र्ब्ड फ्लू (Bird flu (Avian influenza)) : यह इन्फ्लूएंजा के कारण होता है और यह 100 प्रतिशत मौत दर को बढ़ाता है। यह संक्रमण श्वास नाली, आंसू और व्यर्थ पदाथों से आता है। यह बीमारी एक मुर्गी से दूसरी मुर्गी में बड़ी जल्दी फैलती है। यह अस्वस्थ खाना और पानी के बर्तन, कपड़ों से भी फैल सकती है। इसके लक्षण हैं - मुर्गियों का सुस्त हो जाना, भूख कम लगना, अंडों का कम उत्पादन और चोटी का पीले रंग में बदल जाना और जल्दी मौत हो जाना है।
इलाज : चिकन फार्म से कुछ भी अंदर या बाहर ले जाना बंद कर दें। फार्म के अंदर प्रयोग किए जाने वाले जूते अलग रखें। गड्ढा बनाएं और उसमें दी गई मात्रा में दवाई डालें। ताकि फार्म में जाने से पहले अपने पैरों को इस उपचारित पानी में डुबोया जा सके। फार्म के चारों तरफ Qualitol की स्प्रे करके कीटाणुओं को नष्ट करें।
बीमारी के दौरान सावधानियां : क्योंकि यह बीमारी इंसानों को प्रभावित करती है इसलिए बीमारी से प्रभावित मुर्गियों को उठाने से पहले उचित कपड़े और दस्ताने पहनें। मरी हुई और संक्रमित मुर्गियों को जला दें या मिट्टी में दबा दें। मीट को 70 डिगरी सेल्सियस पर बनायें इससे संक्रमण मरता है और इसे खाने के लिए प्रयेाग किया जाता है।
विटामिन ए की कमी : इस बीमारी के लक्षण हैं चोंच और टांगों का पीला पड़ना और सिर चकराना।
इलाज : खाने में विटामिन ए की मात्रा बढ़ाएं और हरी फीड दें।
पंजों का कमज़ोर होना : यह बीमारी मुख्यत: विटामिन बी 2 की कमी के कारण होती है और यह मुख्यत: बढ़ते हुए पशुओं में देखी जाती है। इससे पंजे अंदर की तरफ मुड़ जाते हैं।
इलाज : फीड में विटामिन बी2 दें।
विटामिन डी की कमी : यह बीमारी मुख्यत: विटामिन बी 2 की कमी के कारण और शरीर में कैल्शियम और फास्फोरस के संतुलन बिगड़ने के कारण होती है।
इलाज : फीड में विटामिन डी 3 दें।
चिकन पॉक्स : यह संक्रमण द्वारा फैलने वाली बिमारी है और यह किसी भी उम्र के पक्षी में फैल सकती है। इसके लक्षण हैं चोटी, आंखों और कानों के आस-पास फोड़ों का होना है।
इलाज : चिकन पॉक्स से बचाव के लिए होमियोपैथिक दवाई antimonium torterix 5 मि.ली. प्रति 100 पक्षियों को दें।
कोकसीडियोसिस : यह एक परजीवी बीमारी है, जो कि कोकसीडियान प्रोटोज़ोआन के कारण होती है। यह बीमारी मुख्यत: मुर्गी के 3-10 सप्ताह के बच्चों में होती है। यह प्रौढ़ बच्चों को भी प्रभावित करती है।
इलाज : उचित साफ सफाई की जानी चाहिए। लगभग 12 सप्ताह के मुर्गी के बच्चों को फीड में कोकसीडियोस्टैट दें। उदाहरण के लिए befran या amprol 50 ग्राम, clopidol 125 ग्राम प्रति क्विंटल, stanorol 50 ग्राम प्रति टन फीड में दें। प्रत्येक 1-2 वर्ष बाद दवाई बदलते रहें। दवाई को फीड में अच्छी तरह से मिक्स करें।
Leucosis and marek’s: यह एक संक्रामक बीमारी है जो कि दूसरे पशु से हवा, पंखों, मिट्टी आदि द्वारा फैलती है। Leucosis हवा द्वारा नहीं फैलती और ना ही प्रदूषित वातावरण द्वारा फैलती है।
Marek’s के लक्षण : यह मुख्यत: 1-4 महीने के मुर्गी के बच्चों में फैलती है और कई बार यह 30 दिन के बच्चों को भी हो जाती है। इसके लक्षण हैं टांगों, पंखों और गर्दन का कमज़ोर होना, सलेटी रंग की आंखे होना और पक्षी का अपने आप अंधा हो जाना।
Leucosis के लक्षण : यह मुख्यत: 4 महीने से ज्यादा उम्र के बच्चों में होती है। इसके लक्षण हैं लीवर का आकार बढ़ना और नसों को छोड़कर बाकी सारे शरीर के भागों में अल्सर का पाया जाना।
इलाज : जब बच्चा 1 दिन का हो तो उसे Marek’s का टीका लगवायें। साफ सफाई का उचित ध्यान रखें और अच्छी तरह से देखभाल करें।
रानीखेत बीमारी :इसे न्यू कैस्टल बीमारी (New Castle disease) भी कहा जाता है। यह बहुत ही संक्रामक बीमारी है और हर उम्र के पक्षी में फैलती है। इसके लक्षण हैं मौत दर का बढ़ना, सांस लेने में समस्या, टांगों और पंखों का कमज़ोर होना।
इलाज : जब बच्चे 1-6 दिन के हों तो इन्हें रानीखेत दवाई F strain का टीका लगवायें और 4 सप्ताह के अंतराल पर F-1 का टीका ब्रॉयलर को लगवाया जाना चाहिए।
Fatty liver syndrome (FLS) : यह बीमारी मुख्यत: फीड की अपच की समस्या के कारण होती है जिसकी वजह से शरीर में फैट का जमाव हो जाता है। यह बीमारी मुख्यत: अंडा उत्पादित मुर्गी और ब्रॉयलर में पायी जाती है जिन्हें ज्यादा एनर्जी वाला भोजन दिया जाता है। इसके लक्षण हैं 50 प्रतिशत कम अंडों का उत्पादन, 20-25 प्रतिशत भार का कम होना और लीवर और शरीर पर रक्त के धब्बे दिखना आदि।
इलाज : फीड में ऊर्जा की मात्रा कम कर दें। 1क्विंटल फीड में 100 ग्राम choline chloride, 10000 I U Vitamin E, 1.2 मि.ग्रा. Vitamin B12 और 100 ग्राम incitol मिक्स करें।
Aflatoxin : यह मुख्यत: नमी और गर्म मौसम और बारिश के मौसम के कारण होती है। इसके लक्षण हैं भूख कम लगना, अंडों के उत्पादन में कमी, प्यास का बढ़ना और रक्त के स्तर का कम होना आदि हैं।
इलाज : Livol या liv-52 या tefroli tonic फीड में दें और पानी के द्वारा दें। विटामिन ए और विटामिन ई 60000 IU और 300 IU प्रति एकड़ में दें।