एक सफल शिक्षक से एक सफल सुअर पालक तक का अनोखा सफर
सुअर पालन को लेकर हर इंसान के मन में यह धारणा होती है कि सुअर पालन केवल एक सहायक पेशा हो सकता है, इसके इलावा कुछ लोग यह भी सोचते हैं कि सुअर बहुत गंदा जानवर है जो हमेशा गंदगी में रहता है और सूअर पालन कभी भी मुख्य व्यवसायों में अपनी जगह नहीं बना सकता।
आज हम जिला मुक्तसर के गांव लालबाई के एक युवक हरप्रीत सिंह की सफल कहानी पढ़ेंगे, जिन्होंने इस धारणा को गलत साबित कर दिया। उन्होंने अपनी BA और B.ED की पढ़ाई पूरी करने के बाद 10 साल तक 10वीं कक्षा के शात्रों को पढ़ाया और बाद एक शिक्षक से सफल किसान बने, उनकी सफलता की कहानी सोशल मीडिया से शुरू होती है, एक दिन जब वह खाली बैठे थे, उन्हें सोशल मीडिया पर सुअर पालन से संबंधित एक वीडियो मिला, जिसमें सुअर पालन के बारे में बहुत विस्तार से जानकारी दी गई थी जिसने हरप्रीत जी को सोचने पर मजबूर कर दिया था। सुअर पालन एक अच्छा पेशा है लेकिन लोग इसे गलत क्यों कहते हैं। उन्होंने और जानकारी इकट्ठी करनी शुरू की और अपना सारा ध्यान उसी पर केंद्रित कर दिया। जैसे-जैसे जानकारी धीरे-धीरे इकट्ठी होने लगी, उस पल उन्हें ऐसा लगा जैसे समुद्र में खड़ी नाव को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें एक चप्पू मिल गया हो।
हरप्रीत जी ने सोचा, मैंने बहुत सारी जानकारी इकट्ठी कर ली है लेकिन अब मुझे अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए किसी फार्म का दौरा करना है और यह जानना है कि हम सुअर पालन को एक प्रमुख व्यवसाय के रूप में अपनाकर वास्तव में सफल कैसे हो सकते हैं और वह जिस फार्म में भी जाते थे वहां से अपने सवालों की पुष्टि करके ही वापिस आते थे। जानकारी एकत्रित करने में काफी समय लगा लेकिन उन्होंने इस जानकारी को अमल में लाने का मन बना लिया था। जिसे लेकर हरप्रीत ने अपने परिवार से बात की, उन्होंने हरप्रीत की एक भी बात नहीं मानी क्योंकि सबके मन में यही बात थी. कि सुअर बहुत गंदा जानवर है जिसे गंदगी पसंद है, लेकिन जब हरप्रीत जी ने सुअर पालन के बारे में बहुत स्पष्ट जानकारी दी, तो परिवार के सदस्य सहमत हो गए लेकिन उनकी पूरी सहमति हरप्रीत जी के पास नहीं थी,जिससे वह काफी निराश थे।
इसी बीच गृह मंत्रालय में वरिष्ठ पद पर आसीन उनके दादा जी के मुलाकात साल 2018 में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री सरदार प्रकाश सिंह बादल से हुई और उस समय हरप्रीत जी भी अपने दादा के साथ थे। बैठक के दौरान हरप्रीत जी ने कहा कि उसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा पूछे जाने पर, वह एक शिक्षक थे और अब वे सुअर पालन का पेशा शुरू करने की सोच रहे थे। इस पर सहानुभूति प्रकट करते हुए सरदार प्रकाश बादल ने कहा, “बेटा, जब आप यह काम शुरू कर रहे हैं तो मेरे पास एक बहुत अच्छा विचार है। फार्म शुरू कब कर रहे हो, जब भी शुरू करना तो मेरे पी. ए. को फोन कर देना हम तुम्हारा फार्म देखने आयेंगे।”
हरप्रीत जी पहले से ही कुछ अलग करना चाहते थे और उसके ऊपर जब पूर्व मुख्यमंत्री ने काम के प्रति सहानुभूति व्यक्त की, तो उन्हें विश्वास हो गया कि हाँ, यह पेशा भी एक प्रमुख पेशा बन सकता है और फिर से परिवार के सदस्यों ने हरप्रीत को शुरू करने के लिए अपनी सहमति दी। इस पर हरप्रीत बहुत खुश थे।
हरप्रीत के पास सुअर पालन से जुड़ी सारी जानकारी थी इसलिए उसने अपना व्यवसाय शुरू करने से पहले उन्होंने पहले फार्म तैयार करवाया और पंजाब के बाहर से 2 नर सूअर और 20 मादा सूअर लाकर जुलाई 2018 में सुअर पालन शुरू किया। उसे लिया और उस पर पूरा ध्यान दिया। उस समय उनके पास एक यॉर्कशायर और दूसरा क्रॉस-ब्रीड थी।
जब सुअर पालन शुरू हुआ और एक महीने बाद उसने सरदार प्रकाश बादल के पी.ए. को बुलाकर अपने खेत में आने का निमंत्रण दिया, जैसे ही खबर सरदार बादल तक पहुंची, वह हरप्रीत के फार्म को देखने गए और बहुत खुश हुए और हरप्रीत जी से कहा, “बेटा, तुम्हे जिस भी चीज़ की ज़रुरत हो बस बता देना।” जब सरदार बादल साहब हरप्रीत के खेत में गए, तो इसकी खबर आसपास के अन्य गांवों में फैल गई और गांव के साथ-साथ अन्य गांवों के लोग भी फार्म को देखने आने लगे। जैसे-जैसे उनके फार्म में देखने वालों की संख्या दिन-प्रति-दिन बढ़ती गई, इसकी बात धीरे-धीरे उन व्यापारियों तक फैल गई जो सूअर खरीदते थे और वे भी खेतों को देखने आते थे और हरप्रीत के साथ सूअरों का व्यापार करते थे। वहीं से मार्केटिंग की शुरुआत हुई।
कुछ ही समय में सूअरों की बिक्री इतनी तेजी से बढ़ी कि पंजाब में उनकी चर्चा होने लगी और बहुत ही कम समय में उन्होंने लाभ कमाना शुरू कर दिया। उस समय बेशक उनके फार्म का खर्च मुनाफे में से निकल रहा था लेकिन उनकी किस्मत तब बदल गई जब गर्भवती सूरी के बच्चे हुए, तो प्रति सूरी लगभग 10 से 15 बच्चे, जिन्हें व्यापारियों ने भारी मात्रा में खरीदा और इससे हरप्रीत जी को काफी हुआ, फिर उन्होंने सोचा कि क्यों न फार्म को बड़ा स्तर पर शुरू कर दिया जाए और और सूअर रख कर उनकी सही तरीके से मार्केटिंग की जाए।
इसके बाद 2018 से 2020 तक उन्होंने बड़े पैमाने पर मार्केटिंग शुरू की जहां वे पंजाब के साथ-साथ विदेशों में भी व्यापारियों के चर्चा का विषय बने। काम शुरू हुआ तो उनके पेशे से उनकी पहचान ऐसी हो गई कि हर को सूअर खरीदने हरप्रीत जी के पास ही आता था और इनकी मार्केटिंग काफी फैली जहां साल 2020 में इन्होंने पूरा मुनाफा कमाना शुरू कर दिया और सफल हो गए। एक तरह से मार्केटिंग में सरदार बादल साहब का बड़ा हाथ है जिन्होंने हरप्रीत को सुअर पालन में काम करने के लिए कहा और हरप्रीत अपनी लगन और मेहनत से सफल हुए और लोगों को दिखाया कि अगर आपको कड़ी मेहनत करनी है तो सुअर पालन एक प्रमुख व्यवसाय हो सकता है।
आजकल वे ज्यादातर खुद मार्केटिंग के लिए जाते हैं क्योंकि साल 2020 में लॉकडाउन के दौरान उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा और उस समय उन्होंने डायरेक्ट मार्केटिंग करना सीख लिया था।
भविष्य की योजना
वे अन्य किसान भाइयों को सुअर पालन के बारे में जागरूक करने के लिए इस तरह से काम जारी रखते हुए फार्म को बड़ा करना और सूअरों की संख्या बढ़ाना चाहते हैं।
संदेश
अगर किसी को को भी काम करना है तो उसे विदेश जाने की जरूरत नहीं है, अगर आप यहाँ रहकर ही एक काम को अपने पुरे मन से करते हैं तो वह काम आपकी ज़िंदगी बदल सकता है।