एक ऐसे उद्यमी जो अपने हर्बल उत्पादों से मधुमेह की दुनिया में क्रांति ला रहे हैं
आज भारत में 65.1 मिलियन से अधिक मधुमेह के मरीज़ हैं और इस तथ्य से, यह बिल्कुल स्पष्ट है कि मधुमेह एक महामारी की तरह फैल रहा है जो हमारे लिए खतरे की स्थिति है। मधुमेह के मरीज़ों की संख्या में वृद्धि के लिए जिम्मेदार ना केवल अस्वस्थ जीवनशैली और अस्वस्थ भोजन है बल्कि मुख्य कारण यह है कि उपभोक्ता अपने घर पर जो मूल उत्पाद खा रहे हैं वे उसके बारे में अनजान हैं। इस परेशान करने वाली स्थिति को समझते हुए और समाज में स्वस्थ परिवर्तन लाने के उद्देश्य से अमरजीत सिंह धम्मी ने अपने कम जी. आई. (GI) हर्बल उत्पादों के साथ इस व्यापक बीमारी को पराजित करने की पहल की।
ग्लाईसेमिक इन्डेक्स या जी. आई. (GI)
जी .आई . (GI) मापता है कि कैसे कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन आपके रक्त में ग्लूकोज़ स्तर को बढ़ाता है। उच्च जी. आई. (GI) युक्त भोजन, मध्यम और कम जी. आई . (GI) युक्त भोजन से अधिक आपके रक्त में ग्लूकोज़ की मात्रा को बढ़ाता है।
2007 में B.Tech एग्रीकल्चर में ग्रेजुएट होने के बाद और फिर अमेरिकी आधारित कंपनी में 3 वर्षों तक एक सिंचाई डिज़ाइनर के रूप में नौकरी करने के बाद, अमरजीत सिंह धम्मी ने अपना स्वंय का व्यवसाय शुरू करने का फैसला किया जिससे वे समाज के प्रमुख स्वास्थ्य मुद्दों का व्याख्यान कर सकें। अपने शोध के अनुसार, उन्होंने पाया कि डायबिटीज़ प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है और यही वह समय था जब उन्होंने डायबिटीज़ के मरीज़ों के लिए हर्बल उत्पादों को लॉन्च करने का फैसला किया।
एग्रीनीर फूड (Agrineer Food) ब्रांड का नाम था जिसके साथ वे 2011 में आए और बाद में इसे ओवेर्रा हर्बल्स (Overra Herbals) में बदल दिया। पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, फूड प्रोसेसिंग विभाग से खाद्य प्रसंस्करण की ट्रेनिंग लेने के बाद उन्होंने अपना पहला उत्पाद लॉन्च किया जो मधुमेह के मरीज़ों के लिए डायबिटिक उपयुक्त आटा (Diabetic Friendly Flour) है और अन्य लोग इसे स्वस्थ जीवनशैली के लिए भी उपयोग कर सकते हैं।
अमरजीत सिंह धम्मी इस तथ्य से अच्छी तरह से अवगत थे कि एक नए ब्रांड उत्पाद की स्थापना करने के लिए बहुत सारा निवेश और प्रयास चाहिए। उन्होंने लुधियाना में प्रोसेसिंग प्लांट की स्थापना की, फिर मार्किट रीटेल चेन और इसके विस्तार की स्थापना द्वारा बाजार से व्यवस्थित रूप से संपर्क किया। उन्होंने अपने उद्यम में आयुर्वेद डॉक्टरों, मार्किटिंग विशेषज्ञ और पी एच डी माहिरों को शामिल करके एक कुशल टीम बनाई। इसके अलावा सामग्री की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए, उन्होंने जैविक खेती करने वाले किसानों का एक समूह बनाया और अपने ब्रांड के तहत जैविक दालों को बेचना शुरू कर दिया।
खैर, मुख्य बात यह है कि जिसके साथ मधुमेह के मरीज़ों को लड़ना है वह है मिठास। और इस बात को ध्यान में रखते हुए, अमरजीत सिंह धम्मी ने मधुमेह के मरीज़ों के लिए अपना मुख्य उत्पाद लॉन्च करने से लगभग 4—5 वर्ष पहले अपना शोध कार्य शुरू किया था। अपने शोध कार्य के बाद, श्री धम्मी ने डायबीट शूगर को मार्किट में लेकर आये।
आमतौर पर चीनी में 70 ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है लेकिन डायबीट शूगर में 43 ग्लाइसेमिक इंडेक्स है। यह विश्व में पहली बार है कि चीनी ग्लाइसेमिक इंडेक्स के आधार पर बनाई गई है।
डायबीट शूगर का मुख्य सक्रिय तत्व, जो इसे बाजार में उपलब्ध सामान्य चीनी से विशेष बनाते हैं वे हैं जामुन, अदरक, लहसुन,काली मिर्च, करेला और नीम। और यह ओवेर्रा फूड्स की विकसित की गई (पेटेंट)तकनीक है।
हल्दीराम, लवली स्टीवट्स, गोपाल स्वीट्स कुछ ब्रांड हैं जिनके साथ वर्तमान में ओवेर्रा फूड डायबीटिक फ्रेंडली मिठाई बनाने के लिए अपने डायबीट शूगरऔर डायफ्लोर का लेन देन और सप्लाई कर रही है।
शुरूआत में, अमरजीत सिंह धम्मी ने जिस समस्या का सामना किया वह थी उत्पादों का मंडीकरण और उनकी शेल्फ लाइफ। लेकिन जल्दी ही मार्किटिंग मांगों के मुताबिक उत्पादन करके इसे सुलझा लिया गया। वर्तमान में, ओवेर्रा फूड की मुख्य उत्पादन संयंत्र मैसूर और लुधियाना में स्थित हैं और इसके उत्पादों की सूची में कम जी आई (GI) युक्त डायबीट शूगर से बने जूस, चॉकलेट, स्क्वैश, कुकीज़ शामिल हैं और ये उत्पाद पूरे भारत में आसानी से उपलब्ध हैं।
स्वास्थ्य मुद्दे को संबोधित करने के साथ साथ, श्री धम्मी ने डॉ. रमनदीप के साथ सहयोग करके कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी की ओर सकारात्मक भूमिका निभाई है, उन्होंने एक कार्यकलाप शुरू की है जिसके माध्यम से वे उद्यमियों को अपनी ट्रेनिंग और मार्गदर्शन के तहत करियर को सही दिशा में ले जाने के लिए मदद की है।
अमरजीत सिंह धम्मी अपने उत्पादों को संयुक्त राज्य अमेरिका, केनेडा,फिलीपीन्स और अन्य खाड़ी देशों में निर्यात करने की योजना बना रहे हैं।
“यही समय शिक्षित युवा पीढ़ी के लिए सबसे ज्यादा सही है क्योंकि उनके पास कई अवसर हैं, जिसमें वे स्वंय का व्यवसाय शुरू कर सकते हैं, बजाय कि किसी ऐसी नौकरी के पीछे भागे जिनसे उनकी मौलिक आवश्यकताएं भी पूरी नहीं हो सकी, पर हर काम के लिए धैर्य रखना ज़रूरी है।”