Umran: इस किस्म के फल अंडाकार आकार के चमकदार होते हैं इसके फल का रंग सुनहरी पीला होता है जो पूरी तरह पकने के बाद चॉकलेटी रंग के हो जाते हैं। इसकी फसल मार्च के आखिर या अप्रैल के मध्य तक पककर तैयार हो जाती है। इसके एक बूटे की पैदावार 150 से 200 किलोग्राम होती है।
Kaithli: इस किस्म के फल दरमियाने और अंडाकर आकार के होते हैं और फल का रंग हरा पीला होता है। इसकी फसल मार्च के आखिर में पककर तैयार हो जाती है। इसके फलों में मिठास भरपूर मात्रा में होती है। इसके बूटे से 75 किलोग्राम तक फल प्राप्त हो जाते हैं। इस किस्म को फफूंद के हमले का ज्यादा खतरा रहता है।
ZG 2: इस किस्म के बूटे का आकार काफी घना और फैला हुआ होता है। इसके फल छोटे और अंडाकार आकार के होते हैं। पकने के बाद इनका रंग हरा हो जाता है। इसका फल भी मिठास से भरपूर होता है। इस किस्म पर फफूंद का हमला नहीं होता। यह किस्म मार्च के आखिर में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म के प्रति बूटे की पैदावार 150 किलोग्राम तक हो सकती है।
Wallaiti: इस किस्म के फल दरमियाने से बड़े आकार के होते हैं। पकने पर इसके फल का रंग सुनहरी पीला हो जाता है। इसमें टी एस एस की मात्रा 13.8 से 15 प्रतिशत तक होती है। इस किस्म के प्रति बूटे की पैदावार 114 किलोग्राम तक हो सकती है।
Sanaur 2: इस के फल बड़े आकर और नर्म परत वाले होते हैं। इसका रंग सुनहरी पीला होता है। इसका फल भी बहुत मिठास भरपूर होता है जिसमें टी एस एस की मात्रा 19 प्रतिशत तक होती है। यह किस्म भी फफूंद के हमले से रहित होती है। मार्च के अंतिम पखवाड़े में इसका फल पककर तैयार हो जाता है। इस किस्म के प्रति बूटे की पैदावार 150 किलोग्राम तक हो सकता है।
Balvant: यह अगेती किस्म है और मध्य नवंबर महीने में पक जाती है। इसकी औसतन उपज 121 किलो प्रति वृक्ष होती है।
Neelam: यह मध्यम पकने वाली किस्म है और अंत नवंबर महीने में पक जाती है। इसकी औसतन उपज 121 किलो प्रति वृक्ष होती है।
दूसरे राज्यों की किस्में
Gola: यह ज्यादा पैदावार और जल्दी पकने वाली किस्म के लिए सूखे क्षेत्र अनुकूल होते हैं। इसके फल गोल, हरे पीले रंग के होते हैं।
Banarasi Kadaka
Mehrun
Parbhani
Elaichi
Sanam 5