Drudriha Tulsi: यह मुख्य रूप से बंगाल, नेपाल, चटगांव और महाराष्ट्र क्षेत्रों में पाई जाती है| यह गले को सूखेपन से राहत देता है| यह हाथों, पैरों और गठिया की सूजन से आराम देता है|
Ram/Kali Tulsi (Ocimum canum): यह चीन, ब्राज़ील, पूर्व नेपाल और साथ ही बंगाल, बिहार, चटगांव और भारत के दक्षिणी क्षेत्रों में पाई जाती है| इसका तना जामुनी और पत्ते हरे रंग के और बहुत ज्यादा सुगंधित होते है| इसमें उचित मात्रा में औषधीय गुण जैसे ऐज़ाडिरैकटिन, ऐंटीफंगल , ऐंटीबैक्टीरियल, और पाचन तंत्र को ठीक रखती है| यह गर्म क्षेत्रों में बढ़िया उगता है|
Babi Tulsi: यह पंजाब से त्रिवेंद्रम, बंगाल और बिहार में भी पाई जाती है| इसका पौधा 1-2 फीट लम्बा होता है| पत्ते 1-2 इंच लम्बे, अंडाकार और नुकीले होते है| इसके पत्तों का स्वाद लौंग की तरह और सब्जियों में स्वाद के लिए प्रयोग किया जाता है|
Tukashmiya Tulsi : यह भारत और ईरान के पश्चिमी क्षेत्रों में पाई जाती है| इसका प्रयोग गले की परेशानी, अम्लता और कोढ़ आदि के इलाज के लिए किया जाता है|
Amrita Tulsi: यह पूरे भारत में पाई जाती है| इसके पत्ते गहरे जामुनी और घनी झाड़ी वाले होते हैं| यह कैंसर, दिल की बीमारियां, गठिया, डायबिटीज और पागलपन के इलाज के लिए प्रयोग की जाती है|
Vana Tulsi (Ocimum gratissimum): यह हिमालय और भारत के समतल प्रदेशों में पाई जाती है| यह किस्म का पौधा बाकी किस्मों के मुकाबले लम्बा होता है| यह सेहत के लिए लाभदायक होती है जैसे कि तनाव मुक्त करना, पाचन तंत्र और पेट के छालों के इलाज में सहायक है| इसके पत्ते तीखे और सुगंध लौंग की तरह सुगंधित होती है|
Kapoor Tulsi (Ocimum sanctum): यह मुख्य यू. एस. ऐ में विकसित होती है पर यह भारत में पुराने समय से उगाई जाती है| यह मुख्यतः जलवायु के तापमान में आसानी से विकास करती है| इसके सूखे पत्तों को चाय बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है|