pomegrarnate.jpg

आम जानकारी

अनार भारत की व्यापारिक फसल है। इसका मूल परसिया है। यह कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैलशियम, फासफोरस, आयरन और विटामिन सी का उच्च स्त्रोत है। अनार को ताजे फल के तौर पर खाया जा सकता है। इसका जूस भी ठंडा और ताजा होता है। जूस के साथ साथ अनार के प्रत्येक भाग के औषधीय मूल्य हैं। इसकी जड़ें और गुद्दा डायरिया, पेचिश से बचाव और आंतों में कीटों को मारने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसकी पंखुड़ियां रंग तैयार करने के लिए उपयोग की जाती हैं। महाराष्ट्र, अनार का मुख्य उत्पादक राज्य है। दूसरे राज्य जैसे राजस्थान, कर्नाटका, गुजरात, तामिलनाडू, आंध्रा प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा, अनार की खेती छोटे स्तर पर करते हैं।

 

मिट्टी

इसे मिट्टी की कई किस्मों में उगाया जा सकता है। अच्छी उपज और अच्छी वृद्धि के लिए गहरी दोमट और जलोढ़ मिट्टी की आवश्यकता होती है। यह दोमट और हल्की क्षारीय मिट्टी को भी सहनेयोग्य है। इसे हल्की मिट्टी में भी उगाया जा सकता है। अनार की खेती के लिए मध्यम और काली मिट्टी भी उपयुक्त रहती है।

 

प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

Bhagwa: इसके फल का आकार बड़ा, स्वाद मीठा, केसरिया रंग की मोटी छाल और दाने मोटे और आकर्षक चमकदार होते हैं। अक्तूबर के मध्य में लगने वाली अन्य किस्मों और पकने के समय की तुलना में यह किस्म फलों के धब्बों और थ्रिप्स के प्रति कम संवेदनशील हैं। यह किस्म प्रति पेड़ 14 किलोग्राम की औसत उपज देती है।

 

ज़मीन की तैयारी

मिट्टी के भुरभुरा होने तक खेत की 2-3 बार जोताई करें। उसके बाद खेत को समतल करने के लिए सुहागा फेरें। 

 

बिजाई

बिजाई का समय

इसकी बिजाई मुख्य रूप से बिजाई दिसंबर से जनवरी महीने में की जाती है।

 

फासला

उचित फासला मिट्टी की किस्म और जलवायु पर निर्भर करता है। अनार की रोपाई के लिए, यदि वर्गाकार प्रणाली अपनाई गई है तो 4 x 4 मीटर फासले का उपयोग करें।

 

बीज की गहराई

रोपाई से एक महीना पहले बिजाई के लिए 60x60x60 सैं.मी. आकार के गड्ढे खोदें। गड्ढों को धूप में खुला छोड़ें।

उसके बाद 20 किलो रूड़ी की खाद और 1 किलो सुपर फास्फेट को मिट्टी में मिलाकर गड्ढों को भरें। गड्ढे भरने के बाद पानी डालें ताकि मिट्टी अच्छे से नीचे बैठ जाये।

 

बिजाई का ढंग

बिजाई के लिए रोपण विधि का प्रयोग किया जाता है।

 

बीज

बीज की मात्रा

इसमें 240 पौधे प्रति एकड़ के हिसाब से उपयोग किये जाते हैं।

 

बीज उपचार

बिजाई से पहले, नए पौधों या कटिंग को 1000 पी पी एम का घोल @1 ग्राम प्रति लीटर पानी में डुबोयें।

 

अंतर-फसलें

शुरूआती दो से तीन वर्षों में अंतरफसली संभव है। अंतरफसली के तौर पर सब्जियों, फलीदार फसलें या हरी खाद वाली फसलें उगाई जा सकती हैं।

 

खाद

दिसंबर में एक साल पुराने पौधे के लिए 5-6 किलोग्राम गोबर की खाद डालें। प्रति वर्ष यूरिया @ 50 ग्राम प्रति पौधा दो बराबर मात्रा में डालें। पहली खुराक मार्च महीने और दूसरी खुराक अप्रैल महीने में दी जाती है। 5 साल बाद यूरिया @ 250 ग्राम प्रति पौधा डालना शुरू करें।

 

सिंचाई

गर्मियों में 10-15 दिनों के अंतराल पर और सर्दियों में 20-25 दिनों के अंतराल पर पानी लगाएं।

 

खरपतवार नियंत्रण

नदीनों की रोकथाम के लिए मलचिंग की जा सकती है। नदीनों की रोकथाम के साथ साथ मिट्टी में नमी  रहने में मदद करता है और भाप बनकर उड़ने को भी कम करता है। 

 

कटाई और छंटाई

कटाई और छंटाई ताजी सेहतमंद टहनियों की वृद्धि करने में मदद करती है। बीमारी से प्रभावित शाखाओं और शाखाओं के ज्यादा बने गुच्छों को भी निकाल दें। यह पौधे के आकार को उचित बनाए रखता है।

 

पौधे की देखभाल

1.jpg
  • हानिकारक कीट और रोकथाम
थ्रिप्स : यदि थ्रिप्स का हमला दिखे तो फिप्रोनिल 80 प्रतिशत डब्लयु पी 20 मि.ली. को 15 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।

 

4708idea99fruit_fly.jpg
फल की मक्खी : यह फल के छिल्के पर अंडे देती है। उसके बाद वे फल के गुद्दे को खाती हैं। प्रभावित फल गल जाता और गिर जाता है।
 
खेत में सफाई रखें। फूल निकलने और फल के विकसित होने के समय कार्बरिल 50 डब्लयु पी 2-4 ग्राम या क्विनलफोस 25 ई सी 2 मि.ली को प्रति लीटर पानी में डालकर स्प्रे करें।
5343idea99mealybug.jpg

मिली बग : ये कीट वृक्षों पर रेंगने लगते हैं और फूलों को अपना भोजन बनाते हैं। यह शहद की बूंदों जैसा पदार्थ भी छोड़ते हैं जो बाद में काले रंग की फंगस में बदल जाता है।

एक निवारक उपाय के रूप में 25 सैं.मी चौड़ी पॉलीथीन पट्टी वृक्ष के तने के चारों तरफ बांधे। यह पौधों को कीटों से बचाकर रखते हैं ताकि वे अंडे ना दे सकें। बाग को साफ रखें। यदि इसका हमला दिखे तो थाइमैथोक्सम 25 डब्लयू जी 0.25 ग्राम या इमीडाक्लोप्रिड 17 एस एल 0.35 मि.ली. या डाइमैथोएट 30 ई सी 2 मि.ली. को प्रति लीटर पानी में डालकर स्प्रे करें।

 

1078idea99pome_Aphids.jpg
चेपा : यदि चेपे का हमला दिखे तो थाइमैथोक्सम 25 डब्लयु जी 0.20 मि.ली या इमीडाक्लोप्रिड 0.35 मि.ली. को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।

 

idea99shot.jpg
टहनी का छेदक कीट : यदि इसका हमला दिखे तो क्लोरपाइरीफॉस 20 ई सी 2 मि.ली. को प्रति लीटर पानी में डालकर या साइपरमैथरिन 60  मि.ली को 150 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।

 

idea99fruit_rot.jpg
  • बीमारियां और रोकथाम
फल के धब्बे : यदि इसका हमला दिखे तो मैनकोजेब या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 2.5 ग्राम को प्रति लीटर पानी में डालकर स्प्रे करें।

 

2231idea99pome__fruit_rot.jpg

फल गलन : फल गलन को रोकने के लिए स्ट्रैप्टोसाइकलिन 50 ग्राम + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 400 ग्राम को 150 लीटर पानी में डालकर स्प्रे करें। पहली स्प्रे के 15 दिनों के बाद दूसरी स्प्रे करें।

 

9691idea99pome_wilt.jpg
सूखा : यदि इसका हमला दिखे तो कार्बेनडाज़िम 5 ग्राम को 5 लीटर  पानी में मिलाकर प्रभावित पौधे और पौधे के आस-पास बीमार पौधों पर छिड़कें।

फसल की कटाई

फूल निकलने के बाद फल 5-6 महीनों में पक जाते हैं। जब फल हरे से हल्के पीले या लाल रंग का हो जाये, या फल पकना शुरू हो जाये तो यह कटाई के लिए उपयुक्त समय होता है। कटाई करने में देरी ना करें क्योंकि इससे फलों में दरारें आ जाती हैं जिससे पैदावार कम हो जाती है।

 

कटाई के बाद

कटाई के बाद फलों को एक सप्ताह के लिए छांव में स्टोर करके रखें। यह फल के छिल्के को सख्त होने में मदद करेगा ताकि एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में नुकसान कम हो। फलों को भार के अनुसान छांटे।