तिल की फसल

आम जानकारी

मिट्टी

तिल की खेती के लिए अच्छे निकास वाली हल्की से दरमियानी मिट्टी जिसमें पानी को बांधने की अच्छी क्षमता हो, उपयुक्त होती है। मिट्टी की पी एच 5 से 8 होनी चाहिए। क्षारीय और तेजाबी मिट्टी में तिल की खेती ना करें।

  • Season

    Rainfall

    500-700mm

प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

ज़मीन की तैयारी

खेत की देसी हल की सहायता से एक बार जोताई करें। उसके बाद 1-2 तिरछी जोताई करें। मिट्टी को समतल करें ताकि खेत में पानी खड़ा ना हो सके।

बिजाई

बीज

खाद

सिंचाई

खरीफ के मौसम में वृद्धि के लिए कम सिंचाई की आवश्यकता होती है। बारिश की तीव्रता और नियमितता के आधार पर जीवन बचाव सिंचाई दें। फूल निकलने और फल बनने के समय पानी की कमी ना होने दें।

खरपतवार नियंत्रण

खेत को नदीन मुक्त करने के लिए बिजाई के 20-25 दिन बाद पहली गोडाई करें। दूसरी गोडाई बिजाई के 40-45 दिन बाद करें। नदीनों की रासायनिक रोकथाम के लिए उनके अंकुरण से पहले फलूक्लोरालिन 800 ग्राम या एलाक्लोर 1 ली. प्रति एकड़ में डालें।

पौधे की देखभाल

बाज के सिर वाला पतंगा
बाज के सिर वाला पतंगा : ये कीट पत्तों पर हमला करते हैं और उन्हें अपना भोजन बनाते हैं। प्रभावित पौधा किसी भी टहनी का उत्पादन नहीं करता।
 
यदि इसका हमला दिखे तो कीटों को इक्ट्ठा करें और खेत से दूर ले जाकर नष्ट करे दें। यदि इसका हमला दिखे तो कार्बरील 800 ग्राम की प्रति एकड़ में स्प्रे करें।
पत्तों के धब्बा रोग
पत्तों के ऊपरी धब्बा रोग : नए पत्तों के ऊपर सफेद रंग के धब्बे हो जाते हैं। कई हालातों में फल पकने से पहले ही गिर जाते हैं।
 
यदि खेत में इनका हमला दिखे तो  घुलनशील सलफर 25 ग्राम या डिनोकैप 5 मि.ली. को 10 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। यदि जरूरत पड़े तो 10 दिनों के अंतराल पर दूसरी स्प्रे करें।
सरकोस्पोरा पत्ता धब्बा रोग : पत्तों पर छोटे भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। ज्यादा हमले के कारण पत्ते गिर भी जाते हैं।
 
इस बीमारी का खेत में हमला दिखने पर मैनकोजेब 2 ग्राम या कप्तान 2 ग्राम या कार्बेनडाज़िम 2 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।

फसल की कटाई

जब पत्ते और फल रंग बदल कर पीले रंग के हो जायें और पत्ते गिरना शुरू हो जायें, तब फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है। कटाई करने में देरी ना करें, इससे फल नष्ट हो जाते हैं।

कटाई के बाद

कटाई के बद फसल को बंडलों में इक्ट्ठा करें और अच्छे से सुखाने के लिए कई दिनों तक फर्श पर ढेर लगा दें। लाठियां मारकर बीजों को फसल से अलग कर लें। सफाई के बाद बीजों को तीन दिनों के लिए धूप में सुखाएं। उसके बाद बोरियों में स्टोर करके रख दें।