मिलन शर्मा

पूरी कहानी पढ़ें

जज़्बा हो तो महिलाओं के लिए कुछ भी असम्भव नहीं है….ऐसी ही एक मिसाल है मिलन शर्मा

अक्सर ही माना जाता है कि डेयरी फार्मिंग का काम ज़्यादातर कम पढ़े-लिखे लोग ही करते हैं। पर अब इस काम में ज़्यादा कमाई होती देखकर पढ़े लिखे लोग भी इस काम में शामिल हो रहे हैं। आज-कल डेयरी फार्मिंग के काम में पुरुषों के साथ-साथ महिलायें में आगे आ रही हैं। इस कहानी में हम एक ऐसी महिला की बात करने जा रहे हैं जो डेयरी फार्मिंग का काम अपनाकर कामयाब हुई और अब अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन रही है।

हरियाणा की रहनी वाली मिलन शर्मा जी ने M.Sc Biochemistry की पढ़ाई की है। पढ़ाई के दौरान ही उनका विवाह चेतन शर्मा जी, जो कि एक इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर हैं, उनके साथ हो गया। विवाह के बाद दो बेटे होने के कारण वह अपने गृहस्थ में शामिल हो गए । बेटों के स्कूल जाने के बाद उन्होंने खाली समय में जर्मन भाषा सीखनी शुरू की और बाद में उनको एक स्कूल में जर्मन भाषा सिखाने के लिए अध्यापक के तौर पर नौकरी मिल गई। इसके साथ ही उन्होंने जर्मन कल्चर सेंटर के साथ प्रोजेक्ट मैनेजर के तौरपर कई सालों काम किया। इस प्रोजेक्ट के तहत बच्चों को जर्मन भाषा सिखाकर उच्च पढ़ाई के लिए जर्मन में जाने के लिए तैयार किया जाता था।

आगे जाकर दोनों बच्चों को बढ़िया नौकरी मिल गई तो हम दोनों (पति-पत्नी) ने वातावरण और समाज के लिए कुछ बेहतर करने के बारे में सोचा – मिलन शर्मा

मिलन जी के ससुर जी के पास गाँव में 4 गाय थी, जिनकी देखभाल स्वयं करते थे। 2017 में उनके देहांत के बाद मिलन और उनके पति ने अपने पिता की रखी 4 गायों की देखभाल करनी शुरू की और इसके साथ उन्होंने 2 और साहीवाल नस्ल की गाय खरीदी। समय के साथ उनका डेयरी का काम बढ़ने लगा और मिलन जी को अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी। पर उन्हें डेयरी फार्मिंग के बारे में कुछ ज़्यादा जानकारी नहीं थी, इसलिए उन्होंने अपनी जानकारी में वृद्धि करने के लिए करनाल और LUVAS और GADVASU से ट्रेनिंग हासिल की। उनके पास धीरे-धीरे 30 गाय हो गई। इसके बाद उन्होंने 6 एकड़ में “रेवनार” नाम का एक फार्म शुरू किया। रेवनार नाम रेवती और नारायण के सुमेल से लिया गया है, जो कि मिलन जी के पति के दादा-दादी का नाम है। इस फार्म को उन्होंने FSSAI से रजिस्टर करवा लिया। इस समय उनके पास साहीवाल, थारपारकर, राठी और गिर नस्ल की 140 गाय हैं।

मैं पहले गाय के पास जाने से भी डरती थी, पर अब मेरा पूरा दिन गायों के बीच में ही गुजरता है। अब गाय मेरे साथ ऐसे रहती है जैसे वह मेरी सहेली हो – मिलन शर्मा

गायों की संख्या ज़्यादा होने के कारण उनके पास दूध की मात्रा भी बढ़ने लगी। पहले उनसे रिश्तेदार और गाँव के कुछ लोग ही दूध लेकर जाते थे, पर दूध की गुणवत्ता बढ़िया होने के कारण और लोगों ने दूध खरीदना शुरू कर दिया है। पहले वह ड्रम में डालकर ग्राहक तक पहुंचाते थे, पर कुछ समय के बाद उन्हें महसूस हुआ कि इसमें कोई बदलाव आना चाहिए। अब वह कांच की बोतलों में दूध डालकर ग्राहकों को बेचते हैं। उनके द्वारा जिन कांच की बोतलों में ग्राहकों को दूध बेचा जाता है, अगले दिन ग्राहक उन बोतलों को वापिस कर देते हैं। इस तरह फिर अगले दिन कांच की बोतलों में दूध भरकर ग्राहकों तक पहुँचाया जाता है। उनके द्वारा दूध और दूध द्वारा तैयार किये उत्पाद (पनीर, दहीं, मक्खन, लस्सी, देसी घी) ऑनलाइन भी बेचे जाते हैं। मिलन जी अपनी डेयरी का दूध दिल्ली, नोएडा, फरीदाबाद के ग्राहकों को बेचते हैं।

डेयरी फार्म के साथ ही वह मथुरा में 15 एकड़ ज़मीन पर खेती करते हैं। यहाँ फसलों में वह गेहूं, धान, सरसों के साथ ही चारे की फसलें जई, बरसीम, बाजरा, मक्की, लोबिया, ग्वार, चने आदि की खेती करते हैं।

इनके द्वारा डेयरी में गायों के गोबर और मूत्र का भी प्रयोग किया जाता है। उन्होंने एक बायोगैस प्लांट भी लगाया है , जिसमें गायों के गोबर से गैस तैयार की जाती है, जिसका प्रयोग गायों के लिए खुराक जैसे दलिया आदि तैयार करने के लिए करते हैं।

इसके अलावा मिलन जी ने अपने फार्म पर अलग-अलग तरह के फलदार, चकित्सिक और विरासती पेड़ लगाए हैं, जैसे कि नीम, टाहली, कदम, पपीता, गिलोय, आंवला, अमरुद, बेलपत्र, नींबू, इमली आदि।

इन सभी पेड़ों के पत्तों को गाय के मूत्र में मिलाकर जीव अमृत तैयार करते हैं, जिसका प्रयोग फसलों के लिए किया जाता है। इसके अलावा कीड़ेमार दवाइयों की जगह वह खट्टी लस्सी आदि का प्रयोग करते हैं।

मिलन जी के पति, चेतन जी घरों और कंपनियों में सोलर पैनल लगाने के काम करते हैं। उन्होंने ने अपने फार्म में भी 800 किलोवाट का सोलर पैनल लगाया हुआ है।

उपलब्धियां
मिलन जी के संकल्प और मेहनत के ज़रिये उनके द्वारा हसिल की उपलब्धिया नीचे लिखे अनुसार हैं:
  • पशु पालन विभाग, हरियाणा की तरफ से प्रगतिशील किसान का दर्जा दिया गया है।
  • रेवनार फार्म की 2 गायों ने फरीदाबाद पशु मेले में ईनाम जीते।
  • केवल एक साल के समय में 30 से 140 गायों तक संख्या बढ़ाई और 5 घरों से 200 से ज़्यादा ग्राहकों को अपने साथ जोड़ा।
भविष्य की योजना

मिलन जी अपने पूरे गाँव को रसायन मुक्त वातावरण देना चाहते हैं। वह आगे चलकर अपने डेयरी फार्म को एक स्किल सेंटर के तौरपर पशु पालकों को ट्रेनिंग देना चाहते हैं। वह सरकार के साथ मिलकर एक प्रोजेक्ट शुरू करना चाहते हैं, जिसमें उनके गाँव में सभी के लिए एक कम्युनिटी बायोगैस प्लांट लगाया जाये। इस प्रोजेक्ट के साथ जहाँ गाँव वालों को मुफ्त गैस मिलेगी, वहां ही उन्हें अपने पशुओं के गोबर के सही प्रयोग के बारे में जानकारी हासिल होगी और वह गोबर गैस के व्यर्थ को खेतों में खाद के तौरपर प्रयोग करके रसायन के होने वाले खर्चे को कम कर सकते हैं।

संदेश
“नौजवानों को डेयरी फार्मिंग के क्षेत्र में आगे आना चाहिए। इस क्षेत्र में रोज़गार के बहुत से अवसर होते हैं। हमे अपने बच्चों को भी शुरू से ही इस काम में आने के लिए प्रेरित करना चाहिए।”

राजवीर सिंह

पूरी कहानी पढ़ें

करनाल के एक छोटे डेयरी फार्म की सफलता की कहानी जो प्रतिदिन 800 लीटर दूध का उत्पादन करते हैं

यह राजवीर सिंह के डेयरी फार्म की उपलब्धियों और उनकी सफलता की कहानी है। करनाल जिले (हरियाणा) के एक छोटे से गांव से होने के कारण राजवीर सिंह ने कभी सोचा नहीं कि उनकी एच.एफ नस्ल की गाय लक्ष्मी को उच्च दूध उत्पादन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।

राजवीर सिंह की लक्ष्मी गाय होल्स्टीन फ्रिसियन नस्ल की है जिस के दूध उत्पादन की क्षमता प्रति दिन 60 लीटर है जो अन्य एच.एफ नस्ल की गायों की तुलना में अधिक है। लक्ष्मी ने न केवल अपने उच्च दूध उत्पादन क्षमता के लिए पुरस्कार जीते हैं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर कई पशु मेलों में अपनी सुंदरता के लिए भी पुरस्कार प्राप्त किए हैं। वह पंजाब नेशनल डेयरी फार्मिंग समारोह में एक ब्यूट चैंपियन रही है।

खैर, श्री राजवीर के फार्म पर लक्ष्मी सिर्फ एक उच्च दूध उत्पादक गाय है। उनके फार्म में कुल मिलाकर 75 पशु हैं, जिनसे राजवीर सिंह वार्षिक लगभग 15 लाख का लाभ कमा रहे हैं। उनका पूरा फार्म 1.5 एकड़ भूमि में बनाया गया है और विस्तारित किया गया है, जिस में आप 60 एच.एफ गाय, 10 जर्सी गाय, 5 साहीवाल गाय के अद्भुत दृश्य देख सकते है।

राजवीर सिंह के डेयरी फार्म पर दूध उत्पादन की कुल क्षमता 800 लीटर प्रति दिन की है। जिनमें से वे कुछ दूध बाजार में बेचते हैं और शेष अमूल डेयरी को बेचते हैं । उन्हें 8 साल हो गए है डेयरी फार्मिंग में सक्रिय रूप से शामिल हुए और अपने सभी प्रयासों और विशेषज्ञता के साथ वह अपनी गायों का ख्याल रखने की कोशिश करते है।

कोई भी कीमत राजवीर सिंह और उनकी गायों के बंधन को कमज़ोर नहीं बना सकती…

राजवीर सिंह अपनी गायें और डेयरी काम से बहुत जुड़े हुए है। एक बार उन्होंने बैंगलोर से आए एक बड़े व्यवसायी को 5 लाख रुपये में अपनी गाय लक्ष्मी बेचने से इनकार कर दिया। व्यवसायी ने गाय खरीदने के लिए राजवीर सिंह के फार्म का दौरा किया और लक्ष्मी के बदले में वह कोई भी राशि की देने के लिए तैयार थे, लेकिन लेकिन वे अपने फैसले पर अडिग थे और उन्होने उनके प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।

राजवीर सिंह द्वारा लक्ष्मी को प्रदान की जाने वाली फ़ीड और देखभाल…

लक्ष्मी का जन्म राजवीर सिंह के फार्म में हुआ था, जिसके कारण राजवीर उससे बहुत जुड़े थे। लक्ष्मी आम तौर पर प्रति दिन 50 किलो हरा चारा, 2 किलो सूखा चारा और 14 किलो अनाज खाती है। फार्म में लक्ष्मी और अन्य जानवरों की देखभाल में लगभग 6 कर्मचारी रखे हुए हैं।

संदेश
“गायों की देखभाल एक बच्चे की तरह की जानी चाहिए। गायों को जो प्यार और देखभाल दी जाती है उसके प्रति वे बहुत प्रतिक्रियाशील रहती हैं। डेयरी किसानों को गायों की हर जरूरत का ख्याल रखना चाहिए, फिर ही वे अच्छा दूध उत्पादन प्राप्त कर सकते है।”