LL 699 (2001): इसके पौधे छोटे, सीधे और अधिक शाखाओं वाले होते हैं। इसके पौधे गहरे हरे रंग के होते हैं और अधिक मात्रा में फलियाँ लगती हैं और जल्दी खिलते हैं। यह किस्म 145 दिन में पककर तैयार हो जाती है। यह फली छेदक रोग को उच्च स्तर पर सहनेयोग्य है। इसमें पकने के अच्छे गुण मौजूद होते हैं। इसकी औसतन पैदावार 5 क्विंटल प्रति एकड़ है।
LL 931 (2009): इसके पौधे छोटे, सीधे और अधिक शाखाओं वाले होते हैं, इसलिए इस पर बहुत सारी फलियाँ लगती हैं। इसके पत्ते गहरे हरे, गुलाबी फूल, बिना रंजित हरी फली, और अल्पविकसित प्रतान यह सब इस फसल की विशेषताएं हैं। यह किस्म 146 दिन में पककर तैयार हो जाती है। यह जंग रोग के लिए उच्च स्तर पर प्रतिरोधक है और फली छेदक रोग के लिए उच्च सहनशीलता है। इसमें मध्यम आकार के बीज है जो भूरे रंग के होते हैं जिसपर हल्के धब्बे होते हैं। इसमें पकने के अच्छे गुण मौजूद होते हैं। इसकी औसतन पैदावार 4.8 क्विंटल प्रति एकड़ है।
LL 1373 (2020): इसके पौधे छोटे, सीधे और अधिक शाखाओं वाले होते हैं, इसलिए इसमें अधिक फलियाँ लगती हैं। हल्के हरे पत्ते, गुलाबी फूल, गैर-रंजित हल्के हरे रंग की फली, और अल्पविकसित प्रतान यह सब इस फसल की विशेषताएं हैं। यह किस्म 140 दिनों में पककर तैयार हो जाती है यह जंग रोग के प्रतिरोधी है और फली छेदक रोग के लिए उच्च सहनशील है। इसके बीज बड़े होते हैं जिनका वजन 3.5 ग्राम प्रति 100 बीज होता है। इसमें पकने के अच्छे गुण मौजूद होते हैं। इसकी औसतन पैदावार 5.1 क्विंटल प्रति एकड़ है।
दूसरे राज्यों की किस्में
Bombay 18 : यह किस्म 130-140 दिनों में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसतन पैदावार 4-4.8 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
DPL 15: यह किस्म 130-140 दिनों में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसतन पैदावार 5.6-6.4 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
DPL 62 : यह किस्म 130-140 दिनों में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसतन पैदावार 6.8 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
K 75: यह किस्म 120-125 दिनों में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसतन पैदावार 5.5-6.4 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Pusa 4076: यह किस्म 130-135 दिनों में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसतन पैदावार 10-11 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
L 4632