आम जानकारी
इसे हर तरह की ज़मीन पर उगाया जा सकता है पर अच्छे जल निकास वाली हल्की ज़मीन इसके लिए सबसे अच्छी हैं मिट्टी की पी एच 5.5-6.5 होनी चाहिए। यह अत्याधिक अम्लीय मिट्टी में वृद्धि नहीं कर सकती।
मिट्टी के भुरभुरा होने तक खेत की जोताई करें। मिट्टी को समतल करने के लिए 3-4 बार जोताई करें। आखिरी जोताई के समय अच्छी तरह से गले हुए गाय के गोबर को मिट्टी में अच्छी तरह मिलायें।
खादें (किलोग्राम प्रति एकड़)
UREA | SSP | MURIATE OF POTASH |
110 | 155 | 40 |
तत्व (किलोग्राम प्रति एकड़)
NITROGEN | PHOSPHORUS | POTASH |
50 | 25 | 25 |
ज़मीन में पूरी तरह गली हुई रूड़ी की खाद 40 टन और नाइट्रोजन 50 किलो (यूरिया 110 किलो), (फासफोरस 25 किलो), ( एस एस पी 115 किलो) और पोटाश 25 किलो, (एम ओ पी 40 किलो) प्रति एकड़ में डालें। सारी रूड़ी की खाद, एस एस पी, एम ओ पी और आधी यूरिया पनीरी खेत में लगाने से पहले और बाकी यूरिया पनीरी खेत में लगाने के 4 सप्ताह बाद डालें ।
अच्छे फूल खिलने और अधिक पैदावार लेने के लिए फसल और पानी के घोल वाली खाद (19:19:19) 5-7 ग्राम प्रति लीटर शुरूआती दिनों में डालें । पनीरी के खेत में लगाने के 40 दिन बाद 12:61:00, 4-5 ग्राम, सूक्ष्म तत्च 2.5-3 ग्राम बोरोन 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की स्प्रे करें। सेहतमंद फूल लेने के लिए फूल बनने के समय पानी घोल वाली खाद 13:00:45, 8-10 ग्राम प्रति लीटर पानी की स्प्रे करें।
मिट्टी की जांच करवाएं और मैग्नीश्यिम की कमी आने पर मैगनीश्यिम सल्फेट 5 ग्राम प्रति लीटर की फसल खेत में लगाने के 30-35 दिनों के बाद स्प्रे करो और कैल्श्यिम की कमी आने पर कैल्श्यिम नाइट्रेट 5 ग्राम प्रति लीटर की फसल खेत में लगाने के 30-35 दिनों के बाद स्प्रे करें।
यदि तने खाली और बेरंगे, फूल भूरे और पत्ते मुड़ जाये तो बोरोन की कमी होती है और इसे पूरा करने के लिए बोरैक्स 250-400 ग्राम प्रति एकड़ डालें ।
फसल को खेत में लगाने से 4 दिन पहले पैंडीमैथालीन 1 लीटर प्रति एकड़ डालें और बाद में एक गोडाई करें ।
फसल को खेत में लगाने के तुरंत बाद पहली सिंचाई दें। ज़मीन और वातावरण के अनुसार सर्दियों में 10-15 दिनों के बाद सिंचाई करें। नए उगे पौधों को सही मात्रा में पानी दें। ज्यादा पानी देने की सूरत में फूलों में दरारें पड़ जाती हैं।
पत्ते खाने वाली सुंडी : यह सुंडी पत्तों को खाती है। यदि नुकसान दिखे तो डाईक्लोरवॉस 200 मि.ली. को 150 लीटर पानी में या फलूबैनडायामाइड 48 प्रतिशत एस सी 0.5 मि.ली. को 3 लीटर पानी में डालकर स्प्रे करें ।
पत्तों के नीचे की ओर धब्बे : पत्तों के निचली ओर भूरे और जामुनी धब्बे दिखाई देते हैं। खेत की सफाई और फसली चक्र अपनाने से इस बीमारी को कम किया जा सकता है। यदि खेत में यह बीमारी दिखे तो मैटालैक्सिल + मैनकोज़ेब 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की स्प्रे करें और 10 दिनों के फासले पर कुल 3 स्प्रे करें।
गलना : इस बीमारी से बचाने के लिए मरकरी क्लोराइड से बीज का उपचार करें। मरकरी क्लोराइड 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में बीजों को 30 मिनट के लिए भिगो दें। उसके बाद इन्हें छांव में सुखा लें। यदि पूरे खेत में यह बीमारी नज़र आये तो कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 300 ग्राम + स्ट्रैप्टोमाइसिन 6 ग्राम को प्रति 150 लीटर पानी में डाल कर स्प्रे करें।
गोभी के फूल के पूरे और बढ़िया आकार के होने पर कटाई करें। कटाई बाजार की मांग के अनुसार की जा सकती है। यदि मांग ज्यादा और मूल्य भी ज्यादा हो तो कटाई जल्दी करें। कटाई के लिए चाकू का प्रयोग किया जाता है।
कटाई के बाद फूलों को आकार के अनुसार अलग अलग करें। यदि मांग और मूल्य ज्यादा हो तो कटाई जल्दी की जा सकती है।
1.Punjab Agricultural University Ludhiana
2.Department of Agriculture
3.Indian Agricultural Research Instittute, New Delhi
4.Indian Institute of Wheat and Barley Research
5.Ministry of Agriculture & Farmers Welfare
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