सागवान के बारे में जानकारी

आम जानकारी

सागवान उष्ण कटिबंधीय दृढ़ लकड़ी प्रजाति है जो कि लैमिएसी परिवार से संबंधित है। यह भारत सबसे मूल्यवान और ऊंची कीमत वाली टिम्बर की फसल है। यह एक लम्बा पतझड़ी वृक्ष है, जिसकी 40 मीटर लम्बी और टहनियां स्टेली-भूरे रंग की होती है| भारत में सागवान की खेती पहली बार 1842 में लायी गई और चाटू मेनन को भारती टीक की खेती के पिता के तौर पर जाना जाता हैं| यह सबसे महत्तवपूर्ण दृढ़ लकड़ी है और इसका प्रयोग फर्नीचर, प्लाइवुड, कंस्ट्रक्शन के लिए प्रयोग किये जाने वाले बढ़े खम्भे और जहाज निर्माण के लिए किया जाता है।

जलवायु

  • Season

    Temperature

    10-45°C
  • Season

    Rainfall

    1200-2500mm
  • Season

    Sowing Temperature

    30-35°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    10-45°C
  • Season

    Temperature

    10-45°C
  • Season

    Rainfall

    1200-2500mm
  • Season

    Sowing Temperature

    30-35°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    10-45°C
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    Temperature

    10-45°C
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    Rainfall

    1200-2500mm
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    Sowing Temperature

    30-35°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    10-45°C
  • Season

    Temperature

    10-45°C
  • Season

    Rainfall

    1200-2500mm
  • Season

    Sowing Temperature

    30-35°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    10-45°C

मिट्टी

बढ़िया विकास के लिए,  बढ़िया निकास वाली, घनी और उपजाऊ मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसके लिए मिट्टी का pH 6.5 या इससे ज्यादा होना चाहिए। मिट्टी की pH 6.5 से कम होने पर फसल के विकास पर असर पड़ता है।

प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

Konni Teak, West African teak, Godhavari Teak, South and Central American Teak, Nilambur or Malabar Teak.

ज़मीन की तैयारी

मिट्टी के भुरभुरा बनाने के लिए खेत की 2-3 बार जोताई करें। मिट्टी को समतल करें ताकि खेत में पानी खड़ा ना हो सके। नए पौधों की रोपाई के लिए 45x45x45 सैं.मी. के फासले पर गड्ढे खोदे| प्रत्येक गड्ढे में गली हुई रूड़ी की खाद के साथ कीटनाशी डालें।

बिजाई

बिजाई का समय
बीजों को नर्सरी बैड में बोया जाता है। रोपाई के लिए 12-15 महीने के नए पौधों का प्रयोग करें। टिशू प्रजनन ग्राफ्टिंग, जड़, तने काट कर और micro छोटे प्रजनन द्वारा किया जाता है। रोपाई के लिए पूर्व अंकुरन पौधों का प्रयोग किया जाता है। मॉनसून का मौसम सागवान की रोपाई के लिए सबसे अच्छा मौसम होता है।

फासला
रोपाई के लिए 2x2 या 2.5x2.5 या 3x3 मीटर के फासले रखा जाता है। जब अंतर-फसली अपनाई हो, तो 4x4 मीटर या 5.x5 मीटर फासला रखें|

बीज की गहराई
सागवान की रोपाई के लिए पूर्व अंकुरित पौधों का प्रयोग करें। 45x45x45 सैं.मी. के गड्ढे बनाएं। प्रत्येक गड्ढे में गली हुई रूड़ी की खाद और मिट्टी डालें|

बिजाई का ढंग
बिजाई पंक्ति में, छींटे द्वारा या पनीरी लगाकर की जा सकती है।

बीज

बीज की मात्रा
एक एकड़ में रोपाई के लिए लगभग 1500-1800 clones का प्रयोग करें।

बीज का उपचार
सागवान वृक्ष के फल का छिल्का मोटा और सख्त होता है, इसलिए नर्सरी में बिजाई से पहले सागवान के बीजों की अंकुरन प्रतिशतता बढ़ाने के लिए बीजों का पूर्व उपचार किया जाता है। फलों को भिगोने और सुखाने के लिए पूर्व उपचार का पारंपरिक ढंग प्रयोग किया जाता है। इस विधि में बीजों को 12 घंटे के लिए पानी में भिगोया जाता है और फिर 12 घंटे के लिए धूप में सुखाया जाता है। यह प्रक्रिया 10-14 दिनों तक बार बार दोहराई जाती है। बीजों के उपचार के लिए अन्य तेजाबी और गड्ढा वाले पूर्व उपचार के ढंग हैं।

खाद

हर साल अगस्त और सितंबर महीने में N:P:K (15:15:15) @50 ग्राम प्रति पौधे में पहले तीन वर्ष डालें।

खरपतवार नियंत्रण

पहले तीन वर्षों में खेत को नदीन मुक्त करना आवश्यक है। नियमित समय पर गोड़ाई करें। पहले वर्ष में 3 और दूसरे वर्ष में 2 गोड़ाई करें। रोपाई के तीसरे वर्ष में एक बार गोड़ाई करें।

सिंचाई

मॉनसून के मौसम में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती। सिंचाई गर्म या गर्मियों के महीने में और आवश्यकता अनुसार करें। आवश्यकता अनुसार सिंचाई करने के साथ काफी हद तक पैदावार में सुधार आता है। अतिरिक्त सिंचाई से पानी के धब्बे और फंगस ज्यादा हो जाती है।

पौधे की देखभाल

पत्तों की भुंडी और काली सुंडी
  • हानिकारक कीट और रोकथाम

पत्तों की भुंडी और काली सुंडी सागवान के वृक्ष के गंभीर कीट है जो कि भारी मात्रा में वृक्ष को नुकसान पहुंचाते हैं। इस कीट की रोकथाम के लिए क्विनलफॉस 300 मि.ली. को 150 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।

गुलाबी बीमारी
  • बीमारियां और रोकथाम

गुलाबी बीमारी, पत्तों पर सफेद धब्बे और जड़ गलन सागवान के पौधे की मुख्य बीमारियां हैं। इसकी रोकथाम के लिए एम-45@400 ग्राम की प्रति एकड़़ में स्प्रे करें

फसल की कटाई

जब वृक्ष कटाई की अवस्था पर पहुंच जाये तब उस वृक्ष को निशान लगायें और इसकी रिपोर्ट चीफ रीज़नल फोरैस्ट्री ऑफिस में दें। अनुमति मिलने के बाद कटाई की जा सकती है। सागवान की खेती सबसे ज्यादा लाभदायक होती है क्योंकि इसकी भारत के साथ साथ विदेशों में भी भारी मांग है। एक 14 वर्ष का सागवान का वृक्ष 10-15 घन फीट की लकड़ी प्रदान करता है।

रेफरेन्स

1.Punjab Agricultural University Ludhiana

2.Department of Agriculture

3.Indian Agricultural Research Instittute, New Delhi

4.Indian Institute of Wheat and Barley Research

5.Ministry of Agriculture & Farmers Welfare