लैटस तोरी की फसल के बारे में जानकारी

आम जानकारी

लैटस  'एसटरेसी' परिवार से संबंध रखता है। इसे सलाद की फसल भी कहा जाता है क्योंकि इसका सेवन कच्चे रूप में किया जाता है। आहार और औषधीय मूल्यों की वजह से इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है। इसे ज्यादातर पत्तों की फसल लेने के उद्देश्य से उगाया जाता है पर कई बार इसकी खेती बीज और तना प्राप्त करने के लिए भी की जाती है। यह विटामिन के और क्लोरोफिल का अच्छा स्त्रोत है। लैटस की विभिन्न किस्मों में से गुच्छेदार पत्तों को सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि इसमें लोहा, विटामिन ए और सी उचित मात्रा में होते हैं। विश्व में चीन लैटस का सबसे बड़ा उत्पादक देश है।

  • Season

    Temperature

    20-30°C
  • Season

    Sowing Temperature

    25-30°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    20-28°C
  • Season

    Rainfall

    100-150cm

जलवायु

  • Season

    Temperature

    20-30°C
  • Season

    Sowing Temperature

    25-30°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    20-28°C
  • Season

    Rainfall

    100-150cm
  • Season

    Temperature

    20-30°C
  • Season

    Sowing Temperature

    25-30°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    20-28°C
  • Season

    Rainfall

    100-150cm
  • Season

    Temperature

    20-30°C
  • Season

    Sowing Temperature

    25-30°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    20-28°C
  • Season

    Rainfall

    100-150cm

मिट्टी

यह फसल कईं प्रकार की मिट्टी में उगाई जा सकती है पर यह रेतली दोमट और दानेदार दोमट मिट्टी में अच्छा परिणाम देती है। इसके अलावा मिट्टी में जैविक पदार्थ, नाइट्रोजन और पोटाश्यिम उच्च मात्रा में होने चाहिए। फसल के अच्छे विकास के लिए मिट्टी की पी एच 6-6.8 तक होनी चाहिए। इसकी खेती के लिए पानी ज्यादा रोकने वाली और अम्लीय मिट्टी अच्छी नहीं होती।

प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

लैटस की किस्में
 
Butter heads: यह फसल बिजाई के 45-55 दिनों के बाद पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
 
Crisp head : यह फसल बिजाई के 70-100 दिनों के बाद पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
 
Loose Leaves: यह फसल बिजाई के 45-55 दिनों के बाद पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
 
Romaine : यह फसल बिजाई के 75-85 दिनों के बाद पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है।  
 
Punjab Lettuce 1: इसकी पत्तियां करारी, चमकदार और हल्के हरे रंग की होती है। यह किस्म बिजाई के 45 दिनों के बाद पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसके हरे पत्तों की औसतन पैदावार 35 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
 
Pusa Snowball-1: इसके पत्ते ढीले होते हैं। इसकी औसतन पैदावार 35 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
 
दूसरे राज्यों की किस्में
 
L S 1, L S 2, Iceberg, Bogampo, Great Lakes
 

ज़मीन की तैयारी

मिट्टी के भुरभुरा होने तक खेत की 2-3 बार जोताई करें। पोषक तत्वों का पता करने के लिए मिट्टी की जांच करवाएं। यदि मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी है तो मिट्टी की जांच के आधार पर सूक्ष्म पोषक तत्वों का प्रयोग करें।

बिजाई

बिजाई का समय
मध्य सितंबर से मध्य नवंबर के महीने में नर्सरी  तैयार करें। नर्सरी में बोये गये बीजों का फासला 15-20 सै.मी. रखें। बीज अंकुरित होने के लिए 3-4 दिन का समय लेते हैं। अंकुरन के बाद सलाद पत्ता को सूरज की रोशनी में हर दिन सुबह के समय 3-4 घंटे के लिए रखें। जब बीज 4-6 सप्ताह पुराने हो जाये तो इन्हे खेत में रोपण कर दें।
 
फासला
बीजों का खेत में रोपण करते समय पंक्ति से पंक्ति का फासला 45 सैं.मी. और पौधे से पौधे का फासला 30 सैं.मी. रखें।
 
बीज की गहराई
बीज को 2-4 सैं .मी. गहराई में बीजना चाहिए।
 
बिजाई का ढंग
लैटस की बिजाई के लिए पौध रोपण ढंग का प्रयोग किया जाता है।
 

बीज

बीज की मात्रा
एक एकड़ की पनीरी तैयार करने के लिए 2 मरले में 400 ग्राम बीज बोयें। सप्ताह के अंतराल पर नर्सरी बेडौं का सिंचित करें।

खाद

खादें (किलोग्राम प्रति एकड़)

UREA SSP MURIATE OF POTASH
55 75 #

 

तत्व (किलोग्राम प्रति एकड़)

NITROGEN PHOSPHORUS POTASH
25 12 #

 

अच्छी तरह गली हुई रूड़ी की खाद 15 टन प्रति एकड़ में डालें और नाइट्रोजन 25 किलो (यूरिया 55 किलो), फासफोरस 12 किलो (सुपर फासफेट 75 किलो) प्रति एकड़ में डालें। पौध रोपण से पहले फासफोरस की सारी मात्रा और नाइट्रोजन की आधी मात्रा डालें। बाकी बची नाइट्रोजन को  पौध रोपण के छः सप्ताह बाद डालें।

 

 

सिंचाई

पौध रोपण करने से 48 घंटे पहले नर्सरी बैड की सिंचाई बंद कर दें। पौध रोपण के 30 मिनट पहले अच्छी तरह से सिंचाई करें। यह पौधे को आसानी से बाहर निकालने में मदद करता है। पौध रोपण के तुरंत बाद पहली सिंचाई करें। हल्की मिट्टी में 5-6 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें और भारी मिट्टी में 8 से 10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।

पौधे की देखभाल

चेपा
  • हानिकारक कीट और रोकथाम
चेपा : यदि रस चूसने वाले कीड़े जैसे कि चेपा का हमला दिखे तो इमीडाक्लोप्रिड 17.8 एस एल 60 मि.ली को 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में स्प्रे करें।
 
धब्बा और चितकबरा रोग
  • बीमारियां और रोकथाम
धब्बा और चितकबरा रोग : धब्बा रोग की प्रतिरोधक किस्म का प्रयोग करें। चितकबरा रोग बीज से पैदा होने वाली बीमारी है इसलिए पत्ता सलाद की खेती के लिए इस बीमारी से रहित बीजों का प्रयोग करें।
 

फसल की कटाई

जब पत्ता पूरी तरह से विकसित हो जाता है और बिक्री आकार तक पहुंच जाता है तब इस फसल की कटाई की जाती है। नर्म पत्तियों को एक सप्ताह के अंतराल के बाद काटा जा सकता है। मार्च के अंत और अप्रैल के शुरू में फसल की कटाई बंद कर देनी चाहिए, इसके पत्ते दुधिया अवस्था में आ जाते हैं। बीज प्राप्त करने के लिए फसल की कटाई मई महीने में खत्म कर देनी चाहिए। यह 50 किलो प्रति एकड़ बीज देती है।
 
सिरे वाली किस्म के लिए, जब सिरे पूरी तरह से विकसित हो जायें फसल की कटाई करें। कटाई हाथों से और मिट्टी की सतह से ऊपर पौधे को काटकर की जा सकती है।
 
फसल की कटाई सुबह के समय करनी चाहिए इससे पत्ते ताजे रहेंगे।
 

कटाई के बाद

कटाई के बाद पत्तों को उनके आकार के अनुसार छंटाई करें। उसके बाद लैटस को बक्सों और डिब्बों में पैक किया जाता है। सलाद पत्ता को तीन हफ्तों के लिए 4 से 5 डिगरी सैल्सियस और 95 प्रतिशत नमी पर हम स्टोर करके रख सकते हैं।

रेफरेन्स

1.Punjab Agricultural University Ludhiana

2.Department of Agriculture

3.Indian Agricultural Research Instittute, New Delhi

4.Indian Institute of Wheat and Barley Research

5.Ministry of Agriculture & Farmers Welfare