हरप्रीत सिंह

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एक सफल शिक्षक से एक सफल सुअर पालक तक का अनोखा सफर

सुअर पालन को लेकर हर इंसान के मन में यह धारणा होती है कि सुअर पालन केवल एक सहायक पेशा हो सकता है, इसके इलावा कुछ लोग यह भी सोचते हैं कि सुअर बहुत गंदा जानवर है जो हमेशा गंदगी में रहता है और सूअर पालन कभी भी मुख्य व्यवसायों में अपनी जगह नहीं बना सकता।

आज हम जिला मुक्तसर के गांव लालबाई के एक युवक हरप्रीत सिंह की सफल कहानी पढ़ेंगे, जिन्होंने इस धारणा को गलत साबित कर दिया। उन्होंने अपनी BA और B.ED की पढ़ाई पूरी करने के बाद 10 साल तक 10वीं कक्षा के शात्रों को पढ़ाया और बाद एक शिक्षक से सफल किसान बने, उनकी सफलता की कहानी सोशल मीडिया से शुरू होती है, एक दिन जब वह खाली बैठे थे, उन्हें सोशल मीडिया पर सुअर पालन से संबंधित एक वीडियो मिला, जिसमें सुअर पालन के बारे में बहुत विस्तार से जानकारी दी गई थी जिसने हरप्रीत जी को सोचने पर मजबूर कर दिया था। सुअर पालन एक अच्छा पेशा है लेकिन लोग इसे गलत क्यों कहते हैं। उन्होंने और जानकारी इकट्ठी करनी शुरू की और अपना सारा ध्यान उसी पर केंद्रित कर दिया। जैसे-जैसे जानकारी धीरे-धीरे इकट्ठी होने लगी, उस पल उन्हें ऐसा लगा जैसे समुद्र में खड़ी नाव को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें एक चप्पू मिल गया हो।

हरप्रीत जी ने सोचा, मैंने बहुत सारी जानकारी इकट्ठी कर ली है लेकिन अब मुझे अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए किसी फार्म का दौरा करना है और यह जानना है कि हम सुअर पालन को एक प्रमुख व्यवसाय के रूप में अपनाकर वास्तव में सफल कैसे हो सकते हैं और वह जिस फार्म में भी जाते थे वहां से अपने सवालों की पुष्टि करके ही वापिस आते थे। जानकारी एकत्रित करने में काफी समय लगा लेकिन उन्होंने इस जानकारी को अमल में लाने का मन बना लिया था। जिसे लेकर हरप्रीत ने अपने परिवार से बात की, उन्होंने हरप्रीत की एक भी बात नहीं मानी क्योंकि सबके मन में यही बात थी. कि सुअर बहुत गंदा जानवर है जिसे गंदगी पसंद है, लेकिन जब हरप्रीत जी ने सुअर पालन के बारे में बहुत स्पष्ट जानकारी दी, तो परिवार के सदस्य सहमत हो गए लेकिन उनकी पूरी सहमति हरप्रीत जी के पास नहीं थी,जिससे वह काफी निराश थे।

इसी बीच गृह मंत्रालय में वरिष्ठ पद पर आसीन उनके दादा जी के मुलाकात साल 2018 में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री सरदार प्रकाश सिंह बादल से हुई और उस समय हरप्रीत जी भी अपने दादा के साथ थे। बैठक के दौरान हरप्रीत जी ने कहा कि उसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा पूछे जाने पर, वह एक शिक्षक थे और अब वे सुअर पालन का पेशा शुरू करने की सोच रहे थे। इस पर सहानुभूति प्रकट करते हुए सरदार प्रकाश बादल ने कहा, “बेटा, जब आप यह काम शुरू कर रहे हैं तो मेरे पास एक बहुत अच्छा विचार है। फार्म शुरू कब कर रहे हो, जब भी शुरू करना तो मेरे पी. ए. को फोन कर देना हम तुम्हारा फार्म देखने आयेंगे।”

हरप्रीत जी पहले से ही कुछ अलग करना चाहते थे और उसके ऊपर जब पूर्व मुख्यमंत्री ने काम के प्रति सहानुभूति व्यक्त की, तो उन्हें विश्वास हो गया कि हाँ, यह पेशा भी एक प्रमुख पेशा बन सकता है और फिर से परिवार के सदस्यों ने हरप्रीत को शुरू करने के लिए अपनी सहमति दी। इस पर हरप्रीत बहुत खुश थे।

हरप्रीत के पास सुअर पालन से जुड़ी सारी जानकारी थी इसलिए उसने अपना व्यवसाय शुरू करने से पहले उन्होंने पहले फार्म तैयार करवाया और पंजाब के बाहर से 2 नर सूअर और 20 मादा सूअर लाकर जुलाई 2018 में सुअर पालन शुरू किया। उसे लिया और उस पर पूरा ध्यान दिया। उस समय उनके पास एक यॉर्कशायर और दूसरा क्रॉस-ब्रीड थी।

जब सुअर पालन शुरू हुआ और एक महीने बाद उसने सरदार प्रकाश बादल के पी.ए. को बुलाकर अपने खेत में आने का निमंत्रण दिया, जैसे ही खबर सरदार बादल तक पहुंची, वह हरप्रीत के फार्म को देखने गए और बहुत खुश हुए और हरप्रीत जी से कहा, “बेटा, तुम्हे जिस भी चीज़ की ज़रुरत हो बस बता देना।” जब सरदार बादल साहब हरप्रीत के खेत में गए, तो इसकी खबर आसपास के अन्य गांवों में फैल गई और गांव के साथ-साथ अन्य गांवों के लोग भी फार्म को देखने आने लगे। जैसे-जैसे उनके फार्म में देखने वालों की संख्या दिन-प्रति-दिन बढ़ती गई, इसकी बात धीरे-धीरे उन व्यापारियों तक फैल गई जो सूअर खरीदते थे और वे भी खेतों को देखने आते थे और हरप्रीत के साथ सूअरों का व्यापार करते थे। वहीं से मार्केटिंग की शुरुआत हुई।

कुछ ही समय में सूअरों की बिक्री इतनी तेजी से बढ़ी कि पंजाब में उनकी चर्चा होने लगी और बहुत ही कम समय में उन्होंने लाभ कमाना शुरू कर दिया। उस समय बेशक उनके फार्म का खर्च मुनाफे में से निकल रहा था लेकिन उनकी किस्मत तब बदल गई जब गर्भवती सूरी के बच्चे हुए, तो प्रति सूरी लगभग 10 से 15 बच्चे, जिन्हें व्यापारियों ने भारी मात्रा में खरीदा और इससे हरप्रीत जी को काफी हुआ, फिर उन्होंने सोचा कि क्यों न फार्म को बड़ा स्तर पर शुरू कर दिया जाए और और सूअर रख कर उनकी सही तरीके से मार्केटिंग की जाए।

इसके बाद 2018 से 2020 तक उन्होंने बड़े पैमाने पर मार्केटिंग शुरू की जहां वे पंजाब के साथ-साथ विदेशों में भी व्यापारियों के चर्चा का विषय बने। काम शुरू हुआ तो उनके पेशे से उनकी पहचान ऐसी हो गई कि हर को सूअर खरीदने हरप्रीत जी के पास ही आता था और इनकी मार्केटिंग काफी फैली जहां साल 2020 में इन्होंने पूरा मुनाफा कमाना शुरू कर दिया और सफल हो गए। एक तरह से मार्केटिंग में सरदार बादल साहब का बड़ा हाथ है जिन्होंने हरप्रीत को सुअर पालन में काम करने के लिए कहा और हरप्रीत अपनी लगन और मेहनत से सफल हुए और लोगों को दिखाया कि अगर आपको कड़ी मेहनत करनी है तो सुअर पालन एक प्रमुख व्यवसाय हो सकता है।

आजकल वे ज्यादातर खुद मार्केटिंग के लिए जाते हैं क्योंकि साल 2020 में लॉकडाउन के दौरान उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा और उस समय उन्होंने डायरेक्ट मार्केटिंग करना सीख लिया था।

भविष्य की योजना

वे अन्य किसान भाइयों को सुअर पालन के बारे में जागरूक करने के लिए इस तरह से काम जारी रखते हुए फार्म को बड़ा करना और सूअरों की संख्या बढ़ाना चाहते हैं।

संदेश

अगर किसी को को भी काम करना है तो उसे विदेश जाने की जरूरत नहीं है, अगर आप यहाँ रहकर ही एक काम को अपने पुरे मन से करते हैं तो वह काम आपकी ज़िंदगी बदल सकता है।

सपिंदर सिंह

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सपिंदर सिंह ने सुअर पालन के साथ मछली पालन को समेकित कर पंजाब में कृषि संबंधित गतिविधियो को अगले स्तर तक पहुंचाया

भारत के अधिकांश भागों में, किसान अपनी घरेलु आर्थिकता को समर्थन देने के लिए समेकित कृषि संबंधित गतिविधियों को अपना रहे हैं और अपनाये भी क्यों ना । समेकित कृषि प्रणाली ना सिर्फ ग्रामीण समुदाय को उचित आजीविका प्रदान करती है बल्कि एक व्यवसाय में किसी कारणवश हानि होने पर अतिरिक्त व्यवसाय के रूप में समर्थन प्रदान करती है। इस उदाहरण के साथ संगरूर के प्रगतिशील किसान सपिंदर सिंह ने सुअर पालन के साथ मछली पालन को अपनाकर पंजाब के अन्य किसानों के लिए उदाहरण स्थापित किया है।

यह कहानी एक रिटायर्ड व्यक्ति— सपिंदर सिंह की है, जिन्होंने अपने 18 वर्ष मिल्टिरी इंजीनियरिंग सर्विस को समर्पित करने के बाद वापिस पंजाब आने का फैसला किया और अपना बाकी का जीवन खेतीबाड़ी को समर्पित कर दिया। कृषि पृष्ठभूमि से आने के कारण, सपिंदर सिंह के लिए दोबारा खेतीबाड़ी शुरू करना कुछ मुश्किल नहीं था। लेकिन मुख्य फसलें गेहू और धान उगाना उनके लिए लाभदायक उद्यम नहीं था। जिसका एक कारण उनका संबंधित कृषि गतिविधियों की तरफ प्रभावित होना था।

इस समय के दौरान, एक बार सपिंदर सिंह कुछ व्यक्तिगत कामों के लिए संगरूर शहर गए और वहां पर उन्होंने एक मछली बीज फार्म में मछली बीज उत्पादन की प्रक्रिया के बारे में पता चला। मछली फार्म में श्रमिकों से बात करने पर उन्हें पता चला कि महीने में एक बार उन अभिलाषी किसानों की ट्रेनिंग के लिए 5 दिनों का ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित किया जाता है। जो कि मछली पालन के व्यवसाय को अपने करियर के रूप में अपनाना चाहते हैं।

“और यह तब हुआ जब मैंने मछली पालन करने का फैसला किया। मेरी मां और मैंने अक्तूबर 2013 में पांच दिनों की ट्रेनिंग ली। वहां से मुझे पता चला कि मछली का बच्चा केवल मार्च से अगस्त तक ही प्रदान किया जाता है।”

ट्रेनिंग के बाद एक भी पल बिना गंवाए सपिंदर सिंह ने अपना स्वंय का प्री कल्चर टैंक (नर्सरी टैंक) तैयार करने और उसमें मछली के पूंग संग्रहित करने का फैसला किया। टैंक की तैयारी के लिए उन्होंने मिट्टी और पानी की जांच के तहत अपनी ज़मीन की जांच के बाद अपनी ज़मीन पर एक तालाब खोदा। मछली पालन विभाग ने उन्हें लोन एप्लेकेशन में भी मदद की और सपिंदर सिंह के लिए लोन की किश्तों की प्रक्रिया बहुत ही आसान थीं।

“मछली पालन के लिए मैंने 4.50 लाख रूपये के लोन के लिए आवेदन किया और कुछ समय बाद 1.50 लाख रूपये पहली लोन की किश्त प्राप्त हुई। समय पर लोन भी चुकाया गया था, जिसके कारण मुझे अपना मछली फार्म स्थापित करने के दौरान किसी भी प्रकार की वित्तीय समस्या का सामना नहीं करना पड़ा।”

मछली पालन के अधिकारियों ने सपिंदर सिंह को सही समय पर जानकारी देने में महत्तवपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने श्री सिंह को एकीकृत खेती का सुझाव दिया ओर फिर सपिंदर सिंह ने सुअर पालन का व्यवसाय शुरू करने का फैसला किया। ट्रेनिंग लेने के बाद सपिंदर सिंह ने पिग्गरी शैड स्थापित करने के लिए 4.90 लाख रूपये के लोन के लिए आवेदन किया।

वर्तमान में, सपिंदर सिंह 200 सुअरों के साथ 3.25 एकड़ में मछली पालन कर रहे हैं। सुअर पालन के साथ मछली पालन की समेकित कृषि प्रणाली से उन्हें 8 लाख का शुद्ध लाभ मिलता है। मछली पालन और पशु पालन दोनों विभागों ने 1.95 लाख और 1.50 लाख की सब्सिडी दी। दोनों विभागों और जिला प्रशासन दोनों ने उन्हें अपना उद्यम बढ़ाने में पूरी सहयोग और सभी अवसर उन्हें प्रदान किए।

वर्तमान में, सपिंदर सिंह अपने फार्म को सफलतापूर्वक चला रहे हैं और जब भी उन्हें मौका मिलता है तो वे किसानों को उचित कृषि ज्ञान हासिल करने के लिए द्वारा आयोजित के वी के ट्रेनिंग कैंप में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने की कोशिश करते हैं।

अपनी तीव्र जिज्ञासा के साथ वे हमेशा एक कदम आगे रहना चाहते हैं सपिंदर सिंह ये भी जानते है। कि उन्नति के लिए उनका अगला कदम क्या होना चाहिए और यही कारण है कि वे सुअर — मछली युनिट के प्रोसेसिंग प्लांट में निवेश करने की योजना बना रहे हैं।

सपिंदर सिंह एक आधुनिक प्रगतिशील किसान हैं जिन्होंने आधुनिक पद्धति के अनुसार अपने खेती करने के तरीकों को बदला और प्रत्येक अवसर का लाभ उठाया। अन्य किसान यदि कृषि क्षेत्र में प्रगति करना चाहते हैं तो उन्हें सपिंदर सिंह के दृष्टिकोण को समझना होगा।

संदेश

यदि किसान अच्छी कमाई करना चाहते हैं और आर्थिक रूप से घरेलु स्थिति में सुधार करना चाहते हैं तो उन्हें फसल की खेती के साथ कृषि संबंधी व्यवसायों को अपनाना चाहिए।

अवतार सिंह

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कई व्यवसायों को छोड़ने के बाद, इस किसान ने अपने लिए सुअर पालन को सही व्यवसाय के तौर पर चुना

व्यवसाय को बदलना कभी आसान नहीं होता और इसका उन लोगों के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है जो इस पर निर्भर होते हैं। विशेष कर परिवार के सदस्य और जब यह मसला किसी किसान की ज़िंदगी से संबंधित हो तो असुरक्षा की भावना और भी दोहरी हो जाती है। एक नया अवसर अपने साथ जोखिम और लाभ दोनों लाता है। व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि उसे और उसकी जरूरतों को क्या बेहतर ढंग से संतुष्ट करता है क्योंकि एक सार्थक काम को खोजना बहुत महत्तवपूर्ण है। पंजाब के बरनाला जिले के एक ऐसे ही किसान श्री अवतार सिंह रंधावा ने भी कई व्यवसायों को बदला और अपने लिए सुअर पालन को सही व्यवसाय के तौर पर चुना।

अन्य किसानों की तरह अवतार सिंह ने अपनी 10 वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने पिता बसंत सिंह रंधावा के साथ गेहूं और धान की खेती शुरू की। लेकिन जल्दी ही उसने महसूस किया कि उसकी ज़िंदगी का मतलब खेतीबाड़ी के इस पारंपरिक ढंग के पीछे जाना नहीं है। इसलिए उसने ग्रोसरी स्टोर व्यापार में निवेश करने का सोचा। उसने अपने गांव- चन्ना गुलाब सिंह में एक दुकान खोली लेकिन कुछ समय बाद उसने महसूस किया कि वह इस व्यवसाय में संतुष्ट नहीं है। किसी ने मशरूम की खेती के बारे में सुझाव दिया और उसने इसे करना भी शुरू किया लेकिन उसने समझा कि इसमें बहुत निवेश की जरूरत है और यह उद्यम भी खाली हाथों से समाप्त हो गया। अंत में उसने एक व्यक्ति से सुना कि सुअर पालन एक लाभदायक व्यवसाय है और उसने सोचा कि क्यों ना इसमें भी एक कोशिश की जाये।

इससे संबंधित व्यक्ति से सलाह करने के बाद अवतार ने पी.ए.यू से सुअर पालन और सुअर के उत्पादों की प्रोसेसिंग की ट्रेनिंग ली। शुरूआत में उसने 3 सुअरों के साथ सुअर पालन शुरू किया और सख्त मेहनत के 3 वर्ष बाद, आज सुअरों की गिणती बढ़कर 50 हो गई है। 3 वर्ष पहले जब उसने सुअर पालन शुरू किया था तब कई गांव वाले उसके और उसके पेशे के बारे में बात करते थे। क्योंकि अपने गांव में सुअर पालन शुरू करने वाले अवतार सिंह पहले व्यक्ति थे इसलिए कई ग्रामीण लोग उलझन में थे और बहुत से लोग सिर्फ इस बात का विश्लेषण कर रहे थे कि इस का परिणाम क्या होगा। लेकिन रंधावा परिवार के खुश चेहरे और बढ़ते हुए लाभ को देखने के बाद कई ग्रामीणों में सुअर पालन में दिलचस्पी पैदा हुई।

“जब मैंने अपनी पत्नी को सुअर पालन के व्यवसाय के बारे में बताया तो वह मेरे खिलाफ थी और वह नहीं चाहती थी कि मैं इसमें निवेश करूं। यहां तक कि मेरे रिश्तेदार भी मुझे मेरे काम के लिए ताना देते थे क्योंकि उनके नज़रिये से मैं बहुत छोटे स्तर का काम कर रहा था। लेकिन मैं निश्चित था और इस बार मैं पीछे नहीं मुड़ना चाहता था और किसी भी चीज़ को बीच में छोड़ना नहीं चाहता था।”

आज अवतार सिंह अपने काम से बहुत खुश और संतुष्ट हैं और इस व्यव्साय की तरफ अपने गांव के दूसरे किसानों को भी प्रोत्साहित करते हैं। उसने अपने फार्म पर प्रजनन का काम भी स्वंय संभाला हुआ है। 7-8 महीनों के अंदर-अंदर वह औसतन 80 सुअर बेचते हैं, और इससे अच्छा लाभ कमाते हैं।

वर्तमान में वह अपने पुत्र और पत्नी के साथ रह रहे है, और छोटे परिवार और कम जरूरतों के बाद भी वह अपने घर के लिए गेहूं और धान खुद ही उगा रहे हैं। अब उनकी पत्नी भी सुअर पालन में उनका समर्थन करती है।

अवतार की तरह पंजाब में कई अन्य किसान भी सुअर पालन का व्यवसाय करते हैं और आने वाले समय में यह उनके लिए बड़ा प्रोजेक्ट है क्योंकि पोर्क और सुअर के उत्पादों की बढ़ती मांग के कारण सुअर पालन भविष्य में तेजी से बढ़ेगा। कुछ भविष्यवादी किसान इसे पहले ही समझ चुके थे और अवतार सिंह रंधावा उनमें से एक हैं।

भविष्य की योजना:

अवतार अपनी ट्रेनिंग का उपयोग करने और सुअर उत्पादों की प्रोसेसिंग शुरू करने की योजना बना रहे हैं वे भविष्य में रंधावा पिग्गरी फार्म का विस्तार करना चाहते हैं।

संदेश
आधुनिकीकरण के साथ खेती की कई नई तकनीकें आ रही हैं और किसानों को इनके बारे में पता होना चाहिए। किसानों को उस रास्ते पर चलना चाहिए जिसमें वे विश्वास करते हैं ना कि उस मार्ग पर जिसका अनुसरण अन्य लोग कर रहे हैं।

निर्मल सिंह

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कैसे सुअर पालन ने निर्मल सिंह की ज़िंदगी को बदल दिया और कैसे यह उन्हें सफलता की दिशा में आगे बढ़ा रहा है

भारत में, बड़े पैमाने पर सुअर पालतु जानवर नहीं होते लेकिन जब सुअर पालन की बात आती है तो ये पैसा कमाने का अच्छा स्त्रोत होते हैंऔर इस व्यवसाय की सबसे अच्छी बात यह है कि इसे बहुत ही कम पूंजी से शुरू किया जा सकता है।

पंजाब में सुअर पालन किसानों के बीच एक लोकप्रिय व्यवसाय के रूप में उभर रहा है और कई लोग इसमें दिलचस्पी दिखा रहे हैं। हालांकि कई लोग सुअर पालन को बहुत नीचे के स्तर के व्यवसाय के रूप में देखते हैं। लेकिन यह सबके लिए मायने नहीं रखता। क्योंकि सुअर पालन ने पंजाब के किसानों की ज़िंदगी और नज़रिये को बिल्कुल ही बदल कर रख दिया है। एक ऐसे ही किसान हैं – निर्मल सिंह, जो कि सफलतापूर्वक इस व्यवसाय को कर रहे हैं और इससे अच्छी आमदन कमा रहे हैं।

अपने दादा-पड़दादा के समय से निर्मल सिंह का परिवार खेतीबाड़ी में शामिल है। उनके लिए पैसा कमाने के लिए खेतीबाड़ी के अतिरिक्त कोई अन्य विकल्प नहीं है। लेकिन जब निर्मल सिंह बड़े हुए और अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने सब कुछ अपने हाथ में लिया तब उन्होंने गेहूं और धान की खेती के साथ डेयरी फार्मिंग का काम भी शुरू किया। लगभग डेढ़ साल तक उन्होंने व्यापारिक स्तर पर डेयरी फार्मिंग की लेकिन 2015 में जब वे अपने एक दोस्त की शादी में बठिंडा गए तब उन्होंने सुअर पालन के बारे में जाना। वे इसके बारे में जानकर बहुत उत्साहित हुए इसलिए शादी के बाद अगले दिन वे संघेड़ा में स्थित एक BT फार्म पर गए। इस फार्म का दौरा करने के बाद उनकी इस व्यवसाय को करने में दिलचस्पी पैदा हुई।

सुअर पालन का उद्यम शुरू करने से पहले उन्होंने माहिरों से सलाह और किसी माहिर व्यक्ति से ट्रेनिंग लेने के बारे में सोचा तो इसलिए उन्होने विशेष तौर पर GADVASU (Guru Angad Dev Veterinary and Animal Sciences University), लुधियाना से 5 दिनों की ट्रेनिंग ली। ट्रेनिंग लेने के बाद उन्होंने 10 मादा सुअर और 1 नर सुअर से सुअर पालन की शुरूआत की। उन्होंने 2 कनाल क्षेत्र में पिग्गरी फार्म को व्यवस्थित किया।

सुअर पालन की मांग बढ़ने के कारण उनका उद्यम अच्छा चल रहा है और आज उनके पास लगभग 90 सुअर हैं। जिनमें से 10 मादा और 1 नर सुअर है जो उन्होंने प्रजनन के लिए शुरू में खरीदा था। एक महीने में वे, 150 रूपये प्रति किलो मादा सुअर और 85 रूपये प्रति किलो नर सुअर के हिसाब से 10-12 सुअर बेचते हैं। उनके भाई और बेटा उनके इस उद्यम में उनकी सहायता करते हैं और उन्होंने सहायता के लिए किसी अन्य श्रमिक को नहीं रखा है। सुअरों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए वे स्वंय सुअरों की फीड बनाना पसंद करते हैं। वे बाज़ार से कच्चा माल खरीदते हैं और खुद ही उनकी फीड बनाते हैं।

आज निर्मल सिंह को Progressive Pig Farmers Association, GADVASU के सदस्यों में गिना जाता है। उन्हें श्री मुक्तसर साहिब में आयोजित जिला स्तरीय पशुधन चैंपियनशिप में पहला पुरस्कार, प्रमाण पत्र और नकद पुरस्कार भी मिला।

वर्तमान में वे अपनी पत्नी, एक बेटा और एक बेटी के साथ मुक्तसर के लुबानियां वाली गांव में रह रहे हैं। भविष्य में वे अपने सुअर पालन के व्यवसाय का विस्तार करना चाहते हैं और इसके उत्पादों की प्रोसेसिंग करना चाहते हैं। वे अन्य किसानों की मदद करना चाहते हैं और उन्हें अच्छी आय कमाने के लिए इस व्यवसाय को करने की सिफारिश करते हैं।

संदेश:
कोई भी काम शुरू करने से पहले ट्रेनिंग बहुत महत्तवपूर्ण है। प्रत्येक किसान को अपने कौशल को सुधारने के लिए ट्रेनिंग जरूर लेनी चाहिए नहीं तो, एक सरल सा काम करने में भी बहुत बड़ा खतरा रहता है।

यदि आप भी पंजाब में सुअर पालन व्यवयाय को शुरू करने के बारे में सोच रहे हैं तो यह आपके लिए सही समय है। सुअर पालन की ट्रेनिंग, सुअर प्रजनन या सुअर पालन की जानकारी के लिए अपनी खेती से संपर्क करें।