Banarasi: यह जल्दी पकने वाली किस्म है, जो कि मध्य अक्तूबर से मध्य नवंबर में पक जाती है। इसके फ़्लूनो का आकार बढ़ा, कम से कम भार 48 ग्राम, छिल्का मुलायम होता है और फल स्टोर करने योग्य नहीं होते। इस किस्म में 1.4% रेशा पाया जाता है। इसकी औसतन पैदावार 120 किलो प्रति वृक्ष होती है|
Krishna: यह भी जल्दी पकने वाली किस्म है, जो कि मध्य अक्तूबर से मध्य नवंबर तक पक जाती है। इस किस्म के फलों का आकार सामान्य से बढ़ा, भार 44.6 ग्राम, छिल्का मुलायम और फल धारियों वाला हैं। इस किस्म में 1.4% रेशा पाया जाता है। इसकी औसतन पैदावार 123 किलो प्रति वृक्ष होती है|
NA-9: यह भी एक जल्दी पकने वाली किस्म है यह मध्य अक्तूबर से मध्य नवंबर में पक जाती है। इसके फल बड़े आकार के, भार 50.3 ग्राम, लम्भाकार, छिल्का मुलायम और पतला होता है। इस किस्म में रेशे की मात्रा 0.9% होती है और विटामिन सी की मात्रा सबसे ज्यादा 100 ग्राम होती है। इससे जैम, जैली और कैंडीज़ आदि बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
NA-10: यह भी जल्दी पकने वाली किस्म है, जो मध्य अक्तूबर से मध्य नवंबर में पक जाती है। इसके फल मध्यम से बड़े आकार, भार 41.5 ग्राम, छिल्का खुरदरा होता है और इसके 6 अलग-अलग भाग होते है| इसका गुद्दा हरे-सफेद रंग का होता है, और इसमें 1.5 % रेशे की मात्रा होती है|
Francis: यह दरमियाने मौसम की फसल है, जो मध्य नवंबर से मध्य दिसंबर तक होती है। इसके फल बड़े आकार के, भार 45.8 ग्राम, और रंग हरा-सफेद होता है। इसमें रेशे की मात्रा 1.5% होती है। इस किस्म को हाथी झूल के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसकी शाखाएं लटकी हुई होती हैं।
NA-7: यह दरमियाने मौसम की फसल है, जो मध्य नवंबर से मध्य दिसंबर तक होती है। इसके फल मध्यम से बड़े आकार के, भार 44 ग्राम, और रंग हरा-सफेद होता है। इसमें रेशे की मात्रा 1.5% होती है।
Kanchan: यह दरमियाने मौसम की फसल है, जो मध्य नवंबर से मध्य दिसंबर तक की होती है। इसके फल छोटे आकार के, भार 30.2 ग्राम, इसमें रेशे की मात्रा 1.5% होती है और इसमें विटामिन सी की सामान्य मात्रा होती है| इस किस्म की औसतन पैदावार 121 किलो प्रति रुख होती है|
NA-6: यह दरमियाने मौसम की फसल है जो मध्य नवंबर से मध्य दिसंबर तक की होती है। इसके फल मध्यम आकार के, भार 38.8 ग्राम, इसमें रेशे की मात्रा सबसे कम 0.8% होती है।इसमें विटामिन सी की मात्रा 100 ग्राम और कम मात्रा में फैनोलिक होता है। इसे जैम और कैंडिज़ बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
Chakaiya: यह देरी से पकने वाली किस्म है जो मध्य दिसंबर से मध्य जनवरी में पक जाती है। इसके फल मध्यम आकार के, भार 33.4 ग्राम, इसमें 789 मि.ग्रा. प्रति 100 ग्राम विटामिन सी की मात्रा, 3.4% पैक्टिन और 2% रेशा होता है। इसे आचार और शुष्क टुकड़े बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है।