कृषि
मक्की (खरीफ)
जलवायु
-
Temperature
25°C - 30°C -
Rainfall
50-100cm -
Sowing Temperature
25°C - 30°C -
Harvesting Temperature
30-35°C
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Temperature
25°C - 30°C -
Rainfall
50-100cm -
Sowing Temperature
25°C - 30°C -
Harvesting Temperature
30-35°C
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Temperature
25°C - 30°C -
Rainfall
50-100cm -
Sowing Temperature
25°C - 30°C -
Harvesting Temperature
30-35°C
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Temperature
25°C - 30°C -
Rainfall
50-100cm -
Sowing Temperature
25°C - 30°C -
Harvesting Temperature
30-35°C
मिट्टी
मक्की की फसल लगाने के लिए उपजाऊ, अच्छे जल निकास वाली, मैरा और लाल मिट्टी जिसमें नाइट्रोजन की उचित मात्रा हो, जरूरी है। मक्की रेतली से लेकर भारी हर तरह की ज़मीनों में उगाई जा सकती हैं समतल ज़मीनें मक्की के लिए बहुत अनुकूल हैं, पर कईं पहाड़ी इलाकों में भी यह फसल उगाई जाती है। अधिक पैदावार लेने के लिए मिट्टी में जैविक तत्वों की अधिक मात्रा पी एच 5.5-7.5 और अधिक पानी रोककर रखने में सक्षम होनी चाहिए। बहुत ज्यादा भारी ज़मीनें भी इस फसल के लिए अच्छी नहीं मानी जाती।
खुराकी तत्वों की कमी पता करने के लिए मिट्टी की जांच करवाना आवश्यक है।
प्रसिद्ध किस्में और पैदावार
ज़मीन की तैयारी
फसल के लिए प्रयोग किया जाने वाला खेत नदीनों और पिछली फसल से मुक्त होना चाहिए। मिट्टी को नर्म करने के लिए 6 से 7 बार जोताई करें। खेत में 4-6 टन प्रति एकड़ रूड़ी की खाद और 10 पैकेट एज़ोसपीरीलम के डालें। खेत में 45-50 सैं.मी. के फासले पर खाल और मेंड़ बनाएं।
बिजाई
बीज
फंगसनाशी का नाम | मात्रा (प्रति किलोग्राम बीज) |
Imidacloprid 70WS | 5ml |
Captan | 2.5gm |
Carbendazim + Captan (1:1) | 2gm |
खाद
खादें (किलोग्राम प्रति एकड़)
UREA | DAP or SSP | MURIATE OF POTASH | ZINC | |
75-110 | 27-55 | 75-150 | 15-20 | 8 |
तत्व (किलोग्राम प्रति एकड़)
NITROGEN | PHOSPHORUS | POTASH |
35-50 | 12-24 | 8-12 |
खरपतवार नियंत्रण
सिंचाई
बिजाई के तुरंत बाद सिंचाई करें। मिट्टी की किस्म के आधार पर तीसरे या चौथे दिन दोबारा पानी लगाएं। यदि बारिश पड़ जाये तो सिंचाई ना करें। छोटी फसल में पानी ना खड़ने दें और अच्छे जल निकास का प्रबंध करें। फसल को बीजने से 20-30 दिन तक कम पानी दें और बाद में सप्ताह में एक बार सिंचाई करें। जब पौधे घुटने के कद के हो जायें तो फूल निकलने के समय और दाने बनने के समय सिंचाई महत्तवपूर्ण होती है। यदि इस समय पानी की कमी हो तो पैदावार बहुत कम हो जाती है। यदि पानी की कमी हो तो एक मेंड़ छोड़कर पानी दें। इससे पानी भी बचता है।
पौधे की देखभाल
- बीमारियां और रोकथाम
- हानिकारक कीट और रोकथाम
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कमी और इसका इलाज
फसल की कटाई
कटाई के बाद
स्वीट कॉर्न को जल्दी से जल्दी खेत में से पैकिंग वाली जगह पर लेके जायें ताकि उसे आकार के हिसाब से अलग, पैक और ठंडा किया जा सके इसे आमतौर पर लकड़ी के बक्सों में पैक किया जाता है, जिनमें 4-6 दर्जन छल्लियां बक्से और छल्लियों के आकार के आधार पर समा सकती हैं।
रेफरेन्स
1.Punjab Agricultural University Ludhiana
2.Department of Agriculture
3.Indian Agricultural Research Instittute, New Delhi
4.Indian Institute of Wheat and Barley Research
5.Ministry of Agriculture & Farmers Welfare