एक ऐसा किसान जो मुश्किलों से लड़ा और औरों को लड़ना भी सिखाया
किसान को हमेशा अन्नदाता के रूप में जाना जाता है, क्योंकि किसान का काम अन्न उगाना और देश का पेट भरना होता हैं पर आज के समय में किसान को उगाने के साथ-साथ फसल की प्रोसेसिंग और बेचना आना भी बहुत जरुरी है। पर जब मंडीकरण की बात आती है तो किसान को कई पड़ावों से गुजरना पड़ता है, क्योंकि मन में डर होता है कहीं अपनी किसानी के अस्तित्व को कायम रखने में कमजोर न हो जाए।
किसान का नाम चरणजीत सिंह जिसने अपने आप पर भरोसा किया और आगे बढ़ा और आज कामयाब भी हुआ जो गांव गहिल मजारी, नवांशहर के रहने वाले हैं। वैसे तो चरणजीत सिंह शुरू से ही खेती करते हैं जिसमें उन्होंने अपनी अधिक रूचि गन्ने की खेती की तरफ दिखाई है। जिसमें वह 145 एकड़ में 70 से 80 एकड़ में सिर्फ गन्ने की खेती करते थे और बाकि जमीन में पारंपरिक खेती ही करते थे और कर रहे हैं।
गन्ने की खेती में अच्छा अनुभव हो गया, लेकिन कुछ कारणों के कारण उन्हें 80 से कम करके 45 एकड़ में खेती करनी पड़ी, क्योंकि जब गन्ने की फसल उग जाती थी तो पहले तो यह सीधी मिल में चली जाती थी पर एक दिन ऐसा आया कि उनकी फसल की कटाई के लिए मज़दूर ही नहीं मिल रहे थे, पर जब मज़दूर मिलने लगे तब फसल बिकने के लिए मिल में चली जाती थी और फसल का मूल्य बहुत कम मिलता था। पहले आसमान को छू रहे थे और फिर वे आकर जमीन पर गिर गए जैसे कि उनकी मंजिल के पंख ही काट दिए गए हों।
वह बहुत परेशान रहने लगे और इसके बारे में सोचने लगे और फैसला लिया यदि मुझे सफल होना तो यहीं काम करके होना है और काम करने लगे।
“वह समय और वह फैसला लेना मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी क्योंकि 145 एकड़ में आधा में गन्ने की खेती कर रहा था जहां से मुझे आमदन हो रही थी- चरणजीत सिंह
जब उन्होंने फैसला लिया तो 45 एकड़ में ही गन्ने की खेती करनी शुरू कर दी। अनुभव भी उनके पास पहले से ही था पर उस अनुभव को उपयोग करने की जरुरत थी। फिर धीरे-धीरे चरणजीत ने खेत में ही बेलना लगा लिया और उन्होंने पारंपरिक तरीके से गुड़ निकालना जारी रखा।
वह गुड़ बना रहे थे और गुड़ बिक भी रहा था पर चरणजीत को काम करके ख़ुशी नहीं मिल रही थी।
परिणामस्वरूप, गुड़ बनाने में उनकी रुचि कम होने लगी। फिर उन्हें पुराने दिन और बातें याद आती जो उन्होंने उस दिन काम करने के बारे में सोची थी और वह उन्हें होंसला देती थी।
बहुत सोचने के बाद उन्होंने बहुत सी जगह पर जाना शुरू किया और प्रोसेसिंग के बारे में जानकारी इक्क्ट्ठी करनी शुरू कर दी। जैसे-जैसे जानकारी मिलती रही काम करने की इच्छा जागती रही पर फिर भी संतुष्ट न हो पाए, क्योंकि उन्हें किसान तो मिले पर कुछ किसान ही थे जो साधारण गुड़ बनाने के इलावा कुछ ख़ास बनाने की कोशिश कर रहे थे जोकि यह बात उनके मन में बैठ गई। फिर उन्होंने ट्रेनिंग करने के बारे में सोचा।
मैंने PAU लुधियाना से ट्रेनिंग प्राप्त की- चरणजीत सिंह
ट्रेनिंग लेने के बाद उन्होंने फिर प्रोसेसिंग पर काम करना शुरू कर दिया। अधिक समय काम करने के बाद फिर चरणजीत ने 2019 में नए तरीके से शुरुआत की और सिंपल गुड़ और शक्कर के साथ-साथ मसाले वाला गुड़ भी बनाना शुरू कर दिया। मसाले वाले गुड़ में वह कई तरह की वस्तुओं का प्रयोग करते थे।
वह प्रोसेसिंग का पूरा काम अपने ही फार्म पर करते हैं और देखरेख उनके पुत्र सनमदीप सिंह जी करते हैं जो अपने पिता जी के साथ मिलकर काम करते हैं। जिससे उनका काम साफ़ सुथरा और देखरेख से बिना किसी परेशानी से हो जाता है।
उन्होंने 12 कनाल में अपना फार्म जिसमें 2 कनाल में वेलन और बाकि के 10 कनाल में सूखी लकड़ियां बिछाई हैं जो बंगे से मुकंदपुर रोड पर स्तिथ है। गुड़ बनाने के लिए उन्होंने अपनी खुद के मज़दूर रखे हुए हैं जिन्हे अनुभव हो चूका है और फार्म पर वही गुड़ निकालते हैं और बनाने हैं। उनके द्वारा 3 से 4 तरह के उत्पाद तैयार किये जाते हैं। जिसके अलग-अलग रेट हैं जिसमें मसाले वाले गुड़ की मांग बहुत अधिक है।
उनके द्वारा तैयार किए जा रहे उत्पाद
- गुड़
- शक्कर
- मसाले वाला गुड़ आदि।
जिसकी मार्केटिंग करने के लिए उन्हें कहीं भी बाहर नहीं जाना पड़ता, क्योंकि उनके द्वारा बनाये गुड़ की मांग इतनी अधिक है कि उन्हें गुड़ के आर्डर आते हैं। जिनमें अधिकतर शहर के लोगों द्वारा आर्डर किया जाता है।
रोज़ाना उनका 70 से 80 किलो गुड़ बिक जाता है और आज अपने इसी काम से बहुत मुनाफा कमा रहे हैं। वह खुद हैं जो उन्होंने सोचा था वह करके दिखाया। इसके साथ-साथ वह गन्ने के बीज भी तैयार करते हैं और बाकि की जमीन में मौसमी फसलें उगाते हैं और मंडीकरण करते हैं।
भविष्य की योजना
वह अपने इस गन्ने के व्यापार को दोगुना करना चाहते हैं और फार्म को बड़े स्तर पर बनाना चाहते हैं और आधुनिक तरीके के साथ काम करने की सोच रहे हैं।
संदेश
किसी भी नौजवान को बाहर देश जाने की जरुरत नहीं है यदि वह यहीं रह कर मन लगा कर काम करना शुरू कर दें तो उनके लिए यही जन्नत है, बाकि सरकार को नौजवानों को सही दिशा में जाने के लिए और खेती के लिए भी प्रेरित करना चाहिए।