Punjab Ratta : इस किस्म की पहली तुड़ाई 125 दिनों में तैयार होती है। इसकी औसतन पैदावार 225 क्विंटल प्रति एकड़ होता है। यह किस्म कईं तरह के उत्पाद तैयार करने के लिए भी प्रयोग की जाती है।
Punjab Chhuhara : यह किस्म बीजों के बिना, नाशपाती के आकार की, लाल और मोटे छिल्के वाली होती है। इसकी क्वालिटी कटाई के बाद 7 दिन तक मंडी में बेचनेयोग्य होती है। इसलिए इसे लंबी दूरी वाली स्थानों पर लिजाकर नए उत्पाद तैयार करने के लिए प्रयोग किया जा सकता है। इसकी औसतन पैदावार 325 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Punjab Tropic : इस किस्म के पौधे की ऊंचाई 100 सैं.मी. होती है। यह कटाई के लिए 141 दिनों में तैयार हो जाती है। इस किस्म के टमाटर का आकार बड़ा और गोल होता है और यह गुच्छों में लगते हैं। इसकी औसतन पैदावार 90-95 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Punjab Upma : यह किस्म वर्षा वाले मौसम के लिए अनुकूल है। इस किस्म का आकार अंडाकार और दरमियाना होता है। इसका रंग गहरा लाल होता है। इसकी औसतन पैदावार 220 कि्ंवटल प्रति एकड़ होती है।
Punjab NR -7 : इस किस्म के पौधे छोटे होते हैं और इसके टमाटर दरमियाने आकार के और रसीले होते हैं। यह सोके और जड़ गलने की रोधक किस्म है। इसकी औसतन पैदावार 175-180 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Punjab Red Cherry : यह किस्म पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी द्वारा तैयार की गई है। इस किस्म को खास सलाद के लिए प्रयोग किया जाता है। इसका रंग गहरा लाल होता है और भविष्य में यह पीले, संतरी और गुलाबी रंग में भी उपलब्ध होगी। इसकी बिजाई अगस्त या सितंबर में की जाती है और फरवरी में यह कटाई के लिए तैयार हो जाती है। यह जुलाई तक पैदावार देती है। इसकी अगेती पैदावार 150 क्विंटल प्रति एकड़ और कुल औसतन पैदावार 430-440 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Punjab Varkha Bahar 2 : पनीरी लगाने के बाद 100 दिनों में यह किस्म कटाई के लिए तैयार हो जाती है। यह पत्ता मरोड़ बीमारी रोधक किस्म है। इसकी औसतन पैदावार 215 कि्ंवटल प्रति एकड़ है।
Punjab Varkha Bahar 1 : पनीरी लगाने के बाद 90 दिनों में यह किस्म कटाई के लिए तैयार हो जाती है। यह किस्म वर्षा के मौसम के लिए अनुकूल है। यह पत्ता मरोड़ बीमारी की रोधक किस्म है। इसकी औसतन पैदावार 215 क्विंटल प्रति एकड़ है।
HS 101 : यह उत्तरी भारत में सर्दियों के समय लगाई जाने वाली किस्म है। इसके पौधे छोटे होते हैं। इस किस्म के टमाटर गोल और दरमियाने आकार के और रसीले होते हैं। यह गुच्छों के रूप में लगते हैं। यह पत्ता मरोड़ बीमारी की रोधक किस्म है।
Punjab Swarna: यह किस्म 2018 में जारी हुई है। इसके पत्ते गहरे हरे रंग के होते हैं। इसके फल अंडाकार, संतरी रंग के और दरमियाने होते हैं। इस किस्म की पहली तुड़ाई पनीरी लगाने के 120 दिनों के बाद की जाती है। मार्च के अंत तक इस किस्म की औसतन पैदावार 166 क्विंटल प्रति एकड़ और कुल उपज 1087 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म सलाद के तौर पर प्रयोग करने के लिए अनुकूल है।
Punjab Sona Cherry: यह किस्म 2016 में जारी की गई है। इसकी औसतन उपज 425 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। इसके फल पीले रंग के और गुच्छों में निकलते हैं। फल का औसतन भार लगभग 11 ग्राम होता है। इसमें सुक्रॉस की मात्रा 7.5 प्रतिशत होती है।
Punjab Kesari Cherry: यह किस्म 2016 में जारी की गई है। इसकी औसतन उपज 405 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। इस किस्म के फल का औसतन भार लगभग 11 ग्राम होता है। इसमें सुक्रॉस की मात्रा 7.6 प्रतिशत होती है।
Punjab Kesar Cherry: यह किस्म 2016 में जारी की गई है। इसकी औसतन उपज 405 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। इस किस्म के फल का औसतन भार लगभग 11 ग्राम होता है। इसमें सुक्रॉस की मात्रा 7.6 प्रतिशत होती है।
Punjab Varkha Bahar-4: यह किस्म 2015 में जारी की गई है। इसकी औसतन उपज 245 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। इसमें सुक्रॉस की मात्रा 3.8 प्रतिशत होती है।
Punjab Gaurav: यह किस्म 2015 में जारी की गई है। इसकी औसतन उपज 934 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।इसमें सुक्रॉस की मात्रा 5.5 प्रतिशत होती है।
Punjab Sartaj: यह किस्म 2009 में जारी की गई है। इस किस्म के फल गोल आकार के, मध्यम और सख्त होते हैं। यह किस्म बारिश के मौसम के लिए उपयुक्त है। इसकी औसतन उपज 898 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
TH-1: यह किस्म 2003 में जारी की गई है। इस किस्म के फल गहरे लाल रंग के, गोल आकार के और भार लगभग 85 ग्राम होता है। इसकी औसतन उपज 245 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Punjab Swarna: यह किस्म 2018 में जारी की गई है। इसके पत्ते गहरे हरे रंग के होते हैं। इस किस्म के फल अंडाकार होते हैं जो संतरी रंग के और मध्यम आकार के होते हैं। इसकी पहली तुड़ाई रोपाई के 120 दिन बाद की जानी चाहिए। अंत मार्च तक इसकी औसतन पैदावार 166 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। और यह 1087 क्विंटल प्रति एकड़ उपज देती है। यह सीधे तौर पर खाने के लिए उपयुक्त किस्म है।
दूसरे राज्यों की किस्में
HS 102 : यह किस्म जल्दी पक जाती है। इस किस्म के टमाटर छोटे और दरमियाने आकार के गोल और रसीले होते हैं।
Swarna Baibhav Hybrid : इस किस्म की सिफारिश पंजाब, उत्तराखंड, झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश में की जाती है। इसकी बिजाई सितंबर-अक्तूबर में की जाती है। इसकी क्वालिटी लंबी दूरी वाले स्थानों पर ले जाने और अन्य उत्पाद बनाने के लिए अच्छी मानी जाती है। इसकी औसतन पैदावार 360-400 क्विंटल प्रति एकड़ है।
Swarna Sampada Hybrid : इस किस्म की सिफारिश पंजाब, उत्तराखंड, झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश में की जाती है। इसकी बिजाई के लिए अनुकूल समय अगस्त-सितंबर और फरवरी-मई है। यह झुलस रोग और पत्तों के मुरझाने की रोधक किस्म है। इसकी औसतन पेदावर 400-420 क्विंटल प्रति एकड़ है।
Keekruth : इसके पौधे की ऊंचाई 100 सैं.मी. होती है। यह फसल 136 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इस किस्म के टमाटर दरमियाने से बड़े आकार के, गोल और गहरे लाल रंग के होते हैं।
Keekruth Ageti : इसके पौधे की ऊंचाई 100 सैं.मी. होती है। इस किस्म के टमाटर दरमियाने से बड़े आकार के और गोल होते हैं जो ऊपर से हरे होते हैं। पकने के समय इनका रंग बदल जाता है।