी) और पिता (मुख्तियार सिंह) के पोल्टरी व्यवसाय में शामिल हुए। पहले वे दूसरी कंपनियों से खरीदी गई फीड का प्रयोग करते थे लेकिन कुछ समय बाद दोनों भाई संधु पोल्टरी फार्म को नई ऊंचाइयों पर लेकर गए और संधु फीड्स की स्थापना की। संधु पोल्टरी फार्म और संधु फीड दोनों ही अधिकृत संगठन के तहत पंजीकृत हैं।

वर्तमान में उनके पास जींद रोड, असंध (हरियाणा) में स्थित, 22 एकड़ में पोल्टरी फार्म की 7-8 यूनिट, 4 एकड़ में हैचरी, 4 एकड़ में फीड प्लांट हैं और 30 एकड़ में वे फसलों की खेती करते हैं। अपने फार्म को हरे रंग के परिदृश्य और ताजा वातावरण देने के लिए उन्होंने 5000 से अधिक वृक्ष लगाए हैं। फीड प्लांट का उचित प्रबंधन 2 लोगों को सौंपा गया है और इसके अलावा पोल्टरी फार्म के कार्य के लिए 100 कर्मचारी हैं जिनमें से 40 आधिकारिक कर्मचारी हैं।

जब बात स्वच्छता और फार्म की स्थिति की आती है तो यह संधु भाइयों की कड़ी निगरानी के तहत बनाकर रखी जाती है। पक्षियों के प्रत्येक बैच की निकासी के बाद, पूरे पोल्टरी फार्म को धोया जाता है और साफ किया जाता है और उसके बाद मुर्गियों के बच्चों को ताजा और सूखा वातावरण प्रदान करने के लिए धान की भूसी की एक मोटी परत (3-3.5 इंच) ज़मीन पर फैला दी जाती है। तापमान बनाकर रखना दूसरा कारक है जो पोल्टरी फार्म को चलाने में महत्तवपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए उन्होंने गर्मियों के मौसम में फार्म को हवादार बनाए रखने के लिए कूलर लगाए हुए हैं और सर्दियों के मौसम के दौरान पोल्टरी के अंदर भट्ठी के साथ ताप बनाकर रखा जाता है।

“एक छोटी सी अनदेखी से काफी बड़ा नुकसान हो सकता है इसलिए हम हमेशा मुर्गियों की स्वच्छता और स्वस्थ स्थिति बनाकर रखने को पहल देते हैं। हम सरकारी पशु चिकित्सा हस्पताल और कभी कभी विशेष पोल्टरी हस्पतालों में रेफर करते हैं जिनकी फीस बहुत मामूली है।”

मंडीकरण

पोल्टरी उद्योग में 24 वर्षों के अनुभव के साथ रविंदर संधु और 5 वर्षों के अनुभव के साथ शाहताज संधु ने अपने ही राज्य के साथ-साथ पड़ोसी राज्य जैसे पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में एक मजबूत मार्किटिंग नेटवर्क स्थापित किया है। वे हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में विभिन्न डीलरों के माध्यम से और कभी कभी सीधे ही किसानों को मुर्गियां और उनके चूज़ों को बेचते हैं।

“यदि कोई पोल्टरी फार्म शुरू करने में दिलचस्पी रखता है तो उसे कम से कम 10000 पक्षियों के साथ इसे शुरू करना चाहिए शुरूआत में यह लागत 200 रूपये प्रति पक्षी और एक पक्षी तैयार करने के लिए 130 रूपये लगते हैं। आपका खर्चा लगभग 30 -35 लाख के बीच होगा और यदि फार्म किराये पर है तो 10000 पक्षियों के बैच के लिए 13-1400000 लगते हैं – यह संधु भाइयों का कहना है।”

भविष्य की योजनाएं

“फार्म का विस्तार करना और अधिक पक्षी तैयार करना हमारी चैकलिस्ट में पहले से ही है लेकिन एक नई चीज़ जो हम भविष्य में करने की योजना बना रहे हैं वो है पोल्टरी के उत्पादों की फुटकर बिक्री के उद्योग में निवेश करना।”
भाईचारे के अपने अतुल मजबूत बंधन के साथ दोनों भाई अपने परिवार के व्यवसाय को नई ऊंचाइयों पर ले गए हैं और वे इसे भविष्य में भी जारी रखेंगे।

संदेश
पोल्टरी व्यवसाय आय का एक अच्छा वैकल्पिक स्त्रोत है जिसमें किसानों को निवेश करना चाहिए यदि वे खेती के साथ अच्छा लाभ कमाना चाहते हैं। कुछ चीज़ें हैं जो हर पोल्टरी किसान को ध्यान में रखनी चाहिए यदि वे अपने पोल्टरी के कारोबार को सफलतापूर्वक चलाना चाहते हैं जैसे -स्वच्छता, तापमान बनाकर रखना और अच्छी गुणवत्ता वाले मुर्गी के चूज़े और फीड।

अमरजीत सिंह भट्ठल

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जानें एक रिटायर्ड फौजी के बारे में, जो एग्रीप्रेन्योर बन गए और एग्री बिज़नेस के क्षेत्र में क्रांति ला रहे हैं

आज कल बहुत कम लोग अपने भविष्य में खेतीबाड़ी के क्षेत्र में जाने के बारे में सोचते हैं। जिस दौर में हम रह रहे हैं, इसमें ज्यादातर लोग बड़े शहरों का हिस्सा बनना चाहते हैं और सेवा मुक्ति के बाद की ज़िंदगी को लोग आमतौर पर आसान और आरामदायक तरीके से जीना चाहते हैं, जिसमें उनके पास कोई काम ना होना, घर में खाली बैठना, अखबार पढ़ना, बच्चों के साथ समय बिताना और थोड़ी बहुत कसरत करना आदि शामिल हो। बहुत कम लोग होते हैं, जो कुदरत की चिंता करते हैं और अपनी जिम्मेदारियां निभाते हैं और अपने जीवन में उन्होंने मिट्टी से जो कुछ हासिल किया, उसे वापिस देने की कोशिश करते हैं।

स. अमरजीत सिंह भट्ठल एक रिटायर्ड फौजी हैं, जो कुदरत के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं और इस जिम्मेदारी को उन्होंने अपना शौंक और आराम का तरीका बना लिया। वे आराम वाली ज़िंदगी को छोड़कर लुधियाना में स्थित अपने गांव में अपने पिता और पत्नी सहित रह रहे हैं और जट्ट सौदा के नाम से एक दुकान चला रहे हैं।

सड़क के साथ लगती और भी दुकानें और रिटेल स्टोर हैं, पर जट्ट सौदे में खास क्या है दुकान के पीछे स्वंय के खेत में उगाई जैविक सब्जियां, दालें, फल और मसाले आदि जट्ट सौदे को दूसरों से अलग और विलक्षण बनाते हैं। वास्तव में उनकी ऑन रोड फार्म मार्किट है, जहां पर आप सब कुछ ताजा और जैविक खरीद सकते हैं। इसके अलावा उनके पास एक छोटा पॉल्टरी फार्म भी है, जहां उनके पास लगभग 100 देसी मुर्गियां हैं। मुर्गियों की गिनती कम ज्यादा होती रहती है, पर देसी अंडों की मांग कभी भी नहीं घटती और स्टोर में पहुंचने के साथ-साथ ही सारे अंडे बिक जाते हैं।

उन्होंने विरासत मिशन से ट्रेनिंग लेने के बाद दिसंबर 2012 में जैविक खेती शुरू की। उस दिन से लेकर आज तक वे खेती का काम पूरी लगन से कर रहे हैं। वे सुबह से शाम तक का समय अपने फार्म स्टोर पर ही व्यतीत करते हैं, जहां उनके पिता भी उनका साथ देते हैं। ये पिता-पुत्र अपनी ज़मीन के छोटे से हिस्से को अपने पुत्र की तरह पालते हैं।

उन्होंने अपनी दुकान की दिखावट ग्रामीण तरीके से तैयार की है, जिसके एक ओर आप ताज़ी मौसमी सब्जियां डिस्पले पर लगी देख सकते हैं और छत से नीचे लटकती लहसुन की गांठे देख सकते हैं। दुकान के बीच में से एक रास्ता पीछे बने फार्म की तरफ जाता है, जहां आपको भिंडी, टमाटर, करेले, अरहर अलग अलग तरह के लैट्टस (सलाद पत्ता) की किस्में और अन्य बहुत तरह की सब्जियां मिलती हैं। उनके अनुसार फार्म देखने के लिए सबसे उचित समय जल्दी सुबह से शाम तक का होता है क्योंकि उस समय आप बहुत अच्छे कुदरत के रंगों को फार्म की खूबसूरती से मिलते देख सकते हैं। फार्म के एक कोने पर पोल्टरी फार्म बना है जहां आप किल्ली से बंधा कुत्ता देख सकते हैं। सब कुछ मिलाकर यह फार्म एक संपूर्ण फार्म का दीदार करवाता है। उनके पास खेती के कामों के लिए 2-3 मजदूर हैं।

अमरजीत सिंह जी ने पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ से एम एस सी की डिग्री पूरी की और देश की सेवा करना उनके द्वारा चुना गया पेशा था। खेती से पहले, स. अमरजीत सिंह एक इमीग्रेशन कंपनी में सलाहकार के तौर पर भी काम करते थे, जहां वे बच्चों के साथ बात करके भविष्य की ज़िंदगी के लक्ष्यों और उद्देश्यों के बारे में चर्चा करते थे और उन्हें सलाह देते थे। इसके अलावा वे पंजाब के मुख्य मंत्री अमरिंदर सिंह जी के भी प्रसिद्ध सलाहकार रहे हैं। अपनी ज़िंदगी में इतने मशहूर पद हासिल करने के बाद भी आज वे किसी भी चीज़ का घमंड नहीं करते। वे सादा जीवन व्यतीत करने में यकीन रखते हैं और कुदरत की इज्ज़त भी करते हैं। वे जैविक खेती के द्वारा कुदरत को बचाने और समाज को तंदरूस्त भोजन देने की कोशिश कर रहे हैं। अमरजीत सिंह जी का एक छिपा हुआ गुण भी है। उनके कॉलेज के समय से ही वे साहित्य में रूचि रखते थे और उन्हें लियो टॉलस्टॉये को पढ़ने का बहुत शौंक था। वे बहुत बढ़िया लेखक भी हैं और अब भी जब खेती के कामों से समय मिलता है तो अपने विचारों और सोच को शब्दों में लिखते हैं।

उनसे बातचीत करने के बाद उन्होंने ग्राहकों की मांग बारे में चर्चा की और उनके अनुसार आज कल ग्राहकों की मांग स्वास्थ्य के हित में नहीं है। आधुनिक तकनीकों और नए तरीकों से खाना बचाकर आज आप गर्मियों में मटर और गाजर और सर्दियों में लौकी खा सकते हैं। जैसे कि हम सब जानते हैं कि सब्जियां मानवी पाचन क्रिया में मुख्य हिस्सा है और प्रत्येक मौसम हमें बहुत सारी ताजी उपज प्रदान करता है। इसलिए यदि आप अपने भोजन में अन्य जैविक, मौसमी फल और सब्जियों को शामिल करते हैं, तो यह और भी ज्यादा लाभदायक होगा, क्योंकि खुराक में मौसमी फल शामिल करने से आप अधिक तत्वों वाली सब्जियां, जो कि बिना किसी रसायनों से होती हैं, उनका अच्छा स्वाद ले सकते हैं। यह भोजन आपके शरीर के लिए भी मौसम के अनुसार सहायक होगा। उन्होंने यह भी कहा कि जिस दिन ग्राहकों को जैविक भोजन के फायदों के बारे में पता लगेगा, उस दिन से जैविक सब्जियों और फलों की मांग अपने आप बढ़ जायेगी और जागरूकता बढ़ाने के लिए किसानों और ग्राहकों में संपर्क होना बहुत जरूरी है।

वे स्वंय लोगों को जैविक खेती के बारे में जागरूक करने की कोशिश करते हैं और उन्होंने स्कूल के बच्चों को जैविक खेती और भोजन की महत्वत्ता पर प्रैज़ैनटेशन भी दी। इस समय वे जैविक खेती को जारी रखने और अन्य लोगों को जैविक खेती के फायदों से जागरूक करवाने की योजना बना रहे हैं।

भविष्य में उनकी योजनाएं इस प्रकार हैं:

• अपनी ऑन रोड मार्किट के ढांचे को अपग्रेड करना

• 2000 गज में नैट हाउस बनाना

• अपने फार्म में फसलों को संरक्षित वातावरण प्रदान करना

• सिंचाई का हाइब्रिड सिस्टम लगाना

• पानी की स्टोरेज बढ़ाना

अमरजीत सिंह भट्ठल जी के द्वारा दिया गया संदेश
“उन्होंने आज के किसानों को बड़ी समझदारी वाला संदेश दिया कि आप उत्पाद का मुल्य नियंत्रण नहीं कर सकते, क्योंकि वह सरकार पर निर्भर करता है, आपको वह करना चाहिए, जो आप कर सकते हैं। किसानों को लागत मुल्य पर नियंत्रण करना चाहिए और जैविक खेती करनी चाहिए, क्योंकि इससे ज्यादा खर्चा नहीं आता। एक समय आयेगा, जब लोगों को अहसास होगा कि पारंपरिक खेती उनकी मांगों को पूरा नहीं कर रही है। इसलिए अच्छा होगा, यदि हम समय की जरूरत को समझ लें और इसके अनुसार ही काम करें।”